Delhi HC ने जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर राशिद को हिरासत में रहते हुए संसद सत्र में उपस्थित होने की अनुमति देने के संकेत दिए हैं। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ ने राशिद की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। राशिद के वकील ने अंतरिम जमानत या हिरासत पैरोल के बजाय केवल हिरासत में रहते हुए संसद में उपस्थित होने की अनुमति मांगी है।
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Delhi HC की पाबंदियां
Delhi HC ने संसद में राशिद के रहने के दौरान उन पर सख्त पाबंदियां भी लगाई हैं। उन्हें संसद सत्र में भाग लेने के दौरान मोबाइल फोन, लैंडलाइन का इस्तेमाल करने या मीडिया से बातचीत करने की अनुमति नहीं होगी।
जम्मू-कश्मीर के एक स्वतंत्र सांसद राशिद को आतंकी फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह 2019 से हिरासत में हैं। न्यायिक हिरासत में रहने के कारण संसद में उनकी उपस्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने राशिद की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि संसद सत्र में शामिल होना सांसद का संवैधानिक अधिकार नहीं है, और उन पर गंभीर आरोप हैं। NIA ने यह भी चिंता व्यक्त की कि यदि राशिद संसद में कुछ कहते हैं, तो उसकी गंभीरता क्या होगी।
न्यायालय ने सुझाव दिया कि लोकसभा महासचिव से अनुरोध किया जा सकता है कि संसद में राशिद के साथ एक पुलिसकर्मी को उपस्थित रहने की अनुमति दी जाए। अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि यदि राशिद अगले 10 वर्षों तक हिरासत में रहते हैं और सांसद बने रहते हैं, तो उनके अधिकारों का क्या होगा। न्यायालय ने कहा कि संसद के भीतर अनुशासन लागू करने के लिए स्पीकर और महासचिव की स्थिति और शक्ति को कम नहीं आंका जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इंजीनियर राशिद टेरर फंडिंग मामले में आरोपी हैं और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने संसद सत्र में भाग लेने के लिए कस्टडी पैरोल की मांग की है, जिस पर अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा है।
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