New Delhi: नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) को करीब तीन महीने हो गए हैं। धीरे- धीरे मौसम में भी बदलाव होने लगा है। ठंड के बाद गर्मी से बचने के लिए किसानों ने अपनी ट्रालियों और टेंट में पंखे लगाना शुरू कर दिया है। लंगरों में अब चाय के स्थान पर मट्ठा मिलने लगा है। पंडालों को हवादार बनाने के लिए उन्हें दोनो और से खोला जा रहा है। इन तैयारियों को देखकर लगता है कि बदलते मौसम में भी आंदोलन (Farmers Protest) में रहने के लिए किसान पूरी तरह तैयार है।
गाजीपुर बॉर्डर पर किसान एकता मोर्चा के सदस्य बलजिंदर सिंह मान ने बताया कि प्रदर्शनस्थल पर गर्मी से बचने के सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। ठंड के चलते हर जगह से बंद किए गए पंडाल को खोला जा रहा है ताकि ताजी हवा लोगों को मिलती रहे और गर्मी से राहत मिल सके।
किसानों को हर समय ठंडा पानी मिलता रहे इसके लिए हर जत्थे में ठंडे पानी के जार और ठंडे पानी की बोतलें पहुंचाने की व्यवस्था शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि किसानों ने अपने ट्रैक्टर और ट्रालियों में लटकने वाले पंखे लगाना शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में किसान उनके पास कूलर और पंखों की मांग लेकर पहुंच रहे हैं।
पंखे और छोटे कूलर उपलब्ध करवाने के लिए सर्वे करना शुरू कर दिया हैं। सर्वे पूरा होने के बाद किसानों को पंखे और कूलर उनके जत्थों के लिए उपलब्ध करवाएंगे। मान ने कहा कि गांव से अब जो किसान आ रहे हैं वे अपने साथ पंखे, चटाई और खाने का सामान साथ लेकर आ रहे हैं। यह सभी तैयारी इसलिए कि जा रही है ताकि गर्मी के मौसम में कोई परेशानी न आए और आंदोलन (Farmers Protest) लंबा चल सके।
Mumbai: मुंबई में सोमवार को कोरोना (Corona) संक्रमितों के मौत की संख्या शून्य थी। लेकिन मंगलवार को आठ कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई और 643 नए संक्रमित मामले सामने आए।
राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को बीते 24 घंटे में 6,218 नए कोरोना (Corona) संक्रमित सामने आए। जबकि 5,861 मरीज स्वस्थ हुए। इस तरह सूबे में सक्रिय मरीजों की संख्या 53,401 हो गई है। वहीं, 2,79,288 लोग होम क्वारंटीन और 2484 लोग संस्थागत क्वारंटीन हैं।
आंकड़ों के अनुसार मुंबई महानगर क्षेत्र में 1250, नासिक मंडल में 692, पुणे मंडल में 1288, कोल्हापुर मंडल में 115, औरंगाबाद मंडल में 405, लातूर मंडल में 199, अकोला मंडल में 1392 और नागपुर मंडल में 877 सहित अन्य 85 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जिनका विभिन्न अस्पतालों में उपचार जारी है।
Disha Ravi News: अंधेरों की हजार परतें इंसाफ़ की हवा की दिशा नहीं रोक सकती हैं. सत्ता के दम पर 22 साल की एक लड़की को डराने का अहंकार आज एक फैसले की कापी में चूरचूर होकर बिखरा पड़ा है. सत्ता इससे सबक नहीं लेगी लेकिन पुलिस के अफसरों को लगा कर गोदी मीडिया की फौज खड़ी कर इस मुल्क, जिसका नाम भारत है, में एक 22 साल की लड़की को जिस तरह घेरा गया और उसका मुकाबला इस लड़की ने किया है वही दिशा है. सिर्फ उसका नाम दिशा नहीं है बल्कि वाकई वह दिशा है. जब उसने 20 फरवरी को भरी अदालत में कह दिया कि किसानों की बात करना गुनाह है तो वह जेल में रहना चाहेगी. जेल के इसी डर से गांधी ने भारत को आज़ाद कराया था. दिशा गांधी नहीं है न हो सकती है मगर जेल के डर से अपनी पीढ़ी के नौजवानों को आज़ाद करा रही है. गोदी मीडिया के सहारे विश्व गुरु बनने का सपना देखने वाला भारत आज की रात फैसले की कापी पढ़ेगा जिसे जज धर्मेंद्र राणा ने कलमबंद किया है कि गुरु बना जाता है इंसाफ़ से. न्याय से और सत्य के साथ खड़े होकर, न कि झूठ का बाज़ार बिछाकर. सरकार के मंत्री नहीं पढ़ेंगे, गोदी मीडिया के एंकर नहीं पढ़ेंगे लेकिन आप जनता, आप नागरिक जज धर्मेंद्र राणा की लिखी बातों को पढ़ेंगे. आज नहीं पढ़ेंगे, कोई बात नहीं लेकिन जब यही सत्ता आपकी बेटी को दिशा की तरह झूठे मुकदमे में फंसाएगी तब यह फैसला याद आएगा.
