West Asia एक ऐसा क्षेत्र है जिसने मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी समृद्ध संस्कृति, धर्म और इतिहास ने दुनिया को गहराई से प्रभावित किया है।
Table of Contents
West Asia का इतिहास
प्राचीन काल
सिंधु घाटी सभ्यता: West Asia के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाली इस सभ्यता ने क्षेत्र में सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मेसोपोटामिया: टाइग्रिस और यूफ्रेट्स नदियों के किनारे विकसित हुई यह सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक थी। सुमेर, अक्काद, बाबिलोन जैसी सभ्यताएं यहीं फली-फूलीं।
ईरान का पठार: ईरान का पठार प्राचीन काल से ही सभ्यताओं का केंद्र रहा है। यहां ज़राथुस्त्र धर्म का उदय हुआ और फारसी साम्राज्य का उदय हुआ।
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मध्यकाल
अरब साम्राज्य का उदय: 7वीं शताब्दी में इस्लाम का उदय हुआ और अरब साम्राज्य ने West Asia पर विजय प्राप्त की। इसने क्षेत्र में व्यापार, विज्ञान और संस्कृति के विकास को बढ़ावा दिया।
तुर्क साम्राज्य: अरब साम्राज्य के पतन के बाद तुर्क साम्राज्य ने क्षेत्र पर अपना दबदबा कायम किया। ओटोमन साम्राज्य ने कई शताब्दियों तक इस क्षेत्र पर शासन किया।
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आधुनिक काल
यूरोपीय उपनिवेशवाद: 19वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों ने West Asia के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया।
प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध: इन युद्धों ने पश्चिम एशिया के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया।
स्वतंत्रता संग्राम और नए राष्ट्र: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पश्चिम एशिया के कई देशों ने यूरोपीय शक्तियों से स्वतंत्रता प्राप्त की।
शीत युद्ध और मध्य पूर्व संघर्ष: शीत युद्ध के दौरान पश्चिम एशिया सोवियत संघ और अमेरिका के बीच प्रतिद्वंद्विता का केंद्र बन गया। इसने क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ावा दिया।
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वर्तमान समय
तेल संसाधन: West Asia में तेल के विशाल भंडार होने के कारण यह क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक अस्थिरता: क्षेत्र में धार्मिक, जातीय और राजनीतिक मतभेदों के कारण अक्सर संघर्ष होते रहते हैं।
आतंकवाद: इस्लामिक आतंकवाद क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है।
पश्चिम एशिया का इतिहास बहुत ही जटिल और विविधतापूर्ण है। इस क्षेत्र ने दुनिया को कई महान सभ्यताएं, धर्म और विचार दिए हैं।
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West Asia में लगातार संघर्ष के कारण
धार्मिक और सांस्कृतिक विभाजन
इस्लाम के दो प्रमुख संप्रदाय: सुन्नी और शिया मुसलमानों के बीच सदियों पुराना धार्मिक विभाजन इस क्षेत्र में अस्थिरता का एक प्रमुख कारण है।
इस्लाम और अन्य धर्म: इस्लाम के अलावा, इस क्षेत्र में ईसाई, यहूदी और अन्य धर्मों के अनुयायी भी रहते हैं, जिनके बीच धार्मिक मतभेद संघर्ष को जन्म देते हैं।
सांस्कृतिक विविधता: इस क्षेत्र में अनेक सांस्कृतिक समूह रहते हैं, जिनकी अपनी अलग पहचान और हित हैं। इनके बीच सांस्कृतिक मतभेद भी संघर्ष का कारण बनते हैं।
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राजनीतिक अस्थिरता
औपनिवेशिक विरासत: पश्चिमी देशों द्वारा इस क्षेत्र पर लंबे समय तक शासन करने के कारण यहां की राजनीतिक व्यवस्था कमजोर हुई और विभिन्न देशों की सीमाएं प्राकृतिक भौगोलिक सीमाओं के अनुरूप नहीं हैं।
तख्तापलट और गृहयुद्ध: कई देशों में बार-बार तख्तापलट और गृहयुद्ध हुए हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है।
बाहरी हस्तक्षेप: बड़े देशों द्वारा इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने से भी यहां की राजनीतिक स्थिति जटिल हो गई है।
आर्थिक असमानता
तेल संसाधन: इस क्षेत्र में तेल जैसे प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता होने के बावजूद, आय का असमान वितरण और भ्रष्टाचार ने कई देशों में आर्थिक असमानता को बढ़ावा दिया है।
बेकारी और गरीबी: उच्च बेरोजगारी दर और गरीबी ने युवाओं में असंतोष पैदा किया है, जिसका फायदा उठाकर चरमपंथी संगठन उन्हें अपने साथ जोड़ लेते हैं।
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भौगोलिक स्थिति
रणनीतिक महत्व: West Asia एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि यह दुनिया के तेल भंडार का एक बड़ा हिस्सा रखता है और यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है।
सीमा विवाद: कई देशों के बीच सीमा विवाद भी संघर्ष का एक कारण हैं।
अन्य कारण
जनसंख्या वृद्धि: तेजी से बढ़ती जनसंख्या ने संसाधनों पर दबाव बढ़ाया है और रोजगार के अवसरों में कमी आई है।
धार्मिक चरमपंथ: इस्लामिक चरमपंथी संगठन इस क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं।
West Asia में लगातार जारी संघर्ष का भारत पर असर
पश्चिम एशिया, जो तेल और गैस के विशाल भंडारों का घर है, सदियों से संघर्ष का अखाड़ा रहा है। इस क्षेत्र में लगातार चल रहे संघर्षों का भारत पर सीधा और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से प्रभाव पड़ता है।
सीधे प्रभाव
ऊर्जा सुरक्षा: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से आयात करता है। इस क्षेत्र में अस्थिरता से तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता है।
आर्थिक विकास: पश्चिम एशिया में संघर्ष से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, जिसका सीधा असर भारत के निर्यात और विदेशी निवेश पर पड़ता है।
भू-राजनीतिक स्थिति: भारत के पड़ोसी देशों पर पश्चिम एशिया के संघर्षों का सीधा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान में संघर्ष से भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं।
प्रवासी भारतीय: पश्चिम एशिया में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं। इस क्षेत्र में संघर्ष से इन प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा और रोजगार पर खतरा मंडराता रहता है।
अप्रत्यक्ष प्रभाव
आतंकवाद: पश्चिम एशिया में संघर्ष से आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है, जिसका असर भारत पर भी पड़ता है।
धार्मिक कट्टरता: इस क्षेत्र में धार्मिक कट्टरता बढ़ने से भारत में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।
महंगाई: तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत में महंगाई बढ़ती है, जिससे आम लोगों की जेब पर बोझ पड़ता है।
भारत की रणनीति
पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने के लिए भारत सक्रिय रूप से भूमिका निभा रहा है। भारत ने इस क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध मजबूत किए हैं। इसके अलावा, भारत ने क्षेत्रीय संगठनों जैसे कि खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के साथ भी सहयोग बढ़ाया है।
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