नई दिल्ली: लोकसभा ने आज एक विधेयक पारित किया, जो अगर कानून बन जाता है, तो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़े समुदायों की अपनी सूची (OBC List) तैयार करने की अनुमति मिल जाएगी। ये सूचियां केंद्र सरकार से अलग हो सकती हैं।
संविधान संशोधन विधेयक को 385 मतों के साथ मंजूरी दी गई और इसके खिलाफ कोई मत नहीं पड़ा।
बिहार जैसे कुछ राज्यों में अपने स्वयं के जाति-आधारित सर्वेक्षणों के बीच बिल का पारित होना, केंद्र सरकार के इस रुख को देखते हुए कि जनगणना 2021 में केवल अनुसूचित जाति और जनजाति, किसी और की गणना नहीं की जाएगी।
पहले केवल केंद्र सरकार ही OBC List तैयार कर सकती थी।
आज पारित किया गया संविधान (एक सौ सत्ताईसवां संशोधन) विधेयक, 2021, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मई में एक स्पष्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूर्ववत करने के लिए लाया गया था कि केवल केंद्र सरकार ही OBC List तैयार कर सकती है।
मराठा आरक्षण मुद्दे पर सुनवाई के दौरान अदालत की यह सख्ती आई और 2018 में पारित एक कानून का हवाला दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था, “संसद द्वारा किए गए संशोधन के कारण राज्यों के पास सामाजिक रूप से आर्थिक रूप से पिछड़ी जाति सूची (OBC) में किसी भी जाति को जोड़ने (OBC List) की कोई शक्ति नहीं है।”
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने आज विधेयक पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक कानून बताया क्योंकि इससे देश की 671 जातियों को लाभ होगा।
शिवसेना ने आज लोकसभा में विधेयक में एक संशोधन लाया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा, जिसके खिलाफ 305 वोट पड़े और इसके पक्ष में केवल 71 वोट पड़े।
एक संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पारित होने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।