जज ने लिखा है कि विचारों में मतभेद, असहमति, विचारों में भिन्नता और यहां तक कि घोर आपत्ति राज्य की नीतियों में वस्तुनिष्ठता लाने के पहचाने हुए और विधिक औज़ार हैं. एक उदासीन और बेहद विनम्र जनता के मुकाबले जागरूक और मुखर जनता एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र का संकेत है.
भारत की 5000 साल पुरानी सभ्यता कभी भी अलग अलग विचारों की विरोधी नहीं रही. इस सिलसिले में फैसले में ऋग्वेद के एक श्लोक को भी उद्धृत किया गया जिसका अर्थ है हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों. सिर्फ़ मौखिक दावे के अलावा मेरे संज्ञान में ऐसा कोई सबूत नहीं लाया गया जो इस दावे की तस्दीक करता हो कि आरोपी या उनके कथित सह साज़िशकर्ताओं की शैतानी साज़िश के बाद किसी भी भारतीय दूतावास में किसी तरह की कोई हिंसा हुई हो.
किसानों को आतंकवादी कहना, किसानों के लिए आवाज़ उठाना आतंकवादी के साथ हो जाना यह कभी नहीं हुआ. किसानों को मिला यह अपमान तमाम चुनावों में हार जीत के बाद भी उनके सीने से चिपका रहेगा. वे भले धर्म के आधार पर बंट जाएं या जाति के आधार पर बिखर जाएं लेकिन उन्हें याद रखेगा कि गोदी मीडिया और सत्ता ने उन्हें आतंकवादी कहा था. जज राणा ने लिखा है कि सरकार की शान में गुस्ताखी पर किसी पर देशद्रोह के आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं. दिशा रवि को ज़मानत मिल गई है. बल्कि जेल में डालकर डराने के खेल को आज नई दिशा मिली है.
सत्ता के दलदल से निकली हर दलील उसी दलदल में जा फंसी है. सात दिनों तक जेल में रहकर दिशा ने उन सभी को आज दिशाहीन कर दिया जो उसे आतंकवादी साबित करने के जुनून में विवेकहीन हो चुके थे. यह इशारा है किसान आंदोलन का. वह कृषि कानूनों के विरोध से कहीं ज़्यादा सरकार और समाज के विवेक का इम्तिहान ले रहा है. किसी को फंसा देना कितना आसान हो गया था कभी पत्रकार, कभी फ़िल्मकार, जिसे मन है उसके खिलाफ गोदी मीडिया को लगा दो, उलूल जुलूल के आरोप गढ़ दो और जेल में पहुंचा दो. यह खेल खत्म नहीं होगा आगे भी जारी रहेगा लेकिन आज इस खेल का भांडा फूट गया है. किसानों के बहकाने के मंत्र का पता लगाने के खेल का भंडा. क्या किसानों को बहकाने के इन दो चार मंत्र को क्या टूल किट कहा जा सकता है? कई महीने से सरकार कृषि कानूनों के फायदे गिना रही है, प्रधानमंत्री कई भाषण दे चुके हैं, और उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ता समझ नहीं पाए कि किसानों को समझाना कैसे है? समझ नहीं रहे तो बहकाना कैसे है? सोमवार को गुरुग्राम में बीजेपी के चिन्तन शिविर में अध्यक्ष ओपी धनखड़ और मंच की तरफ मुखातिब होकर एक जिज्ञासु कार्यकर्ता ने यह कह दिया कि “माननीय अध्यक्ष जी आप वाली बात सही है कि समझाने से नहीं मानेंगे और ना ही समझाने की कोशिश करें, बहकाने पड़ेंगे. बहकाने के 2-4 मंत्र और दे दो, ताकि बहका सकें. इसकी वीडियो रिकार्डिंग कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर दी.
