Acharya Tulsi जैन धर्म के श्वेतांबर तेरापंथ संप्रदाय के नवें आचार्य थे। वे एक महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उनके विचारों और कार्यों ने जैन धर्म को ही नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को भी प्रभावित किया। मैं इस अवसर पर अपनी भावनाएं व्यक्त करता हूँ।
Acharya Tulsi के प्रति मेरी भावनाएँ
जीवन उज्ज्वल कर ले
अज्ञान तिमिर मिटा ले
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले।
खाली जीवन घट में
सदगुण के मोती भर ले।
जिसको हम अपना मानते
वह नहीं है हमारा।
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले।
स्वर्णिम रवि उदित हुआ है,
अंतर तम दूर हटायें
निर्मल ज्योति पाकर
सभी तरह का क्लेश मिटायें।
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले।
दिन चार यहां पे जीना
आखिर कब उठ जाये डेरा
यह अभी सुखद पल हैं,
स्वयं को पावन कर ले।
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले।
बचते रहना हरदम
दुर्व्यसनों से हमको
मन की न पूर्ण होगी
दुःख का भरा खजाना।
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले।
जिन्दगी की राह हमारी
कष्टों से भरी पड़ी है
सत्पथ पर चलने से
हैं जीवन सुखदाई।
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले।
चलना सदा सजग बन
तृष्णा नदी तरी हैं
मृदु व्यवहार से ही
सबको अपना कर ले।
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले।
कम खाना गम खाना
सीखें पल-पल नमना
ये स्वर्ण सूत्र इनको
अपनाकर हैं चलना।
गुरु तुलसी का स्मरण कर
प्रभु से ही लौ लगा ले ।
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