spot_img
होम ब्लॉग पेज 1691

Priya Prakash Varrier का लेटेस्ट फोटोशूट हुआ वायरल

priya prakash

प्रिया प्रकाश वारियर का दिखा शानदार अंदाज. प्रिया प्रकाश वारियर (Priya Prakash Varrier) का लेटेस्ट फोटोशूट हुआ वायरल.

नई दिल्ली:

दीवाली जल्द ही आने वाली है और कोरोना काल में भी दीवाली (Diwali 2020) को लेकर उत्साह सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है. लेकिन अगर कोई दीवाली के दीयों के इस मौसम में रंगों से खेले तो थोड़ा अजीब लगेगा. एक्ट्रेस प्रिया प्रकाश वारियर ने कुछ ऐसा ही किया है. प्रिया प्रकाश वारियर (Priya Prakash Varrier) ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर कुछ फोटो शेयर की हैं जिसमें वह दीवाली (Diwali) के इस मौसम में रंगों के साथ खेलती नजर आ रही हैं. उनकी यह फोटो खूब देखी जा रही है.

प्रिया प्रकाश वारियर (Priya Prakash Varrier) का यह लेटेस्ट फोटोशूट है जो उन्होंने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट से शेयर किया है. इस फोटोशूट में वह रंगों के साथ खेल रही हैं. एक फोटो में जहां वह पीले रंगे के साथ खेल रही हैं तो दूसरे में उनके साथ दूसरे मॉडल भी नजर आ रहे हैं. इस तरह उनकी इन फोटो को जमकर पसंद किया जा रहा है.

बता दें कि प्रिया प्रकाश वारियर (Priya Prakash Varrier) के आंख के इशारे वाले एक वीडियो ने उन्हें देशभर में लोकप्रियता दिला दी थी. प्रिया प्रकाश वारियर ‘ओरू अदार लव’ में नजर आई थीं. प्रिया प्रकाश वारियर की अगली फिल्म ‘श्रीदेवी बंगलो’ है. प्रिया इंस्टाग्राम पर खूब पॉपुलर हैं उनकी जबरदस्त फॉलोइंग भी है.

“घुस के मारा”: पाकिस्तान के मंत्री ने पुलवामा हमले पर किया दावा फिर बयान से पलटे

0

pulwama terror attack

Pulwama attack : सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में 40 जवान मारे गए थे

इस्लामाबाद:

पुलवामा हमले (Pulwama Terror attack) में पाकिस्तानी एजेंसियों की संलिप्तता का एक और सबूत सामने आया है. पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने संसद में बयान के दौरान दावा किया कि पुलवामा हमले में हमने हिन्दुस्तान में घुसकर मारा, लेकिन जब उनके इस बयान पर विवाद हुआ तो उन्होंने इसे नए तरीके से पेश कर जान बचाने की कोशिश की.

चौधरी ने नेशनल असेंबली में कहा, ” हमने हिन्दुस्तान को घुसके मारा, पुलवामा इमरान खान की अगुवाई में हमारी अवाम की कामयाबी थी. हम सब आप इस कामयाबी में शरीक थे. ” पाकिस्तान के मंत्री की ओर से यह सनसनीखेज कबूलनाम ऐसे वक्त आय़ा जब विपक्ष के नेता अयाज सादिक ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच एक तनावपूर्ण बैठक का खुलासा किया था. यह बैठक नियंत्रण रेखा के पास भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के बीच आसमान में आमने-सामने आने के बीच हुई थी.

इससे सीमापार आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की कलई एक बार फिर खुल गई है. पुलवामा हमले में 40 भारतीय जवानों की मौत हो गई थी.असेंबली में फवाद चौधरी के बयान पर बवाल होते ही मंत्री अपना बचाव करने की कोशिश करते नजर आए. चौधरी ने सुधार कर कहा, ” पुलवामा के वाकये के बाद जब हमने इंडिया को घुस के मारा.”

पाक सेना प्रमुख के पैर कांपने लगे थे

यह बैठक नियंत्रण रेखा के पास भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के बीच आसमान में आमने-सामने आने के बीच हुई थी. कुरैशी ने चीफ ऑफ स्टाफ जनरल कमर जावेद बाजवा से कहा था कि अगर पाकिस्तान पायलट अभिनंदन वर्धमान को नहीं छोड़ता है तो भारत रात नौ बजे तक उनके देश पर हमला कर देगा. पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान का पीछा करने के दौरान अभिनंदन का मिग-21 विमान क्रैश होकर गया था. हालांकि अभिनंदन पैराशूट के जरिये सकुशल उतर गए, लेकिन वह एलओसी के दूसरी ओर पहुंच गए और पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें बंदी बना लिया था.