अब इस तरह के वीडियो सामने आएंगे कि किसानों को बहकाने के मंत्र दे दिए जाएं तो किसानों के लिए समझना और मुश्किल हो जाएगा. वे यही पता लगाते रहेंगे कि समझाने के नाम पर बहकाया जा रहा है या बहकाने के नाम पर समझाया जा रहा है. इस वीडियो से पता चलता है कि आम कार्यकर्ता खुद को कितना मुश्किल में पा रहा है. उसे भी बहकाने के टूलकिट की ज़रूरत है. किसान आंदोलन को बहकाने के कितने प्रयास हुए लेकिन बहकाया नहीं जा सका. ऐसा नहीं है कि किसान सचेत नहीं हैं. पश्चिम यूपी की तमाम महापंचायतों में 2013 के दंगों की बात हो रही है और अफसोस ज़ाहिर किया जा रहा है. इसी संदर्भ में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा था कि सभी किसान अपने घरों में बाबा साहब अम्बेडकर की फ़ोटो लगाएं और सभी मजदूर घरों में चौधरी छोटूराम के फोटो लगाएं.
19 फरवरी को हिसार के बरवाला में दलित सम्मेलन हूआ. इस सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा था कि उनकी लड़ाई सरकार से ही नहीं, पूंजीपतियों से है. सरकार जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर लड़वाती आई है, इन साज़िशों को समझना होगा.इन बयानों से लग रहा है कि किसान नेता उन सभी पहलुओं के बारे में सोच रहे हैं जिनसे किसी आंदोलन को खत्म कर दिया जाता है. बहकाने के इन तमाम मंत्रों की काट पहले से पेश कर रहे हैं. गुरनाम सिंह ने मज़दूरों से भी कहा था कि यह देश की आर्थिक आज़ादी बचाने का धर्म युद्ध है. वे भी किसान आंदोलन का साथ दें. 22 फरवरी को सोनीपत के खरखौदा ब्लाक में किसानों की पंचायत में सभी जाति के लोग शामिल हुए. इसका मतलब है कि किसान अपने आंदोलन को हर तरह से जोड़कर रखने के प्रयास में जुटे हैं. किसान आंदोलन में यह भी तय हुआ है कि 27 फरवरी को गुरु रविदास जयंती के मौके पर मज़दूर किसान एकता दिवस मनाया जाएगा. 27 फरवरी को शहीद चंद्रशेखर आज़ाद का शहादत दिवस भी है. इसका मतलब है कि किसान आंदोलन खुद को हर तरह से जोड़ जोड़ कर व्यापक बनाने में लगा हुआ है.
बहकाने के मंत्र से अच्छा होता सम्मान के साथ संवाद का मंत्र खोजा जाता और उसी पर यकीन रखा जाता. सरकार ने बातचीत का प्रस्ताव देकर लगता है कोशिशें छोड़ दी हैं और अपने सांसदों और कार्यकर्ताओं पर यह ज़िम्मेदारी डाल दी है कि वे गांवों में जाकर किसानों को समझाएं. जिस काम में बड़े बड़े नेता फेल हो गए हैं उस काम में कार्यकर्ताओं को पास होने के लिए भेजा जा रहा है. बीजेपी के नेता खाप के प्रधानों से मुलाकात कर रहे हैं.
