वाराणसी (Uttar Pradesh): वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से मंदिर नगरी के विभिन्न घाटों की सीढ़ियाँ डूब गई हैं। अधिकारियों ने किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए नदी में छोटी नावों के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि पिछले कुछ हफ्तों में बारिश कम हुई है, लेकिन पहाड़ों से आने वाला पानी अब धीरे-धीरे मैदानी इलाकों में अपना असर दिखाने लगा है। इससे गंगा नदी में पानी लगातार बढ़ रहा है।
Uttar Pradesh में गंगा का जलस्तर बढ़ने से लोगो को काफी परेशानी हुई
बढ़ते जलस्तर के कारण घाटों की सीढ़ियाँ डूब रही हैं और कुछ जगहों पर नदी के किनारे स्थित कुछ मंदिरों के फर्श भी जलमग्न हो गए हैं।
घाट के पास रहने वाले स्थानीय निवासी मदन साहनी ने बताया, “जलस्तर अब 10 फीट तक पहुंच गया है। लोग अब दूसरे घाटों पर नहीं जा पा रहे हैं। इससे पर्यटन भी प्रभावित हो रहा है और छोटी नावों के मालिकों ने घाटों पर जाना बंद कर दिया है।”
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छोटी नाव के मालिक मनीष कुमार ने बताया, “हम नाव नहीं चला पा रहे हैं, नाव लगभग बंद हो गई है। पानी 10 फीट तक पहुंच गया है। इससे अब हमारी आजीविका प्रभावित हो रही है, हमें अब कमाई शुरू करने के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़ेंगे। अभी कम से कम दो से तीन महीने तक यही स्थिति बनी रहेगी।”
एक अन्य निवासी अवधेश ने बताया, “पानी बढ़ने के कारण हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सभी तीर्थयात्रियों को यह जानना चाहिए कि सुरक्षा और सावधानी बरतने की जरूरत है और तीर्थयात्रियों को नदी और तीनों घाटों- राजेंद्र घाट, शीतला घाट और दशा सुमेर घाट में ज्यादा गहराई में नहीं जाना चाहिए। किसी भी तरह की घटना हो सकती है।
इसके अलावा, 16 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में करीब 48 गांव बाढ़ के कारण प्रभावित हुए थे। राप्ती नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण 18 जिले प्रभावित हुए हैं।
राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर पहुंच गया है।
गोरखपुर के एसएसपी गौरव ग्रोवर ने प्रभावित गांवों का दौरा किया और निवासियों को आश्वासन दिया।
अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, मऊ, बलिया, शाहजहांपुर, कुशीनगर, श्रावस्ती, बलरामपुर, लखीमपुर, खीरी, बाराबंजी, सीतापुर, गोंडा सिद्धार्थ नगर, मुरादाबाद, बरेली और बस्ती समेत करीब 18 जिले बढ़ते जलस्तर के कारण प्रभावित हुए हैं।
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