ऑपरेशन सिंदूर के बाद PM Modi ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में भारतीय सेना के अदम्य साहस की सराहना करते हुए एक स्पष्ट और सशक्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींचता है और भारत की नीति को एक नए स्तर पर स्थापित करता है। उन्होंने देश की बेटियों के “सिंदूर” की रक्षा का संकल्प दोहराते हुए संकेत दिया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ पहले से कहीं अधिक निर्णायक रुख अपनाएगा।
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इस भाषण को न केवल भारत में व्यापक समर्थन मिला, बल्कि इसकी तुलना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण से भी की जा रही है, जो मुख्यतः अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धन्यवाद देने तक सीमित रहा। इससे दोनों नेताओं की प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण में अंतर स्पष्ट रूप से सामने आया — जहां पीएम मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और भविष्य की रणनीति पर फोकस किया, वहीं शरीफ का भाषण अपेक्षाकृत रक्षात्मक और बाहरी समर्थन की अपील से भरा रहा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर PM Modi का दमदार संदेश

PM Modi का राष्ट्र के नाम संबोधन न केवल सैन्य पराक्रम की सराहना था, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और आतंकवाद के प्रति ‘न्यू नॉर्मल’ का उद्घोष भी था। पीएम मोदी ने इस ऑपरेशन को एक मील का पत्थर बताया और कहा कि यह सिर्फ एक कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत के बदलते सामरिक रवैये का प्रतीक है। उन्होंने भावनात्मक रूप से देश की बेटियों और परिवारों को यह आश्वासन दिया कि भारत सरकार अब किसी भी आतंकी खतरे का जवाब मजबूती और निर्णायकता से देगी। “सिंदूर पोंछने वालों को छोड़ेंगे नहीं,” यह कथन केवल शब्द नहीं था, बल्कि भारत की नीति में आए कठोर बदलाव का स्पष्ट संकेत था।
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वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का भाषण न तो इतनी मजबूती से राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करता दिखा और न ही उसमें अपने नागरिकों को कोई स्पष्ट रोडमैप दिया गया। उनका पूरा भाषण अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगने और कूटनीतिक स्तर पर भावनात्मक अपीलों तक सीमित रहा। उन्होंने अपनी जनता को आश्वस्त करने के बजाय, विभिन्न मुस्लिम देशों और पश्चिमी ताकतों को धन्यवाद देने में अधिक समय दिया, जिससे उनकी रणनीतिक अस्थिरता और नेतृत्व की कमजोरी उजागर हुई।

यह अंतर भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व की सोच और तैयारियों में स्पष्ट विभाजन को दर्शाता है। भारत जहाँ आतंकी हमलों का जवाब अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि निर्णायक सैन्य कार्रवाई और वैश्विक मंचों पर दबाव के माध्यम से दे रहा है, वहीं पाकिस्तान अभी भी आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और बाहरी समर्थन पर निर्भरता से बाहर नहीं निकल पा रहा है।
इस प्रकार, PM Modi का भाषण न केवल भारतीय जनमानस को आश्वस्त करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिरता, संप्रभुता और आतंकवाद के प्रति उसकी जीरो टॉलरेंस नीति को भी बल देता है। इसके विपरीत, पाकिस्तान का दृष्टिकोण वैश्विक सहानुभूति पर केंद्रित रहा, जिससे उसकी कूटनीतिक कमजोरी और सीमित विकल्प स्पष्ट हो जाते हैं।
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