रविवार को बीजेपी सांसद संजीव बलियान शामली गए. संजीव बलियान खाप के प्रधानों से मुलाकात कर रहे हैं. बुढ़ियान खाप के बाबा सचिन कालखंडे ने मिलने से इनकार कर दिया तो यहां इस गांव में बत्तीसा खाप के प्रधान से चौधरी बाबा सूरजमल से कृषि कानूनों पर बात करने. लेकिन यहां संजीव बलियान को भारी विरोध का सामना करना पड़ा.बीजेपी के विरोध में नारे लगाए गए. जब लोगों को पता चला कि मंत्री आने वाले हैं तो गांव के रास्ते को ट्रैक्टर ट्राली से जाम कर दिया. किसी तरह उन्हें हटाकर सांसदों का काफिला गांव में प्रवेश किया लेकिन बीजेपी के विरोध में नारे लगने लगे. नारेबाज़ी के दौरान संजीव बालियान और ग्रामीणों में नोंकझोंक भी हुई.
पश्चिम यूपी में बीजपी के नेताओं को लेकर नारेबाज़ी कोई दूसरा रूप न ले ले, इससे नुकसान किसान आंदोलन को ही होगा. उन पर हिंसा के आरोप लगेंगे. जैसा कि पहले भी हो चुका है. इस वक्त में जब पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन और महापंचायतों की सक्रियता उभार पर हो बीजेपी नेताओं के व्यक्तिगत मुलाकात जैसे कार्यक्रमों की चुनौतियां भी कम नहीं हैं. दूसरी तरफ यही किसान आंदोलन के लिए भी मुश्किल पैदा करेगा. सोमवार को मुजफ्फरनगर की बुढाना विधानसभा क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव सोरम में विरोध ने तनाव का रूप ले लिया.
भाजपा सांसद संजीव बलियान और उनका काफिला सोरम गांव में एक तेरहवीं में शामिल होने पहुंचा था. किसान पंचायतों में ऐलान हुआ है कि तेरहवीं में बीजेपी के नेताओं को नहीं बुलाया जाए. संजीव बलियान के आते ही किसान जय जवान जय किसान और भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाने लग गए. बस किसानों पर लाठी-डंडों से हमला हो गया. जिसमें छह सात किसान घायल हो गए. ग्रामीणों का आरोप है कि भाजपा सांसद संजीव बालियान के लोगों ने हमला किया जबकि संजीव बलियान ने ट्विट किया है कि लोकदल के नेताओं ने उनके साथ बदतमीजी की और गाली गलौज की जिस पर स्थानीय निवासियों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और वहां से भगा दिया. इसके बाद सोरम गांव में ऐतिहासिक चौपाल पर ग्रामीणों द्वारा पंचायत की गई. पंचायत के बाद ग्रामीण शाहपुर थाने पहुंच गए और संजीव बालियान के समर्थकों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर थाने का घेराव कर दिया.
आज पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह सोरम गांव गए. उनकी इस यात्रा को इस तरह प्रचारित किया गया कि 83 साल की उम्र में भी अजीत सिंह किसानों के बीच आ रहे हैं. उन्होंने ट्विट किया कि किसानों के साथ गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होगी. क्या पश्चिम यूपी में तनाव की संभावना तलाशी जा रही है? बेहतर है दोनों को एक दूसरे के रास्ते में नहीं आना चाहिए. कहीं ऐसा न हो एक दूसरे के विरोध करने के तरीके कुतर्क और तनाव में बदलते चले जाएं. शायद नरेश टिकैत इस बात को समझ रहे हैं. 22 तारीख को बुलंदशहर की महापंचायत में नरेश टिकैत ने कहा कि किसान गाज़ीपुर बार्डर पर जाना जारी रखें.
और आंदोलन को शांति पूर्ण तरीके से आगे बढ़ाएं. सरकार आंदोलन में हिंसा चाहती है और हिंसा की पूरी आशंका है. आंदोलन को सबसे पहले हिंसा कर दबाए जाने की कोशिश सरकार ने की. आगे भी ये कोशिश जारी रह सकती है. लेकिन आंदोलन में हिंसा नहीं होने देंगे.
