Bhadrapada Purnima , जिसे रक्षा बंधन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू महीने भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। यह मुख्य रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है, और यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए बहुत आध्यात्मिक महत्व का दिन है।
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भगवान विष्णु मुख्य गुण और प्रतीक:
भगवान विष्णु हिंदू धर्म में ब्रह्मा (निर्माता) और शिव (विध्वंसक) के साथ तीन प्राथमिक देवताओं (त्रिदेवों) में से एक हैं। उन्हें अक्सर ब्रह्मांड का “संरक्षक” या “पालक” कहा जाता है।
चार भुजाएँ: मानव अस्तित्व के चार पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं: मन, बुद्धि, अहंकार और चेतना।
चक्र: विष्णु को अक्सर चक्र (डिस्कस) पकड़े हुए दर्शाया जाता है, जो उनकी दिव्य शक्ति और बुराई को नष्ट करने की क्षमता का प्रतीक है।
शंख: शंख सृष्टि की ध्वनि और ब्रह्मांड के ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।
कमल: कमल का फूल पवित्रता, सुंदरता और ज्ञान का प्रतीक है।
गदा: गदा शक्ति, शक्ति और रक्षा करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करती है।
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विष्णु के अवतार:
भगवान विष्णु की सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक दुनिया को बुराई से बचाने और व्यवस्था को बहाल करने के लिए विभिन्न अवतार लेने की उनकी क्षमता है। कुछ सबसे प्रसिद्ध अवतारों में शामिल हैं:
राम: महाकाव्य रामायण के नायक, जिन्होंने अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए राक्षस राजा रावण से युद्ध किया।
कृष्ण: भगवद गीता के चंचल और शरारती भगवान, जिन्होंने धर्म और भक्ति के सिद्धांतों की शिक्षा दी।
वामन: बौना अवतार जिसने राक्षस राजा बाली को चुनौती दी और पृथ्वी को पुनः प्राप्त किया।
मत्स्य: मछली अवतार जिसने दुनिया को एक बड़ी बाढ़ से बचाया।
कूर्म: कछुआ अवतार जिसने अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए ब्रह्मांडीय महासागर को मंथन करने में मदद की।
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भगवान विष्णु का महत्व
भगवान विष्णु को सभी प्राणियों का रक्षक और धर्म (धार्मिकता) का पालनकर्ता माना जाता है। उनकी करुणा, दया और ब्रह्मांड में संतुलन बहाल करने की क्षमता के लिए उनकी पूजा की जाती है। भक्त सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक मुक्ति के लिए विष्णु का आशीर्वाद चाहते हैं।
Bhadrapada Purnima 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
भाद्रपद पूर्णिमा 2024 की शुरुआत 17 सितंबर 2024 को रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से होगी। जिसका समापन अगले दिन 18 सितंबर 2024 को रात्रि 8 बजकर 6 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि की मान्यता है ऐसे में भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी।
Bhadrapada Purnima का महत्व
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली Bhadrapada Purnima , भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने तथा दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को दान देने से मन की शांति, पापों का नाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। Bhadrapada Purnima से ही पितृ पक्ष की भी शुरुआत होती है। इसलिए इस दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से साधक के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
दान का महत्व
सनातन परंपरा में दान देना पूजा और उपासना का अभिन्न अंग माना जाता है। दान देने की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। इसलिए धार्मिक ग्रंथों एवं शास्त्रों में दान को मानव जीवन के अनिवार्य पहलुओं में शामिल किया गया है। अगर पौराणिक ग्रंथों को देखा जाए तो हिन्दू धर्म के विभिन्न ग्रंथों के श्लोकों में दान के महत्व का विस्तार से उल्लेख मिलता है। किंतु दान की महिमा तभी होती है जब वह नि:स्वार्थ भाव से ऐसे व्यक्ति को दिया जाए, जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर कुछ पाने की लालसा में दान दिया जाता है तो वह अपना पूर्ण प्रभाव नहीं छोड़ पाता और उसका पुण्य भी साधक को पूरी तरह से नहीं मिलता है।
Bhadrapada Purnima के बारे में मुख्य बातें:
रक्षा बंधन: यह त्यौहार मुख्य रूप से रक्षा बंधन की परंपरा के लिए जाना जाता है, जहाँ बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी (पवित्र धागा) बाँधती हैं, जो उनके सुरक्षात्मक बंधन का प्रतीक है। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाता है।
आध्यात्मिक शुद्धि: भाद्रपद पूर्णिमा आध्यात्मिक शुद्धि का भी दिन है। कई हिंदू इस दिन अपने मन और आत्मा को शुद्ध करने के लिए व्रत रखते हैं।
चंद्रमा से आशीर्वाद: माना जाता है कि पूर्णिमा का मन और शरीर पर शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है। इस दिन उपवास करना आध्यात्मिक विकास और कल्याण के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है।
भगवान विष्णु का सम्मान: Bhadrapada Purnima भगवान विष्णु से जुड़ी है और इस दिन कई भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
व्रत का पालन
Bhadrapada Purnima के व्रत में आम तौर पर पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज़ किया जाता है। कुछ लोग केवल फल या दूध का सेवन करना चुन सकते हैं। आमतौर पर भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद अगली सुबह व्रत तोड़ा जाता है।
अनुष्ठान और परंपराएँ
रक्षा बंधन: Bhadrapada Purnima पर सबसे प्रमुख अनुष्ठान रक्षा बंधन है।बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो उनके सुरक्षात्मक बंधन का प्रतीक है। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने और उसे उपहार देने की कसम खाता है।
पूजा: कई हिंदू इस दिन घर या मंदिरों में पूजा (पूजा) करते हैं, भगवान विष्णु और अन्य देवताओं की पूजा करते हैं।
दान: Bhadrapada Purnima पर दान करने या ज़रूरतमंदों को भोजन कराने का रिवाज़ है।
व्रत रखने के लाभ
Bhadrapada Purnima पर व्रत रखने से आध्यात्मिक शुद्धि, भगवान विष्णु का आशीर्वाद और पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं। इसे स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
1. आध्यात्मिक लाभ
- पापों का नाश: इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- ईश्वर की कृपा: भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- मन की शांति: व्रत रखने से मन शांत होता है और आत्मिक शक्ति बढ़ती है।
- पवित्रता: यह व्रत व्यक्ति को आंतरिक रूप से पवित्र बनाता है।
2. शारीरिक लाभ
- स्वास्थ्य लाभ: व्रत रखने से शरीर को आराम मिलता है और पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है: व्रत रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
- ऊर्जा का स्तर बढ़ता है: व्रत रखने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और व्यक्ति अधिक सक्रिय महसूस करता है।
3. सामाजिक लाभ
- परिवारिक बंधन मजबूत होते हैं: रक्षाबंधन के त्योहार के कारण भाई-बहन के बीच का बंधन मजबूत होता है।
- समाज सेवा: इस दिन कई लोग जरूरतमंदों की मदद करते हैं और दान करते हैं।
Bhadrapada Purnima को लेकर कई मान्यताएं
1. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं|
2. भाद्रपद पूर्णिमा पर स्नान-दान का विशेष महत्व है|
3. इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य मिलता है|
4. अगर गंगा स्नान संभव न हो, तो घर में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है|
5. Bhadrapada Purnima के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद माथे पर सफ़ेद चंदन का टीका लगाने से मानसिक तनाव दूर होता है|
6. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से देवी लक्ष्मी और पितर प्रसन्न होते हैं|
7. पूर्णिमा के दिन किसी भी तरह का तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए|
8. पूर्णिमा के दिन चंद्र को अर्घ्य देने से मानसिक तनाव दूर होते हैं|
9. भाद्रपद पूर्णिमा से ही पितृपक्ष की शुरुआत होती है|
10. पूर्णिमा का दिन भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विशेष दिन है|
निष्कर्ष
भाद्रपद पूर्णिमा हिंदू महीने भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। यह मुख्य रूप से रक्षा बंधन की परंपरा के लिए जाना जाता है, जहाँ बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं, जो उनके सुरक्षात्मक बंधन का प्रतीक है।
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