पुलवामा हमले के बाद बालाकोट स्ट्राइक हुई थी

दोनों पक्षों के बीच यह टकराव भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट (Balakot) में जैश ए मोहम्मद के एक ठिकाने को नेस्तनाबूद करने के बाद छिड़ा था. भारत ने 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा हुए हमले के जवाब में यह एयर स्ट्राइक की थी.सादिक ने कहा था, “मुझे याद है कि शाह महमूद कुरैशी उस बैठक में थे, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शरीक होने से मना कर दिया था. चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल बाजवा उस वक्त कमरे में आए. उनके पैर कांप रहे थे औऱ आवाज लड़खड़ा रही थी. विदेश मंत्री ने कहा था कि अल्लाह की खातिर अभिनंदन को जाने दो. भारत रात नौ बजे तक हमला करने वाला है.”

बिहार चुनाव: उमड़ती भीड़ ने बढ़ाई कोरोना और सुरक्षा को लेकर चिंता.

0

bihar election helicopter

तेजस्‍वी के हेलीकॉप्‍टर के पास पहुंच रही लोगों की भीड़, सोशल डिस्‍टेसिंग के नियमों का हो रहा उल्‍लंघन. आरजेडी ने अभियान को प्रभावित करने काप्रयासबताया

Bihar Assembly Elections 2020: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार के दौरान महागठबंधन के सीएम पद के प्रत्‍याशी तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) के हेलीकॉप्‍टर के पास उमड़ रही भीड़ ने राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए सुरक्षा और कोविड-19 को लेकर चिंता बढ़ा दी. सोशल मीडिया पर आए विजुअल्‍स में युवाओं की भारी भीड़ को तेजस्‍वी के हेलीकॉप्‍टर की ओर बढ़ते देखा जा सकता है. इस दौरान कोरोना वायरस महामारी के चलते सोशल डिस्‍टेंसिग की गाइडलाइंस का साफ उल्‍लंघन होते दिखा. लोगों ने न तो एक-दूसरे से दूरी बना रखी थी और न ही वे उनमें से ज्‍यादातर ने मास्‍क पहने हुए थे.आरजेडी के राष्‍ट्रीय सलाहकार संजय यादव ने इसे सुरक्षा उल्‍लंघन का उनके चुनाव अभियान को प्रभावित करने का ‘इरादतन प्रयास’ करार दिया. उन्‍होंने कहा, हालांकि पूर्व उप मुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी को Y प्‍लस श्रेणी की सुरक्षा हासिल है लेकिन राज्‍य सरकार ने इस मामले में कुछ भी नहीं किया है.

तेजस्‍वी यादव और पायलट को बार-बार भीड़ से हटने का अनुरोध करना पड़ता है. लगातार अनुरोध (चुनाव आयोग) के बावजूद स्थिति जस की जस है. ऐसा लगता है कि यह अभियान को प्रभावित करने का इरादतन प्रयास है, इसके उनके लिए खतरा हो सकता है.’ आरजेडी के वरिष्‍ठ नेता मनोज ने चुनाव आयोग को अपनी शिकायत में कहा था कि आरजेडी नेता की बैठकों के लिए पर्याप्‍त सुरक्षा व्‍यवस्‍था न होने से असामाजिक तत्‍व परेशानी खड़ी कर सकते हैं.

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने कोविड-19 के खतरे के मददेनजर प्रचार और वोटिंग के दौरान गाइडलाइंस की घोषणा की है लेकिन बिहार में चुनावी रैलियों के दौरान इसका पालन होता नजर नहीं आ रहा है. तेजस्‍वी यादव की रैली के दौरान भारी भीड़ उमड़ती देखी गई है लेकिन बहुत कम लोग मास्‍क पहने और सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करते दिखे हैं.

महिलाओं के लिए जानलेवा है ब्रैस्ट कैंसर, जानिये इसके लक्षण और इलाज

भारत में महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसरों में ब्रैस्ट कैंसर महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण है. सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर की महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. बता दें कि, स्तनों में गांठ महसूस होना या निप्पल से किसी तरह का रिसाव होना स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं. कैंसर अगर स्टेज 3-4 में पहुँच जाए तो इलाज के तौर पर अंतिम विकल्प सर्जरी ही बचता है. इतना ही नहीं, कई बार परिस्थिति ज़्यादा बिगड़ने पर मौत का खतरा भी रहता है. लेकिन अगर सही समय पर स्तन कैंसर की पहचान कर ली जाए और इसका इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है. इसलिए आइये आपको बताते हैं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और इलाज के बारें में.

1. ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण


अक्सर महिलाएं ब्रैस्ट में उठने वाले दर्द को नज़रंदाज़ कर लापरवाही बरतती हैं. जबकि यह दर्द कोई सामान्य दर्द नहीं बल्कि स्तन में मौजूद गांठ की वजह से उठने वाला दर्द है. ऐसा नहीं है कि हर बार गांठ में सामान्य रूप से दर्द हो, कई बार केवल छूने पर ही इस दर्द को महसूस किया जा सकता है. इसलिए अगर आपको आपके ब्रेस्ट में दर्द या गांठ महसूस हो तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें. बता दें कि, स्तनों में पड़ने वाली गांठ का पता लगाने के लिए मेमोग्राफी की जाती है. मैमोग्राफी से ही ब्रैस्ट कैंसर का भी पता लगाया जा सकता है और मेमोग्राफी कराने में ज्य़ादा पैसे भी नहीं लगते. विशेषज्ञों का मानना है कि 30 से 35 साल की महिला को एक बार मेमोग्राफी ज़रूर करानी चाहिए. ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं
ब्रेस्ट में गांठ होना
समय के साथ स्तन का आकार बढ़ना
ब्रेस्ट का असामान्य तरीके से बढ़ना
स्तनों के बगल में सूजन आना
निप्पल का लाल पड़ना या उनसे खून आना
स्तन में कोई उभार या असामान्य मोटाई लगना

2. जांच इलाज


यह आवश्यक है कि 30 साल की उम्र से प्रत्येक महिला माहवारी के बाद अपने स्तनों और इसके इर्दगिर्द होने वाले बदलावों की स्वयं जांच करे. इसके अलावा, 40 साल की उम्र से प्रत्येक महिला को साल में एक बार महिला रोग विशेषज्ञ से अपनी जांच कराकर उनके परामर्श से स्तनों का एक्सरे या मैमोग्राफी कराना चाहिए. इस एक्सरे को मैमोग्राम कहते हैं. मैमोग्राम के ज़रिये छोटे से छोटे कैंसरग्रस्त भाग का पता लगाया जा सकता है. इस स्थिति में कैंसर के इलाज में पूरे स्तन को निकालने की ज़रूरत नहीं पड़ती. इस अवस्था में पता चलने वाले स्तन कैंसर के रोगियों का 90 से 95 प्रतिशत तक सफल इलाज हो सकता है. ऑपरेशन के ज़रिये पूरे स्तन को निकालने की स्थिति केवल और केवल एडवांस्ड स्टेज में ही आती है. एक डाटा के मुताबिक़, महानगरों शहरों में रहने वाली औरतों में स्तन कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं. इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि 40 की उम्र के बाद महिलाएं हर महीने अपने ब्रैस्ट की खुद जांच करें और कुछ भी गड़बड़ी लगने पर डॉक्टर से फ़ौरन परामर्श करें.

निकिता हत्याकांड: कोर्ट ने तौसीफ और अजरू को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा.

nikita 1

फरीदाबादबल्लभगढ़ निकिता हत्याकांड में आज पुलिस ने तौसीफ और अजरू (जिसने हथियार दिया था) को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने इन दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। जबकि तौसीफ़ के दोस्त रेहान को (जो घटना वाले दिन कार चला रहा था) कल पेश किया जाएगा। उसकी रिमांड कल यानि शुक्रवार को खत्म हो रही है। इसके साथ ही आरोपी तौसीफ की जेल बदलने की एप्लीकेशन को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि अग्रवाल कॉलेज की छात्रा निकिता की एक युवक ने हत्या कर दी थी। इसबीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोपियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने की मांग को लेकर बल्लभगढ़ स्थित अग्रवाल कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया था। वहीं, एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने जिला उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया था। 

निकिता तोमर हत्याकांड में एसआईटी ने जांच शुरू की 

निकिता तोमर हत्याकांड की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले की जांच शुरू कर दी है। निकिता हत्याकांड को लेकर बल्लभगढ़ में हुए प्रदर्शन के बाद हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर  की सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। इस बीच, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने भी बुधवार को निकिता के परिजनों से मुलाकात की थी। उन्होंने पत्रकारों से कहा था, ‘‘ फरीदाबाद की बेटी निकिता की दिनदहाड़े हुई हत्या के मामले में पीडि़त परिवार को पूरा न्याय मिलेगा।’’ 

उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा : क्या अत्यधिक मीडिया रिपोर्टिंग से न्याय बाधित होता है ?