आज सिंघु बॉर्डर पर पगड़ी संभाल दिवस मनाया गया है. शहीद भगत सिंह के परिवार के सदस्य इस मौके पर आमंत्रित किए गए थे. पगड़ी संभाल जट्टा.. इस गीत को आप जानते होंगे, पत्रकार लाला बांके दयाल ने इसकी रचना की है. 113 साल बाद यह गाना आज भी गूंज रहा है. 1907 में ब्रिटिश सरकार तीन किसान विरोधी कानून लेकर आई थी. दो कानून का संबंध राजस्व की वृद्धि से था और एक का ज़मीन अधिग्रहण से. बीबीसी हिन्दी में प्रो चमन लाल लिखते हैं कि अजीत सिंह ने इन कानूनों के विरोध में पंजाब में सभाएं करनी शुरू कर दीं. इन सभाओं में लाला लाजपत राय को बुलाया गया. इन सभाओं में भाषण देने के लिए अजीत सिंह पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था. आंदोलन इतना ज़ोर पकड़ा कि कानून रद्द करने पड़े. अजीत सिंह और लाला लाजपत राय को बर्मा की जेल में भेज दिया गया. लोकमान्य तिलक ने अजीत सिंह को किसानों का राजा कहकर एक ताज पहनाया था. उन्हीं की याद में आज के दिन को किसानों के आत्मसम्मान के रूप में मनाया गया. इस मौके पर शहीद भगत सिंह के परिवार से जुड़े अभय संधु, तेजी संधु, अनुस्प्रिया संधु और गुरजीत कौर को सम्मानित किया गया. किसान इस आंदोलन को उस आंदोलन से जोड़कर देख रहे हैं. ग्रामीण जीवन में पगड़ी इज़्ज़त का प्रतीक है. आज उसी पर हमला हो रहा है. सहजानंद सरस्वती 20वीं शताब्दी के बहुत बड़े किसान नेता थे. 22 फ़रवरी को उनका जन्मदिन था. आज उसे भी मनाया गया. किसानों से कहा गया कि वे अपनी अपनी पगड़ी पहनकर आएं जो उनके इलाके में पहनी जाती है.
किसान आंदोलन में सहजानंद सरस्वती को याद करना, सर छोटू राम को याद करना सामान्य घटना नहीं है. किसान आंदोलन को यह बात समझ आ गई है कि आंदोलन लंबा चलेगा. इसे कई उतार चढ़ाव से गुज़रना है इसलिए वे अपने प्रतीकों के चुनाव में काफी सावधानी बरत रहे हैं. उन प्रतीकों की स्थापना कर रहे हैं जिनका संबंध खेती किसानी से रहा है. ऐसा नहीं है कि सर छोटू राम को लोग भूल गए थे, बल्कि याद करने की औपचारिकता से निकालकर उन्हें वापस लोगों की स्मृतियों में स्थापित किया जा रहा है और आंदोलन का चेहरा बनाया जा रहा है. ज़िंदा किया जा रहा है.
अक्टूबर 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने रोहतक के सांपला गांव में दीनबंधु सर छोटू राम की प्रतिमा का अनावरण किया था. तब प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रधानमंत्री के बयानों को ट्विट करते हुए लिखा था कि चौधरी साहब ने किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम बनाया था. हमारी सरकार ने भी PM-AASHA शुरू किया है.
इसके तहत सरकार ने ये प्रबंध किया है कि अगर किसान को समर्थन मूल्य से कम कीमत बाज़ार में मिल रही है तो राज्य सरकार भरपाई कर सकें: PM
प्रधानमंत्री ने यही तो कहा न कि अगर किसान को समर्थन मूल्य से कम दाम मिलेगा तो राज्य सरकार भरपाई करे यानी प्रधानमंत्री भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी की बात कर रहे थे कि नहीं. यही तो आज किसान कह रहे हैं.
प्रियंका गांधी ने महापंचायत में कहा, “मेरे भाई राहुल गांधी ने शहीद किसानों के लिए मौन रखने के लिए कहा. सारा विपक्ष खड़ा हुआ पर सरकार का एक नेता नहीं खड़ा हुआ. ये अहंकारी और कायर प्रधानमंत्री भी है.ये पिछली सरकार को दोषी ठहराते हैं .शुक्र करिए कि पिछली सरकार ने कुछ बनाया था. आपने तो कुछ बनाया नहीं. जो पिछली सरकारों ने बनाया वो जनता के उद्योग इन्होंने बेच दिया. जब तक आप लड़ते रहेंगे तब तक मैं लड़ती रहूंगी भगवान श्री कृष्ण इस सरकार का अहंकार तोड़ेंगे इस सरकार का अहंकार हम तोड़ेंगे.”
