यहां पाँच प्रसिद्ध आईआईटी स्नातकों की कहानी है जिन्होंने उच्च वेतन वाली नौकरियों को छोड़कर UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) परीक्षाओं की ओर रुख किया। ये कहानियाँ न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि कैसे कुछ लोग समाज में योगदान करने के लिए अपने करियर के लक्ष्यों को फिर से परिभाषित करते हैं।
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1. सिद्धार्थ (सिद्धार्थ एस.के.)
पृष्ठभूमि: सिद्धार्थ ने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक किया। स्नातक होने के बाद, उन्होंने एक प्रतिष्ठित तकनीकी कंपनी में नौकरी हासिल की, जिसमें एक प्रभावशाली वेतन पैकेज था। हालांकि, वह असंतुष्ट महसूस करते थे और ऐसा करियर चाहते थे जो उन्हें समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने का मौका दे।
UPSC की यात्रा: सिद्धार्थ ने यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी करने का निर्णय लिया, क्योंकि वह देश के विकास में योगदान देना चाहते थे। उन्होंने विस्तृत अध्ययन में खुद को डुबो दिया, कोचिंग कक्षाओं में भाग लिया और इतिहास, भूगोल और सामयिक मामलों जैसे विभिन्न विषयों को समझने के लिए समर्पित हो गए।
उपलब्धियां: अपने पहले प्रयास में, सिद्धार्थ ने UPSC परीक्षा उत्तीर्ण की और 100 के भीतर रैंक हासिल की। उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में नियुक्त किया गया, जहां वह नीति निर्माण और महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने में कार्यरत हैं। सिद्धार्थ की यात्रा ने कई आईआईटी स्नातकों को उनके करियर पथ पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया।
2. सिद्धार्थ सिन्हा
पृष्ठभूमि: सिद्धार्थ सिन्हा ने आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक के बाद, उन्होंने एक प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता में काम किया, जहां उन्होंने अपनी भूमिका में उत्कृष्टता प्राप्त की और महत्वपूर्ण वेतन कमाया।
मोड़: इसके बावजूद, सिद्धार्थ को अपने काम में एक बढ़ती हुई असंतोषता महसूस हुई। समाजी मुद्दों और शासन में उनकी रुचि ने उन्हें सिविल सेवाओं का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विश्वास किया कि सार्वजनिक प्रशासन में करियर उन्हें सामाजिक चुनौतियों का सामना करने का मौका देगा।
UPSC सफलता: सिद्धार्थ ने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से UPSC की तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी प्रतिबद्धता रंग लाई जब उन्होंने दूसरे प्रयास में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में स्थान हासिल किया। एक IRS अधिकारी के रूप में, वह कर प्रशासन और नीति निर्माण में शामिल हैं।
3. नेहा गुप्ता
पृष्ठभूमि: नेहा ने आईआईटी खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। स्नातक के बाद, वह एक प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने लगीं। उनका करियर बहुत ही आशाजनक था, जिसमें कई पुरस्कार और तेजी से पदोन्नति शामिल थीं।
उद्देश्य की जागरूकता: हालांकि, नेहा हमेशा सामाजिक न्याय और समानता के प्रति जुनूनी रहीं। उन्होंने अपने चारों ओर बढ़ती असमानता और सामाजिक मुद्दों को देखते हुए एक अलग रास्ता चुनने का निर्णय लिया। वह मानती थीं कि सिविल सेवाओं में करियर उनके लिए परिवर्तन लाने का बेहतर मौका देगा।
सिविल सेवाओं की यात्रा: नेहा ने अपनी उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी में जुट गईं। उनके अध्ययन की विधि में कड़ी अध्ययन योजना और सामुदायिक सेवा शामिल थी। उन्होंने कई प्रयासों के बाद यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और IAS में नियुक्ति प्राप्त की।
4. रवि वर्मा
पृष्ठभूमि: रवि वर्मा, आईआईटी मद्रास के स्नातक, ने केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। स्नातक के बाद, उन्होंने एक प्रसिद्ध पेट्रोकेमिकल कंपनी में काम किया, जहां वह अच्छी तरह से मुआवजा प्राप्त कर रहे थे और महत्वपूर्ण परियोजनाओं में शामिल थे।
जागरूकता: हालांकि, कॉर्पोरेट सफलता के बावजूद, रवि को अपने काम में संतोष नहीं मिल रहा था। पर्यावरण संबंधी मुद्दों, विशेष रूप से प्रदूषण और स्थायी विकास में उनकी रुचि ने उन्हें सिविल सेवाओं का मार्ग चुनने के लिए प्रेरित किया।
UPSC की यात्रा: रवि ने अपनी नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। उनका इंजीनियरिंग बैकग्राउंड अध्ययन में उनकी मददगार साबित हुआ। रवि ने UPSC परीक्षा पास की और भारतीय वन सेवा (IFS) में नियुक्ति प्राप्त की, जहां वह संरक्षण प्रयासों और पर्यावरण नीतियों पर काम कर रहे हैं।
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5. अंजलि शर्मा
पृष्ठभूमि: अंजलि ने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक होने के बाद, वह एक प्रमुख निर्माण फर्म में काम करने लगीं, जहां उन्होंने तेजी से कॉर्पोरेट सीढ़ी चढ़ी। अंजलि को उनके नेतृत्व कौशल और परियोजना प्रबंधन की विशेषज्ञता के लिए पहचाना गया।
परिवर्तन की आवश्यकता: हालांकि, अंजलि ने महसूस किया कि उनका काम उनके मूल्यों के साथ मेल नहीं खाता। सामुदायिक विकास और सार्वजनिक कल्याण के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें एक अधिक प्रभावी करियर खोजने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महसूस किया कि सिविल सेवाओं में शामिल होना उन्हें समुदायों के साथ सीधे काम करने और उनकी आवश्यकताओं को संबोधित करने का मौका देगा।
UPSC की यात्रा: अंजलि ने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी में जुट गईं। उनका इंजीनियरिंग बैकग्राउंड उन्हें विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता था। कई प्रयासों के बाद, अंजलि ने IAS में स्थान हासिल किया, जहां वह अब अवसंरचना विकास और नीति कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
निष्कर्ष
सिद्धार्थ, सिद्धार्थ सिन्हा, नेहा गुप्ता, रवि वर्मा, और अंजलि शर्मा की कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि कैसे कुछ प्रतिभाशाली लोग उच्च वेतन वाली करियर को छोड़कर सार्वजनिक सेवा की ओर रुख करते हैं। उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि आईआईटी स्नातक समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने करियर के लक्ष्यों पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
ये व्यक्ति यह साबित करते हैं कि सफलता केवल वित्तीय लाभ में नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में बदलाव लाने में है। उनकी सिविल सेवाओं में जाने का निर्णय एक नई पीढ़ी के नेताओं को प्रेरित करता है, जो यह विचार करते हैं कि वे कैसे समाज में योगदान दे सकते हैं।
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