Anti Sikh Riot Case: दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराया है। अभियोजन पक्ष ने उनके लिए मौत की सजा की मांग की है।
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सरकारी वकील निर्भया मामले और अन्य समान निर्णयों के कानूनी उदाहरणों का हवाला देते हुए अदालत से मौत की सजा देने का आग्रह करते हुए लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए तैयार हैं। इस बीच, कुमार के बचाव पक्ष के वकील ने भी लिखित दलीलें पेश कीं। अदालत ने अब मामले को 21 फरवरी को सजा पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
अदालत ने सज्जन कुमार को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147 (दंगा), 302 (हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 395 (डकैती), 397 (मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ डकैती या लूटपाट) और 436 (घर आदि को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल) के तहत दोषी ठहराया है।
Anti Sikh Riot Case इंदिरा गांधी की हत्या से जुड़ा है
Anti Sikh Riot Case 1984 के दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई का हिस्सा है, जो तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़का था। सज्जन कुमार वर्तमान में सिख विरोधी दंगों के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
1984 के सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास के सबसे भयावह साम्प्रदायिक दंगों में से एक थे। ये दंगे 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद भड़के थे। इन दंगों में हजारों सिखों की हत्या कर दी गई थी, खासकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में।
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