Khetri Fort, राजस्थान के झुंझुनू ज़िले में स्थित एक भव्य और ऐतिहासिक किला है, जिसे 18वीं शताब्दी में शेखावत राजाओं द्वारा बनवाया गया था। Khetri Fort न केवल अपनी राजपूत-मुगल शैली की वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि स्वामी विवेकानंद और राजा अजीत सिंह खेतड़ी की ऐतिहासिक मित्रता का भी साक्षी है। ऊँची पहाड़ी पर स्थित यह किला आज भी राजस्थान की शौर्यगाथा, संस्कृति और विरासत को जीवंत करता है।
सामग्री की तालिका
भूमिका
Khetri Fort राजस्थान की धरती वीरता, संस्कृति, स्थापत्य कला और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध रही है। इसी गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है Khetri Fort, जिसे खेतड़ी किला भी कहा जाता है। यह किला राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के खेतड़ी कस्बे में स्थित है। Khetri Fort न केवल एक भव्य स्थापत्य नमूना है, बल्कि राजपूताना शौर्य, कला और संस्कृति का अनमोल प्रतीक भी है। यह किला शेखावाटी क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में गिना जाता है। इस लेख में हम फोर्ट खेतड़ी का इतिहास, स्थापत्य शैली, सांस्कृतिक महत्व, पर्यटन दृष्टिकोण, वर्तमान स्थिति और उससे जुड़े रोचक तथ्य प्रस्तुत करेंगे।
1. खेतड़ी: एक संक्षिप्त परिचय
Khetri Fort राजस्थान के उत्तर-पूर्व में स्थित झुंझुनू जिला शेखावाटी क्षेत्र का हिस्सा है, जो अपने भित्ति चित्रों, हवेलियों और किलों के लिए प्रसिद्ध है। खेतड़ी इसी जिले का एक ऐतिहासिक कस्बा है। यह क्षेत्र कभी खेतड़ी रियासत का मुख्यालय था। खेतड़ी रियासत का गठन 18वीं शताब्दी में हुआ था और यह शेखावत राजपूतों द्वारा शासित थी। यहीं स्थित है — फोर्ट खेतड़ी।
2. फोर्ट खेतड़ी का इतिहास
2.1 स्थापना
Khetri Fort की स्थापना 1770 ईस्वी के आसपास मानी जाती है। इसे खेतड़ी रियासत के संस्थापक राजा राव फतेह सिंह (Fateh Singh) ने बनवाया था। राव फतेह सिंह ने न केवल एक सशक्त रियासत की नींव रखी बल्कि सांस्कृतिक और स्थापत्य विकास को भी बढ़ावा दिया।
2.2 खेतड़ी रियासत का राजनीतिक महत्व
Khetri Fort रियासत जयपुर राज्य की अधीनस्थ थी, लेकिन इसके शासक स्वतंत्र रूप से अपनी रियासत का संचालन करते थे। खेतड़ी रियासत की स्थिति रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थी — यह राजस्थान और हरियाणा की सीमाओं के समीप स्थित थी, जिससे व्यापार और सैन्य दृष्टि से इसका विशेष महत्व था।
2.3 स्वामी विवेकानंद और खेतड़ी
Khetri Fort का सबसे उल्लेखनीय ऐतिहासिक प्रसंग है — स्वामी विवेकानंद और राजा अजीत सिंह खेतड़ी के बीच की गहरी मित्रता। राजा अजीत सिंह एक उदार, शिक्षित और आध्यात्मिक विचारों वाले शासक थे। स्वामी विवेकानंद को उन्होंने न केवल संरक्षण दिया, बल्कि अमेरिका के शिकागो धर्म महासम्मेलन में भाग लेने के लिए आर्थिक सहायता भी दी। स्वामी विवेकानंद ने ही ‘नरेंद्रनाथ दत्त’ नाम से संन्यास लेकर ‘विवेकानंद’ नाम इसी खेतड़ी में पाया था। खेतड़ी में उनका आगमन राजा अजीत सिंह के आमंत्रण पर हुआ था। आज भी वहां स्वामी विवेकानंद स्मारक स्थित है।
3. फोर्ट खेतड़ी की स्थापत्य शैली
3.1 राजस्थानी और मुगल स्थापत्य का मिश्रण
Khetri Fort की वास्तुकला राजस्थानी राजपूत शैली और मुगल स्थापत्य का सुंदर संगम है। किले के निर्माण में बलुआ पत्थर, चूने की गारे और संगमरमर का उपयोग हुआ है। यह किला ऊँचे पहाड़ पर स्थित है, जिससे यह दूर से ही दर्शनीय प्रतीत होता है।
3.2 किले के प्रमुख भाग
a. दरबार हॉल (दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास)
दरबार हॉल राजा का दरबारी कार्यालय था। यहाँ भव्य सिंहासन, पॉलिश किए गए फर्श और ऊँचे गुंबद थे।
b. झरोखे और महराबें
किले में अनेक सुंदर झरोखे (जालीदार खिड़कियाँ), महराबें (arches), रंगीन शीशे की खिड़कियाँ और नक्काशीदार दरवाजे देखने को मिलते हैं।
c. महल परिसर
Khetri Fort के अंदर रानियों के लिए अलग-अलग ज़नाना महल थे। यहाँ की दीवारों और छतों पर की गई भित्ति चित्रकला अत्यंत सुंदर है।
d. मंदिर और हवेलियाँ
किले में एक शिव मंदिर और अन्य देवालय स्थित हैं, जो धार्मिक गतिविधियों का केंद्र थे। साथ ही राजा की हवेली भी किले परिसर का हिस्सा है।
4. फोर्ट खेतड़ी का सांस्कृतिक महत्व
4.1 धार्मिक आयोजनों का केंद्र
राजा अजीत सिंह और उनके पूर्वजों ने किले में कई धार्मिक आयोजन, उत्सव और संगीत समारोहों का आयोजन किया। यहाँ नवरात्रि, होली, दीपावली जैसे त्योहार भव्य रूप से मनाए जाते थे।
4.2 शिक्षा और कला का संरक्षण
राजा अजीत सिंह ने खेतड़ी को शिक्षा और संस्कृति का केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनके संरक्षण में अनेक विद्वान और कलाकार फले-फूले।
4.3 स्वामी विवेकानंद की उपस्थिति
स्वामी विवेकानंद के आगमन ने इस किले को आध्यात्मिक महत्व प्रदान किया। उनके भाषण और विचार आज भी यहां की स्मृति दीवारों पर अंकित हैं।
5. फोर्ट खेतड़ी और पर्यटन
5.1 दर्शनीय स्थल
- Khetri Fort: मुख्य किला जिसमें महल, मंदिर, दीवारें, झरोखे और बुर्ज शामिल हैं।
- स्वामी विवेकानंद स्मारक: राजा अजीत सिंह और विवेकानंद की स्मृति में निर्मित।
- राजा की हवेली और संग्रहालय: जहाँ शाही जीवनशैली के अवशेष देखे जा सकते हैं।
5.2 कैसे पहुँचें?
- सड़क मार्ग: खेतड़ी दिल्ली से लगभग 190 किमी और जयपुर से लगभग 180 किमी दूर है। बस और टैक्सी सुविधा उपलब्ध है।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन Jhunjhunu है, जो खेतड़ी से 40 किमी की दूरी पर है।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जयपुर एयरपोर्ट है।
5.3 ठहरने की व्यवस्था
Khetri Fort और आसपास कई होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे सुविधाएँ उपलब्ध हैं। झुंझुनू में बेहतर सुविधाओं वाले होटल भी मौजूद हैं।
6. वर्तमान स्थिति और संरक्षण
6.1 जर्जर अवस्था में धरोहर
वर्तमान में फोर्ट खेतड़ी की स्थिति कुछ हद तक जर्जर है। समय के साथ मरम्मत न होने के कारण दीवारें और छतें क्षतिग्रस्त हुई हैं।
6.2 संरक्षण की आवश्यकता
राजस्थान सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को चाहिए कि वे इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए कदम उठाएँ। साथ ही स्थानीय प्रशासन और नागरिकों की भागीदारी भी जरूरी है।
7. रोचक तथ्य
- स्वामी विवेकानंद का नामकरण ‘विवेकानंद’ खेतड़ी में ही हुआ था।
- राजा अजीत सिंह खेतड़ी को विवेकानंद ‘मित्र और संरक्षक’ कहते थे।
- Khetri Fort का एक हिस्सा अब भी निजी संपत्ति है और उसमें कुछ कक्ष उपयोग में हैं।
- फोर्ट खेतड़ी में एक भूमिगत सुरंग की चर्चा भी होती है जो किसी गुप्त मार्ग की ओर संकेत करती है, परंतु यह अब बंद है।
- शेखावाटी क्षेत्र की पेंटिंग शैली के सुंदर नमूने भी किले की दीवारों पर मिलते हैं।
8. फोर्ट खेतड़ी का सांस्कृतिक पुनर्जागरण
Raj Vilas, जयपुर: एक शाही अनुभव का प्रतीक
Khetri Fort को फिर से जीवंत करने के प्रयास किए जा रहे हैं:
- स्थानीय पर्यटन बढ़ावा के लिए यहां मेलों, उत्सवों और सांस्कृतिक आयोजनों की शुरुआत हो रही है।
- स्थानीय कलाकार और स्कूलों के माध्यम से कला और संस्कृति के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
Khetri Fort न केवल एक स्थापत्य चमत्कार है, बल्कि भारत के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक भी है। स्वामी विवेकानंद जैसे महान संत की स्मृति से जुड़ा यह किला हमारी राष्ट्रीय धरोहरों में गिना जाना चाहिए। इसका संरक्षण और प्रचार न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके इतिहास से जोड़ने में भी सहायक सिद्ध होगा। राजस्थान की रेत में गहराई से दबे इतिहास की एक चमकदार किरण है — Khetri Fort, जो आज भी वीरता, विद्वता और वास्तुकला की कहानी कहता है।
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