NCERT देशभक्ति के मूल्यों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, NCERT ने पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक कविता और भारत-पाकिस्तान युद्ध के शहीद अब्दुल हमीद पर एक अध्याय शामिल किया है। इस शैक्षणिक वर्ष से NCERT की किताबों के कक्षा 6 के पाठ्यक्रम में ये अध्याय जोड़े गए हैं।
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समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा, “‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ कविता इसके पीछे की भावना की सराहना करती है। ‘वीर अब्दुल हमीद’ शीर्षक वाला अध्याय बहादुर अब्दुल हमीद को सम्मानित करता है, जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश के लिए लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया और उन्हें (मरणोपरांत) देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।”
अधिकारी ने कहा, “राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्मारक के रूप में ब्रांडिंग करने की दिशा में शुरू की गई कार्ययोजना के हिस्से के रूप में, रक्षा मंत्रालय ने पाठ्यक्रम में स्मारक और संबंधित संदर्भ या सामग्री को जोड़ने के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ सहयोग किया है। उद्देश्य रक्षा और शिक्षा मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
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NCERT द्वारा उठाया गया कदम जो छात्रों को देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव के बारे में जागरूक करेगा।
” 2019 में स्थापित, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक में उच्च नैतिक मूल्य, बलिदान, राष्ट्रीय भावना और अपनेपन की भावना पैदा करना और राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को उचित श्रद्धांजलि देना है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) 1961 में भारत सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नीतियों और कार्यक्रमों पर केंद्र और राज्य सरकारों की सहायता और सलाह देने के लिए स्थापित एक स्वायत्त संगठन है।
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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कक्षा 6 की पाठ्यपुस्तक में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक कविता और वीर अब्दुल हमीद पर एक अध्याय जोड़ा है। इस निर्णय का उद्देश्य देशभक्ति को बढ़ावा देना और भारतीय सैनिकों की बहादुरी को उजागर करना है।
मुख्य बिंदु
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक कविता: कविता में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के महत्व और भारतीय सैनिकों द्वारा किए गए बलिदानों पर प्रकाश डाला जाएगा।
वीर अब्दुल हमीद अध्याय: यह अध्याय 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान असाधारण बहादुरी दिखाने वाले प्रसिद्ध भारतीय सैनिक वीर अब्दुल हमीद के जीवन और वीरतापूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालेगा।
छात्रों पर प्रभाव
देशभक्ति: इन विषयों को शामिल करने से युवा छात्रों में देशभक्ति और भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान की भावना पैदा करने में मदद मिलेगी।
ऐतिहासिक ज्ञान: छात्रों को भारत के सैन्य इतिहास और उसके सैनिकों द्वारा किए गए बलिदानों के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिलेगी।
प्रेरणा: राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और वीर अब्दुल हमीद की कहानियाँ छात्रों को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक: देश के वीरों को समर्पित
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक भारत का एक महत्वपूर्ण स्मारक है जो देश के सशस्त्र बलों के शहीदों को समर्पित है। यह स्मारक नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थित है और यह भारत के उन बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
स्मारक का महत्व
यह स्मारक सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि यह देश के लिए शहीद हुए जवानों के बलिदान का प्रतीक है। यह स्मारक भावी पीढ़ियों को देश के लिए बलिदान देने वालों के बारे में बताता है और उन्हें देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत करता है।
स्मारक की विशेषताएं
स्मृति उपवन: स्मारक में एक विशाल स्मृति उपवन है जिसमें शहीदों के नाम अंकित हैं।
अमर ज्योति: स्मारक में एक अमर ज्योति जलती रहती है जो शहीदों की आत्मा को शांति प्रदान करती है।
युद्ध उपकरण: स्मारक में विभिन्न युद्ध उपकरणों को प्रदर्शित किया गया है।
शहीदों की कहानियां: स्मारक में शहीदों की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है।
वीर अब्दुल हमीद: भारत के शेर
वीर अब्दुल हमीद एक भारतीय सेना अधिकारी थे जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था। उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था, जो भारत का सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है।
जीवन और पृष्ठभूमि
वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1936 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में हुआ था।उन्होंने भारतीय सेना में प्रवेश किया और एक टैंक कमांडर बन गए। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने अग्रिम मोर्चे पर लड़ाई लड़ी।
युद्ध में बहादुरी
वीर अब्दुल हमीद ने युद्ध के दौरान अदम्य साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने टैंक का उपयोग कर पाकिस्तानी सेना के कई टैंकों को नष्ट कर दिया। उन्होंने अपने साथियों को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। उनके बहादुरी के कारनामों ने भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाया।
शहादत
वीर अब्दुल हमीद की शहादत 10 सितंबर, 1965 को हुई। उन्होंने अपने टैंक का उपयोग कर पाकिस्तानी सेना के कई टैंकों को नष्ट कर दिया था, लेकिन उनके टैंक पर भी हमला किया गया था। वीर अब्दुल हमीद ने अपने टैंक को आग लगा दी ताकि पाकिस्तानी सेना इसे कब्जा न कर सके। इस बहादुरी के लिए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
वीर अब्दुल हमीद की विरासत
वीर अब्दुल हमीद की विरासत आज भी जीवित है। उन्हें भारत के एक महान शहीद के रूप में याद किया जाता है। उनकी बहादुरी की कहानियां देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देती हैं।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपनी कक्षा 6 की हिंदी पाठ्यपुस्तक में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक कविता और वीर अब्दुल हमीद पर एक अध्याय जोड़ा है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों में देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देना है।
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