इसके बाद प्रियंका गांधी ने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों की याद में दो मिनट का मौन रखा. मथुरा की महापंचायत में प्रियंका ने अपने भाषण में उन्हीं प्रतीकों चुना जिन प्रतीकों का चुनाव कभी या आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं. उनके ही प्रतीकों और तेवरों से प्रियंका गांधी ने घेरना शुरू किया. कहा कि ब्रज क्षेत्र की गौशालाओं का बुरा हाल है. गौवंश को न चारा मिल रहा है न पानी. सरकार ने गौशालाओं के नाम पर 200 करोड़ दिए, वो कहां गए. यहां 90 दिनों से किसान अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं. सरकार ने उनकी पिटाई की लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की. प्रियंका गांधी कृषि कानूनों के अलावा गन्ने के बकाया भुगतान और आलू किसानों को दाम न मिलने का मुद्दा भी उठा रही हैं. सरकार ने क़ानून बनाते वक्त किसी किसान से नहीं पूछा. ये कानून नोटों की खेती करने वाले ने बनाया है. ये क़ानून उन खरबपतियों के लिए बनाया गया है. आप अपने गोवर्धन पर्वत को संभाल कर रखिए कहीं वो न बेंच दें. इनके मित्रों के लाखों करोड़ों का क़र्ज़ माफ़ हुआ. किसान का एक रूपया नहीं माफ़ हुआ. आपकी सुनवाई नहीं हो रही. आपका मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है.
प्रियंका गांधी जब भाषण दे रही थीं तभी राष्ट्रीय स्वर्ण परिषद के लोगों ने राजस्थान सरकार के खिलाफ नारे लगाने शुरू किए. मामला था कि बलात्कार की शिकार एक पीड़िता को न्याय नहीं मिल रहा है. प्रियंका खुद उसे मंच पर ले आईं.
उधर हरियाणा के करनाल में जेल में बंद नौदीप कौर से मिलने आम आदमी पार्टी के विधायक हरपाल चीमा, सरबजीत कौर मनुके और नेता अनमोल गगन मान पहुंचे. कोरोना के कारण इन्हें मिलने नहीं दिया गया. आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि मार्च के महीने में पंजाब में किसान महा सम्मेलन करेगी. बाघा पुराना में एक महारैली होने जा रही है जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हिस्सा लेंगे. हरियाणा में कांग्रेस ने खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. पुड्डुचेरी में कांग्रेस विश्वास प्रस्ताव हार गई और सरकार चली गई. किसान आंदोलन जितना भी एकजुट दिखने की कोशिश करे उसका सामना अंतर्विरोधों से हो ही जाता है. आज पंजाब में इसका एक रूप दिखा. किले की घटना के मामले में दिल्ली पुलिस जिस लक्खा सिधाणा की तलाश कर रही है, जिस पर एक लाख का इनाम घोषित किया है वो आज पंजाब की एक रैली में दिखा.
बठिंडा के मेहराज में एक रैली बुलाई गई थी. मेहराज मुख्यमंत्री मेहराज कैप्टन अमरिंदर सिंह का पैतृक गांव भी है. इसी के करीब है लक्खा सिधाणा का गांव सिधाणा. किसान मोर्चा ने दीप सिद्धु और लक्खा सिधाणा से खुद को अलग कर लिया है लेकिन पंजाब में इन्हें काफी समर्थन है. मेहराज की इस रैली में सिधाणा ने मांग रखी है कि दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए लोगों को रिहा किया जाए. आज की इस रैली में नौजवानों की भीड़ देखी गई. इस रैली की घोषणा के बाद से बताया जा रहा था कि दिल्ली पुलिस ने अपनी रणनीति बना ली है ताकि सिधाणा को गिरफ़्तार किया जा सके. यहां तक कि पंजाब में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच स्पेशल सेल की टीम बठिंडा में डेरा डाले हुए है. इसके बावजूद लक्खा सिधाणा ने इस रैली में भाषण दिया उसके ज़िंदाबाद के नारे लगे और सारी तैयारी के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई. लक्खा केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को चेतावनी देता रहा. पर पुलिस जब गई थी तब गिरफ्तार क्यों नहीं किया? इसका जवाब आएगा भी नहीं. आता तो बेहतर रहता.