मुंबई, 29 अक्टूबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि किसी मामले में चल रही जांच में मीडिया द्वारा ‘‘अत्यधिक’’ रिपोर्टिंग करना क्या अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप होगा ? मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने सरकार से छह नवंबर तक यह बताने को कहा है कि क्या खबरों की रिपोर्टिंग जांच को एवं इसके बाद चलने वाले मुकदमे को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है, और क्या अदालत को मीडिया की रिपोर्टिंग पर दिशानिर्देश निर्धारित करना चाहिए ? पीठ ने कहा, ‘‘यदि अत्यधिक रिपोर्टिंग हो रही है, तो यह आरोपी को सतर्क कर सकता है और वह साक्ष्यों को नष्ट कर सकता है या फरार हो सकता है या यदि वह व्यक्ति बेकसूर है, तो मीडिया की जरूरत से ज्यादा रिपोर्टिंग उसकी छवि खराब कर सकती है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘हम यह नहीं चाहेंगे कि मीडिया अपनी लक्ष्मण रेखा लांघे और हम यह भी चाहेंगे कि हम लोग भी अपनी सीमाओं के अंदर रहें।’’ साथ ही, पीठ ने सरकार से पूछा कि क्या इस तरह की रिपोर्टिंग दखलंदाजी होगी और क्या सरकार ने सोचा है कि उच्च न्यायालय के पास दिशानिर्देश तय करने का अधिकार क्षेत्र है? उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘क्या मीडिया की अत्यधिक रिपोर्टिंग अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 2 (सी) के तहत न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप है और क्या हमें दिशानिर्देश निर्धारित करना चाहिए? हमारे समक्ष यह मुद्दा है। ’’ अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह से उन परिदृश्यों पर भी विचार करने को कहा, जहां किसी मामले की चल रही जांच पर (जिसमें आरोपपत्र दाखिल किया जाना बाकी हो) इस तरह की रिपोर्टिंग ने जांच अधिकारी (आईओ) को प्रभावित किया हो, या इसके परिणामस्वरूप गवाहों को धमकी मिली हो। उच्च न्यायालय ने कहा कि क्या अदालत को कदम उठाना ही पड़ेगा और इस तरह के परिदृश्यों से बचने के लिये प्रेस का नियमन करने को लेकर दिशानिर्देश तैयार करना होगा ? प्रेस द्वारा किसी जांच अधिकारी को प्रभावित किये जाने की संभावना पर उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘एक पुलिस अधिकारी के बारे में सोचिए। क्या कोई इस बात की गारंटी दे सकता है कि वह प्रभावित नहीं होगा?’’ अदालत ने कहा, ‘‘वह किसी खास पहलू पर आगे बढ़ रहा होगा। मीडिया कहेगा कि नहींनहीं, यह सही रास्ता नहीं है। वह उस रास्ते से भटक जाएगा और किसी बेकसूर व्यक्ति को पकड़ लेगा अथवा यदि अधिकारी सक्षम है और वह प्रभावित नहीं होता है तो मीडिया उसकी छवि धूमिल करना शुरू कर देता है। क्याकानून का शासनवाले समाज में इसे उचित ठहराया जा सकता है। ’’ अदालत कई जनहित याचिकाओं के एक समूह पर अंतिम दलीलें सुन रही है। इन याचिकाओं के जरिये यह अनुरोध किया गया है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच मेंमीडिया ट्रायलबंद किया जाए। ये याचिकाएं कुछ कार्यकर्ताओं और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों ने दायर की थीं। पिछली सुनवाई के दौरान टीवी चैनलों और नेशनल ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड ऑथरिटी (एनबीएसए) ने स्वनियमन तंत्र के पक्ष में दलील दी थी और कहा था कि सरकार को उनकी सामग्री (खबरों) पर नियंत्रण नहीं करने दिया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे सरकार से उम्मीद है कि वह उपरोक्त सवालों का अदालत को जवाब देगी। अदालत ने एएसजी सिंह को अपनी लिखित दलील दाखिल करने और पीठ द्वारा उठाये गये सभी सवालों का जवाब अदालत को छह नवंबर को देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि मीडिया अक्सर अपनी रिपोर्टिंग का यह कहते हुए बचाव करती है कि उसने खोजी पत्रकारिता की है। पीठ ने हालांकि कहा कि खोजी पत्रकारिता का मतलब हैसच्चाई का खुलासा करना।अदालत ने पूछा, ‘‘क्या ऐसा कोई कानून है, जो कहता है कि जांच एजेंसी ने सबूत के तौर पर जो कुछ जुटाया है उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए? जांच अधिकारी का यह दायित्व कहां है कि वह साक्ष्य का खुलासा करेगा?’’ अदालत ने जानना चाहा, ‘‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पहले ही मीडिया के पास कैसे गई? क्या हमें इन पहलुओं पर दिशानिर्देश निर्धारित करना चाहिए?’’ अदालत ने यह भी कहा कि यदि प्रेस के पास कोई ऐसी सूचना है जो जांच में मददगार साबित हो सकती है तो उसे ऐसी सूचना दंड प्रक्रिया संहिता(सीआरपीसी) की धारा 38 के तहत पुलिस को देनी चाहिए।