फरवरी 2025 में भारत के आठ प्रमुख Infrastructure Sectors की वृद्धि दर घटकर 2.9% रह गई, जो जनवरी 2025 में दर्ज 5.1% की वृद्धि की तुलना में काफी कम है। यह गिरावट आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती का संकेत देती है और औद्योगिक उत्पादन (IIP) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
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महत्वपूर्ण बिंदु:
- जनवरी 2025 में Infrastructure Sectors की वृद्धि दर 5.1% थी, जबकि फरवरी में यह घटकर 2.9% रह गई।
- इस गिरावट का मुख्य कारण रिफाइनरी उत्पाद, सीमेंट और इस्पात उत्पादन में कमी को माना जा रहा है।
- आठ कोर सेक्टर – कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली – भारतीय औद्योगिक उत्पादन (IIP) के लगभग 40% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह मंदी औद्योगिक उत्पादन और आर्थिक वृद्धि के लिए एक नकारात्मक संकेत हो सकती है, जिससे आने वाले महीनों में औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।
Infrastructure Sectors में गिरावट के मुख्य कारण:
- रिफाइनरी उत्पादों में गिरावट – कच्चे तेल की उच्च कीमतों और कम मांग के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ।
- इस्पात और सीमेंट उत्पादन में कमी – निर्माण गतिविधियों में सुस्ती और कच्चे माल की बढ़ती लागत के कारण इन क्षेत्रों में गिरावट देखी गई।
- बिजली उत्पादन में हल्की गिरावट – औद्योगिक खपत में कमी के कारण बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर प्रभावित हुई।
प्रभाव और नीतिगत प्रतिक्रिया:
- विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने, उद्योगों को समर्थन देने और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने होंगे ताकि आने वाले महीनों में वृद्धि दर में सुधार हो सके।
- नीति आयोग और वित्त मंत्रालय इस मंदी के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं और संभावित सुधारात्मक कदमों पर विचार किया जा रहा है।
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