आज किसान आंदोलन को एक नई दिशा मिली है. किसान आंदोलन कह सकता है कि उसकी बात करने वाला अब आतंकवादी नहीं कहा जाएगा. इसके लिए बेंगलुरू की एक लड़की दिशा ए रवि ने कुर्बानी दी. भारत की आबो हवा की चिन्ता करने वाली इस लड़की ने सात दिनों तक बिना किसी गुनाह के सज़ा काटी है. व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के दम पर राजनीति करने वाले रिश्तेदार और समाज के लोग आज उस दिशा से नज़रें चुरा रहें होंगे.
Siker: किसान नेता (Farmer Leader) राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने मंगलवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस नहीं लिया तो इस बार आह्वान संसद घेरने (Parliament Gherao) का होगा और वहां चार लाख नहीं 40 लाख ट्रैक्टर जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने किसानों से तैयार रहने को कहा क्योंकि कभी भी दिल्ली जाने का आह्वान हो सकता है. टिकैत मंगलवार को राजस्थान के सीकर में संयुक्त किसान मोर्चा की किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ”कान खोल कर सुन ले दिल्ली, ये किसान भी वही हैं और ट्रैक्टर भी वही होंगे. अबकी बार आह्वान संसद का होगा. कहकर जाएंगे संसद पर. इस बार चार लाख नहीं 40 लाख ट्रैक्टर जाएंगे.”
Rakesh Tikait ने कहा कि किसान इंडिया गेट के पास के पार्कों में जुताई करेगा और फसल भी उगाएगा. साथ ही कहा कि संसद को घेरने के लिए तारीख संयुक्त मोर्चा तय करेगा. किसान नेता ने कहा, ”26 जनवरी की घटना के मामले में देश के किसानों को बदनाम करने की साजिश की गई… देश के किसानों को तिरंगे से प्यार है, लेकिन इस देश के नेताओं को नहीं.”
Rakesh Tikait ने कहा कि सरकार को किसानों की तरफ से खुली चुनौती है कि सरकार ने तीनों कृषि कानून (Farm Laws) वापस नहीं लिए और एमएसपी (MSP) लागू नहीं की तो बड़ी-बड़ी कंपनियों के गोदाम को ध्वस्त करने का काम भी देश का किसान करेगा. इसके लिए संयुक्त मोर्चा जल्द तारीख भी बताएगा.
महापंचायत को स्वराज आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम, किसान यूनियन के राष्ट्रीय महामंत्री चौधरी युद्धवीर सिंह सहित कई किसान नेताओं ने भी संबोधित किया. इससे पहले टिकैत ने चूरू जिले के सरदारशहर में भी किसानों की सभा को संबोधित किया.
Mathura: उत्तर प्रदेश के मथुरा (Uttar Pradesh’s Mathura) में किसान पंचायत के दौरान सोमवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने उस समय अपना भाषण बीच में रोक दिया जब एक रेप पीड़िता की मां ने न्याय की मांग करते हुए नारेबाजी की. यह महिला राजस्थान (Rajasthan) राज्य से है, जहां पर कांग्रेस पार्टी सत्ता में है. राजस्थान के भरतपुर में इस महिला की बेटी के साथ कथित तौर पर रेप हुआ था. भरतपुर, यूपी की सीमा से लगा हुआ है. यह महिला मथुरा में अपने रिश्तेदार के साथ रहती है और उसने प्रियंका के आने की बात सुनकर इस रैली में जाने का फैसला किया था.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) जब किसानों की रैली को संबोधित कर रही थीं, इसी दौरान महिला ने नारेबाजी करके उन्हें बीच में रोक दिया. प्रियंका ने इस महिला से बात की और उसे एक कोने में ले गईं. बाद में उन्होंने मौके से ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan CM Ashok Gehlot) को फोन लगाया और पीड़िता की मदद करने को कहा. जानकारी के अनुसार, गहलोत ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मीडिया सलाहकार (media advisor) ने इस घटना को लेकर ट्वीट करते हुए प्रियंका (Priyanka Gandhi Vadra) पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. शलभ मणि त्रिपाठी (Shalabh Mani Tripathi) ने ट्वीट में लिखा, ‘इन आंसुओं को न तो मीडिया और न ही प्रियंकाजी देख पाएंगी क्योंकि इस मां की निर्दोष बच्ची के साथ रेप राजस्थान में हुआ था और उसे प्रियंका की रैली के लिए यूपी आना पड़ा. राजस्थान में सबसे ज्यादा रेप होते हैं लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वहां नही जाते.’ गौरतलब है कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस समय यूपी में कांग्रेस का प्रभार संभाल रही है. वे राज्य का लगातार दौरा कर रही हैं और हाल के सप्ताहों में किसानों की रैली में भी शिरकत कर रही हैं.
