कॉमेडियन Kunal Kamra ने अपने खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। यह एफआईआर एक पैरोडी वीडियो को लेकर दर्ज की गई है, जिसमें उन्होंने एक प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दे पर व्यंग्य किया था। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि वीडियो से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और यह असम्मानजनक है। वहीं, कामरा का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल व्यंग्य और हास्य था, न कि किसी समुदाय या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाना।
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उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा बताते हुए कानूनी संरक्षण की मांग की है। इस मामले में कोर्ट जल्द सुनवाई कर सकता है और यह फैसला देश में अभिव्यक्ति की सीमा और व्यंग्य के दायरे को लेकर अहम उदाहरण बन सकता है।
Kunal Kamra द्वारा दी गई दलील
Kunal Kamra द्वारा दायर की गई याचिका में उन्होंने यह दलील दी है कि उनके खिलाफ की गई एफआईआर संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। उनका कहना है कि एक व्यंग्य कलाकार के तौर पर समाज की विडंबनाओं और राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी करना उनका अधिकार है, और इसे आपराधिक इरादे से जोड़ना अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने जैसा है।
एफआईआर में उन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। कामरा ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि यह शिकायत एक राजनीतिक प्रेरित कार्रवाई है, जिसका उद्देश्य उन्हें चुप कराना और डराना है।
Kunal Kamra के वकील ने कोर्ट के समक्ष यह भी तर्क दिया कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हास्य और पैरोडी को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, और इस तरह की एफआईआर न केवल न्यायिक संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि यह कलात्मक स्वतंत्रता पर भी हमला है।
बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई जल्द कर सकता है, और यदि कोर्ट कामरा के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो यह मामला देश में स्टैंड-अप कॉमेडी, व्यंग्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं को लेकर एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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