केंद्रीय मंत्री Shivraj Singh Chauhan का यह बयान सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ सख्ती भर नहीं दर्शाता, बल्कि इसमें भारत की विदेश नीति और रणनीतिक प्राथमिकताओं में हो रहे बदलाव की झलक भी मिलती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि भारत 1960 की सिंधु जल संधि जैसी एकतरफा सहिष्णुताओं की पुनः समीक्षा करे, विशेषकर तब जब पाकिस्तान लगातार भारत विरोधी गतिविधियों को प्रायोजित करता आ रहा है।
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Shivraj Singh Chauhan का सख्त संदेश: ज़रूरत पड़ी तो लेंगे कड़ा प्रतिकार
Shivraj Singh Chauhan ने यह भी कहा कि भारत अब सिर्फ “सहनशील प्रतिक्रिया” की नीति से आगे बढ़ चुका है और यदि जरूरत पड़ी तो “सक्रिय प्रतिकार” के सिद्धांत को अपनाने से नहीं हिचकेगा। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की गई है।
इस संदर्भ में सिंधु जल संधि की चर्चा विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, जिसमें भारत ने पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) पर अधिकार रखते हुए भी पश्चिमी नदियों (झेलम, चेनाब, सिंधु) का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को उपयोग के लिए सौंप दिया था। विशेषज्ञों की मानें तो अब भारत इस संधि की पुनर्रचना या कार्यान्वयन में कड़ाई के विकल्पों पर विचार कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में

7 मई 2025 की रात 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ प्रमुख आतंकवादी ठिकानों पर एक उच्च-सटीक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत हमला किया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में की गई थी, जिसमें 26 भारतीय पर्यटक मारे गए थे।
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