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जेडी वेंस की भारत यात्रा पर Praveen Khandelwal का बयान- “भारत-अमेरिका साझेदारी को मिलेगी नई गति”

प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार, भारत-अमेरिका सहयोग का विस्तार केवल आर्थिक तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह दोनों देशों की लोकतांत्रिक साझेदारी, साइबर सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने इसे “21वीं सदी की सबसे निर्णायक द्विपक्षीय यात्रा” में से एक करार दिया।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा को लेकर राजनीतिक और व्यापारिक हलकों में उत्सुकता का माहौल है। इस संदर्भ में भाजपा सांसद Praveen Khandelwal ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में यह यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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उन्होंने आशा व्यक्त की कि उपराष्ट्रपति वेंस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने वाली मुलाकात से भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों को नई गति मिलेगी। खंडेलवाल ने विशेष रूप से इस बात पर ज़ोर दिया कि मौजूदा वैश्विक व्यापार शुल्क संघर्ष के बीच भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए कूटनीतिक और रणनीतिक प्रयास तेज़ करने होंगे।

उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि दोनों नेताओं के बीच होने वाली बातचीत में इस विषय पर भी सार्थक चर्चा होगी कि कैसे भारत के निर्यातकों और व्यापारियों को संरक्षण और समर्थन मिल सके।” सांसद के मुताबिक, यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मज़बूत करेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को भी सशक्त बनाएगी।

Praveen Khandelwal का बयान

Praveen Khandelwal's statement on JD Vance's visit to India - "India-US partnership will get new momentum"

भाजपा सांसद Praveen Khandelwal के अनुसार, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक स्तर पर व्यापारिक और रणनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच न केवल व्यापार, बल्कि रक्षा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को गहराने की आवश्यकता है। “भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को अब महज़ द्विपक्षीय समझौतों से आगे बढ़ाकर वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में बदलना समय की मांग है,” उन्होंने कहा।

Praveen Khandelwal ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि अमेरिकी बाजार में भारत के लिए अवसर बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन साथ ही चुनौतियाँ भी हैं—जैसे कि कुछ भारतीय उत्पादों पर लगने वाले शुल्क और गैर-शुल्कीय बाधाएं। “यदि उपराष्ट्रपति वेंस और प्रधानमंत्री मोदी के बीच व्यापार शुल्क को लेकर कोई सहमति बनती है, तो यह भारत के एमएसएमई और निर्यातकों के लिए बड़ा राहतकारी कदम होगा,” उन्होंने जोड़ा।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अमेरिका और भारत के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते की दिशा में ठोस पहल की जानी चाहिए, जिससे दीर्घकालिक व्यापारिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। इस यात्रा के बहाने दोनों देशों के व्यापारिक संगठनों के बीच प्रत्यक्ष संवाद को बढ़ावा देने की भी उम्मीद जताई जा रही है।

Praveen Khandelwal के अनुसार, भारत-अमेरिका सहयोग का विस्तार केवल आर्थिक तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह दोनों देशों की लोकतांत्रिक साझेदारी, साइबर सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने इसे “21वीं सदी की सबसे निर्णायक द्विपक्षीय यात्रा” में से एक करार दिया।

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