Delhi-Leh बस सेवा 9 माह बाद बहाल, HRTC की सबसे लंबी और दुर्गम यात्रा फिर शुरू
देश के सबसे लंबे और दुर्गम बस रूटों में से एक, Delhi-Leh हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) की बस सेवा, करीब नौ महीने के अंतराल के बाद एक बार फिर शुरू हो गई है। पिछले साल 15 सितंबर को ऊंचाई वाले दर्रों में भारी बर्फबारी और तापमान में गिरावट के चलते यह सेवा स्थगित कर दी गई थी। अब मौसम अनुकूल होने और सड़क मार्ग पूरी तरह बहाल होने के बाद, 12 जून को यह सेवा दोबारा शुरू की गई।
Manali-Leh रूट पर HRTC की बहुप्रतीक्षित बस सेवा शुरू, पर्यटक और स्थानीय लोग उत्साहित
गुरुवार सुबह ठीक 5:30 बजे, यह बस केलांग बस अड्डे से लेह के लिए रवाना हुई। सेवा के पहले दिन करीब 15 यात्री लेह के लिए निकले, जिनमें 14 पुरुष और 1 महिला यात्री शामिल थे। इस बहुप्रतीक्षित सेवा को लेकर यात्रियों में खासा उत्साह देखा गया। इस अवसर पर रीजनल मैनेजर ने चालक-परिचालक समेत सभी यात्रियों को खतक (एक पारंपरिक स्कार्फ) पहनाकर स्वागत किया।
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बस को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी एचआरटीसी के अनुभवी चालक राजीव कुमार और सहचालक नरेंद्र कुमार ने संभाली।
रीजनल मैनेजर, केलांग डिपो बस ने बताया, “यह सेवा हम हर साल मौसम की अनुकूलता के आधार पर शुरू करते हैं। इस बार 12 जून से सेवा शुरू हुई है और यात्रियों की प्रतिक्रिया काफी उत्साहजनक है। उन्होंने जानकारी दी कि 990 किलोमीटर लंबे सफर के लिए 1827 रुपये किराया निर्धारित किया गया है। यह बस सेवा दिल्ली से दिन के 12:10 बजे लेह के लिए रवाना होगी, जो चंडीगढ़ शाम 6:10 बजे, मंडी रात 10 बजे, कुल्लू सुबह 1:30 बजे, मनाली 2:30 बजे, केलांग 5 बजे और लेह शाम 7 बजे पहुंचेगी।
केलांग से लेह जाने वाले एक यात्री ने उत्साहपूर्वक कहा, “मैं पहली बार इस बस में सफर कर रहा हूं. सफर लंबा जरूर है, लेकिन बेहद खूबसूरत और सुविधाजनक है. शुक्रिया एचआरटीसी.” एक अन्य लेह यात्री ने कहा, “हर साल इंतजार रहता है इस बस का. यह हमारे लिए न सिर्फ सस्ता, बल्कि सुरक्षित और भरोसेमंद साधन है।
इस ऐतिहासिक रूट की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई थी। यह बस सेवा बारालाचा ला (4850 मीटर), नकिला (4738 मीटर) और तंगलंगला (5328 मीटर) जैसे दुर्गम और ऊंचे दर्रों से होकर गुजरती है, जो इसे देश का सबसे चुनौतीपूर्ण और रोमांचक बस मार्ग बनाता है।
हालांकि इस बार सीमा सड़क संगठन (BRO) ने मनाली-लेह मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य 12 मई को ही पूरा कर लिया था, लेकिन प्रशासनिक मंजूरी मिलने में देरी के कारण सेवा शुरू होने में लगभग एक महीने का विलंब हुआ। इस रूट के बहाल होने से न केवल स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा, बल्कि लेह-लद्दाख आने-जाने वाले पर्यटकों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण परिवहन विकल्प साबित होगा।
देश के सबसे ऊंचे दर्रों से गुजरती यह बस सेवा अब एक बार फिर चालू हो चुकी है, और यात्रियों के चेहरे पर रौनक देखी जा सकती है. यह सेवा न सिर्फ हिमाचल और लद्दाख को जोड़ती है, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देती है।
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