14 नवंबर को है दीपों का त्यौहार यानि दीवाली. जिसे सुख, समृद्धि व खुशहाली का पर्व माना जाता है. इस दिन पूरे विधि विधान से विशेष तौर पर भगवान गणेश व माता लक्ष्मी का पूजा की जाती है. चूंकि मां लक्ष्मी ऐश्वर्य व वैभव की देवी हैं. इसीलिए इस दिन इनकी पूजा से भौतिक सुखों की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही घर में भरपूर खुशियां आती हैं. वहीं दीवाली पूजन में अगर वास्तु निममों का भी खास ध्यान रखा जाए तो विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है.
दीवाली के दिन करें वास्तुनुसार पूजा
उत्तर दिशा में पूजा – माना जाता है कि उत्तर दिशा धन की दिशा होती है. और मां लक्ष्मी जिनकी पूजा दीवाली के दिन होती है, धन की देवी मानी गई हैं इसीलिए दीवाली की पूजा उत्तर दिशा या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए. इसके मुताबिक पूजा करने वाले का मुख घर की उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए.
हर बार बदले मूर्तियां – हर साल दीवाली पूजन में इस्तेमाल की जाने वाली लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां नई होनी चाहिए. पुरानी मूर्तियों को इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए. लेकिन अगर आपके पास चांदी की मूर्तियां हैं तो दोबारा उन्हें गंगाजल से साफ करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
लाल रंग का इस्तेमाल – कहते हैं देवी को लाल रंग अति प्रिय होता है इसीलिए दीवाली की पूजा में लाल रंग की वस्तुओं का इस्तेमाल विशेष तौर से करना चाहिए. जैसे इस दिन पूजा के दौरान देवी को लाल रंग के कपड़े, लाल रंग के फूल, लाल श्रृंगार अर्पित करें. इससे मां को प्रसन्न किया जा सकता है.
रोली से बनाएं स्वास्तिक – पूजा घर में दोनों तरफ रोली से स्वास्तिक का निर्माण करना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं स्वास्तिक भगवान गणेश का ही स्वरूप होता है. जो अत्यंत शुभ फल देने वाला माना गया है. इससे घर में मौजूद तमाम तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है.
पूजा में बजाए शंख – लक्ष्मी पूजन में शंख का बहुत ही महत्व होता है. और शंख की आवाज़ को अत्यंत शुभ माना गया है. इसीलिए दीवाली की पूजा में शंख ज़रुर बजाना चाहिए इससे देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. और मन व मस्तिष्क दोनों में सकारात्मक ऊर्जा आती है.