Earth पर जीवन की शुरुआत एक रहस्यमय और वैज्ञानिक रूप से आकर्षक विषय है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जीवन की उत्पत्ति लगभग 3.5 से 4 अरब साल पहले हुई थी। इसके पीछे कई सिद्धांत हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख ये हैं:
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वैज्ञानिकों के कुछ प्रमुख सिद्धांत
आदिम सूप सिद्धांत
- ओपेरिन और हाल्डेन ने यह सिद्धांत दिया, जिसमें कहा गया कि पृथ्वी के शुरुआती Earth में मीथेन (CH₄), अमोनिया (NH₃), हाइड्रोजन (H₂) और जलवाष्प (H₂O) जैसी गैसें मौजूद थीं।
- बिजली (आकाशीय बिजली) और ज्वालामुखीय गतिविधियों ने इन तत्वों को जैविक अणुओं में बदल दिया।
- बाद में, ये अणु समुद्रों में इकट्ठे हुए और “आदिम सूप” बनाए, जिससे पहला सरल जीवन विकसित हुआ।
- मिलर-उरे प्रयोग (1953) ने इस सिद्धांत का समर्थन किया, जिसमें पाया गया कि बिजली के झटकों से अमीनो एसिड का निर्माण संभव है।
हाइड्रोथर्मल वेंट सिद्धांत
- समुद्र की गहराई में मौजूद गर्म पानी के झरने से खनिज और गैसें निकलीं।
- यहाँ मौजूद गर्मी और रासायनिक ऊर्जा से जैविक अणु विकसित हुए और पहला जीवन पनपा।
- यह सिद्धांत समझाता है कि कैसे जीवाणु और सूक्ष्मजीव अत्यधिक गर्म परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं।
पैनस्पर्मिया सिद्धांत
- इस सिद्धांत के अनुसार, जीवन की उत्पत्ति Earth पर नहीं बल्कि अंतरिक्ष से आई।
- उल्कापिंडों और धूमकेतुओं के जरिए सूक्ष्मजीव और जैविक अणु पृथ्वी पर आए।
- मंगल ग्रह और अन्य ग्रहों से जीवन के बीज Earth पर आ सकते हैं।
स्वयं-संगठन और आरएनए वर्ल्ड
- वैज्ञानिकों का मानना है कि आरएनए (RNA) पहले विकसित हुआ और यह स्वयं को कॉपी कर सकता था।
- बाद में, डीएनए और प्रोटीन बने, जिससे जटिल जीवन विकसित हुआ।
निष्कर्ष
वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार, जीवन की उत्पत्ति रासायनिक प्रतिक्रियाओं से हुई और समय के साथ यह विकसित होकर जीवाणुओं, पौधों, और जंतुओं तक पहुँचा। हालांकि, यह प्रक्रिया अब भी शोध का विषय बनी हुई है!
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