भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ मिलकर ‘द्रव और तापीय विज्ञान’ में अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया है। इसरो इस परियोजना के लिए 1.84 करोड़ रुपये की प्रारंभिक निधि प्रदान करेगा।
आईआईटी-एम के अनुसार, यह केंद्र इसरो के अंतरिक्षयान और प्रक्षेपण यान से संबंधित तापीय प्रबंधन अनुसंधान गतिविधियों के लिए नोडल केंद्र होगा। डिजाइन, विश्लेषण और परीक्षण घटकों से संबंधित तापीय समस्याओं का समाधान आईआईटी मद्रास संकाय की विशेषज्ञता की देखरेख में किया जाएगा।
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ISRO और IIT Madras के बीच सहयोग से निम्नलिखित प्रमुख परिणाम सामने आएंगे
तापीय प्रबंधन अनुसंधान केंद्र: यह केंद्र इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण अनुसंधान सुविधा के रूप में काम करेगा, जो अंतरिक्षयान और प्रक्षेपण यान के लिए तापीय प्रबंधन चुनौतियों का समाधान करेगा।
वित्तपोषण: इसरो केंद्र की स्थापना के लिए 1.84 करोड़ रुपये की प्रारंभिक निधि प्रदान करेगा, जिसमें बुनियादी ढांचे, उपकरण और उपभोग्य सामग्रियों, रखरखाव और द्रव-तापीय विज्ञान में परियोजनाओं के लिए भविष्य के अनुदान शामिल होंगे।
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उन्नत अनुसंधान परियोजनाएँ: केंद्र अंतरिक्ष यान तापीय प्रबंधन, हाइब्रिड रॉकेट में दहन अस्थिरता और क्रायो-टैंक थर्मोडायनामिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
उद्योग-अकादमिक सहयोग: केंद्र इसरो वैज्ञानिकों और आईआईटी मद्रास संकाय के बीच साझेदारी को मजबूत करेगा, जिससे द्रव और तापीय विज्ञान में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
आत्मनिर्भर अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए बुनियादी अनुसंधान के महत्व को पहचानते हुए, इसरो और आईआईटी मद्रास ने 1985 में ‘इसरो-आईआईटी एम स्पेस टेक्नोलॉजी सेल’ की स्थापना की।
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