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Google Play Store: गूगल ने 36 खतरनाक ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाया

हाल में ही गूगल ने बच्चों के ऐप Princess Salon, Number Coloring और Cats & Cosplay को प्ले स्टोर से हटाया है. बच्चों के ये ऐप निजी जानकारियां चुरा रहे थे.

गूगल प्ले स्टोर से उन ऐप्स को हटा रहा है जो प्ले स्टोर की नीतियों का उल्लंघन कर रहे हैं या मैलवेयर हैं. प्ले स्टोर से डिलीट होने वाले ऐप्स में जोकर मैलवेयर पाया गया है.जोकर एक ऐसा खतरनाक वायरस है, जो पिछले कुछ महीनों से कई ऐप्स को प्रभावित कर चुका है. जोकर मैलवेयर ने जुलाई में प्ले स्टोर पर पहले 11 ऐप्स को संक्रमित किया था. ये मैलवेलर अब तक 34 ऐप को प्रभावित कर चुका है. इन सभी ऐप्स को अक्टूबर की शुरुआत में ऐप स्टोर से हटा दिया गया था.

बच्चों का डेटा चुरा रहे थे ये 3 ऐप्स

हाल में ही गूगल ने बच्चों के ऐप Princess Salon, Number Coloring और Cats & Cosplay को प्ले स्टोर से हटाया है. हालांकि इन्हें जोकर मैलवेयर के चलते प्ले स्टोर से डिलीट नहीं किया गया है. बच्चों के ये ऐप निजी जानकारियां चुरा रहे थे और प्ले स्टोर की नीतियों का उल्लंघन कर रहे थे. माना जा रहा है कि इन तीन ऐप्स द्वार बच्चों का डाटा थर्ड पार्टी को लीक किया जा रहा था. इन ऐप्स को अब तक दो करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया था.

बच्चों के ऐप्स मिलाकर इन 36 ऐप्स को मैलवेयर इश्यू और अन्य नियमों के उल्लंघन के चलते प्ले स्टोर से हटा दिया गया है. अगर नीचे दिए गए 36 ऐप्स अभी भी आपके फोन में हैं तुरंत उन्हें हटाने की जरूरत है.

ये हैं 36 ऐप्स:

1. Princess Salon

2. Number Coloring

3. Cats & Cosplay

3. All Good PDF Scanner

5. Mint Leaf Message-Your Private Message

6. Unique Keyboard – Fancy Fonts & Free Emoticons

7. Tangram App Lock

8. Direct Messenger

9. Private SMS

10. One Sentence Translator – Multifunctional Translator

11. Style Photo Collage

12. Meticulous Scanner

13. Desire Translate

14. Talent Photo Editor – Blur focus

15. Care Message

16. Part Message

17. Paper Doc Scanner

18. Blue Scanner

19. Hummingbird PDF Converter – Photo to PDF

20. All Good PDF Scanner

21. com.imagecompress.android

22. com.relax.relaxation.androidsms

23. com.file.recovefiles

24. com.training.memorygame

25. Push Message- Texting & SMS

26. Fingertip GameBox

27. com.contact.withme.texts

28. com.cheery.message.sendsms (two different instances)

29. com.LPlocker.lockapps

30. Safety AppLock

31. Emoji Wallpaper

32. com.hmvoice.friendsms

33. com.peason.lovinglovemessage

34. com.remindme.alram

35. Convenient Scanner 2

36. Separate Doc Scanner

Health Tips: कोरोना से बचने के लिए डाइट में शामिल करें ‘जिंक’ से भरपूर फूड आइटम्स

कोरोना महामारी की शुरुआत जब से हुई है तब से ‘जिंक’ को लेकर भी खूब चर्चा हो रही है. स्टडी के मुताबिक यह खनिज (जिंक) हमारे इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में काफी अहम रोल निभाता है. इतना ही नहीं यह न्यूट्रिएंट हमारे डाइजेशन सिस्टम और मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है. यकीन मानिए जिंक एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जिसे हमारी डाइट में जरूर होना चाहिए.

