New Delhi: भारत ने आज ब्रिटिश उच्चायुक्त (British High Commissioner) को तलब करके ब्रिटिश संसद में किसानों के विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) और प्रेस की आजादी के मुददे पर हुई चर्चा को लेकर अपना सख्त ऐतराज जताया. करीब डेढ़ घंटे की यह बहस सोमवार को हुई, इस दौरान लेबर पार्टी, लिबरल डेमोक्रेट और स्कॉटिश नेशनल पार्टी के कई सांसदों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भारत सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर चिंता का इजहार किया. ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि जब दोनों देशों के प्रधानमंत्री मिलेंगे तो इस बारे में चिंता से भारत को अवगत कराया जाएगा.
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भारत ने ब्रिटिश संसद में कृषि कानूनों (Farm Laws) पर चर्चा को लेकर मंगलवार को कड़ा विरोध जताया. केंद्र सरकार ने ब्रिटिश हाई कमिश्नर को तलब किया और ब्रिटिश संसद में हुई चर्चा को लेकर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की.
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विदेश सचिव ने मंगलवार को ब्रिटिश उच्चायुक्त (British High Commissioner) को तलब किया और ब्रिटिश संसद में भारत के कृषि सुधारों पर बहस को अवांछित और विवादास्पद बताते हुए सख्त ऐतराज जताया. विदेश सचिव ने ब्रिटिश सरकार को यह स्पष्ट कर दिया है कि यह किसी अन्य लोकतांत्रिक देश की राजनीति में पूरी तरह से दखलंदाजी है. उन्होंने तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहे ब्रिटिश सांसदों से वोट बैंक की राजनीति से दूर रहने की सलाह दी, खासकर सहयोगी लोकतंत्र के बारे में ऐसी कवायद को लेकर आगाह किया
विदेश मंत्रालय की ओर से मंगलवार को कहा गया कि विदेश सचिव ने ‘दूत’ को तलब किया था और भारत में कृषि सुधारों के मसले पर ब्रिटेन की संसद में अवांछित (unwarranted) और पक्षपातपूर्ण चर्चा को लेकर कड़ा विरोध जताया.विदेश सचिव ने ब्रिटेन के उच्चायुक्त से कहा कि ब्रिटिश संसद में भारत के कृषि सुधारों के बारे में चर्चा दूसरे लोकतांत्रिक देश की राजनीति में हस्तक्षेप है. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सांसदों को अन्य लोकतंत्र के संबंध में ‘वोट बैंक की राजनीति करने’ से बचना चाहिए.