Unemployment भारत में एक गंभीर समस्या बन चुकी है, खासकर युवाओं के बीच। भारत में 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं की संख्या काफी अधिक है, और यह जनसंख्या देश के आर्थिक विकास और प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन हाल के वर्षों में, रोजगार के अभाव और रोजगार के अवसरों की कमी के चलते युवाओं में Unemployment की समस्या बढ़ती जा रही है। इस लेख में हम Unemployment के कारणों, इसके प्रभावों, और इस समस्या के संभावित समाधानों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बेरोजगारी: एक परिभाषा
Unemployment को उस स्थिति के रूप में समझा जा सकता है जब एक सक्षम व्यक्ति, जो काम करने के योग्य हो, काम करने की इच्छा भी रखता हो, लेकिन उसे रोजगार नहीं मिल पाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी अर्थव्यवस्था में नौकरी के अवसर सीमित हो जाते हैं, या जब उन नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल लोगों में नहीं होते हैं।
भारत में बेरोजगारी की वर्तमान स्थिति
भारत में Unemployment की स्थिति चिंताजनक है। देश में Unemployment दर में लगातार वृद्धि हो रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत की Unemployment दर लगभग 8% थी, जबकि कई राज्यों में यह दर 10% से भी अधिक थी। खासकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के युवा इस संकट से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
देश की बढ़ती जनसंख्या और सीमित रोजगार के अवसरों ने Unemployment के इस संकट को और गहरा कर दिया है। इसके अतिरिक्त, COVID-19 महामारी ने भी बेरोजगारी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाईं, और आज भी कई लोग नई नौकरियां पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
बेरोजगारी के प्रकार
Unemployment के विभिन्न प्रकार होते हैं जो अलग-अलग कारणों से उत्पन्न होते हैं:
- संरचनात्मक बेरोजगारी: यह तब उत्पन्न होती है जब नौकरी के अवसरों और नौकरी चाहने वालों के कौशल के बीच सामंजस्य नहीं होता। उदाहरण के लिए, तकनीकी प्रगति के कारण कुछ नौकरियां समाप्त हो जाती हैं और लोगों को नए कौशल की जरूरत होती है।
- चक्रवाती बेरोजगारी: यह Unemployment आर्थिक मंदी के दौरान उत्पन्न होती है। जब अर्थव्यवस्था धीमी हो जाती है, तब रोजगार के अवसर भी कम हो जाते हैं।
- मौसमी बेरोजगारी: यह Unemployment मुख्यतः कृषि क्षेत्र में देखी जाती है, जहाँ काम मौसम पर निर्भर करता है।
- स्वैच्छिक बेरोजगारी: इसमें लोग अपने करियर की बेहतर संभावनाओं के लिए वर्तमान नौकरी छोड़ देते हैं, या अपनी रुचि के अनुसार नौकरी की तलाश में होते हैं।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी कार्य में अतिरिक्त लोग लगे होते हैं, जिनकी वास्तव में आवश्यकता नहीं होती।
बेरोजगारी के कारण
भारत में Unemployment के कई कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:
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1. शिक्षा प्रणाली की खामियाँ
भारत में शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिक और तकनीकी शिक्षा की कमी है। हमारे यहाँ अधिकतर शिक्षा प्रणाली सैद्धांतिक होती है, जिससे छात्रों को सही रोजगार कौशल नहीं मिल पाता। युवाओं के पास डिग्रियाँ तो होती हैं, लेकिन आवश्यक कौशल की कमी के कारण उन्हें रोजगार मिलना कठिन हो जाता है।
2. जनसंख्या वृद्धि
भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, और हर साल लाखों युवा रोजगार के बाजार में प्रवेश करते हैं। लेकिन उनके लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर नहीं हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की दर भी तेजी से बढ़ रही है।
3. कृषि पर अत्यधिक निर्भरता
भारत का अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र आज भी कृषि पर निर्भर है, जो साल के केवल कुछ महीनों के लिए रोजगार प्रदान करता है। इससे बाकी महीनों में ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है।
4. उद्योगों का धीमा विकास
भारत में उद्योगों का विकास अपेक्षाकृत धीमा है। आवश्यक उद्योगों और कारखानों की कमी के कारण रोजगार के नए अवसर नहीं बन पाते हैं।
5. तकनीकी विकास
तकनीकी प्रगति के कारण मैन्युअल कार्यों की आवश्यकता कम हो गई है। जैसे-जैसे तकनीक उन्नत हो रही है, कई पारंपरिक नौकरियां खत्म हो रही हैं और नए कौशल की मांग बढ़ रही है।
6. श्रम कानूनों की जटिलता
भारत में श्रम कानून बहुत जटिल हैं, जो नियोक्ताओं को कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में हिचकिचाहट पैदा करते हैं। इसके कारण कई कंपनियां कम कर्मचारियों के साथ ही काम करना पसंद करती हैं।
7. महिलाओं के लिए सीमित रोजगार अवसर
भारत में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के कम अवसर होते हैं, जिससे महिलाओं की बेरोजगारी दर भी बढ़ जाती है।
बेरोजगारी के प्रभाव
Unemployment केवल एक आर्थिक समस्या नहीं है; यह समाज पर भी गहरा असर डालती है। Unemployment के कुछ मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं:
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1. मानसिक तनाव
लंबे समय तक बेरोजगार रहने से लोगों में मानसिक तनाव, आत्म-सम्मान की कमी और अवसाद जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
2. अपराध में वृद्धि
बेरोजगारी की वजह से समाज में असंतोष बढ़ता है, जिससे अपराधों में वृद्धि होती है। कई बेरोजगार युवा आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं।
3. गरीबी का बढ़ना
बेरोजगारी से आय का स्रोत खत्म हो जाता है, जिससे गरीबी बढ़ती है। इससे परिवार की जीवन-शैली में गिरावट आती है, और उन्हें बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति में कठिनाई होती है।
4. आर्थिक विकास में बाधा
बेरोजगारी का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। जब बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होते हैं, तो देश का उत्पादकता स्तर गिरता है, और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में गिरावट आती है।
बेरोजगारी के समाधान
बेरोजगारी की इस समस्या से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं:
1. शिक्षा प्रणाली में सुधार
शिक्षा प्रणाली को रोजगारोन्मुख बनाने की आवश्यकता है। छात्रों को रोजगार योग्य कौशल, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा दी जानी चाहिए। इसके अलावा, शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिक प्रशिक्षण को भी शामिल करना चाहिए, ताकि छात्रों को उद्योग की मांग के अनुसार तैयार किया जा सके।
2. जनसंख्या नियंत्रण
जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार को जनसंख्या नीति को सख्ती से लागू करना होगा। इसके लिए परिवार नियोजन कार्यक्रमों का प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन करना चाहिए।
3. उद्योगों का विकास
भारत में उद्योगों के विकास पर जोर देना चाहिए। नए उद्योग स्थापित करने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग स्थापित करने से ग्रामीण बेरोजगारी को कम किया जा सकता है।
4. कौशल विकास कार्यक्रम
सरकार को कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए। ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करना चाहिए ताकि युवा रोजगार के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त कर सकें।
5. उद्यमिता को बढ़ावा देना
सरकार को युवाओं में उद्यमिता की भावना को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके लिए स्टार्ट-अप फंड्स, कर रियायतें और उद्यमियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
6. श्रम कानूनों में सुधार
श्रम कानूनों को सरल और व्यावहारिक बनाना चाहिए, ताकि कंपनियां अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकें। इससे नियोक्ताओं की झिझक दूर होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
7. महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर
महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए महिला शिक्षा और उनके लिए विशेष कार्य-क्षेत्रों का विकास करना चाहिए।
8. सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता
सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए, ताकि युवाओं का विश्वास सरकार पर बना रहे। भ्रष्टाचार मुक्त और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया बेरोजगार युवाओं के लिए राहत की बात होगी।
निष्कर्ष
बेरोजगारी भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है, जो युवाओं के जीवन को प्रभावित कर रही है। इस समस्या का समाधान सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को इसके समाधान में योगदान देना होगा। शिक्षा प्रणाली में सुधार, कौशल विकास, उद्योगों का विकास, और उद्यमिता को प्रोत्साहन जैसे उपाय इस समस्या को कम कर सकते हैं।
यदि इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो आने वाले समय में हम भारत को एक रोजगारपूर्ण और आत्मनिर्भर देश के रूप में देख सकते हैं।
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