रोज की डाइट में जरूर करें जिंक का इस्तेमाल

वयस्कों को रोज जिंक की 8 मिलीग्राम से लेकर 13 मिलीग्राम तक की मात्रा लेनी चाहिए. अगर कोई महिला गर्भवती है या स्तनपान कराती है तो यह लिंग के आधार पर भिन्न होता है. सर्दी के मौसम की शुरुआत होते ही, फ्लू और दूसरे इंफेक्शन से लड़ने के लिए रोज की डाइट में जिंक को जरूर शामिल करें. चलिए हम आपको बताने जा रहे हैं जिंक युक्त पांच भोजन के बारे में जिन्हे आपको अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए.

मूंगफली

मूंगफली जिंक का सस्ता और स्वादिष्ट स्रोत है. इसे आसानी से रोज की डाइट में शामिल किया जा सकता है. खास बात यह है कि मूंगफली सभी को पसंद भी होती है. आप अपने सलाद में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर सेब या ब्रेड पर मूंगफली का मक्खन इस्तेमाल कर सकते हैं. जो लोग शाकाहारी भोजन करते हैं उनके लिए मूंगफली जिंक का महत्वपूर्ण स्रोत है.

हुम्मस (काबुली चने की चटनी)

हुम्मस में भी जिंक की प्रचूर मात्रा होती है. हुम्मस को सैंडविच के साथ या चिप्स के साथ खाया जा सकता है. हुम्मस एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर और कई दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर होता है.

अंडा

अडों में मध्यम मात्रा में जिंक होता है. एक बड़े अंडे में जिंक की रोज की जरूरत का 5 प्रतिशत होता है. एक बड़े अंडे में 77 कैलोरी, 6 ग्राम प्रोटीन और 5 ग्राम स्वस्थ फैट्स व दूसरे मिनिरल्स और पोषक तत्व होते हैं

दाल, छोले

दाल, छोले और बीन्स जैसे फलियों में जिंक की पर्याप्त मात्रा होती है. 100 ग्राम पकी हुई दाल में जिंक की रोज की जरूरत का 12 प्रतिशत होता है. लेकिन फलियों में फाइटेट्स होते हैं, जो जिंक और अन्य खनिजों के अवशोषण को रोकते हैं.

दिल्ली: डॉक्टरों को सैलरी न मिलने पर दिल्ली के तीनों मेयर सीएम केजरीवाल के घर के बाहर धरने पर बैठे।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित अस्पतालों के वरिष्ठ चिकित्सकों ने सोमवार को सामूहिक आकस्मिक अवकाश ले लिया है। डॉक्टरों के इस कदम के बाद तीनों नगर निगम के मेयर मुख्यमंत्री केजरीवाल के घर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। उनकी मांग है कि दिल्ली सरकार उनका फंड रिलीज करे ताकि वह डॉक्टरों का वेतन दे सकें।

वहीं डॉक्टरों के सामूहिक आकस्मिक अवकाश के चलते नगर निकायों द्वारा संचालित अस्पतालों में चिकित्सकों के लंबित वेतन को लेकर संकट और गहरा गया है। म्युनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन (एमसीडीए) के अध्यक्ष आर आर गौतम ने कहा, अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो कल से हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।

एमसीडीए ने शनिवार को धमकी दी थी कि अगर पिछले तीन महीने का बकाया वेतन जारी नहीं किया गया तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) अस्पतालों के उसके सदस्य सामूहिक आकस्मिक अवकाश लेंगे।

संस्था ने हाल में एक बयान जारी कर अपने बकाए वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हिंदूराव अस्पताल और कस्तूरबा अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ एकजुटता व्यक्त की थी। दोनों ही अस्पताल एनडीएमसी द्वारा संचालित किये जाते हैं।

उद्धव ठाकरे ने कंगना रनौत पर साधा निशाना, तो एक्ट्रेस ने ट्वीट कर फिर किया पलटवार

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शिवसेना और कंगना रनौत के बीच जुबानी जंग अब तक जारी है.

एक दशहरा रैली के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बिना नाम लिए कंगना पर निशाना साधा, जिसके बाद कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने उद्धव ठाकरे का नाम लेते हुए उन्हें चेताया.

नई दिल्ली. बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) और शिवसेना के बीच जुबानी जंग अब तक जारी है. रविवार को एक दशहरा रैली के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बिना नाम लिए कंगना पर निशाना साधा, जिसके बाद कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे का नाम लेते हुए उन्हें चेताया. दरअसल, इस रैली में सीएम उद्धव ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार, मुंबई पुलिस और आदित्य ठाकरे सहित उनके परिवार पर काफी कीचड़ उछाला गया है.

उद्धव ठाकरे के निशाने पर कंगना

उद्धव ने इस दौरान कंगना के पीओके वाले ट्वीट का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘किसी ने कहा था कि मुंबई पीओके की तरह है… ये लोग मुंबई में काम करने आते हैं और फिर शहर का नाम खराब करते हैं. यह एक तरह से ‘नमक हरामी’ है. एक ऐसी कहानी बनाई गई है, जैसे मुंबई और पूरा महाराष्ट्र एक ड्रग हैवन है और यहां पर सब ड्रग अडिक्ट हैं. मुंबई और महाराष्ट्र की बेइज्जती करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.’

इससे पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने अपने एक बयान में कंगना रनौत को ‘हरामखोर’ बोल दिया था.

कंगना ने भी किया सीएम पर पलटवार

उद्धव के इस बयान के बाद कंगना ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ठीक जैसे हिमालय की खूबसूरती हर भारतीय की है, ठीक वैसे ही मुंबई जो मौके देती है वह हम सभी से संबंधित है. ये दोनों ही मेरे घर हैं. उद्धव ठाकरे आप हमसे हमारे लोकतांत्रिक अधिकार छीनने और हमें बांटने की कोशिश मत कीजिए. आपके गंदे भाषण आपकी नाकाबिलियत का अश्लील प्रदर्शन हैं.’

कबाड़ का काम करने वाले पिता का सपना पूरा, नौवें प्रयास में बेटा मेडिकल परीक्षा में हुआ सफल

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अरविंद कुमार अपने पिता को अपमानित होते देख बड़ा हुआ. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोटा :

अन्य उम्मीदवारों के विपरीत, 26 वर्षीय अरविंद कुमार के लिए मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करना बस केवल एक सपना नहीं था बल्कि उन लोगों को जवाब देने का एक तरीका था जिनके हाथों उसके परिवार ने वर्षों से अपमान झेला. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के निवासी अरविंद का कहना है कि उसका सपना डॉक्टर बनने का था जबकि कबाड़ी का काम करने वाले उसके पिता भिखारी को अपने काम एवं नाम के चलते लगातार गांव वालों से अपमानित होना पड़ता था.

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हालांकि यह सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली. वह पहली बार 2011 में ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) में शामिल हुआ था जिसके स्थान पर अब राष्ट्रीय अर्हता -सह प्रवेश परीक्षा (नीट) आ गयी है.

अरविंद ने कहा कि इस साल नौवें प्रयास में उसे यह सफलता मिली है , उसने अखिल भारतीय स्तर पर 11603 रैंक हासिल किया है और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में उसका रैंक 4,392 है. उसने कहा कि वह कभी भी मायूस नहीं हुआ. उसने कहा, ‘‘मैं नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने तथा उससे ऊर्जा एवं प्रेरणा लेने की मंशा रखता हूं .”

उसने कहा कि उसकी इस सफलता का श्रेय उसके परिवार, आत्मविश्वास और निरंतर कठिन परिश्रम को जाता है. उसके अनुसार उसके पिता भिखारी कक्षा पांचवीं तक पढ़े-लिखे हैं और मां ललिता देवी अनपढ़ हैं.

अरविंद अपने पिता को असामान्य नाम की वजह से अपमानित होते देख बड़ा हुआ. उसके पिता काम के वास्ते परिवार को छोड़कर दो दशक पहले जमशेदपुर के टाटानगर चले गये थे.

कुछ साल पहले अपने तीन बच्चों की अच्छी शिक्षा-दीक्षा के लिए भिखारी अपने परिवार को गांव से कुशीनगर शहर ले आये जहां अरविंद ने महज 48.6 फीसद प्राप्तांक से दसवीं कक्षा पास की. बारहवीं कक्षा में उसे 60 फीसद अंक मिले और तभी उसके अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए डॉक्टर बनने का ख्याल आया.

श्रवण कुमार ने नीतीश के साथ बनाई थी समता पार्टी, 6 बार से फतह कर रहे नालंदा का दुर्ग

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बिहार सरकार में ग्रामीण विकास कार्य मंत्री हैं श्रवण कुमार, नालंदा से सातवीं बार जीत के लिए कर रहे कोशिश.

नई दिल्ली:

बिहार की नीतीश कुमार सरकार में ग्रामीण विकास कार्य मंत्री श्रवण कुमार न केवल मुख्यमंत्री के सजातीय (कुर्मी) हैं बल्कि उनके खासमखास भी हैं. सीएम के गृह जिले से आने वाले और वहीं से चुनाव जीतकर आने वाले श्रवण कुमार सातवीं बार विधायक बनने की कतार में हैं. वो 1995 से लगातार नालंदा विधान सभा सीट से जीतते आ रहे हैं. 61 वर्षीय श्रवण कुमार मूलतः समाज सेवा से जुड़े रहे हैं. जब लालू यादव से अलग होकर नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस ने साल 1994 में समता पार्टी का गठन किया था, तब से श्रवण कुमार नीतीश के खास सिपाही रहे हैं.

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श्रवण कुमार ने इंटर तक ही पढ़ाई की है. छात्र जीवन में ही उन्होंने जेपी मूवमेंट के जरिए राजनीति में कदम रखा और पहली बार समता पार्टी के टिकट पर 1995 में नालंदा सीट से विधायक चुने गए. तब से लेकर आजतक छह बार हुए सभी विधान सभा चुनावों में नालंदा सीट से वही जीतते आ रहे हैं. 1995 में समता पार्टी के मात्र सात उम्मीदवार जीते थे, उनमें से एक श्रवण कुमार भी थे.

चुनावी विज्ञापन से नीतीश कुमार का चेहरा गायब, सिर्फ PM मोदी की तस्वीर, क्या हैं मायने?

श्रवण कुमार का राजनीतिक सफर 30 वर्षों से ज्यादा का रहा है. उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर 1995 और 2000 का विधान सभा चुनाव जीता. बाद में पार्टी का विलय जेडीयू में हो गया. तब से लगातार जेडीयू के टिकट पर जीतते आ रहे हैं. श्रवण कुमार बिहार विधान सभा में जेडीयू के मुख्य सचेतक भी रहे हैं. साथ ही नीतीश और मांझी कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं.

नालंदा विधानसभा इलाका कुर्मी बहुल है. इसके अलावा यहां ईबीसी, एससी-एसटी और मुस्लिम आबादी भी अच्छी है. करीब तीन लाख मतदाताओं में 90 हजार के करीब कोचैइसा कुर्मी,  12 हजार के करीब घमैला कुर्मी वोटर हैं. इनके अलावा 13 हजार कुशवाहा, 22 हजार अल्पसंख्यक, 30 हजार यादव मतदाता हैं. इस इलाके में सवर्ण मतदाताओं में भूमिहार 7 हजार, राजपूत 15 हजार हैं, एससी-एसटी और ईबीसी के भी करीब एक लाख वोट हैं.

‘असंभव नीतीश’ मुहिम चला रहे चिराग पासवान, बोले- जहां LJP कैंडिडेट नहीं, BJP को दें वोट

साल 2015 के चुनाव में जेडीयू और राजद का महागठबंधन होने के बावजूद श्रवण कुमार लगभग 3000 वोटों के अंतर से ही जीत सके थे. नीतीश कुमार के नाम पर कुर्मी समाज श्रवण कुमार को वोट करता रहा है लेकिन इस बार कोचैइसा कुर्मी जिनका सबसे ज्यादा वोट शेयर है, नीतीश से नाराज बताया जा रहा है. मूलत: खेतीबारी करने वाला यह समुदाय नीतीश कुमार के शासनकाल में सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से नाराज है.

इसके अलावा यादव और मुस्लिम मतदाता पहले से ही राजद के पक्ष में लामबंद नजर आ रहा है. अगर दलित और ईबीसी समुदाय ने मुंह फेरा तो श्रवण कुमार की राह कठिन हो सकती है. 2015 में इस समुदाय ने बीजेपी को वोट दिया था.