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Newsnowसंस्कृतिKarwa Chauth 2024  कब है करवा चौथ?

Karwa Chauth 2024  कब है करवा चौथ?

Karwa Chauth प्रेम और भक्ति का एक सुंदर संगम है। यह पर्व न केवल वैवाहिक बंधन को मजबूत करता है, बल्कि यह उन महिलाओं की शक्ति और धैर्य को भी दर्शाता है, जो अपने पति की भलाई के लिए व्रत रखती हैं।

Karwa Chauth भारतीय विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, विशेषकर उत्तरी और पश्चिमी भारत में। यह त्योहार महिलाओं के जीवन में विशेष अर्थ रखता है क्योंकि यह दिन उनके पति की लंबी आयु, स्वस्थ और समृद्ध जीवन के लिए समर्पित होता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रमा दर्शन तक कठोर उपवास रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। यह त्योहार प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और समय के साथ इसका महत्व बढ़ता गया है, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का संगम देखने को मिलता है।

Karwa Chauth 2024 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में, करवा चौथ बुधवार, 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

यह उपवास सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के उदय तक चलता है, और चंद्रमा उदय का समय इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 2024 में, चंद्रमा के लगभग रात 8:15 बजे उदय होने की उम्मीद है, हालांकि स्थान के अनुसार यह समय बदल सकता है। महिलाएं चंद्रमा को देखकर और उसकी पूजा करके ही अपना उपवास तोड़ती हैं।

Karwa Chauth की पौराणिक मान्यता

Karwa Chauth कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जो पत्नियों की अपने पतियों के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इनमें सबसे प्रसिद्ध कथा रानी वीरवती की है। रानी वीरवती ने अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा था, लेकिन उनके भाइयों की चालाकी से उन्होंने समय से पहले व्रत तोड़ दिया, जिससे उनके पति की मृत्यु हो गई। अपनी अटूट भक्ति और देवी पार्वती की कृपा से उन्होंने अपने पति को पुनर्जीवित कर लिया, जिससे करवा चौथ के व्रत का महत्व और बढ़ गया।

एक अन्य कथा करवा और उनके पति की है। जब करवा के पति को नदी में स्नान करते समय मगरमच्छ ने पकड़ लिया, तो करवा ने इतनी श्रद्धा से प्रार्थना की कि यमराज को उनके पति को छोड़ना पड़ा। इस कथा से महिलाओं की प्रार्थना और प्रेम की शक्ति को उजागर किया गया है, जो करवा चौथ की परंपरा का आधार है।

Karwa Chauth के अनुष्ठान और परंपराएं

Karwa Chauth के अनुष्ठान व्रत के दिन से पहले ही शुरू हो जाते हैं:

1.सरगी: दिन की शुरुआत सरगी से होती है, जो ससुराल से सुबह के समय बहू को दिया जाने वाला भोजन होता है। इसमें सूखे मेवे, फल, मिठाइयाँ और पराठे जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ होते हैं जो व्रत रखने वाली महिला को पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करते हैं। सरगी खाना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है क्योंकि यह उपवास की शुरुआत का प्रतीक होता है।

2.सोलह श्रृंगार: Karwa Chauth के दिन महिलाएं पारंपरिक सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें चूड़ियाँ, पायल, झुमके, बिंदी, सिंदूर और लाल साड़ी या ब्राइडल ड्रेस शामिल होती है। ये श्रृंगार विवाहित स्थिति का प्रतीक होते हैं और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करते हैं।

3.व्रत: इस दिन का मुख्य अनुष्ठान व्रत रखना है। महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए रहती हैं। यह व्रत न केवल एक सहनशक्ति का प्रतीक है बल्कि प्रेम और भक्ति का भी प्रतीक होता है।

4.पूजा और करवा: शाम को विशेष पूजा की जाती है, जिसमें विवाहित महिलाएं गोलाकार में बैठती हैं और हाथों में करवा (छोटे मिट्टी के बर्तन) रखती हैं। इस पूजा में करवा चौथ कथा या कहानी सुनी जाती है, जो त्योहार के महत्व और उत्पत्ति की जानकारी देती है। इसके बाद पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है।

5.चंद्रमा दर्शन और व्रत तोड़ना: दिन का सबसे प्रतीक्षित क्षण चंद्रमा के दर्शन का होता है। महिलाएं चंद्रमा को छलनी या कपड़े से देखकर अर्घ्य देती हैं और उसकी पूजा करती हैं। इसके बाद वे अपने पति के हाथों से पानी का पहला घूंट और पहला निवाला ग्रहण करके व्रत तोड़ती हैं। यह क्षण पति-पत्नी के बीच प्रेम और देखभाल का प्रतीक होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

हालांकि Karwa Chauth एक धार्मिक पर्व है, लेकिन इसे आधुनिक दृष्टिकोण से भी देखा जाता है। उपवास का स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है, जैसे शरीर का विषाक्त पदार्थों से मुक्त होना और पाचन तंत्र को विश्राम मिलना। हालांकि, करवा चौथ का उपवास कठिन हो सकता है क्योंकि इसमें पूरे दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता।

पोषण विशेषज्ञ अक्सर सलाह देते हैं कि महिलाएं उपवास की तैयारी के लिए पोषण युक्त सरगी खाएं और एक दिन पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। उपवास तोड़ने के बाद हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करने की सलाह दी जाती है ताकि पाचन तंत्र पर अधिक दबाव न पड़े।

आधुनिक समय में करवा चौथ का महत्व

Karwa Chauth की जड़ें प्राचीन परंपराओं में होने के बावजूद, इसका महत्व आधुनिक समय में भी बना हुआ है। शहरी परिवेश में यह पर्व प्रेम और आपसी सम्मान का प्रतीक बन गया है। कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं, जो विवाह में समानता और साझेदारी का प्रतीक है।

इस दिन का महत्व केवल उपवास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह विवाहित जोड़ों के बीच भावनात्मक और आध्यात्मिक संबंध को भी मजबूत करता है। बदलते सामाजिक रोल्स के साथ, इस पर्व का अर्थ अब केवल पति की लंबी आयु तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है। यह पर्व अब प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक बन गया है।

साथ ही, करवा चौथ अब एक सामाजिक आयोजन भी बन गया है, जहां महिलाएं अपने विवाहित जीवन का जश्न मनाती हैं। कई महिलाएं अब इस दिन को पार्टियों, विशेष आयोजनों और सौंदर्य उपचारों के साथ मनाती हैं। सोशल मीडिया पर महिलाएं पारंपरिक परिधानों में अपनी तस्वीरें साझा करती हैं, जो अपने पति के प्रति उनके प्रेम और समर्पण को दर्शाती हैं।

Karwa Chauth की तैयारियां

महिलाएं करवा चौथ की तैयारी बहुत पहले से ही शुरू कर देती हैं। पारंपरिक परिधानों, गहनों और सौंदर्य उत्पादों की खरीदारी करना इस पर्व की उत्तेजना का हिस्सा होता है। कई महिलाएं मेहंदी (हिना) भी अपने हाथों पर लगवाती हैं, जो सोलह श्रृंगार का हिस्सा होता है।

उपहार देना भी करवा चौथ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। पति अक्सर अपनी पत्नियों को उपहार देकर उनके समर्पण की सराहना करते हैं। इसी तरह, परिवारों में उपहारों का आदान-प्रदान होता है और सास अपनी बहुओं को विशेष उपहार देती हैं, जिससे इस अवसर की खुशी और भी बढ़ जाती है।

Karwa Chauth की सांस्कृतिक विविधता

हालांकि Karwa Chauth मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पर्व देश के विभिन्न हिस्सों और यहां तक कि विदेशों में भी भारतीय समुदायों द्वारा मनाया जाता है। क्षेत्रीय और सांस्कृतिक भिन्नताओं के आधार पर, इस पर्व के रीति-रिवाजों में थोड़े बहुत बदलाव होते हैं।

Karwa Chauth 2024: तिथि, मुहूर्त, चंद्रमा उदय का समय, महत्व

उदाहरण के लिए, पंजाब में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और सरगी भोजन को बहुत महत्व दिया जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में यह पर्व भी महत्वपूर्ण होता है, लेकिन वहां के रीति-रिवाज थोड़े भिन्न हो सकते हैं। शहरी क्षेत्रों में करवा चौथ अब एक फैशनेबल आयोजन बन गया है, जहां महिलाएं बड़े समूहों में एकत्रित होकर इस पर्व को मनाती हैं।

ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी करवा चौथ का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह व्रत चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा और सितारों की स्थिति को महिलाओं द्वारा प्राप्त आशीर्वाद को और बढ़ाने वाला माना जाता है। चंद्रमा इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इसे हिंदू पौराणिक कथाओं में एक दिव्य तत्व माना जाता है, जो सौंदर्य, शांति और शीतलता का प्रतीक है।

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निष्कर्ष

Karwa Chauth प्रेम और भक्ति का एक सुंदर संगम है। यह पर्व न केवल वैवाहिक बंधन को मजबूत करता है, बल्कि यह उन महिलाओं की शक्ति और धैर्य को भी दर्शाता है, जो अपने पति की भलाई के लिए व्रत रखती हैं।

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