Delhi के द्वारका में एक ऐसा दर्दनाक मामला सामने आया जिसमें बेटे ने ही मां पर गोली चला दी—but जो उसके बाद हुआ, उसने पुलिस तक को चौंका दिया। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें दर्द, खामोशी और माँ-बाप के प्यार की हदें सब पार हो गईं।
सामग्री की तालिका
1. एक शांत शाम जो मातम में बदल गई
द्वारका, Delhi का एक शांत और व्यवस्थित इलाका, जहां आम तौर पर शामें बच्चों की हँसी और गाड़ियों के हॉर्न में गुजरती हैं। लेकिन 18 अप्रैल की उस शाम को कुछ ऐसा हुआ जिसने हर किसी को हिला दिया। शाम करीब 7 बजे सेक्टर 9 की एक इमारत से एक तेज़ गोली की आवाज़ गूंज उठी। लोग डर के मारे घरों से बाहर निकल आए। पुलिस और एम्बुलेंस मौके पर पहुंचीं। अंदर फ्लैट में खून से लथपथ पड़ी थीं 45 वर्षीय सुनीता शर्मा—एक मां, जिसे उसी के बेटे ने गोली मार दी थी।
2. जब सच्चाई सामने आई, सब दंग रह गए

पुलिस शुरू में यही मान रही थी कि शायद घर में कोई बाहरी घुसपैठ या लूटपाट हुई होगी। लेकिन जब जांच आगे बढ़ी, तो जो सच सामने आया उसने सबके होश उड़ा दिए। गोली किसी बाहरी ने नहीं, खुद उसके 17 वर्षीय बेटे ने चलाई थी। हां, उसी बेटे ने जिसे उन्होंने पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया। बेटा मौके से भागा नहीं। वह वहीं खड़ा रहा। और सबसे चौंकाने वाली बात—गोली लगने के बाद खुद उसी ने पुलिस और एम्बुलेंस को फोन किया।
3. एक मां का दिल: दर्द में भी बेटे की ढाल बनी
Delhi: सुनीता को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें ICU में भर्ती किया। लेकिन जब पुलिस ने बयान लेने की कोशिश की, तो सुनीता ने बस इतना कहा:
“यह एक हादसा था।”
पुलिस को यकीन नहीं हुआ। दोबारा पूछा गया, लेकिन मां का जवाब नहीं बदला। पति राजेश शर्मा ने भी यही कहा:
“बच्चा पिस्तौल साफ कर रहा था। गलती से चल गई। जानबूझकर कुछ नहीं किया।”
पुलिस समझ गई थी कि मामला गंभीर है, लेकिन मां-बाप किसी भी हाल में बेटे को फंसाना नहीं चाहते थे।
4. हथियार और इरादा: क्या ये वाकई ‘हादसा’ था?
Delhi: घटना में इस्तेमाल की गई पिस्तौल एक पुरानी, लाइसेंस-रहित .32 बोर रिवॉल्वर थी, जो परिवार में कहीं से आई थी। पूछताछ में सामने आया कि लड़का हाल के महीनों में बहुत चुपचाप रहने लगा था। घंटों अपने कमरे में बंद रहता था। किसी से बात नहीं करता था। पुलिस को शक है कि लड़का सोशल मीडिया और हिंसक ऑनलाइन गेम्स से प्रभावित था। एक दोस्त को उसने कुछ दिन पहले कहा था:
“कभी-कभी मन करता है सब उड़ा दूं।”
किसी ने उस बात को गंभीरता से नहीं लिया। और नतीजा सामने था।
5. मां-बाप की बिनती: ‘हमारा बेटा बुरा नहीं है’
राजेश और सुनीता शर्मा एक साधारण, मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। राजेश का हार्डवेयर का छोटा-सा व्यापार है और सुनीता गृहिणी हैं। पुलिस ने IPC की धारा 307 (हत्या की कोशिश) और Arms Act के तहत केस दर्ज किया, लेकिन माता-पिता ने सहयोग से साफ इनकार कर दिया। राजेश का कहना था:
Delhi: “वो हमारा इकलौता बेटा है। ये जानबूझकर नहीं हुआ। उसका जीवन खराब मत कीजिए।” और सबसे हैरानी की बात, मां सुनीता—जो अभी तक ICU में थीं—वो भी बेटे को बचाने पर अड़ी थीं।
6. मां-बाप का प्यार: आशीर्वाद या अभिशाप?
यह घटना सोशल मीडिया और न्यूज़ डिबेट्स में चर्चा का विषय बन गई। क्या माता-पिता का अपने बच्चों को बचाना सही है, जब उन्होंने ऐसा अपराध किया हो?
काउंसलर डॉ. मीरा अरोड़ा कहती हैं:
Delhi: “भारतीय घरों में यह आम है। बच्चे से इतनी मोहब्बत होती है कि मां-बाप उसकी गलती को भी अपराध मानने को तैयार नहीं होते।” “लेकिन प्यार का मतलब यह नहीं कि हम सच्चाई से मुंह मोड़ लें।
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7. कानून की उलझन: नाबालिग या अपराधी?
Delhi: लड़के की उम्र 17 साल है, इसलिए वह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत आता है। लेकिन मामला गंभीर है, इसलिए पुलिस विचार कर रही है कि उसे बालिग की तरह ट्रायल में लिया जाए।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया:
“हम भावनाओं को समझते हैं, लेकिन यह एक गंभीर अपराध है। इसे नजरअंदाज करना गलत मिसाल बन सकता है।” फिलहाल लड़का किशोर सुधारगृह में है और उसका मानसिक मूल्यांकन चल रहा है।
8. समाज में सन्नाटा: ‘ऐसा कैसे कर सकता है ये बच्चा?’
Delhi: पड़ोसी और जानने वाले अब भी यकीन नहीं कर पा रहे हैं। “वो हर शाम साइकिल चलाता था। नमस्ते करता था। ऐसा बच्चा गोली चला देगा, कभी सोचा नहीं था,” एक दुकानदार ने कहा।
बिल्डिंग के RWA (रेज़िडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) ने बयान जारी कर कहा:
“यह समय नफरत का नहीं, सहानुभूति का है। यह परिवार पहले ही टूट चुका है।”
9. बड़ी तस्वीर: एक समाज जो बच्चों की तकलीफ नहीं सुनता
Delhi: यह केवल एक घर की कहानी नहीं है। यह हमारी पूरी सामाजिक व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है। आज के किशोर इंटरनेट से घिरे हुए हैं—जहां हिंसा आम है, संवेदनशीलता कम। भावनाओं की बात घरों में नहीं होती। और जब बच्चे तकलीफ में होते हैं, वे चुप हो जाते हैं। जब तक कोई हादसा न हो जाए, किसी को पता ही नहीं चलता कि कोई अंदर से कितना टूटा हुआ है।
10. गोली का घाव तो भर जाएगा, पर दिल का…?
सुनीता ज़िंदा बच गईं। लेकिन क्या वो इस घाव को कभी भूल पाएंगी? मां हमेशा माफ़ कर देती है, पर क्या डर खत्म होगा? क्या वो उसी घर में चैन से सो पाएंगी?
लड़का बार-बार पूछता है:
“मम्मी ठीक हैं ना?”
वह रोता है, पछताता है। लेकिन क्या पछतावे से गोली वापस जा सकती है?
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11. आगे क्या होगा?
Delhi: जांच अभी जारी है। फॉरेंसिक रिपोर्ट, मानसिक स्थिति का मूल्यांकन, और माता-पिता के बयान—सभी पर केस की दिशा निर्भर करेगी।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि या तो कोर्ट सहानुभूति दिखा सकता है, या कड़ा संदेश देने के लिए कड़ी सजा भी दे सकता है। परिवार अभी भी सदमे में है। सुनीता धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं, राजेश सब संभालने की कोशिश कर रहे हैं, और बेटा अपने भविष्य से बेखबर, अपराधबोध में जी रहा है।
देर से निकली पुकार, जो गोली बन गई
Delhi: यह सिर्फ एक गोली की कहानी नहीं है। यह उस चुप्पी की कहानी है जो बहुत पहले तोड़ी जानी चाहिए थी। यह उस मां की कहानी है जो अपने बेटे की रक्षक बनी, भले ही जान जोखिम में हो। उस बेटे की कहानी है, जो शायद प्यार और ग़लतफ़हमी के बीच भटक गया।
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