हाल ही में Honey Singh के नए गाने ‘मैनिक’ को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने पटना हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि यह गाना अश्लीलता को बढ़ावा देता है, महिलाओं को वस्तु की तरह प्रस्तुत करता है और भोजपुरी भाषा का दुरुपयोग करता है। इस याचिका के बाद एक बार फिर कलात्मक स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर बहस छिड़ गई है।
सामग्री की तालिका
क्या हैं याचिका के मुख्य बिंदु?
नीतू चंद्रा, जो बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा में अपने काम के लिए जानी जाती हैं, ने ‘मैनिक’ गाने के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उनकी याचिका में कहा गया है कि गाने के बोल और वीडियो महिलाओं को केवल भोग की वस्तु के रूप में दर्शाते हैं, जिससे समाज में गलत संदेश जाता है।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि गाने में भोजपुरी भाषा का प्रयोग बेहद अश्लील ढंग से किया गया है, जिससे न केवल भोजपुरी संस्कृति का अपमान हो रहा है, बल्कि इस भाषा से जुड़े लोगों की छवि भी खराब हो रही है।

याचिका में Honey Singh के साथ-साथ गीतकार लियो ग्रेवाल और भोजपुरी गायकों रागिनी विश्वकर्मा तथा अर्जुन अजनबी को भी नामजद किया गया है। नीतू चंद्रा चाहती हैं कि अदालत इस गाने के बोल में बदलाव करने का आदेश दे ताकि समाज पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
अदालत की प्रतिक्रिया और सुनवाई की स्थिति
पटना हाई कोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार को इस मामले पर 28 मार्च 2025 को होने वाली सुनवाई में अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
अदालत की इस प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका अब कला, अभिव्यक्ति और सामाजिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाने में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रही है। यह मामला इस बात को भी दर्शाता है कि गानों और फिल्मों में महिलाओं को किस तरह से प्रस्तुत किया जाता है, इस पर अब कानूनी हस्तक्षेप की मांग बढ़ रही है।
Honey Singh और विवादों का पुराना नाता
यह पहला मौका नहीं है जब Honey Singh के किसी गाने पर कानूनी विवाद हुआ है। इससे पहले भी उन पर कई बार अश्लीलता और महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक सामग्री को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं।
- 2012 में उनके गाने ‘मैं हूं बलात्कारी’ को लेकर लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था।
- पंजाब में भी उनके एक गाने को लेकर याचिका दायर की गई थी, हालांकि बाद में सरकार ने इसे खारिज कर दिया था।
लगातार विवादों में रहने वाले Honey Singh की कलात्मक शैली को लेकर हमेशा बहस होती रही है। उनके समर्थकों का मानना है कि वह सिर्फ एक मनोरंजनकर्ता हैं, जबकि उनके आलोचकों का कहना है कि उनकी रचनाएं समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
कलात्मक स्वतंत्रता बनाम सामाजिक जिम्मेदारी
‘मैनिक’ गाने पर हुए विवाद ने एक बार फिर कलात्मक स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर नई बहस को जन्म दिया है।

- एक तरफ, कलाकारों को अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए।
- दूसरी तरफ, उनकी रचनाएं समाज को प्रभावित भी करती हैं, इसलिए यह देखना जरूरी है कि वे किस तरह के विचारों को बढ़ावा दे रही हैं।
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Honey Singh: कुछ लोगों का मानना है कि ऐसे गाने मीडिया और मनोरंजन जगत में महिलाओं की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं और समाज में अश्लीलता को सामान्य बनाते हैं। वहीं, दूसरी ओर, कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं और तर्क देते हैं कि अगर कलात्मक स्वतंत्रता पर रोक लगाई गई, तो भविष्य में अन्य कलाकारों को भी सेंसरशिप का सामना करना पड़ सकता है।
भाषा और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का मुद्दा
नीतू चंद्रा की याचिका का एक प्रमुख बिंदु भोजपुरी भाषा का गलत तरीके से इस्तेमाल है। भोजपुरी भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बोली जाती है और लाखों लोगों के लिए यह सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान भी है।
याचिका में कहा गया है कि गाने में भोजपुरी भाषा का अश्लील संदर्भों में उपयोग किया गया है, जिससे भोजपुरी भाषी लोगों की छवि खराब हो सकती है। यह सवाल उठता है कि क्या कला और मनोरंजन के नाम पर किसी भाषा और उसकी सांस्कृतिक पहचान के साथ छेड़छाड़ की जानी चाहिए?
जनता और फिल्म इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
नीतू चंद्रा की इस कानूनी कार्रवाई पर जनता और फिल्म इंडस्ट्री की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
- कई लोग उनके इस कदम की सराहना कर रहे हैं और मानते हैं कि महिलाओं की गरिमा और भाषा की शुद्धता बनाए रखने के लिए यह जरूरी था।
- वहीं, कुछ लोग इसे कलात्मक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास मान रहे हैं और चिंता जता रहे हैं कि अगर ऐसे मामलों पर लगातार कानूनी हस्तक्षेप हुआ, तो कलाकारों की रचनात्मकता प्रभावित हो सकती है।

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Honey Singh: क्या हो सकता है आगे का रास्ता?
इस मामले की सुनवाई जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, यह विवाद भारतीय मनोरंजन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह बहस अब केवल ‘मैनिक’ गाने तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह पूरे मनोरंजन जगत के लिए एक मिसाल बन सकती है।
आगे चलकर, कलाकारों और सरकार को मिलकर एक स्पष्ट गाइडलाइन बनानी होगी, जिससे कलात्मक स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके।
- फिल्म और संगीत उद्योग को स्व-नियमन (self-regulation) की दिशा में काम करना होगा ताकि विवादास्पद और समाज के लिए हानिकारक सामग्री पर खुद से नियंत्रण रखा जा सके।
- वहीं, समाज को भी यह समझना होगा कि कला को पूरी तरह नियंत्रित करना भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हो सकता है।
निष्कर्ष
Honey Singh के गाने ‘मैनिक’ पर छिड़ा विवाद सिर्फ एक गाने की आलोचना नहीं, बल्कि पूरे मनोरंजन उद्योग के लिए एक चेतावनी है। कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए सामाजिक मूल्यों और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को भी ध्यान में रखना जरूरी है।
अब देखना यह होगा कि पटना हाई कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और क्या यह मामला भविष्य में भारतीय संगीत और फिल्म उद्योग की दिशा को प्रभावित करेगा?
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