मध्य प्रदेश के Indore जिले में एमबीए (मास्टर्स ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) पेपर लीक मामले में इंदौर पुलिस की टीम ने शुक्रवार को 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
इस मामले में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) ने 30 मई, 2024 को एफआईआर दर्ज कराई थी।
Indore: MBA परीक्षा के 2 पेपर क्रमशः 25 मई और 28 मई को हुए थे लीक
अधिकारियों ने कहा, “दो विषयों – क्वांटिटेटिव टेक्नीक और अकाउंटिंग फॉर मैनेजर्स के पेपर आइडियल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रमुख के कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा तीसरे सेमेस्टर के छात्र को लीक किए गए थे।” इंदौर के एडिशनल DCP रामसनेही मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, “मामला तब प्रकाश में आया जब DAVV के कुछ छात्र लगातार पेपर लीक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
मामले की जांच के लिए एसीपी तुषार सिंह के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी उमेश यादव के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। इस विषय के दो पेपर – क्वांटिटेटिव टेक्नीक और अकाउंटिंग फॉर मैनेजर्स क्रमशः 25 मई और 28 मई को लीक हुए थे।”
“प्रारंभिक जांच में, तकनीकी टीम और कुछ छात्रों की मदद से, टीम को सोशल मीडिया पर पेपर लीक होने का स्रोत पता चला। तीसरे सेमेस्टर के छात्र गौरव सिंह गौर ने पहले सेमेस्टर के छात्र धीरज नरवरई के साथ पेपर शेयर किए थे,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे बताया, “आगे की जांच में, टीम को पता चला कि आइडियल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कंप्यूटर ऑपरेटर दीपक सोलंकी ने परीक्षा के पेपर लीक किए और उन्हें गौरव सिंह गौर को बेच दिया। गौरव पिछले सेमेस्टर में इन पेपरों में पिछड़ रहा था।”
उन्होंने बताया कि इस बीच अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने इन पेपरों को धीरज नरवरिया और अन्य छात्रों को बेच दिया। एडीसीपी मिश्रा ने बताया कि तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है।
छोटी ग्वालटोली थाने में धारा 406 आईपीसी और परीक्षा अधिनियम 3/ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस टीम सभी साक्ष्य जुटा रही है और मामले में शामिल लोगों की तलाश के लिए आगे की जांच जारी है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने सुरक्षा कारणों से अपने परीक्षा पेपर निजी संस्थान आइडियल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में रखे हैं। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (पूर्व में इंदौर विश्वविद्यालय) की स्थापना 1964 में मध्य प्रदेश विधानमंडल के एक अधिनियम द्वारा की गई थी।
भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने 1964 में विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था। विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र इंदौर जिले तक सीमित था। पुलिस टीम मामले की आगे की जांच कर रही है ताकि मामले में शामिल अन्य लोगों और धनराशि का पता लगाया जा सके।
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