Chandigarh: श्रम अधिकार कार्यकर्ता Nodeep Kaur ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) में दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि पिछले महीने सोनीपत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद पुलिस थाने में कई बार उन्हें बेरहमी से पीटा गया. पंजाब के मुक्तसर जिले की रहने वाली 23 वर्षीय कार्यकर्ता Nodeep Kaur ने यह भी दावा किया है कि उनकी चिकित्सकीय जांच भी नहीं करायी गयी जो आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 54 का उल्लंघन है.
Nodeep Kaur वर्तमान में हरियाणा के करनाल जेल में बंद हैं. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. अदालत मामले में अब 24 फरवरी को सुनवाई करेगी.
अपने वकील अर्शदीप सिंह चीमा और हरिंदर दीप सिंह बैंस के माध्यम से दायर जमानत याचिका में Nodeep Kaur ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या के प्रयास) समेत विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी में आरोपी बनाया गया.
अपनी याचिका में श्रम अधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि मामले में उन्हें ‘‘निशाना बनाया गया और गलत तरीके से फंसाया गया” क्योंकि वह केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए भारी समर्थन जुटाने में कामयाब रही थीं.
Nodeep Kaur मजदूर अधिकार संगठन (MAS) की सदस्य हैं. कौर ने बताया कि उन्होंने केंद्र के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में सोनीपत जिले के कुंडली में प्रदर्शन के लिए लोगों को एकत्रित किया. याचिका में आरोप लगाया गया कि किसानों के समर्थन में स्थानीय मजदूरों के जुटने से प्रशासन खफा था और प्रदर्शन को दबाने के लिए योजना बनायी गयी.
जमानत याचिका में कहा गया कि 12 जनवरी को याचिकाकर्ता और एमएएस (MAS) के सदस्यों ने कुछ मजदूरों के बकाया वेतन के भुगतान की मांग को लेकर एक फैक्टरी की ओर कूच किया. याचिका में उच्च न्यायालय को बताया गया कि उद्योगपतियों के संघ कुंडली औद्योगिक क्षेत्र द्वारा गठित एक समूह ने उनसे दुर्व्यवहार किया.
याचिका में दावा किया गया इसी बीच कुंडली पुलिस थाना के प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम वहां पहुंची और याचिकाकर्ता के बाल खींचकर घसीटते हुए उन्हें अपने साथ ले गयी. याचिका में कहा गया कि इससे प्रदर्शनकारी भड़क गये और जब पुलिस ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया तो स्थिति और खराब हो गयी. दोनों पक्षों के बीच संघर्ष हुआ, याचिकाकर्ता ने स्थिति को शांत कराने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
इसमें दावा किया गया कि पुलिस अधिकारियों ने सिर्फ याचिकाकर्ता Nodeep Kaur को गिरफ्तार किया. उन्हें पीटा गया, प्रताड़ित किया गया और उन्हें कई चोटें आयीं. याचिका में आरोप है कि किसी महिला पुलिसकर्मी की उपस्थिति के बिना ही उन्हें थाने में रखा गया और पुलिस अधिकारियों ने उनकी पिटाई की. हरियाणा पुलिस ने इससे पहले बताया था कि Nodeep Kaur को 12 जनवरी को सोनीपत में गिरफ्तार किया गया था. सोनीपत पुलिस के अधिकारियों ने यह भी कहा कि घटनास्थल पहुंचने पर पुलिस की टीम पर लाठी-डंडों से हमला किया गया और इस घटना में कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए.