होम ब्लॉग पेज 11

PM Modi की यात्रा से पहले Saudi Arabia ने तैयारियां शुरू की

जेद्दा [सऊदी अरब]: PM Modi सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर 22 से 23 अप्रैल, 2025 तक सऊदी अरब की यात्रा पर जाने वाले हैं। 2016 और 2019 में इससे पहले की यात्राओं के बाद यह प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी सऊदी यात्रा होगी।

PM Modi's 3rd visit to Saudi Arabia
PM Modi की यात्रा से पहले Saudi Arabia ने तैयारियां शुरू की

यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसी फैक्ट्री का दौरा करेंगे, जहां भारतीय कर्मचारी काम करते हैं। वहां रहने के दौरान वे उनसे बातचीत करेंगे।

PM Modi की यह यात्रा प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी

शनिवार को एक विशेष प्रेस वार्ता के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, कि यह यात्रा प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी। इनमें पश्चिम एशिया की स्थिति, इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष और हौथी हमलों के कारण समुद्री सुरक्षा को खतरा शामिल हैं।

PM Modi's 3rd visit to Saudi Arabia
PM Modi की यात्रा से पहले Saudi Arabia ने तैयारियां शुरू की

अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance भारत पहुंचे, दिल्ली में आज पीएम मोदी से करेंगे मुलाकात

मिस्री ने यह भी कहा, भारत और सऊदी अरब अपने रक्षा सहयोग को गहरा करने और अपने आर्थिक संबंधों का विस्तार करने की संभावना रखते हैं। वर्तमान में, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 43 बिलियन अमरीकी डॉलर का है।

पीएम मोदी की यात्रा को न केवल सऊदी अरब के साथ, बल्कि पूरे खाड़ी और इस्लामी दुनिया के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

PM Modi's 3rd visit to Saudi Arabia
PM Modi की यात्रा से पहले Saudi Arabia ने तैयारियां शुरू की

पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत-सऊदी संबंधों में एक बड़ा बदलाव आया है, जिसमें क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ प्रधानमंत्री के मजबूत व्यक्तिगत संबंधों ने मदद की है।

Pope Francis के निधन पर पीएम मोदी की श्रद्धांजलि: “मानवता के लिए एक अपूरणीय क्षति”

यह यात्रा क्राउन प्रिंस के सितंबर 2023 में नई दिल्ली आने के बाद हो रही है। वह जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आए थे और उन्होंने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक की सह-अध्यक्षता भी की थी।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

भारत में Digital Nomads की जीवनशैली: एक आधुनिक कार्य संस्कृति की ओर

भारत में उभरती हुई Digital Nomads जीवनशैली की विस्तार से पड़ताल करता है। इसमें बताया गया है कि कैसे आधुनिक तकनीक, इंटरनेट की उपलब्धता और लचीले कार्य वातावरण ने लोगों को स्थायी दफ्तरों से स्वतंत्र होकर कहीं से भी काम करने की सुविधा दी है। लेख में Digital Nomads बनने की प्रक्रिया, इसके फायदे और चुनौतियाँ, आवश्यक कौशल, कानूनी और सामाजिक पहलू, तथा भारत में इस जीवनशैली को अपनाने वाले प्रमुख क्षेत्रों और समुदायों पर प्रकाश डाला गया है। यह लेख विशेष रूप से उन युवाओं, पेशेवरों और उद्यमियों के लिए उपयोगी है जो पारंपरिक कार्य संस्कृति से हटकर स्वतंत्र और तकनीकी रूप से सक्षम जीवन अपनाना चाहते हैं।

भारत में डिजिटल नोमैड की जीवनशैली: एक उभरती हुई कार्य संस्कृति

The Lifestyle of Digital Nomads in India

Digital Nomads युग में काम करने का तरीका तेजी से बदल रहा है। पारंपरिक कार्यालय की सीमाओं से बाहर निकलकर एक नई कार्य संस्कृति उभर रही है जिसे हम डिजिटल नोमैड (Digital Nomad) कहते हैं। ये वे लोग होते हैं जो इंटरनेट की सहायता से दुनिया के किसी भी कोने से काम कर सकते हैं। भारत में भी यह जीवनशैली तेजी से लोकप्रिय हो रही है, खासकर युवाओं के बीच।

डिजिटल नोमैड कौन होते हैं?

Digital Nomads वे पेशेवर होते हैं जो पूरी तरह से डिजिटल संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। वे कहीं भी यात्रा करते हुए लैपटॉप और इंटरनेट के जरिए फ्रीलांसिंग, रिमोट जॉब, कंटेंट क्रिएशन, कोडिंग, डिज़ाइनिंग, डिजिटल मार्केटिंग आदि जैसे कार्य करते हैं।

भारत में डिजिटल नोमैड संस्कृति का विकास

भारत में Digital Nomads जीवनशैली का विस्तार निम्नलिखित कारणों से हुआ है:

  • हाई-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता
  • वर्क फ्रॉम होम की सुविधा
  • स्टार्टअप संस्कृति में वृद्धि
  • युवाओं में घूमने और स्वतंत्रता की चाह
  • कोविड-19 महामारी के बाद रिमोट वर्क का विस्तार

डिजिटल नोमैड बनने के लिए आवश्यकताएँ

  1. एक स्थिर इंटरनेट कनेक्शन
  2. लैपटॉप और जरूरी सॉफ्टवेयर
  3. स्व-प्रबंधन और अनुशासन
  4. डिजिटल स्किल्स (जैसे- कंटेंट राइटिंग, कोडिंग, ग्राफिक डिज़ाइन)
  5. ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम (PayPal, UPI, बैंकिंग)

भारत में लोकप्रिय डिजिटल नोमैड डेस्टिनेशन

भारत में कई ऐसे स्थान हैं जो Digital Nomads के लिए आदर्श हैं:

  • गोवा: समुंदर किनारे और कैफे कल्चर
  • हिमाचल प्रदेश (मनाली, धर्मशाला): शांत वातावरण और प्रकृति के समीप
  • राजस्थान (जयपुर, जोधपुर, पुष्कर): सांस्कृतिक अनुभव और आधुनिक सुविधाएँ
  • केरल (वायनाड, कोवलम): प्राकृतिक सौंदर्य और वेलनेस रिट्रीट्स
  • बेंगलुरु और पुणे: तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सह-कार्यस्थल

डिजिटल नोमैड की जीवनशैली के लाभ

  1. स्वतंत्रता और लचीलापन
  2. नई जगहों की खोज और सांस्कृतिक अनुभव
  3. तनावमुक्त कार्य वातावरण
  4. स्व-प्रेरणा और रचनात्मकता में वृद्धि
  5. नए नेटवर्किंग अवसर

चुनौतियाँ और सीमाएँ

The Lifestyle of Digital Nomads in India

हालाँकि Digital Nomads जीवनशैली बहुत आकर्षक दिखती है, लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं:

  • इंटरनेट की स्थिरता: छोटे शहरों या पहाड़ी क्षेत्रों में समस्या
  • सामाजिक अलगाव: अकेलापन और मानसिक तनाव
  • स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
  • कानूनी और टैक्स से संबंधित परेशानियाँ
  • परिवार और समाज का विरोध

भारत में डिजिटल नोमैड के लिए सरकारी समर्थन

वर्तमान में भारत सरकार की ओर से Digital Nomads के लिए विशेष नीति नहीं है, लेकिन निम्नलिखित योजनाएँ मदद कर सकती हैं:

  • Startup India
  • Digital India
  • Skill India इन योजनाओं के तहत डिजिटल स्किल्स, इनक्यूबेशन और फंडिंग की सुविधाएं मिलती हैं।

आवश्यक सुझाव

Digital Literacy और शिक्षा: भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

  1. एक बजट प्लान बनाएं
  2. फ्रीलांस प्लेटफार्म जैसे Upwork, Fiverr, Freelancer से जुड़ें
  3. को-वर्किंग स्पेस का उपयोग करें
  4. स्वास्थ्य बीमा जरूर लें
  5. वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखें

भविष्य की संभावनाएँ

Digital Nomads संस्कृति आने वाले वर्षों में और अधिक लोकप्रिय होगी। भारत में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो रहा है, जिससे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस जीवनशैली को अपनाना संभव होगा। साथ ही, डिजिटल वीज़ा नीति जैसे कदमों से अंतरराष्ट्रीय डिजिटल नोमैड्स भी भारत को वरीयता देंगे।

निष्कर्ष

Digital Nomads जीवनशैली आधुनिक युग की एक क्रांतिकारी कार्य संस्कृति है, जो स्वतंत्रता, तकनीक और जीवन के आनंद का संगम प्रस्तुत करती है। भारत में इस जीवनशैली को अपनाने वाले लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है, जिससे न केवल आर्थिक अवसरों का सृजन हो रहा है, बल्कि यह पर्यटन और डिजिटल विकास के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

भारत में Digital Museums: सांस्कृतिक विरासत का तकनीकी संरक्षण

Digital Museum सांस्कृतिक विरासत का तकनीकी संरक्षण विषय पर आधारित है, जिसमें डिजिटल म्यूजियम की अवधारणा, भारत में इसकी वर्तमान स्थिति, इसके लाभ, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई है। Digital Museums बताता है कि कैसे तकनीकी नवाचारों की मदद से भारत की प्राचीन कला, इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर संरक्षित और प्रस्तुत किया जा रहा है। साथ ही, इसमें डिजिटल संग्रहालयों की भूमिका, सरकारी प्रयास, निजी भागीदारी और डिजिटल माध्यम से जनता को जोड़ने की रणनीतियाँ भी शामिल की गई हैं। यह लेख छात्रों, शोधार्थियों और संस्कृति प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।

भूमिका

Digital Museums in India: Preserving

Digital Museums सांस्कृतिक विरासत किसी भी देश की आत्मा होती है। भारत, जिसकी सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहरें विश्वविख्यात हैं, समय के साथ इन धरोहरों को संरक्षित करने और जन-सामान्य तक पहुंचाने के लिए नए उपायों की ओर अग्रसर हो रहा है। इसी क्रम में “Digital Museums” की अवधारणा एक प्रभावशाली माध्यम के रूप में उभर रही है, जो तकनीक के सहारे भारत की विरासत को भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है।

डिजिटल म्यूजियम क्या है?

Digital Museums एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ संग्रहालयों की वस्तुएं, कलाकृतियाँ, ऐतिहासिक दस्तावेज़, और अन्य सांस्कृतिक धरोहरें डिजिटल रूप में संग्रहित की जाती हैं। इन्हें लोग इंटरनेट, मोबाइल ऐप या वर्चुअल रियलिटी की मदद से कभी भी और कहीं से भी देख सकते हैं।

भारत में डिजिटल म्यूजियम की आवश्यकता

  1. धरोहरों का संरक्षण: अनेक कलाकृतियाँ समय के साथ क्षतिग्रस्त हो रही हैं। डिजिटल रूप में संरक्षित करना इनका दीर्घकालीन संरक्षण सुनिश्चित करता है।
  2. सुलभता: दूरदराज के लोग, जिनके लिए भौतिक संग्रहालयों तक पहुँचना संभव नहीं, अब डिजिटल माध्यम से इनका लाभ उठा सकते हैं।
  3. शैक्षिक लाभ: Digital Museums छात्रों और शोधकर्ताओं को आसानी से सूचना उपलब्ध कराना।
  4. पर्यटन को बढ़ावा: Digital Museums अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति और इतिहास को प्रस्तुत करना।

भारत में डिजिटल म्यूजियम की शुरुआत

भारत सरकार और विभिन्न निजी संस्थानों ने मिलकर कई Digital Museums स्थापित किए हैं:

1. राष्ट्रीय डिजिटल संग्रहालय

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इस परियोजना का उद्देश्य है देश के प्रमुख संग्रहालयों की डिजिटल सामग्री को एक मंच पर लाना।

2. इंडियन कल्चर पोर्टल

यह भारत सरकार की पहल है जहाँ संग्रहालय, पांडुलिपियाँ, वस्त्र, संगीत, चित्रकला, और प्राचीन ग्रंथों को डिजिटल रूप में प्रस्तुत किया गया है।

3. गांधी हेरिटेज पोर्टल

गांधीजी के जीवन, उनके लेख, तस्वीरें, और वीडियो को डिजिटल रूप में संग्रहित किया गया है।

4. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ई-हेरिटेज पहल

इसके अंतर्गत विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का डिजिटल दस्तावेजीकरण किया गया है।

तकनीक और टूल्स जो डिजिटल म्यूजियम को संभव बनाते हैं

Digital Museums in India: Preserving
  1. 3D स्कैनिंग और फोटोग्रामेट्री
  2. वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR)
  3. क्लाउड स्टोरेज
  4. ब्लॉकचेन तकनीक (ownership और authenticity के लिए)
  5. AI आधारित गाइड और भाष्य तंत्र

प्रमुख डिजिटल म्यूजियम उदाहरण

1. प्रगति मैदान डिजिटल संग्रहालय

भारत के विकास और प्रगति की कहानी को 360 डिग्री वीडियो और इंटरएक्टिव माध्यमों से प्रस्तुत करता है।

2. इंडियन म्यूजियम, कोलकाता – वर्चुअल टूर

अब इसके अनेक गैलरी डिजिटल रूप में देखे जा सकते हैं।

3. नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी

यहाँ डिजिटल आर्काइव के माध्यम से दस्तावेजों की विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है।

डिजिटल म्यूजियम के लाभ

  1. सांस्कृतिक लोकतंत्र का विस्तार
  2. पर्यावरणीय प्रभाव में कमी (यात्रा की आवश्यकता नहीं)
  3. कम बजट में अधिक पहुँच
  4. बहुभाषीय समर्थन से अधिक लोगों तक पहुँच
  5. इंटरएक्टिव शिक्षण का नया स्वरूप

चुनौतियाँ

  1. डिजिटलीकरण की लागत और संसाधन
  2. तकनीकी प्रशिक्षण की कमी
  3. इंटरनेट की पहुँच में असमानता
  4. डिजिटल डेटा की सुरक्षा
  5. असली अनुभव की कमी

भविष्य की संभावनाएँ

  1. होलोग्राफिक डिस्प्ले का उपयोग
  2. 360 डिग्री वर्चुअल टूर
  3. AI आधारित इंटरएक्टिव गाइड
  4. ग्लोबल डिजिटल संग्रहालय नेटवर्क में भारत की भागीदारी
  5. शिक्षा प्रणाली में डिजिटल संग्रहालयों का समावेश

भारत सरकार की भूमिका

भारत में Environmental संरक्षण: चुनौतियाँ, प्रयास और सतत विकास की ओर कदम

भारत सरकार ने Digital Museums अभियान के अंतर्गत डिजिटल म्यूजियमों को प्रोत्साहित किया है। संस्कृति मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों से इसे बल मिला है।

निजी क्षेत्र की भागीदारी

Google Arts & Culture जैसे प्लेटफॉर्म्स भारत के कई संग्रहालयों और संस्थाओं के साथ मिलकर डिजिटल आर्काइव बना रहे हैं। टाटा ट्रस्ट्स और अन्य कॉर्पोरेट संस्थाएं भी इस दिशा में सहयोग कर रही हैं।

निष्कर्ष

Digital Museums भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को नई तकनीक के सहारे दुनिया तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। Digital Museums न केवल हमारे अतीत को सुरक्षित करता है बल्कि वर्तमान और भविष्य को भी उससे जोड़ने का कार्य करता है। भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश के लिए यह एक अनिवार्य पहल बन चुकी है, जिसे और अधिक विस्तार और तकनीकी सशक्तता के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Sambhal में ह्यूमन राइट्स संगठन की सक्रियता: जरूरतमंदों के लिए न्याय की नई उम्मीद

0

Sambhal: ह्यूमन राइट्स अवेयरनेस ऑर्गेनाइजेशन की राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय टीम ने जिला सम्भल के विभिन्न स्थानों का दौरा करते हुए तुरतीपुर इनायतपुर गांव में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। यह संगोष्ठी सामाजिक न्याय, मानवाधिकार जागरूकता और गरीबों की सेवा के उद्देश्यों पर केंद्रित रही।

यह भी पढ़े: Sambhal में ट्रैफिक अभियान तेज, नो पार्किंग में खड़े वाहनों पर चला हंटर

कार्यक्रम की शुरुआत संगठन की योजनाओं की जानकारी से हुई, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि संगठन पूरी तरह अराजनीतिक है और इसका उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक रूप से वंचित तबकों को न्याय दिलाना और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाना है। इस अवसर पर नवनियुक्त सदस्यों का स्वागत फूल मालाओं से किया गया।

Sambhal में मानवाधिकार जागरूकता संगोष्ठी

ह्यूमन राइट्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमेंद्र चौधरी उर्फ गुड्डू ने बताया कि संगठन का मुख्य उद्देश्य पीड़ितों की समस्याओं को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाकर उनका समाधान कराना है। वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एल. सी. गहलोत, महासचिव मनमोहन सिंह सेन, प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी, और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष गरिमा प्रदान की।

यह भी पढ़े: Sambhal में नकली लुब्रिकेंट फैक्ट्री का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

कार्यक्रम के दौरान मनमोहन सिंह सेन ने कार्यकर्ताओं को मानवाधिकार के क्षेत्र में सक्रिय होकर समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। संभल जिला अध्यक्ष चौधरी वेदपाल सिंह ने सभी का आभार जताया और स्थानीय स्तर पर संगठन के विस्तार की प्रतिबद्धता जताई।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि संगठन बिना जाति, धर्म या वर्ग के भेदभाव के कार्य करता है, और यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। राष्ट्रीय टीम ने यह भी आश्वासन दिया कि अगर जिले के विस्तार में कोई कठिनाई आती है, तो राष्ट्रीय स्तर पर हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी।


Activism of Human Rights Organization in Sambhal: New hope of justice for the needy

यह संगोष्ठी न सिर्फ मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि ज़मीनी स्तर पर सामाजिक बदलाव की दिशा में निरंतर प्रयास हो रहे हैं।

Sambhal से खलील मलिक कि ख़ास रिपोर्ट

भारत में Robotics और ऑटोमेशन: तकनीकी विकास की नई दिशा

“भारत में Robotics और ऑटोमेशन” विषय पर केंद्रित है, जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार ये आधुनिक तकनीकें भारत के औद्योगिक, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और सेवा क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही हैं। लेख में Robotics और ऑटोमेशन की परिभाषा, उनके प्रकार, भारत में इनका विकास, प्रमुख चुनौतियाँ, संभावनाएँ तथा इससे जुड़ी सरकारी नीतियों का विस्तार से विश्लेषण किया गया है। इसके साथ ही, यह भी बताया गया है कि आने वाले वर्षों में भारत किस प्रकार इस तकनीकी बदलाव का नेतृत्व कर सकता है और रोजगार, कौशल विकास तथा नीति निर्माण में इसे कैसे संतुलित किया जा सकता है।

भारत में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन: संभावनाएं, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

Robotics and Automation in India

Robotics 21वीं सदी तकनीकी क्रांति की सदी बन चुकी है। जैसे-जैसे विज्ञान और तकनीक आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे रोबोटिक्स और ऑटोमेशन का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। ये तकनीकें अब सिर्फ विज्ञान कथाओं या बड़ी फैक्ट्रियों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि भारत जैसे विकासशील देश में भी तेजी से फैल रही हैं।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि Robotics और ऑटोमेशन क्या है, इनका भारत में क्या विकास हुआ है, कौन-कौन से क्षेत्रों में इनका उपयोग हो रहा है, इससे होने वाले लाभ और चुनौतियाँ क्या हैं, तथा भारत का भविष्य इन तकनीकों के साथ कैसा हो सकता है।

1. रोबोटिक्स और ऑटोमेशन क्या है?

रोबोटिक्स एक ऐसी तकनीक है जिसमें स्वचालित मशीनें या रोबोट बनाए जाते हैं जो इंसानों की तरह कार्य कर सकते हैं या उन्हें सहयोग दे सकते हैं।
ऑटोमेशन का अर्थ है—किसी प्रक्रिया या मशीन को इस तरह से डिजाइन करना कि वह बिना मानवीय हस्तक्षेप के स्वयं कार्य करे।

दोनों तकनीकें एक-दूसरे की पूरक हैं और आधुनिक उद्योगों, चिकित्सा, कृषि, सुरक्षा, शिक्षा आदि में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।

2. भारत में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन का इतिहास और विकास

भारत में Robotics और ऑटोमेशन की शुरुआत 1980 के दशक में हुई जब कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों ने अपने उत्पादन में स्वचालित मशीनों का उपयोग करना शुरू किया। इसके बाद, धीरे-धीरे ऑटोमोबाइल, आईटी, और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में इसकी मांग बढ़ी।

महत्वपूर्ण पड़ाव:

  • 2000 के बाद, आईआईटी जैसे संस्थानों में रोबोटिक्स पर शोध प्रारंभ हुआ।
  • 2010 के बाद स्टार्टअप्स ने चिकित्सा, कृषि और शिक्षा में रोबोटिक्स का प्रयोग करना शुरू किया।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान, अस्पतालों में सेनेटाइजेशन और भोजन वितरण में रोबोट्स का उपयोग बढ़ा।

3. प्रमुख क्षेत्रों में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन का उपयोग

(i) उद्योग क्षेत्र:
स्वचालित रोबोट फैक्ट्रियों में असेंबली, वेल्डिंग, पैकेजिंग और गुणवत्ता जांच जैसे कार्य करते हैं। इससे उत्पादन में तेजी और सटीकता आती है।

(ii) कृषि:
स्मार्ट ट्रैक्टर्स, ड्रोन, और सेंसर आधारित मशीनों का प्रयोग फसल की बुआई, कीटनाशक छिड़काव और फसल की निगरानी के लिए हो रहा है।

(iii) चिकित्सा:
सर्जरी Robotics, दवा वितरण रोबोट, और पैथोलॉजी में ऑटोमेटेड सिस्टम्स अब अस्पतालों में आम हो रहे हैं।

(iv) रक्षा:
भारतीय सेना में बॉम्ब डिफ्यूजन, निगरानी, और सीमा सुरक्षा के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।

(v) शिक्षा:
रोबोटिक्स अब पाठ्यक्रम का हिस्सा बन चुका है। कई स्कूलों और कॉलेजों में रोबोटिक्स लैब स्थापित हो रही हैं।

(vi) घरेलू उपयोग:
वैक्यूम क्लीनर रोबोट, स्मार्ट किचन उपकरण आदि अब शहरी घरों में उपयोग में आ रहे हैं।

4. भारत में प्रमुख रोबोटिक्स स्टार्टअप्स और संस्थान

भारत में कई ऐसे स्टार्टअप्स और संस्थान हैं जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं:

Robotics and Automation in India
  • GreyOrange – लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस ऑटोमेशन में अग्रणी।
  • ASIMOV Robotics – हेल्थकेयर और एजुकेशन क्षेत्र के लिए रोबोट बनाती है।
  • Gridbots – रक्षा और परमाणु क्षेत्रों के लिए रोबोट्स विकसित करती है।
  • IITs, IISc, DRDO – अनुसंधान और नवाचार में अग्रणी।

5. रोबोटिक्स और ऑटोमेशन के लाभ

  • उत्पादकता में वृद्धि:
    कम समय में अधिक कार्य संभव होता है।
  • त्रुटि में कमी:
    इंसानी भूल की संभावना कम होती है।
  • खतरनाक कार्यों में सुरक्षा:
    खतरनाक और कठिन कार्यों में रोबोट्स का प्रयोग किया जा सकता है।
  • 24×7 काम करने की क्षमता:
    बिना थके, लगातार कार्य करना संभव।
  • मूल्य में कमी:
    लंबे समय में उत्पादन लागत में कमी आती है।

6. चुनौतियाँ और समस्याएँ

(i) बेरोजगारी:
कम पढ़े-लिखे और कुशल श्रमिकों के लिए नौकरियाँ कम हो सकती हैं।

(ii) उच्च लागत:
शुरुआती निवेश और रखरखाव में अधिक खर्च आता है।

(iii) तकनीकी ज्ञान की कमी:
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण की कमी है।

(iv) डेटा सुरक्षा:
ऑटोमेशन सिस्टम्स को साइबर अटैक से बचाना एक चुनौती है।

(v) नैतिक प्रश्न:
क्या Robotics को मानव जैसे अधिकार दिए जाएँ? ये विषय विचारणीय है।

7. सरकार की पहल

Blockchain Technology और इसके अनुप्रयोग: डिजिटल युग की क्रांति

भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं के तहत इस क्षेत्र में निवेश और नवाचार को बढ़ावा दिया है।

  • National Strategy on AI (NITI Aayog द्वारा):
    Robotics और ऑटोमेशन को प्राथमिकता में रखा गया है।
  • Skill India Mission:
    युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर इस क्षेत्र में सक्षम बनाया जा रहा है।
  • Production Linked Incentives (PLI) Scheme:
    हार्डवेयर निर्माण और तकनीकी स्टार्टअप्स को बढ़ावा।

8. भविष्य की संभावनाएँ

Robotics and Automation in India

आगामी दशकों में Robotics और ऑटोमेशन का उपयोग भारत के लगभग हर क्षेत्र में देखा जाएगा:

  • स्मार्ट सिटी निर्माण में: ट्रैफिक नियंत्रण, कचरा प्रबंधन में।
  • रिटेल सेक्टर में: सेल्फ-चेकआउट मशीनें, ग्राहक सहायता रोबोट्स।
  • शिक्षा में: वर्चुअल टीचर्स, कस्टमाइज्ड लर्निंग।
  • कृषि में: AI आधारित फसल अनुमान प्रणाली।
  • स्पेस रिसर्च में: ISRO पहले से ही ऑटोमेटेड सिस्टम्स का प्रयोग कर रहा है।

निष्कर्ष

भारत में Robotics और ऑटोमेशन एक क्रांति की तरह उभर रहे हैं। जहाँ एक ओर ये तकनीकें देश के औद्योगिक और आर्थिक विकास में सहायक हैं, वहीं दूसरी ओर ये सामाजिक संरचना और रोजगार प्रणाली को भी चुनौती दे रही हैं। सही नीति, प्रशिक्षण, और अनुसंधान के सहयोग से भारत इस तकनीकी परिवर्तन को एक सुनहरे भविष्य में बदल सकता है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

JD Vance और उनके परिवार ने अक्षरधाम मंदिर में आध्यात्मिक पड़ाव के साथ भारत की यात्रा शुरू की

0

भारत की अपनी चार दिवसीय यात्रा के पहले दिन, अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance ने अपनी पत्नी उषा वेंस और अपने तीन बच्चों के साथ नई दिल्ली में प्रतिष्ठित अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया। सांस्कृतिक महत्व से भरपूर यह यात्रा, सॉफ्ट डिप्लोमेसी के एक आकर्षक क्षण में बदल गई, क्योंकि वेंस के बच्चों ने फूलों की मालाओं के साथ जीवंत पारंपरिक भारतीय पोशाक पहनकर कार्यक्रम का लुत्फ़ उठाया।

यह भी पढ़े: अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance भारत पहुंचे, दिल्ली में आज पीएम मोदी से करेंगे मुलाकात

उपराष्ट्रपति ने मंदिर की अतिथि पुस्तिका में लिखा, “इस खूबसूरत जगह पर मेरा और मेरे परिवार का स्वागत करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। यह भारत के लिए बहुत बड़ा श्रेय है कि आपने बहुत ही सावधानी और सटीकता से एक सुंदर मंदिर का निर्माण किया। हमारे बच्चों को, विशेष रूप से, यह बहुत पसंद आया। भगवान भला करे।”

JD Vance ने अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया

JD Vance and his family begin their trip to India with a spiritual stop at Akshardham Temple

उपराष्ट्रपति JD Vance और उनके परिवार को मंदिर परिसर की जटिल नक्काशी और भव्यता की प्रशंसा करते हुए देखा गया। समूह ने मंदिर की अलंकृत पृष्ठभूमि के सामने तस्वीरें खिंचवाईं, जिसमें वेंस और उनकी भारतीय-अमेरिकी पत्नी उषा ने प्रार्थना की और आधिकारिक बैठकों से पहले एक संक्षिप्त आध्यात्मिक विराम लिया।

मंदिर के भव्य मुखौटे के बाहर परिवार ने कैमरा क्रू के लिए पोज दिए। मंदिर के एक पुजारी ने मीडिया को बताया, “उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया, जिसके बाद उन्होंने ‘दर्शन’ किए। परिवार को नक्काशीदार लकड़ी का हाथी, दिल्ली अक्षरधाम मंदिर का एक मॉडल और बच्चों की किताबें उपहार में दी गईं।”

मंदिर की स्वयंसेवक मीरा सोंडागर ने कहा कि उपराष्ट्रपति विशेष रूप से जटिल रूप से गढ़ी गई गजेंद्र पीठ से मोहित हो गए, जो हाथियों की नक्काशी से सजी एक पीठ है जो शक्ति और ज्ञान का प्रतीक है।

उन्होंने कहा, “उन्हें पूरा अक्षरधाम परिसर दिखाया गया और वे इस अनुभव से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें यहाँ शांति का एहसास हुआ।” मंदिर ने इस यात्रा के बारे में एक्स पर एक पोस्ट भी डाली।

JD Vance and his family begin their trip to India with a spiritual stop at Akshardham Temple

“अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance, द्वितीय महिला उषा वेंस और उनके बच्चों ने दिल्ली में स्वामीनारायण अक्षरधाम का दौरा किया, जो ‘भारत में उनका पहला पड़ाव’ था, जहाँ उन्होंने इसकी शानदार कला, वास्तुकला और आस्था, परिवार और सद्भाव के शाश्वत मूल्यों का अनुभव किया।”

इसमें कहा गया है, “वेंस परिवार ने मंदिर की शानदार कला और वास्तुकला का पता लगाया, भारत की विरासत और सांस्कृतिक गहराई का अनुभव किया और उन्होंने अक्षरधाम परिसर में निहित सद्भाव, पारिवारिक मूल्यों और शाश्वत ज्ञान के संदेशों की सराहना की।”

JD Vance का भारत आगमन दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के बीच हुआ है, क्योंकि अमेरिका जल्द ही व्यापार समझौता नहीं होने की स्थिति में भारतीय निर्यात पर टैरिफ को 10% से बढ़ाकर 26% करने पर विचार कर रहा है। यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों को फिर से मजबूत करने में महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है, खासकर तब जब वेंस आज बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की तैयारी कर रहे हैं।

व्हाइट हाउस के अनुसार, द्विपक्षीय वार्ता लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने और व्यापक रणनीतिक सहयोग पर केंद्रित होगी। वेंस की यात्रा राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों रूप से प्रतीकात्मक है, क्योंकि यह उषा वेंस के माध्यम से उनकी भारतीय विरासत को भी उजागर करती है और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को प्रदर्शित करती है।

JD Vance and his family begin their trip to India with a spiritual stop at Akshardham Temple

दिल्ली में रुकने के बाद, वेंस परिवार 22 अप्रैल को जयपुर और 23 अप्रैल को आगरा जाने वाला है, जहाँ उनसे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से जुड़ने की उम्मीद है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

भारत में Health Insurance: स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक सशक्त कदम

भारत में Health Insurance की प्रणाली, इसके महत्व, प्रकार, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाओं पर केंद्रित है। इसमें यह बताया गया है कि किस प्रकार Health Insurance आम नागरिकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है और गंभीर बीमारियों के इलाज में मदद करता है। साथ ही, सरकार की योजनाओं, निजी बीमा कंपनियों की भूमिका और बीमा कवरेज बढ़ाने के उपायों पर भी विस्तृत जानकारी दी गई है। यह लेख स्वास्थ्य जागरूकता और वित्तीय सुरक्षा को समझने में सहायक होगा।

भारत में स्वास्थ्य बीमा: आवश्यकता, प्रकार, योजनाएं और चुनौतियाँ

Health Insurance in India: Importance

Health Insurance भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत, बदलती जीवनशैली और गंभीर बीमारियों की बढ़ती संख्या के चलते स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) आज के समय में अत्यंत आवश्यक हो गया है। यह न केवल चिकित्सा खर्चों का वित्तीय सुरक्षा कवच प्रदान करता है, बल्कि एक सशक्त और आत्मनिर्भर समाज की भी नींव रखता है। इस लेख में हम स्वास्थ्य बीमा की अवधारणा, उसके प्रकार, प्रमुख सरकारी योजनाएं, फायदे, चुनौतियाँ और भारत में इसकी प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

1. स्वास्थ्य बीमा क्या है?

Health Insurance एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक व्यक्ति Health Insurance कंपनी को नियमित प्रीमियम का भुगतान करता है और बदले में, बीमा कंपनी उस व्यक्ति के चिकित्सा खर्चों को एक निश्चित सीमा तक वहन करती है। इसमें अस्पताल में भर्ती, ऑपरेशन, दवा, डायग्नोस्टिक टेस्ट आदि शामिल हो सकते हैं।

2. भारत में स्वास्थ्य बीमा की आवश्यकता

  • चिकित्सा लागत में लगातार वृद्धि
  • जीवनशैली संबंधी बीमारियों की बढ़ती दर
  • आकस्मिक दुर्घटनाओं की घटनाएं
  • स्वास्थ्य सेवा की असमान उपलब्धता
  • वित्तीय असुरक्षा से बचाव

3. स्वास्थ्य बीमा के प्रकार

  1. व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा (Individual Health Insurance)
    केवल एक व्यक्ति को कवर करता है, बीमा राशि भी एक ही व्यक्ति के लिए होती है।
  2. परिवार फ्लोटर योजना (Family Floater Plan)
    पूरे परिवार को एक ही पॉलिसी में कवर किया जाता है।
  3. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस (Group Health Insurance)
    कंपनियां अपने कर्मचारियों को यह बीमा देती हैं।
  4. सीनियर सिटिज़न हेल्थ इंश्योरेंस
    बुजुर्गों के लिए विशेष पॉलिसी जो 60 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए होती है।
  5. मास क्रिटिकल इलनेस प्लान (Critical Illness Plan)
    गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, किडनी फेल्योर, हार्ट अटैक आदि के लिए विशेष योजना।
  6. ऑपरेशन या सर्जरी आधारित बीमा योजनाएं
    खासतौर पर महंगे ऑपरेशनों को कवर करने वाली योजनाएं।

4. भारत सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजनाएं

  1. आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)
    • दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना
    • प्रत्येक लाभार्थी परिवार को ₹5 लाख तक का वार्षिक स्वास्थ्य कवर
    • गरीब और असहाय वर्ग को चिकित्सा सहायता
  2. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY)
    • बीपीएल परिवारों के लिए
    • कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा
  3. मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजनाएं (राज्यवार योजनाएं)
    • राज्य सरकारें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार चलाती हैं।
  4. ईएसआईसी योजना (Employees’ State Insurance Scheme)
    • संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए
    • स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ मातृत्व लाभ और बीमारी की छुट्टियाँ

5. स्वास्थ्य बीमा के लाभ

  • आपातकालीन चिकित्सा में वित्तीय राहत
  • टैक्स लाभ (धारा 80D के तहत)
  • कैशलेस इलाज की सुविधा
  • मानसिक और मनोवैज्ञानिक शांति
  • बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता

6. स्वास्थ्य बीमा लेने से पहले ध्यान देने योग्य बातें

  • पॉलिसी की कवरेज राशि
  • प्रीमियम राशि और भुगतान का तरीका
  • कैशलेस नेटवर्क हॉस्पिटल की सूची
  • पूर्व-बीमारी की स्थिति (Pre-existing diseases) का कवरेज
  • क्लेम प्रक्रिया की सरलता
  • प्रतीक्षा अवधि (Waiting period)
  • नवीनीकरण की अवधि

7. भारत में स्वास्थ्य बीमा से जुड़ी चुनौतियाँ

  • कम जागरूकता: ग्रामीण क्षेत्रों में Health Insurance के प्रति जागरूकता की कमी।
  • निम्न बीमा कवरेज: भारत की बड़ी जनसंख्या अब भी बिना बीमा के है।
  • जटिल क्लेम प्रक्रिया: कई बार क्लेम रिजेक्ट हो जाते हैं या प्रक्रिया कठिन होती है।
  • फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी: गलत जानकारी देकर क्लेम लेना और बीमा कंपनियों का मना करना।
  • सीमित नेटवर्क अस्पताल: कैशलेस सुविधा केवल चुनिंदा अस्पतालों में उपलब्ध।

8. कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य बीमा की भूमिका

Health Insurance in India: Importance
  • कोविड महामारी ने लोगों को Health Insurance की महत्ता समझाई।
  • कई नई योजनाएं सामने आईं, जैसे Corona Kavach और Corona Rakshak।
  • लोगों में स्वास्थ्य बीमा को लेकर भरोसा बढ़ा है।

9. स्वास्थ्य बीमा में प्रौद्योगिकी की भूमिका

भारत में Food Security: वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और समाधान

  • डिजिटल क्लेम प्रोसेसिंग
  • हेल्थ कार्ड की सुविधा
  • मोबाइल ऐप्स के माध्यम से नवीनीकरण और क्लेम ट्रैकिंग
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से फर्जी क्लेम की पहचान

10. भविष्य की संभावनाएं और सुधार के सुझाव

  • यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में कदम
  • बीमा पॉलिसियों का सरल और पारदर्शी स्वरूप
  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता अभियान
  • स्कूल और कॉलेज स्तर पर स्वास्थ्य बीमा की शिक्षा
  • टेलीमेडिसिन को स्वास्थ्य बीमा में शामिल करना

निष्कर्ष

भारत में Health Insurance न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का माध्यम है, बल्कि यह एक मजबूत स्वास्थ्य ढांचे की दिशा में एक अहम कदम भी है। सरकार और निजी कंपनियों के संयुक्त प्रयासों से इस क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं, लेकिन अभी भी दूरदराज़ के क्षेत्रों में इसकी पहुंच और जागरूकता की कमी है। आने वाले समय में Health Insurance की व्यापकता और उपयोगिता और भी अधिक बढ़ेगी, बशर्ते इसे सरल, पारदर्शी और जनसुलभ बनाया जाए।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Pope Francis का 88 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से ‘डबल निमोनिया’ से पीड़ित थे, जानें क्या है कारण

नई दिल्ली: वेटिकन ने सोमवार को कहा कि Pope Francis का लंबी बीमारी के बाद 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद, रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी नेता पोप 2013 में पोप बने। पोप के रूप में अपने बारह वर्षों के दौरान, पोप ने कई बीमारियों का अनुभव किया। कई चिकित्सा नियुक्तियों और उनके स्वास्थ्य के बारे में चिंताओं ने उनके पोपत्व के अंतिम महीनों की विशेषता बताई। फ्रांसिस लंबे समय से ‘डबल निमोनिया’ से पीड़ित थे।

यह भी पढ़े: Pope Francis के निधन पर पीएम मोदी की श्रद्धांजलि: “मानवता के लिए एक अपूरणीय क्षति”

Pope Francis ने जेमेली अस्पताल में लड़ी लंबी लड़ाई


14 फरवरी, 2025 को सांस की तकलीफ के कारण Pope Francis अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो डबल निमोनिया में बदल गया। उन्होंने वहां 38 दिन बिताए, जो उनके 12 साल के पोप पद का सबसे लंबा अस्पताल में भर्ती होना था। बीमारी ने कथित तौर पर उनके गुर्दे को प्रभावित करना शुरू कर दिया था, हाल के दिनों में गुर्दे की जटिलताओं के शुरुआती लक्षण सामने आए थे। हाल के महीनों में उनका स्वास्थ्य चिंता का विषय रहा है, और चर्च उनकी स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा था। Pope Francis को 2021 की शुरुआत में उसी सुविधा में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उन्होंने कोलन सर्जरी से उबरने के लिए 10 दिन बिताए थे।

डबल निमोनिया क्या है?

Pope Francis dies at the age of 88, was suffering from 'double pneumonia' for a long time, know what is the reason
Pope Francis का 88 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से ‘डबल निमोनिया’ से पीड़ित थे, जानें क्या है कारण

डबल निमोनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें दोनों फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं। यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण होता है। यह संक्रमण फेफड़ों की वायु थैली (एल्वियोली) को प्रभावित करता है, जो सूज जाती है और तरल पदार्थ से भर जाती है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। डबल निमोनिया साधारण निमोनिया से ज़्यादा ख़तरनाक होता है क्योंकि इससे फेफड़ों का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है, जिसका मतलब है कि व्यक्ति का शरीर ठीक से ऑक्सीजन नहीं ले पाता है।

डबल निमोनिया के कारण

डबल निमोनिया कई कारणों से हो सकता है, जिसमें मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से संक्रमण शामिल है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

बैक्टीरियल संक्रमण

बैक्टीरियल संक्रमण दो तरह के बैक्टीरिया के कारण निमोनिया का कारण बन सकता है। इनमें स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया शामिल हैं। माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया, जिसे “वॉकिंग न्यूमोनिया” भी कहा जाता है, हल्के लेकिन लंबे समय तक चलने वाले निमोनिया का कारण बनता है।

वायरल संक्रमण

इन्फ्लूएंजा वायरस और राइनोवायरस को डबल निमोनिया का कारण माना जाता है। इससे बुखार और फ्लू हो सकता है। इसके अलावा, कोरोनावायरस (जैसे COVID-19) भी डबल निमोनिया का कारण बन सकता है।

Pope Francis dies at the age of 88, was suffering from 'double pneumonia' for a long time, know what is the reason
Pope Francis का 88 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से ‘डबल निमोनिया’ से पीड़ित थे, जानें क्या है कारण

फंगल संक्रमण

कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में फंगल निमोनिया अधिक आम है। हिस्टोप्लाज्मा और कैंडिडा जैसे कवक भी निमोनिया का कारण बन सकते हैं।

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली

बुजुर्गों, बच्चों और गंभीर बीमारियों वाले लोगों में संक्रमण की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियाँ भी निमोनिया के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

धूम्रपान और प्रदूषण

धूम्रपान फेफड़ों को कमजोर करता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण में सांस लेने से फेफड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।

डबल निमोनिया के लक्षण

Pope Francis dies at the age of 88, was suffering from 'double pneumonia' for a long time, know what is the reason
Pope Francis का 88 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से ‘डबल निमोनिया’ से पीड़ित थे, जानें क्या है कारण

शरीर का तापमान अचानक बढ़ सकता है।
फेफड़ों में तरल पदार्थ भरने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
लगातार खांसी, जिसके साथ बलगम या खून भी आ सकता है।
सांस लेते या खांसते समय सीने में तेज दर्द महसूस होना।
शरीर बहुत जल्दी थक जाता है।

जब कोई व्यक्ति डबल निमोनिया से पीड़ित होता है, तो उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है। साथ ही, व्यक्ति को हर दिन सांस लेने में परेशानी होती है और ज्यादातर समय थका हुआ महसूस होता है। इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर किसी को इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
तेज ठंड लगना और पसीना आना।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Pope Francis के निधन पर पीएम मोदी की श्रद्धांजलि: “मानवता के लिए एक अपूरणीय क्षति”

0

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को Pope Francis के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसे वैश्विक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति बताया। अपने हार्दिक संदेश को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने दुनिया भर के कैथोलिकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और पोप के आजीवन सेवा, करुणा और आध्यात्मिक साहस के प्रति समर्पण को स्वीकार किया।

यह भी पढ़े: PM Modi 22-23 अप्रैल को करेंगे सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा

श्रद्धांजलि के एक बयान में, पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पोप फ्रांसिस ने कम उम्र से ही प्रभु मसीह की शिक्षाओं और आदर्शों के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि पीड़ा से जूझ रहे लोगों के लिए पोप फ्रांसिस आशा और लचीलेपन का प्रतीक बन गए।

पीएम मोदी ने कहा, “मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूं और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ हूं। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर की गोद में शाश्वत शांति मिले।” गौरतलब है कि पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में ईस्टर सोमवार को वेटिकन के कासा सांता मार्टा निवास पर निधन हो गया था।

Pope Francis के साथ पीएम मोदी की मुलाकातें

PM Modi pays tribute to Pope Francis on his demise: “An irreparable loss to humanity”

यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दो मौकों पर Pope Francis से मिलने का मौका मिला, जिससे भारत और वेटिकन के बीच संबंधों में गहराई देखने को मिली। इन मुलाकातों ने भारत को कैथोलिक चर्च के साथ उच्चतम स्तर पर जुड़ने का अवसर प्रदान किया। अपनी विनम्रता और प्रगतिशील विचारों के लिए जाने जाने वाले पोप फ्रांसिस ने दोनों मौकों पर पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनकी बातचीत में शांति, जलवायु कार्रवाई और वैश्विक एकजुटता के लिए आपसी प्रतिबद्धता झलकी।

पहली मुलाकात – वेटिकन सिटी, 30 अक्टूबर, 2021

पीएम मोदी और Pope Francis के बीच पहली मुलाकात अक्टूबर 2021 में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए इटली की यात्रा के दौरान हुई थी। वेटिकन सिटी के अपोस्टोलिक पैलेस में आयोजित 55 मिनट लंबी बैठक को गर्मजोशी और विचारशील बताया गया। दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी, वैश्विक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और गरीबी उन्मूलन सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का आधिकारिक निमंत्रण भी दिया था जिसे पोप ने विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर लिया। यह दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री और पोप के बीच पहली ऐसी बातचीत थी।

दूसरी बैठक – इटली में जी7 शिखर सम्मेलन, 14 जून, 2024

PM Modi pays tribute to Pope Francis on his demise: “An irreparable loss to humanity”

दूसरी बैठक इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा Pope Francis को गर्मजोशी से गले लगाने का दृश्य शिखर सम्मेलन के मुख्य आकर्षणों में से एक बन गया था। दोनों ने एक बार फिर वैश्विक शांति, स्थिरता और करुणा पर शब्दों का आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का निमंत्रण दोहराया और मानवता और पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए उनकी प्रशंसा व्यक्त की।

पोप फ्रांसिस-नरेंद्र मोदी की मुलाकातों का महत्व

इन मुलाकातों ने न केवल वैश्विक आध्यात्मिक नेतृत्व के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी को उजागर किया, बल्कि धार्मिक विविधता के प्रति सम्मान और वैश्विक मुद्दों के प्रति साझा जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। पीएम मोदी और Pope Francis के बीच संवादों को भारत-वेटिकन संबंधों में महत्वपूर्ण क्षण कहा जाता है, जो आपसी समझ और सार्वभौमिक भाईचारे की भावना पर आधारित है

Pope Francis कौन थे?

PM Modi pays tribute to Pope Francis on his demise: “An irreparable loss to humanity”

Pope Francis का जन्म 17 दिसंबर, 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के रूप में हुआ था। वे रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप और अमेरिका से आने वाले पहले पोप थे। उन्होंने मार्च 2013 में इतिहास रच दिया जब वे पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद चुने गए, न केवल पहले जेसुइट पोप बने बल्कि 1,200 से अधिक वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप भी बने।

अपनी विनम्रता, करुणा और प्रगतिशील सोच के लिए जाने जाने वाले पोप फ्रांसिस ने वेटिकन में सुधार और प्रासंगिकता की एक नई लहर लाई। उन्होंने जलवायु कार्रवाई, आर्थिक न्याय, अंतरधार्मिक संवाद और हाशिए पर पड़े समुदायों को शामिल करने जैसे मुद्दों की वकालत की। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत, वे अक्सर विलासिता से दूर रहते थे, साधारण आवासों में रहते थे और पद से ज़्यादा सेवा पर ज़ोर देते थे।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

भारत में Labor Rights: वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और सुधार की संभावनाएँ

“भारत में Labor Rights वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और सुधार की संभावनाएँ” विषय पर आधारित है। इसमें भारत में Labor Rights को प्राप्त कानूनी अधिकारों, उनके सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा उपायों, मजदूर संगठनों की भूमिका, और श्रमिक वर्ग की प्रमुख समस्याओं की विस्तृत चर्चा की गई है। साथ ही इसमें औद्योगिकीकरण, ठेका प्रणाली, न्यूनतम वेतन, बाल श्रम और असंगठित क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को भी शामिल किया गया है। अंत में Labor Rights की स्थिति सुधारने हेतु सरकारी प्रयासों, नीतियों और भविष्य की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है। यह लेख विद्यार्थियों, शोधार्थियों, नीति निर्माताओं और आम नागरिकों के लिए समान रूप से उपयोगी है।

भारत में श्रमिक अधिकार: स्थिति, चुनौतियाँ और सुधार की दिशा

Labor Rights in India: Current Scenario

Labor Rights भारत एक विकासशील देश है जहाँ श्रमिकों की आबादी करोड़ों में है। ये Labor Rights देश की आर्थिक नींव को मज़बूती प्रदान करते हैं। खेतों से लेकर फैक्ट्रियों तक, निर्माण कार्य से लेकर सेवा क्षेत्र तक, श्रमिकों की मेहनत देश की प्रगति का आधार है। लेकिन दुर्भाग्यवश, श्रमिक अधिकारों की स्थिति आज भी कई मायनों में चिंताजनक है।

श्रमिक अधिकार क्या हैं?

Labor Rights वे मूलभूत अधिकार हैं जो किसी भी कर्मचारी को उसकी नौकरी के दौरान सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल प्रदान करने के लिए दिए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • न्यायसंगत वेतन
  • सुरक्षित कार्यस्थल
  • काम के निश्चित घंटे
  • छुट्टियाँ और विश्राम
  • यौन उत्पीड़न से सुरक्षा
  • स्वास्थ्य सुविधाएँ और बीमा
  • यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार

भारत में श्रम कानूनों का इतिहास

भारत में Labor Rights के अधिकारों की रक्षा के लिए अनेक कानून बनाए गए हैं:

  • फैक्ट्री अधिनियम, 1948
  • मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936
  • न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948
  • बोनस अधिनियम, 1965
  • कामगार मुआवजा अधिनियम, 1923
  • मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961

इन कानूनों का उद्देश्य Labor Rights के जीवन को सुरक्षित, स्थिर और सम्मानजनक बनाना है।

भारत में श्रमिकों की स्थिति

भारत में दो प्रकार के श्रमिक होते हैं:

  1. संगठित क्षेत्र के श्रमिक:
    ये वे लोग हैं जो सरकारी या बड़ी निजी कंपनियों में काम करते हैं। इनके पास स्थायी नौकरी, बीमा, पेंशन, छुट्टियाँ आदि की सुविधाएँ होती हैं।
  2. असंगठित क्षेत्र के श्रमिक:
    इनमें घरेलू नौकर, निर्माण मजदूर, रिक्शा चालक, खेतिहर मजदूर आदि शामिल हैं। इनके पास न तो नियमित वेतन होता है, न ही किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, भारत के लगभग 93% श्रमिक असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं, जो किसी भी प्रकार की सुरक्षा या अधिकारों से वंचित रहते हैं।

प्रमुख चुनौतियाँ

Labor Rights in India: Current Scenario
  1. कम वेतन और शोषण
    Labor Rights न्यूनतम वेतन की अनदेखी आम बात है। कई बार श्रमिकों को काम के घंटे से ज्यादा समय तक काम करवाया जाता है लेकिन उसका भुगतान नहीं होता।
  2. सुरक्षा की कमी
    निर्माण स्थलों, खदानों, और कारखानों में कार्य करते समय श्रमिकों की सुरक्षा के उचित इंतज़ाम नहीं किए जाते। दुर्घटनाओं में हर साल सैकड़ों मज़दूरों की जान चली जाती है।
  3. बाल श्रम और बंधुआ मज़दूरी
    Labor Rights आज भी कई हिस्सों में बच्चों से श्रम करवाया जाता है और गरीब परिवारों को कर्ज के बदले बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर किया जाता है।
  4. यौन उत्पीड़न और भेदभाव
    Labor Rights महिला श्रमिक विशेष रूप से यौन उत्पीड़न, वेतन में असमानता और कार्यस्थल पर भेदभाव का सामना करती हैं।
  5. श्रम कानूनों का अनुपालन नहीं
    छोटे और मध्यम उद्यमों में श्रम कानूनों को लागू नहीं किया जाता। निरीक्षण और निगरानी की व्यवस्था कमजोर है।

कोविड-19 और श्रमिक संकट

कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के लाखों प्रवासी श्रमिकों को भारी संकट झेलना पड़ा। काम बंद हो गए, रोजगार चला गया और उन्हें सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर लौटना पड़ा। इसने सरकार को यह सोचने पर मजबूर किया कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कितनी आवश्यक है।

सरकारी प्रयास और योजनाएँ

भारत सरकार ने Labor Rights के कल्याण के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं:

  • ई-श्रम पोर्टल: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को रजिस्टर कर उन्हें पहचान और लाभ दिलाने के लिए।
  • प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना: असंगठित श्रमिकों के लिए पेंशन योजना।
  • आयुष्मान भारत योजना: स्वास्थ्य बीमा योजना जो गरीब श्रमिकों को इलाज की सुविधा देती है।
  • मनरेगा (MGNREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों को रोजगार की गारंटी देती है।

श्रम सुधार: नए श्रम संहिता (Labour Codes)

भारत सरकार ने श्रम कानूनों को सरल और एकीकृत करने के लिए चार नए श्रम संहिता बनाए हैं:

Bihar Board 2025: 10वीं का रिजल्ट आज होगा जारी, यहां देखें अपना परिणाम

  1. वेतन संहिता (Code on Wages)
  2. औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code)
  3. सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code)
  4. व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल संहिता (OSH Code)

इनका उद्देश्य कानूनों को सरल बनाना और निवेश को बढ़ावा देना है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे श्रमिक अधिकारों को कमज़ोर किया जा सकता है।

भविष्य की राह

  1. सभी श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  2. श्रमिकों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना।
  3. नियमित निगरानी और कानून का कड़ाई से पालन।
  4. यूनियनों को मज़बूत बनाना ताकि श्रमिक सामूहिक रूप से अपनी बात कह सकें।
  5. महिला श्रमिकों के लिए विशेष सुरक्षा और प्रोत्साहन योजनाएँ बनाना।

निष्कर्ष

भारत में श्रमिकों का योगदान देश की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी के समान है, लेकिन जब तक उन्हें उनके अधिकार नहीं मिलते, तब तक “विकास” अधूरा रहेगा। इसलिए यह आवश्यक है कि न केवल सरकार, बल्कि समाज का हर हिस्सा श्रमिकों के सम्मान, अधिकार और भविष्य की सुरक्षा को प्राथमिकता दे। एक सशक्त और सुरक्षित श्रमिक वर्ग ही आत्मनिर्भर भारत की नींव रख सकता है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

भारत में Water Conservation: वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और सतत समाधान

“भारत में Water Conservation” विषय पर आधारित है, जिसमें जल संकट की वर्तमान स्थिति, इसके मुख्य कारण, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, पारंपरिक एवं आधुनिक जल संरक्षण तकनीकों, सरकारी नीतियों और योजनाओं, साथ ही नागरिकों की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। लेख में यह भी बताया गया है कि कैसे जल संरक्षण हमारे पर्यावरण, कृषि, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।

भारत में जल संरक्षण: चुनौतियाँ, प्रयास और समाधान

Water Conservation in India: Current Situation

Water Conservation पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे आवश्यक तत्वों में से एक है। यह न केवल मानव जीवन के लिए, बल्कि समस्त पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी अनिवार्य है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जल संरक्षण का महत्व और भी बढ़ जाता है। कृषि, उद्योग, घरेलू उपयोग और ऊर्जा उत्पादन में जल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। किंतु जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन, प्रदूषण और असमान वितरण भारत को एक गंभीर जल संकट की ओर धकेल रहा है।

भारत में जल संकट की वर्तमान स्थिति

Water Conservation भारत में उपलब्ध ताजे पानी का 80% से अधिक भाग कृषि में उपयोग होता है। इसके अलावा, बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और औद्योगीकरण ने Water Conservation की मांग को अत्यधिक बढ़ा दिया है। कई क्षेत्रों में भूजल स्तर अत्यधिक नीचे चला गया है, और नदियाँ भी प्रदूषण से प्रभावित हो रही हैं।

  • नीति आयोग की रिपोर्ट (2018) के अनुसार, भारत की लगभग 600 मिलियन आबादी को तीव्र जल संकट का सामना करना पड़ता है।
  • 21 प्रमुख भारतीय शहर, जैसे दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, और चेन्नई 2030 तक भूजल से पूरी तरह खाली हो सकते हैं।

जल संकट के प्रमुख कारण

  1. भूजल का अत्यधिक दोहन
    Water Conservation खेती और पीने के पानी के लिए अंधाधुंध बोरिंग के कारण भूजल तेजी से समाप्त हो रहा है।
  2. असमान वर्षा वितरण
    मानसून पर निर्भरता अधिक होने के कारण बारिश के असमान वितरण से जल भंडारण प्रभावित होता है।
  3. जल प्रदूषण
    Water Conservation औद्योगिक अपशिष्ट, सीवेज और रासायनिक उर्वरकों के कारण जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं।
  4. असंतुलित शहरीकरण
    अनियोजित विकास और जल निकासी प्रणालियों की कमी से वर्षा जल बहकर नष्ट हो जाता है।
  5. जल संचयन की पारंपरिक प्रणालियों की उपेक्षा
    Water Conservation पुराने जल स्रोतों जैसे तालाब, बावड़ी, झीलें आदि उपेक्षित हो गए हैं।

भारत में जल संरक्षण के पारंपरिक

  1. बावड़ियाँ और कुएँ
    प्राचीन भारत में जल संचयन के लिए बावड़ियाँ और कुएँ बनाए जाते थे।
  2. झीलें और तालाब
    गांवों और नगरों में वर्षा जल को संग्रहीत करने के लिए तालाब बनाए जाते थे।
  3. घरों में वर्षा जल संग्रहण
    घर की छतों से वर्षा जल को एकत्र कर उपयोग में लाया जाता था।
  4. जलसंवेदनशील कृषि प्रणाली
    कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली फसलें और सिंचाई तकनीकों का प्रयोग किया जाता था।

आधुनिक जल संरक्षण उपाय

  1. वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)
    घरों, स्कूलों और सरकारी भवनों में वर्षा जल एकत्र कर भूजल पुनर्भरण किया जाता है।
  2. ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई
    आधुनिक सिंचाई प्रणालियाँ जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर, पानी की बचत करती हैं।
  3. वाटर रीसाइक्लिंग
    घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल को पुनः उपयोग योग्य बनाया जा सकता है।
  4. वनीकरण और हरियाली
    अधिक पेड़ लगाने से वर्षा बढ़ती है और जल संरक्षण में मदद मिलती है।
  5. जल नीति और योजनाएँ
    Water Conservation सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए योजनाएँ जैसे ‘जल शक्ति अभियान’, ‘अटल भूजल योजना’ चलाई जा रही हैं।

सरकारी प्रयास

  1. जल शक्ति अभियान
    वर्ष 2019 में शुरू किया गया यह अभियान जल संकट वाले जिलों में जल संरक्षण को बढ़ावा देता है।
  2. अटल भूजल योजना
    भूजल के सतत प्रबंधन हेतु केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई योजना।
  3. नमामि गंगे मिशन
    गंगा नदी के संरक्षण और सफाई हेतु एक बहुआयामी प्रयास।
  4. मनरेगा के तहत जल संरक्षण
    मनरेगा योजना के तहत जलाशयों का निर्माण, तालाब गहरीकरण, चेक डैम आदि कार्य किए जाते हैं।

भारत के प्रमुख जल संरक्षण नायक

Water Conservation in India: Current Situation
  1. राजेंद्र सिंह – ‘जलपुरुष’ के नाम से प्रसिद्ध, राजस्थान में जल संरक्षण के क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान है।
  2. अनिल अग्रवाल – पर्यावरण कार्यकर्ता और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के संस्थापक।
  3. साना फातिमा – हैदराबाद में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करने वाली युवा सामाजिक कार्यकर्ता।

समाज की भूमिका

  • जन जागरूकता
    Water Conservation के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना अति आवश्यक है।
  • विद्यालयों और कॉलेजों में जल शिक्षा
    विद्यार्थियों को जल संरक्षण की शिक्षा देना भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सामुदायिक भागीदारी
    गांवों और शहरों में सामूहिक रूप से जल स्रोतों की रक्षा करनी चाहिए।

चुनौतियाँ

JEE Main का दूसरा सत्र कल से शुरू होगा, अंतिम समय की टिप्स देखें

  • जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती जल मांग
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
  • वित्तीय संसाधनों की कमी
  • जल संरचनाओं की देखभाल का अभाव
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भिन्न समस्याएँ

भविष्य की रणनीतियाँ

  1. प्रौद्योगिकी का उपयोग
    सेंसर आधारित सिंचाई, GIS मैपिंग और AI आधारित जल प्रबंधन प्रणाली अपनाई जाए।
  2. एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM)
    एक ऐसा दृष्टिकोण जो सतही और भूजल को एक इकाई के रूप में देखता है।
  3. पानी के मूल्य निर्धारण
    पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए ‘पेयजल’ का मूल्य निर्धारण किया जा सकता है।
  4. वर्षा जल की अनिवार्यता
    भवन निर्माण की मंजूरी के साथ वर्षा जल संचयन अनिवार्य किया जाए।

निष्कर्ष

Water Conservation जीवन है और इसके संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी की है। भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या है, जिसे केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि जनसहयोग से ही सुलझाया जा सकता है। हमें पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का समावेश करते हुए जल संसाधनों का समुचित प्रबंधन करना होगा। यही भारत को जल संकट से बचाने का एकमात्र मार्ग है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance भारत पहुंचे, दिल्ली में आज पीएम मोदी से करेंगे मुलाकात

0

नई दिल्ली: संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति JD Vance 21 से 24 अप्रैल के बीच भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के लिए सोमवार को भारत पहुंचे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और अन्य अधिकारियों ने जेडी वेंस और उनके परिवार का उनके आगमन पर हवाई अड्डे पर स्वागत किया। वेंस और भारतीय मूल की दूसरी महिला उषा की यात्रा के मद्देनजर दिल्ली में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

PM Modi 22-23 अप्रैल को करेंगे सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा

अमेरिकी उपराष्ट्रपति, उनकी पत्नी उषा और उनके तीन बच्चे इवान, विवेक और मीराबेल चार दिवसीय भारत दौरे के लिए सुबह 10 बजे पालम एयरबेस पर उतरे। दिल्ली पहुंचने के कुछ घंटे बाद, वेंस और उनका परिवार स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर जाएंगे और उम्मीद है कि वे पारंपरिक भारतीय हस्तनिर्मित सामान बेचने वाले एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में भी जाएंगे।

तय कार्यक्रम के अनुसार, JD Vance सोमवार रात को दिल्ली से रवाना होंगे और उसके बाद जयपुर और आगरा जाएंगे।

दिल्ली में JD Vance का स्वागत करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

US Vice President JD Vance arrived in India, will meet PM Modi in Delhi today

सोमवार शाम 6:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस और उनके परिवार का स्वागत करेंगे। स्वागत के बाद औपचारिक द्विपक्षीय चर्चा होगी। सूत्रों के अनुसार, वार्ता का मुख्य एजेंडा प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द अंतिम रूप देने और समग्र भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने के लिए रास्ते तलाशना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा शामिल होंगे।

रात्रिभोज और जयपुर के लिए प्रस्थान

आधिकारिक वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी उपराष्ट्रपति वेंस, उनके परिवार और उनके साथ आए अमेरिकी अधिकारियों के लिए रात्रिभोज का आयोजन करेंगे। उसी रात वेंस जयपुर के लिए रवाना होंगे। दिल्ली प्रवास के दौरान वे आईटीसी मौर्या शेरेटन होटल में रुकेंगे।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance की पहली भारत यात्रा: पीएम मोदी से करेंगे मुलाकात

जयपुर की यात्रा – 22 अप्रैल

US Vice President JD Vance arrived in India, will meet PM Modi in Delhi today

22 अप्रैल को, वेंस परिवार यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, अंबर किला सहित कई ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेगा। दोपहर में, उपराष्ट्रपति वेंस जयपुर में राजस्थान अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में भाषण देंगे। इस संबोधन में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के तहत भारत-अमेरिका संबंधों के व्यापक पहलुओं को शामिल किए जाने की उम्मीद है। उपस्थित लोगों में राजनयिक, विदेश नीति विशेषज्ञ, भारतीय सरकारी अधिकारी और शैक्षणिक समुदाय के सदस्य शामिल होंगे।

आगरा की यात्रा – 23 अप्रैल

23 अप्रैल की सुबह, वेंस परिवार आगरा की यात्रा करेगा। उनके कार्यक्रम में ताजमहल और शिल्पग्राम की यात्राएँ शामिल हैं, जो एक ओपन-एयर एम्पोरियम है जहाँ पारंपरिक भारतीय हस्तशिल्प और कलाकृतियाँ प्रदर्शित की जाती हैं। वे उसी दिन बाद में जयपुर लौटेंगे।

संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान – 24 अप्रैल

US Vice President JD Vance arrived in India, will meet PM Modi in Delhi today

अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance और उनका परिवार 24 अप्रैल को जयपुर से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान करेंगे। जयपुर में अपने प्रवास के दौरान, उन्हें रामबाग पैलेस में ठहराया जाएगा, जो एक शानदार हेरिटेज होटल है, जो कभी शाही गेस्टहाउस के रूप में कार्य करता था।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

भारत में Food Security: वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और समाधान

भारत में Food Security की वर्तमान स्थिति, उससे जुड़ी प्रमुख समस्याएँ, सरकारी योजनाएँ, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, कृषि उत्पादन की चुनौतियाँ, पोषण से संबंधित पहलू और संभावित समाधान पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। लेख यह समझाने का प्रयास करता है कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में हर व्यक्ति तक पौष्टिक और सुरक्षित भोजन पहुंचाना क्यों आवश्यक है और इसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं।

सामग्री की तालिका

भारत में खाद्य सुरक्षा: स्थिति, चुनौतियाँ और समाधान

Food Security in India: Importance, Challenges

भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में “Food Security” एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। खाद्य सुरक्षा का तात्पर्य है कि सभी लोगों को हर समय पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो, जिससे वे एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकें। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में भी “भूखमुक्त दुनिया” की परिकल्पना की गई है। भारत में भले ही कृषि उत्पादन में भारी प्रगति हुई है, फिर भी लाखों लोग कुपोषण, भूख और Food Security के शिकार हैं।

खाद्य सुरक्षा का अर्थ और परिभाषा

Food Security की परिभाषा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा दी गई है:

इसमें चार मुख्य स्तंभ होते हैं:

  1. उपलब्धता (Availability)
  2. पहुँच (Access)
  3. उपयोग (Utilization)
  4. स्थिरता (Stability)

भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है। गेंहूं, चावल, दलहन, और सब्जियों का उत्पादन भरपूर मात्रा में होता है। फिर भी, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 में भारत का स्थान 111वां था, जो चिंता का विषय है।

  • लगभग 19 करोड़ लोग अब भी कुपोषण के शिकार हैं।
  • बाल कुपोषण, एनीमिया, और विटामिन की कमी भारत में आम समस्याएं हैं।
  • ग्रामीण और शहरी गरीब वर्ग के लोग खाद्य असुरक्षा से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

खाद्य सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियाँ

1. जनसंख्या वृद्धि

Food Security भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे भोजन की मांग भी बढ़ रही है। यह कृषि पर भारी दबाव डालती है।

2. गरीबी और बेरोजगारी

Food Security गरीबी के कारण कई परिवार खाद्य खरीदने में असमर्थ रहते हैं, जिससे उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।

3. खाद्य अपव्यय

Food Security भारत में हर साल लाखों टन खाद्यान्न बर्बाद हो जाते हैं। भंडारण की कमी, खराब ट्रांसपोर्टेशन और असंगठित आपूर्ति प्रणाली इसके मुख्य कारण हैं।

4. कृषि प्रणाली में असमानता

Food Security किसानों की आय कम है और उन्हें उचित मूल्य नहीं मिलता, जिससे वे खाद्यान्न उत्पादन में रुचि नहीं लेते।

5. प्राकृतिक आपदाएँ और जलवायु परिवर्तन

Food Security in India: Importance, Challenges

सूखा, बाढ़ और मौसम की अनिश्चितता कृषि उत्पादन को प्रभावित करते हैं।

सरकारी योजनाएँ और पहलें

1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

यह अधिनियम गरीब परिवारों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने हेतु बनाया गया है।

  • लगभग 81 करोड़ लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।
  • प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम अनाज मिलता है।

2. मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme)

इस योजना के अंतर्गत सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में बच्चों को पोषणयुक्त भोजन प्रदान किया जाता है।

3. आंगनवाड़ी सेवाएँ (ICDS)

गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पोषण सहायता प्रदान की जाती है।

4. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)

कोविड-19 काल में शुरू की गई इस योजना के तहत गरीबों को मुफ्त राशन दिया गया।

5. राष्ट्रीय पोषण मिशन

महिलाओं और बच्चों में पोषण स्तर सुधारने के उद्देश्य से यह मिशन कार्यरत है।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय

1. कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण

  • उच्च गुणवत्ता वाले बीज
  • माइक्रो-इरीगेशन तकनीक
  • कृषि यंत्रीकरण
  • जैविक खेती को बढ़ावा

2. भंडारण और वितरण प्रणाली में सुधार

Digital Literacy और शिक्षा: भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

  • वैज्ञानिक गोदाम
  • कोल्ड स्टोरेज की स्थापना
  • एफसीआई (Food Corporation of India) का आधुनिकीकरण

3. खाद्य अपव्यय की रोकथाम

  • खाद्य संग्रहण और प्रसंस्करण की आधुनिक तकनीकें अपनाना
  • सार्वजनिक जागरूकता अभियान

4. सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ

  • गरीबों को भोजन की सुलभता बढ़ाना
  • महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता

5. नवाचार और अनुसंधान

Food Security in India: Importance, Challenges
  • कृषि विज्ञान में नवाचार
  • खाद्य पोषण पर अनुसंधान
  • स्मार्ट एग्रीकल्चर (AI, IoT)

खाद्य सुरक्षा और सतत विकास लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र का SDG 2: Zero Hunger सीधे तौर पर खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है। भारत सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विविध योजनाओं और कार्यक्रमों पर काम कर रही है।

निष्कर्ष

भारत में Food Security की दिशा में काफी प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। सिर्फ खाद्यान्न की उपलब्धता ही पर्याप्त नहीं, बल्कि हर नागरिक को सुरक्षित, पौष्टिक और सुलभ भोजन की गारंटी मिलनी चाहिए। इसके लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और नागरिकों — सभी को मिलकर काम करना होगा।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Rahul Gandhi ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर ‘रोहित वेमुला एक्ट’ लागू करने का आग्रह किया

0

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता Rahul Gandhi ने कांग्रेस शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर रोहित वेमुला अधिनियम के क्रियान्वयन में तेजी लाने का आग्रह किया है। अपने पत्र में गांधी ने रोहित वेमुला की याद में श्रद्धांजलि के रूप में और हाशिए पर पड़े समुदायों के छात्रों के लिए न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के रूप में कानून बनाने के महत्व पर जोर दिया।

यह भी पढ़े: विदेश में भारत की आलोचना? Rahul Gandhi के बयान पर गरमाई सियासत

प्रस्तावित रोहित वेमुला अधिनियम का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव को रोकने तथा उपेक्षा या उत्पीड़न के मामलों में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करना है।

Rahul Gandhi को CM सिद्धारमैया का जवाब

Rahul Gandhi wrote a letter to the Chief Ministers of Congress-ruled states and urged them to implement the 'Rohit Vemula Act'

इससे पहले 19 अप्रैल को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने Rahul Gandhi को पत्र लिखकर बताया कि उन्होंने अपने कानूनी सलाहकार और टीम को रोहित वेमुला अधिनियम का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया है। यह कदम सिद्धारमैया द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद उठाया गया कि राज्य सरकार कर्नाटक में रोहित वेमुला अधिनियम को जल्द से जल्द लागू करने के अपने संकल्प पर अडिग है, इससे पहले गांधी ने उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने का आग्रह किया था कि शिक्षा प्रणाली में किसी को भी जाति-आधारित भेदभाव का सामना न करना पड़े।

सिद्धारमैया ने कांग्रेस नेता को लिखे पत्र में कहा, “आपके 16 अप्रैल 2025 के पत्र में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के साथ हुई घटना का जिक्र है, जैसा कि उन्होंने बताया है, यह आज भी एक दुखद वास्तविकता है। किसी भी बच्चे या वयस्क को बाबासाहेब द्वारा झेली गई शर्म और कलंक का सामना नहीं करना चाहिए।”

यह भी पढ़े: “Rahul Gandhi को बोलने का अधिकार है” – प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा को घेरा

उन्होंने आश्वासन दिया कि वह और उनकी सरकार समतावादी और समान समाज सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, “हमें दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए, ताकि शोषित वर्गों को हमारी शिक्षा प्रणाली में किसी भी तरह के भेदभाव का सामना न करना पड़े।

उन्होंने कहा कि मैंने अपने कानूनी सलाहकार और टीम को रोहित वेमुला अधिनियम का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया है। यह कानून शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य करेगा।”

रोहित वेमुला कौन था?

Rahul Gandhi wrote a letter to the Chief Ministers of Congress-ruled states and urged them to implement the 'Rohit Vemula Act'

रोहित वेमुला हैदराबाद विश्वविद्यालय में 26 वर्षीय दलित पीएचडी स्कॉलर थे, जिनकी जनवरी 2016 में आत्महत्या से दुखद मौत ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया था। अपने दिल दहला देने वाले सुसाइड नोट में, वेमुला ने शैक्षणिक स्थानों में अपने द्वारा सामना किए जाने वाले गहरे जाति-आधारित भेदभाव को उजागर किया, जिससे हाशिए के समुदायों के कई छात्रों को होने वाली कठोर वास्तविकताओं की ओर ध्यान आकर्षित हुआ। कांग्रेस पार्टी अब रोहित वेमुला अधिनियम के लिए जोर दे रही है, जो शैक्षणिक संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव को रोकने के उद्देश्य से प्रस्तावित कानून है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Kesari Chapter 2 Box Office Collection Day 3: अक्षय कुमार की फिल्म 30 करोड़ के पार पहुंची

नई दिल्ली: अक्षय कुमार की हालिया ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म Kesari Chapter 2 जिसमें आर माधवन और अनन्या पांडे भी हैं, ने अपनी रिलीज के बाद से बॉक्स ऑफिस पर लगातार सुधार दिखाया है। फिल्म ने अपने शुरुआती सप्ताहांत में सकारात्मक प्रदर्शन करते हुए तीसरे दिन दोहरे अंकों की कमाई हासिल की। ​​

Kesari Chapter 2: अक्षय कुमार और आर माधवन की फिल्म ने दूसरे दिन भी कमाई में बढ़त दर्ज की

रविवार को कलेक्शन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसमें फिल्म ने 12.25 करोड़ रुपये कमाए, जिससे इसका कुल भारत कलेक्शन 29.75 करोड़ रुपये हो गया। सैकनिल्क के अनुसार, फिल्म ने अपने पहले दो दिनों में 17.92 करोड़ रुपये जमा किए।

हालांकि ये संख्या अक्षय कुमार की पिछली रिलीज़ खेल खेल में और सरफिरा से आगे निकल गई, लेकिन वे जनवरी 2025 में रिलीज़ हुई उनकी स्काई फोर्स से काफी पीछे हैं, जिसने अपने शुरुआती तीन दिनों में 60 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी। मौजूदा रिलीज़ भी बड़े मियाँ छोटे मियाँ से पीछे है, हालाँकि इसने खेल खेल में और सरफिरा से बेहतर प्रदर्शन किया है।

Kesari Chapter 2 Box Office Collection Day 3: Akshay Kumar's film crosses 30 crores
Kesari Chapter 2 Box Office Collection Day 3: अक्षय कुमार की फिल्म 30 करोड़ के पार पहुंची

फिल्म ने अपनी पिछली फिल्म केसरी के प्रदर्शन की बराबरी नहीं की, जिसने अपने शुरुआती सप्ताहांत में 56.56 करोड़ रुपये कमाए थे।

रविवार को, फिल्म ने देशभर में 3,992 शो में 32.23% की कुल ऑक्यूपेंसी दर्ज की। चेन्नई ने 47 शो में 72.25% के साथ सबसे ज़्यादा ऑक्यूपेंसी दर्ज की, जबकि हैदराबाद ने 156 शो में 46.25% और बेंगलुरु ने 269 शो में 43.50% ऑक्यूपेंसी दर्ज की। मुंबई में 796 शो में 28.75% और दिल्ली-एनसीआर में 950 शो में 35.25% ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई।

Kesari Chapter 2 के बारे में

Kesari Chapter 2: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ जलियाँवाला बाग का निर्देशन करण सिंह त्यागी ने किया है और धर्मा प्रोडक्शंस, लियो मीडिया कलेक्टिव और केप ऑफ़ गुड फ़िल्म्स ने इसका निर्माण किया है। कलाकारों में आर माधवन, अनन्या पांडे, एलेक्स ओ’नेल और रेजिना कैसंड्रा महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।

कथित तौर पर 150 करोड़ रुपये के बजट पर बनी इस फिल्म में अक्षय कुमार ने दिग्गज वकील सी. शंकरन नायर की भूमिका निभाई है और यह जलियांवाला बाग हत्याकांड के पीछे की अनकही कहानी को उजागर करती है। अमृतसर में बैसाखी के त्यौहार के दौरान 13 अप्रैल, 1919 को घटी यह घटना भारत के औपनिवेशिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक मानी जाती है।

Kesari Chapter 2 Box Office Collection Day 3: Akshay Kumar's film crosses 30 crores
Kesari Chapter 2 Box Office Collection Day 3: अक्षय कुमार की फिल्म 30 करोड़ के पार पहुंची

हजारों लोग रौलट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने और नेताओं डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू की रिहाई की मांग करने के लिए जलियांवाला बाग में एकत्र हुए थे। ब्रिटिश अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने अपने सैनिकों को बिना किसी चेतावनी के निहत्थे भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दिया।

संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, 1,650 राउंड फायर किए गए, और गोला-बारूद खत्म होने पर ही गोलीबारी बंद हुई। जबकि ब्रिटिश रिकॉर्ड में 291 लोगों की मौत बताई गई है, भारतीय अनुमानों के अनुसार 500 से अधिक लोग हताहत हुए हैं।

Kesari Chapter 2, 2019 की फिल्म केसरी का अनुसरण करती है, जिसमें सारागढ़ी की लड़ाई को दर्शाया गया था, जहाँ ब्रिटिश भारतीय सेना के 21 सिख सैनिकों ने 10,000 पश्तून आदिवासियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। पहली फिल्म में परिणीति चोपड़ा ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Digital Divide और सामाजिक समानता: एक महत्वपूर्ण मुद्दा

Digital Divide और सामाजिक समानता इस विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए हम यह समझेंगे कि Digital Divide का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है और यह कैसे सामाजिक समानता को प्रभावित करता है। इस लेख में, हम Digital Divide के कारणों, इसके विभिन्न पहलुओं, और इससे संबंधित सामाजिक असमानताओं को विस्तार से देखेंगे। इसके साथ ही, हम यह भी चर्चा करेंगे कि इसे कैसे सुलझाया जा सकता है और इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए, हम Digital Divide और समावेशी डिजिटल नीतियों की आवश्यकता को उजागर करेंगे, ताकि हर व्यक्ति को समान अवसर मिल सकें। लेख में डिजिटल विभाजन को दूर करने के लिए की जाने वाली पहलों, सरकारी योजनाओं, और समाज में समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों को भी शामिल किया जाएगा।

डिजिटल विभाजन और सामाजिक समानता

Digital Divide and Social Equality

Digital Divide एक महत्वपूर्ण और बढ़ती हुई समस्या है जो समाज में तकनीकी असमानताओं को दर्शाती है। यह उस अंतर को संदर्भित करता है जो उन लोगों के बीच होता है जिनके पास इंटरनेट और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच है और वे जिनके पास ये संसाधन नहीं हैं। Digital Divide का प्रभाव विशेष रूप से सामाजिक समानता पर पड़ता है, क्योंकि इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और सामाजिक सहभागिता में अहम भूमिका निभाता है।

डिजिटल विभाजन क्या है?

Digital Divide का मतलब है तकनीकी संसाधनों की असमानता, जिसमें इंटरनेट, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, और अन्य डिजिटल उपकरणों की पहुंच सीमित होती है। यह विभाजन सिर्फ आर्थिक स्थिति, भौगोलिक स्थान, या शैक्षिक स्तर पर निर्भर नहीं होता, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे विभिन्न जातियों, धर्मों, लिंगों, और आयु समूहों के बीच डिजिटल संसाधनों की पहुंच अलग-अलग हो सकती है।

डिजिटल विभाजन के कारण:

आर्थिक असमानता: बहुत से लोग जो गरीब हैं, उनके पास स्मार्टफोन या कंप्यूटर जैसी आवश्यक तकनीकी उपकरणों की पहुंच नहीं होती। यह आर्थिक असमानता डिजिटल संसाधनों तक पहुंच में अंतर उत्पन्न करती है।

भौगोलिक असमानता: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या होती है, जिससे इन स्थानों पर रहने वाले लोग डिजिटल संसाधनों का उपयोग करने में असमर्थ होते हैं।

शिक्षा और जागरूकता की कमी: शिक्षा की कमी के कारण लोग इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते।

सामाजिक असमानताएँ: लिंग, जाति, या धर्म के आधार पर भी कुछ समूहों को डिजिटल दुनिया में समान अवसर नहीं मिलते।

    डिजिटल विभाजन के प्रभाव:

    Digital Divide and Social Equality

    शिक्षा पर प्रभाव: Digital Divide के कारण गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। महामारी के दौरान जब स्कूल बंद हुए, तब ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लिया गया, लेकिन जिनके पास इंटरनेट या स्मार्टफोन नहीं थे, उन्हें शिक्षा से वंचित रहना पड़ा।

    स्वास्थ्य पर प्रभाव: Digital Divide के कारण स्वास्थ्य सेवाओं का सही लाभ उन लोगों तक नहीं पहुंच पाता जो तकनीकी संसाधनों से वंचित हैं। टेलीमेडिसिन, हेल्थकेयर ऐप्स, और ऑनलाइन परामर्श जैसी सुविधाएं सिर्फ उन्हीं को मिल पाती हैं जिनके पास इंटरनेट कनेक्टिविटी है।

    सामाजिक और राजनीतिक असमानता: इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए लोग अपनी आवाज़ उठा सकते हैं, सामाजिक आंदोलनों में भाग ले सकते हैं, और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकते हैं। लेकिन जिनके पास इन प्लेटफार्मों तक पहुंच नहीं है, उनकी आवाज़ दब जाती है।

    आर्थिक असमानता: Digital Divide के कारण जो लोग ऑनलाइन नौकरियों, ई-कॉमर्स, और अन्य डिजिटल कार्यों में भाग नहीं ले पाते, वे आर्थिक रूप से पिछड़ जाते हैं।

      डिजिटल विभाजन और सामाजिक समानता:

      JEE Main का दूसरा सत्र कल से शुरू होगा, अंतिम समय की टिप्स देखें

      सामाजिक समानता का मतलब है सभी व्यक्तियों को समान अवसर और अधिकार मिलना। Digital Divide का सामाजिक समानता पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह व्यक्तियों को समान अवसरों से वंचित करता है। यदि किसी समुदाय को डिजिटल संसाधनों तक पहुंच नहीं मिलती, तो वे शैक्षिक, आर्थिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से पिछड़ सकते हैं।

      डिजिटल विभाजन को समाप्त करने के उपाय:

      इंटरनेट की सुलभता बढ़ाना: सरकारें और निजी कंपनियाँ इंटरनेट कनेक्टिविटी को सुलभ और सस्ता बना सकती हैं, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में।

      डिजिटल शिक्षा का विस्तार: स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है।

      सरकारी योजनाएँ और कार्यक्रम: सरकार को डिजिटल तकनीकी शिक्षा के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, ताकि लोग तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकें। जैसे डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इसका एक उदाहरण है।

      सामाजिक समावेशन: सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी वर्गों, जातियों, और लिंगों को समान डिजिटल अवसर मिलें। इसके लिए महिलाओं, दिव्यांगों और अन्य कमजोर वर्गों को विशेष प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए जा सकते हैं।

      Digital Divide and Social Equality

      साझेदारी और सहयोग: निजी कंपनियों, सरकारी संस्थाओं, और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग से Digital Divide को कम किया जा सकता है। यह साझेदारी डिजिटल शिक्षा, प्रशिक्षण, और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में मदद कर सकती है।

        निष्कर्ष:

        Digital Divide और सामाजिक समानता के मुद्दे पर हमें गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। यह केवल तकनीकी संसाधनों तक पहुंच का सवाल नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असमानता को समाप्त करने की दिशा में एक कदम है। यदि हम Digital Divide को समाप्त करने में सफल होते हैं, तो हम एक समान और न्यायपूर्ण समाज की ओर बढ़ सकते हैं, जहाँ सभी को समान अवसर मिल सकें।

        अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

        Sikandar Box Office Collection Day 22: सलमान खान की फिल्म की प्रोग्रेस रिपोर्ट

        नई दिल्ली: सलमान खान की फिल्म Sikandar बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पा रही है। सैकनिल्क के अनुसार, 22वें दिन एक्शन से भरपूर इस फिल्म ने ₹13 लाख की कमाई की। इसके साथ ही, एआर मुरुगादॉस निर्देशित इस फिल्म ने अब तक कुल ₹110.17 करोड़ कमा लिए हैं।

        Kesari Chapter 2: अक्षय कुमार और आर माधवन की फिल्म ने दूसरे दिन भी कमाई में बढ़त दर्ज की

        30 मार्च को रिलीज हुई सिकंदर सलमान खान और रश्मिका मंदाना के बीच पहली बार ऑन-स्क्रीन सहयोग है। फिल्म में सलमान संजय राजकोट की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि रश्मिका उनकी पत्नी सैसरी राजकोट की भूमिका में हैं।

        Sikandar Box Office Collection Day 22: Progress report of Salman Khan's film

        Sikandar फिल्म के बारे में

        Sikandar संजय राजकोट (सलमान खान द्वारा अभिनीत) की यात्रा पर आधारित है, जिसे प्यार से सिकंदर के नाम से जाना जाता है – एक दयालु और सम्मानित नेता जो अपनी पत्नी (रश्मिका मंदाना द्वारा अभिनीत) के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी रहा है। चीजें तब बदल जाती हैं जब एक व्यक्तिगत घटना सिकंदर को एक शक्तिशाली और भ्रष्ट मंत्री और उसके बिगड़ैल बेटे के साथ उलझा देती है।

        एक शांत जीवन के रूप में शुरू होने वाली यह कहानी जल्द ही सही के लिए लड़ाई में बदल जाती है, क्योंकि सिकंदर न्याय और अपने लोगों की भलाई के लिए खड़ा होता है। प्रमुख जोड़ी के अलावा, सिकंदर में काजल अग्रवाल, शरमन जोशी और प्रतीक बब्बर भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।

        Sikandar Box Office Collection Day 22: Progress report of Salman Khan's film

        अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

        Jalandhar में तेज रफ़्तार XUV 500 ने 3 साल के बच्चे को कुचला, मौके पर मौत

        Jalandhar के किशनपुरा चौंक पर आज सुबह एक सफेद XUV 500 कार ने एक 3 साल के बच्चे को कुचल दिया है। जिस के बाद मौके पर ही बच्चे की मौत हो गई। मृतक बच्चे की पहचान त्रिपुर के रूप में हुई।

        Jalandhar पुलिस ने परिवार को जल्दी ही आरोपी को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया

        3 year old child crushed by xuv car in jalandhar

        पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि वह आज बच्चे के मुंडन के लिए धार्मिक स्थल पर जा रहे थे। तभी एक तेज रफ़्तार XUV कार ने कुत्ते को कुचल दिया परिवार का ध्यान कुत्ते की तरफ गया। तभी बाद में उसी कार ने बच्चे को भी अपनी चपेट में ले लिया। जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। आरोपी मौके पर फरार हो गया है पर कार बरामद कर ली गई।

        Sambhal में बच्ची की संदिग्ध मौत से हड़कंप, क्लीनिक पर लापरवाही का आरोप

        गाड़ी का नंबर सी. सी. टी.वी मैं कैद हो गया। हादसे के बाद तुरंत ही इस बारे में पुलिस को सूचना दे दी गई और पुलिस ने परिवार को जल्दी ही आरोपी को गिरफ्तार करने का विश्वास दिलवाया है।

        Jalandhar से अभिषेक मोदी की रिपोर्ट

        अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

        Internet of Things (IoT) और स्मार्ट सिटी: शहरी विकास की नई दिशा

        “Internet of Things और स्मार्ट सिटी” के विषय पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। यह लेख इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) की अवधारणा, इसके कार्य करने के तरीके, और इसके स्मार्ट सिटी में अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। इसके माध्यम से, यह बताया जाएगा कि कैसे IoT तकनीक स्मार्ट सिटी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जैसे कि स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन, स्मार्ट स्वास्थ्य सेवाएं, स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा प्रबंधन, और नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने के लिए अन्य स्मार्ट समाधान।

        इसके अलावा, लेख में Internet of Thingsके स्मार्ट सिटी के भीतर विभिन्न पहलुओं जैसे डेटा संग्रहण, प्रसंस्करण, सुरक्षा, और इन तकनीकों के माध्यम से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। लेख का उद्देश्य पाठकों को इस नवाचार के महत्व, इसकी भूमिका, और इसके भविष्य के संभावित प्रभाव के बारे में जागरूक करना है। यह लेख IoT के तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को समझाने का प्रयास करेगा और भारत में स्मार्ट सिटी के निर्माण में Internet of Things की भूमिका पर भी विचार करेगा।

        इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और स्मार्ट सिटी

        Internet of Things (IoT) and Smart Cities

        Internet of Things और स्मार्ट सिटी की परिकल्पना, कार्यप्रणाली, लाभ, चुनौतियाँ तथा भारत में इसके विकास पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार IoT तकनीक के माध्यम से स्मार्ट शहरों का निर्माण हो रहा है और यह हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है 21वीं सदी तकनीकी क्रांति का युग है, जिसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) जैसी उन्नत तकनीकें हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं।

        शहरीकरण की तेज़ गति और संसाधनों की सीमितता को देखते हुए, स्मार्ट सिटी का विचार तेजी से उभर रहा है। यह केवल आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं बल्कि एक समग्र तकनीकी और सतत विकास की अवधारणा है, जिसमें Internet of Things की भूमिका बेहद अहम है।

        1. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) क्या है?

        इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एक ऐसा नेटवर्क है जिसमें भौतिक उपकरण, वाहन, होम एप्लायंसेज़ और अन्य वस्तुएँ इंटरनेट के माध्यम से डेटा एकत्र, साझा और विश्लेषण करती हैं। इन सभी डिवाइसेज़ में सेंसर, सॉफ़्टवेयर और अन्य तकनीकी घटक लगे होते हैं जो उन्हें “स्मार्ट” बनाते हैं।

        मुख्य तत्व:

        • सेंसर
        • कनेक्टिविटी (Wi-Fi, 4G/5G, ब्लूटूथ)
        • डेटा प्रोसेसिंग यूनिट
        • यूज़र इंटरफेस

        2. स्मार्ट सिटी क्या है?

        स्मार्ट सिटी वह अवधारणा है जिसमें शहर की बुनियादी सेवाओं जैसे यातायात, बिजली, पानी, कचरा प्रबंधन, सुरक्षा, स्वास्थ्य आदि को तकनीकी माध्यमों से संचालित और नियंत्रित किया जाता है। इसका लक्ष्य है – सतत विकास, कुशल प्रबंधन और नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में सुधार

        3. स्मार्ट सिटी में IoT की भूमिका

        (i) स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम:

        IoT आधारित ट्रैफिक कैमरा और सेंसर यातायात की स्थिति को मॉनिटर करते हैं। ट्रैफिक सिग्नल वास्तविक समय में प्रतिक्रिया देते हैं।

        (ii) स्मार्ट स्ट्रीट लाइट्स:

        स्वचालित रूप से जलने-बुझने वाली स्ट्रीट लाइटें बिजली की बचत करती हैं और आवश्यकतानुसार ही कार्य करती हैं।

        (iii) वायु गुणवत्ता निगरानी:

        IoT डिवाइस से वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाती है जिससे समय पर चेतावनी और समाधान संभव हो पाता है।

        (iv) स्मार्ट पार्किंग:

        जगह की उपलब्धता की जानकारी सीधे उपयोगकर्ता के स्मार्टफोन पर भेजी जाती है।

        (v) कचरा प्रबंधन:

        स्मार्ट डस्टबिन भरने पर सेंटर को सूचना भेजते हैं जिससे सफाई समय पर हो सके।

        4. IoT के लाभ

        • दैनिक जीवन में सुविधा: ट्रैफिक, स्वास्थ्य, और ऊर्जा का स्मार्ट प्रबंधन।
        • प्रदूषण में कमी: रीयल टाइम डेटा के ज़रिए त्वरित निर्णय।
        • ऊर्जा की बचत: स्मार्ट ग्रिड और स्मार्ट मीटरिंग से।
        • सुरक्षा में वृद्धि: निगरानी कैमरे और अलर्ट सिस्टम।

        5. भारत में IoT और स्मार्ट सिटी का विकास

        Internet of Things (IoT) and Smart Cities

        Digital Literacy और शिक्षा: भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

        भारत सरकार ने 2015 में “स्मार्ट सिटी मिशन” की शुरुआत की थी, जिसमें 100 शहरों को स्मार्ट बनाने का लक्ष्य रखा गया। इसमें IoT की भूमिका केंद्रीय रही है।

        प्रमुख शहर:

        • पुणे
        • भुवनेश्वर
        • अहमदाबाद
        • भोपाल
        • विशाखापट्टनम

        इन शहरों में डिजिटल ट्रैफिक सिस्टम, ई-गवर्नेंस, और स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट लागू किए गए हैं।

        6. चुनौतियाँ

        • डेटा सुरक्षा और गोपनीयता: बड़ी मात्रा में डेटा एकत्र किया जाता है, जिससे साइबर सुरक्षा खतरे में रहती है।
        • उच्च लागत: Internet of Things इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना महंगी होती है।
        • तकनीकी साक्षरता की कमी: ग्रामीण और बुजुर्ग आबादी को इस तकनीक से जोड़ना कठिन होता है।
        • इंटरऑपरेबिलिटी: विभिन्न उपकरणों और नेटवर्क्स के बीच तालमेल बनाना चुनौतीपूर्ण है।

        7. समाधान और सुझाव

        • साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देना।
        • डेटा प्रबंधन हेतु मजबूत नीति बनाना।
        • सार्वजनिक-निजी साझेदारी को बढ़ावा देना।
        • नागरिकों को डिजिटल रूप से शिक्षित करना।
        • स्थानीय जरूरतों के अनुसार तकनीक को अनुकूलित करना।

        8. भविष्य की संभावनाएँ

        आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), और 5G नेटवर्क जैसे नवाचारों के साथ मिलकर Internet of Things का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है। आने वाले समय में शहरी जीवन पहले से अधिक सुविधा जनक, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल हो जाएगा।

        निष्कर्ष

        Internet of Things और स्मार्ट सिटी की अवधारणा न केवल तकनीकी विकास को दर्शाती है बल्कि यह एक नई जीवनशैली की ओर संकेत करती है। भारत जैसे विविधतापूर्ण और जनसंख्या बहुल देश में इसका सफल कार्यान्वयन निश्चित ही शहरी समस्याओं का समाधान बन सकता है। ज़रूरत है तो बस समन्वित प्रयासों और दूरदर्शी नीति की।

        अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

        Mardaani 3: रानी मुखर्जी की फिल्म को मिली रिलीज डेट

        Mardaani 3: मर्दानी फ्रैंचाइज़ अपनी तीसरी किस्त के लिए तैयार है। रानी मुखर्जी शिवानी शिवाजी रॉय के रूप में अपनी प्रतिष्ठित भूमिका को फिर से निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हाल ही में, निर्माताओं ने फिल्म की रिलीज़ की तारीख की घोषणा की। ड्रम रोल, कृपया… मर्दानी 3 2026 में बड़े पर्दे पर आएगी।

        Piku: दीपिका पादुकोण, इरफान खान और अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म इस तारीख को फिर से रिलीज होगी

        रोमांचक घोषणा करने के लिए, फ्रैंचाइज़ी के पीछे के प्रोडक्शन हाउस यश राज फिल्म्स ने इंस्टाग्राम पर फिल्म से एक तस्वीर साझा की। कैप्शन में लिखा था, “Mardaani 3 के लिए उल्टी गिनती शुरू! होली पर, अच्छाई बुराई से लड़ेगी क्योंकि शिवानी शिवाजी रॉय 27 फरवरी, 2026 को बड़े पर्दे पर वापसी करेंगी।

        इससे पहले वाईआरएफ ने इंस्टाग्राम पर एक और पोस्टर शेयर किया था। इसमें फिल्म के शीर्षक के साथ निर्देशक अभिराज मीनावाला और निर्माता आदित्य चोपड़ा के नाम भी हैं। पोस्ट के साथ लिखा था, “इंतजार खत्म हुआ! रानी मुखर्जी मर्दानी 3 में उग्र शिवानी शिवाजी रॉय के रूप में वापस आ गई हैं। सिनेमाघरों में 2026 में।”

        Mardaani 3: Rani Mukerji's film gets a release date

        Mardaani 3 फिल्म की शूटिंग 2025 में शुरू होगी।

        रानी मुखर्जी के अनुसार, Mardaani 3 “डार्क, जानलेवा और क्रूर” होगी। अभिनेत्री ने साझा किया कि फिल्म की शूटिंग अप्रैल 2025 में शुरू होगी। रानी ने एक बयान में कहा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हम अप्रैल 2025 में ‘मर्दानी 3’ की शूटिंग शुरू कर रहे हैं। मुझे ‘Mardaani 3’ में फिर से साहसी पुलिस वाले का किरदार निभाने पर गर्व है, जो उन सभी गुमनाम, बहादुर, आत्म-बलिदान करने वाले पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि है, जो हमें सुरक्षित रखने के लिए हर दिन अथक परिश्रम करते हैं।”

        मर्दानी सीरीज़ की शुरुआत 2014 में इसके पहले भाग की रिलीज़ के साथ हुई थी। प्रदीप सरकार द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में रानी मुखर्जी मुख्य भूमिका में थीं, उनके साथ ताहिर राज भसीन, जीशु सेनगुप्ता और अनंत विधात शर्मा भी प्रमुख भूमिकाओं में थे। इस फिल्म ने कई पुरस्कार जीते, जिसमें फिल्मफेयर अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ साउंड डिजाइन, स्क्रीन अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ खलनायक (ताहिर राज भसीन द्वारा जीता गया) और स्टारडस्ट अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ थ्रिलर – एक्शन अभिनेत्री (रानी मुखर्जी द्वारा जीता गया) शामिल हैं।

        
Mardaani 3: Rani Mukerji's film gets a release date

        दूसरी किस्त, मर्दानी 2, 2019 में रिलीज़ हुई थी। गोपी पुथरन द्वारा लिखित और निर्देशित, इस फिल्म में रानी मुखर्जी ने शिवानी शिवाजी रॉय के रूप में वापसी की, जिसमें विशाल जेठवा, श्रुति बापना, विक्रम सिंह चौहान और राजेश शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। कथानक शिवानी के एक बलात्कारी और हत्यारे को पकड़ने के प्रयास पर केंद्रित था।

        अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें