NewsnowदेशHoli: भारत के इन जगहों पर नहीं होती होली, जानें क्यों!

Holi: भारत के इन जगहों पर नहीं होती होली, जानें क्यों!

भारत विविधताओं से भरा देश है, और Holi देश के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक होने के बावजूद, इसका उत्सव हर क्षेत्र में समान रूप से नहीं होता।

Holi, रंगों का त्योहार, भारत में सबसे जीवंत और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह वसंत के आगमन, बुराई पर अच्छाई की जीत और आनंद, हँसी और एकता का समय होता है। मथुरा और वृंदावन की गलियों से लेकर दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों तक, होली पूरे देश को रंगों की छटा में रंग देती है।

हालांकि, इसके व्यापक उत्सवों के बावजूद, भारत में कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां होली या तो बिल्कुल नहीं मनाई जाती या बहुत कम मनाई जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं उन स्थानों के बारे में जहां होली नहीं मनाई जाती और इसके पीछे के कारणों को समझते हैं।

1. केरल के कुछ हिस्से – अलग सांस्कृतिक प्रभाव

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केरल, जो अपनी विशिष्ट संस्कृति और धार्मिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, वहां Holi बड़े पैमाने पर नहीं मनाई जाती। उत्तर भारत के विपरीत, जहां होली पौराणिक कथाओं और हिंदू परंपराओं में गहराई से निहित है, केरल की संस्कृति अलग दिशा में विकसित हुई है। यहां के प्रमुख त्योहारों में ओणम, विषु और त्रिशूर पूरम शामिल हैं। इसके अलावा, यहां ईसाई और मुस्लिम आबादी का अधिक प्रभाव होने के कारण होली को व्यापक स्वीकृति नहीं मिली है।

2. तमिलनाडु – अन्य त्योहारों को प्राथमिकता

हालांकि तमिलनाडु में हिंदू आबादी काफी अधिक है, फिर भी Holi यहां प्रमुख त्योहार नहीं है। इस राज्य में पोंगल, कार्तिगई दीपम और तमिल नववर्ष जैसे स्थानीय त्योहारों को अधिक महत्व दिया जाता है। इसके अलावा, तमिलनाडु का कैलेंडर और परंपराएं उत्तर भारतीय संस्कृति से काफी अलग हैं। हालांकि, चेन्नई जैसे शहरों में उत्तर भारतीय समुदाय के लोग होली मनाते हैं, लेकिन यह स्थानीय लोगों के लिए मुख्य त्योहार नहीं है।

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3. पश्चिम बंगाल का शांतिनिकेतन – Holi का अनोखा रूप

पश्चिम बंगाल में होली मनाई जाती है, लेकिन शांतिनिकेतन में इसे ‘बसंत उत्सव’ या ‘वसंत महोत्सव’ के रूप में जाना जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शुरू किया गया यह उत्सव पारंपरिक होली से अलग है और इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत और काव्य पाठ अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों, खासकर बुजुर्ग पीढ़ी में पारंपरिक रंगों वाली Holi कम लोकप्रिय है।

4. नागालैंड, मिज़ोरम और अन्य पूर्वोत्तर राज्य – भिन्न जातीय पहचान

नागालैंड, मिज़ोरम और मेघालय के कुछ हिस्सों सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों में Holi व्यापक रूप से नहीं मनाई जाती। इन क्षेत्रों में ईसाई आबादी अधिक होने के कारण उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं अलग हैं, और होली उनमें शामिल नहीं है। हालांकि, असम और मणिपुर में होली को एक अनूठे तरीके से मनाया जाता है। मणिपुर में यह त्योहार ‘याओशांग’ से जुड़ा हुआ है, जो पारंपरिक नृत्य, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत की तरह रंग खेलने की प्रथा कम होती है।

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5. लद्दाख और लेह – कठोर जलवायु परिस्थितियां

लद्दाख और लेह जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च के महीने में अत्यधिक ठंड पड़ती है, जिससे Holi जैसे बाहरी उत्सवों को मनाना कठिन हो जाता है। यह क्षेत्र तिब्बती बौद्ध परंपराओं का अनुसरण करता है, और यहाँ होली की तुलना में लोसर (तिब्बती नववर्ष) और हेमिस महोत्सव अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसलिए, इस क्षेत्र में होली का उत्सव लगभग न के बराबर होता है।

6. कुछ आदिवासी क्षेत्र – अलग धार्मिक मान्यताएं

भारत के कुछ आदिवासी समुदाय, विशेष रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में, Holi नहीं मनाते क्योंकि उनकी अपनी पारंपरिक मान्यताएं और त्योहार हैं। कई आदिवासी समूह अपनी अलग धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का पालन करते हैं, जिनमें होली को कोई विशेष स्थान प्राप्त नहीं है। इनके लिए सरहुल और कर्मा जैसे त्योहार अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

7. कश्मीर – राजनीतिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता

कश्मीर में Holi व्यापक रूप से नहीं मनाई जाती, जिसका मुख्य कारण वहां की जनसांख्यिकी और राजनीतिक परिस्थितियां हैं। इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक है और इस्लामी परंपराओं में होली शामिल नहीं है। हालांकि, कश्मीरी पंडित समुदाय होली मनाते थे, लेकिन उनकी संख्या घाटी में काफी कम हो गई है, जिससे वहां होली का महत्व भी घट गया है।

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8. लक्षद्वीप – एक प्रमुख मुस्लिम क्षेत्र

लक्षद्वीप, जो भारत का एक द्वीप समूह है, वहां लगभग 100% मुस्लिम आबादी है। इस्लामी परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं में Holi शामिल नहीं है, इसलिए वहां यह त्योहार नहीं मनाया जाता। इसके बजाय, लक्षद्वीप में ईद, मुहर्रम और मिलाद-उन-नबी जैसे इस्लामी त्योहार बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं।

9. अंडमान और निकोबार द्वीप – सीमित सांस्कृतिक प्रभाव

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अंडमान और निकोबार द्वीपों में विभिन्न जनजातीय समुदाय, प्रवासी और अन्य विविध जनसंख्या समूह निवास करते हैं। यहां Holi की व्यापक परंपरा नहीं है, हालांकि कुछ उत्तर भारतीय प्रवासी इसे छोटे पैमाने पर मनाते हैं। लेकिन मुख्य भूमि भारत की तरह बड़े स्तर पर होली का आयोजन नहीं होता।

निष्कर्ष

भारत विविधताओं से भरा देश है, और Holi देश के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक होने के बावजूद, इसका उत्सव हर क्षेत्र में समान रूप से नहीं होता। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक कारण इस बात को प्रभावित करते हैं कि किसी क्षेत्र में होली मनाई जाएगी या नहीं। कठोर जलवायु, विभिन्न जातीय पहचान और अलग-अलग सांस्कृतिक प्राथमिकताएं Holi के उत्सव को प्रभावित करती हैं।

जहां लाखों लोग रंगों की इस खुशी में शामिल होते हैं, वहीं कुछ समुदाय इसे अलग तरीके से मनाते हैं या फिर बिल्कुल नहीं मनाते। यही विविधता भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है, जो यह साबित करती है कि एकता में भी भिन्नता और अनूठी परंपराओं के लिए जगह होती है!

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