भारत में Food Security की वर्तमान स्थिति, उससे जुड़ी प्रमुख समस्याएँ, सरकारी योजनाएँ, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, कृषि उत्पादन की चुनौतियाँ, पोषण से संबंधित पहलू और संभावित समाधान पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। लेख यह समझाने का प्रयास करता है कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में हर व्यक्ति तक पौष्टिक और सुरक्षित भोजन पहुंचाना क्यों आवश्यक है और इसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
सामग्री की तालिका
भारत में खाद्य सुरक्षा: स्थिति, चुनौतियाँ और समाधान

भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में “Food Security” एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। खाद्य सुरक्षा का तात्पर्य है कि सभी लोगों को हर समय पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो, जिससे वे एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकें। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में भी “भूखमुक्त दुनिया” की परिकल्पना की गई है। भारत में भले ही कृषि उत्पादन में भारी प्रगति हुई है, फिर भी लाखों लोग कुपोषण, भूख और Food Security के शिकार हैं।
खाद्य सुरक्षा का अर्थ और परिभाषा
Food Security की परिभाषा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा दी गई है:
इसमें चार मुख्य स्तंभ होते हैं:
- उपलब्धता (Availability)
- पहुँच (Access)
- उपयोग (Utilization)
- स्थिरता (Stability)
भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है। गेंहूं, चावल, दलहन, और सब्जियों का उत्पादन भरपूर मात्रा में होता है। फिर भी, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 में भारत का स्थान 111वां था, जो चिंता का विषय है।
- लगभग 19 करोड़ लोग अब भी कुपोषण के शिकार हैं।
- बाल कुपोषण, एनीमिया, और विटामिन की कमी भारत में आम समस्याएं हैं।
- ग्रामीण और शहरी गरीब वर्ग के लोग खाद्य असुरक्षा से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
खाद्य सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियाँ
1. जनसंख्या वृद्धि
Food Security भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे भोजन की मांग भी बढ़ रही है। यह कृषि पर भारी दबाव डालती है।
2. गरीबी और बेरोजगारी
Food Security गरीबी के कारण कई परिवार खाद्य खरीदने में असमर्थ रहते हैं, जिससे उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।
3. खाद्य अपव्यय
Food Security भारत में हर साल लाखों टन खाद्यान्न बर्बाद हो जाते हैं। भंडारण की कमी, खराब ट्रांसपोर्टेशन और असंगठित आपूर्ति प्रणाली इसके मुख्य कारण हैं।
4. कृषि प्रणाली में असमानता
Food Security किसानों की आय कम है और उन्हें उचित मूल्य नहीं मिलता, जिससे वे खाद्यान्न उत्पादन में रुचि नहीं लेते।
5. प्राकृतिक आपदाएँ और जलवायु परिवर्तन
सूखा, बाढ़ और मौसम की अनिश्चितता कृषि उत्पादन को प्रभावित करते हैं।
सरकारी योजनाएँ और पहलें
1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
यह अधिनियम गरीब परिवारों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने हेतु बनाया गया है।
- लगभग 81 करोड़ लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।
- प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम अनाज मिलता है।
2. मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme)
इस योजना के अंतर्गत सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में बच्चों को पोषणयुक्त भोजन प्रदान किया जाता है।
3. आंगनवाड़ी सेवाएँ (ICDS)
गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पोषण सहायता प्रदान की जाती है।
4. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
कोविड-19 काल में शुरू की गई इस योजना के तहत गरीबों को मुफ्त राशन दिया गया।
5. राष्ट्रीय पोषण मिशन
महिलाओं और बच्चों में पोषण स्तर सुधारने के उद्देश्य से यह मिशन कार्यरत है।
खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय
1. कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण
- उच्च गुणवत्ता वाले बीज
- माइक्रो-इरीगेशन तकनीक
- कृषि यंत्रीकरण
- जैविक खेती को बढ़ावा
2. भंडारण और वितरण प्रणाली में सुधार
Digital Literacy और शिक्षा: भविष्य की दिशा और संभावनाएँ
- वैज्ञानिक गोदाम
- कोल्ड स्टोरेज की स्थापना
- एफसीआई (Food Corporation of India) का आधुनिकीकरण
3. खाद्य अपव्यय की रोकथाम
- खाद्य संग्रहण और प्रसंस्करण की आधुनिक तकनीकें अपनाना
- सार्वजनिक जागरूकता अभियान
4. सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ
- गरीबों को भोजन की सुलभता बढ़ाना
- महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता
5. नवाचार और अनुसंधान
- कृषि विज्ञान में नवाचार
- खाद्य पोषण पर अनुसंधान
- स्मार्ट एग्रीकल्चर (AI, IoT)
खाद्य सुरक्षा और सतत विकास लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र का SDG 2: Zero Hunger सीधे तौर पर खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है। भारत सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विविध योजनाओं और कार्यक्रमों पर काम कर रही है।
निष्कर्ष
भारत में Food Security की दिशा में काफी प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। सिर्फ खाद्यान्न की उपलब्धता ही पर्याप्त नहीं, बल्कि हर नागरिक को सुरक्षित, पौष्टिक और सुलभ भोजन की गारंटी मिलनी चाहिए। इसके लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और नागरिकों — सभी को मिलकर काम करना होगा।
अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें