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श्रवण कुमार ने नीतीश के साथ बनाई थी समता पार्टी, 6 बार से फतह कर रहे नालंदा का दुर्ग

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बिहार सरकार में ग्रामीण विकास कार्य मंत्री हैं श्रवण कुमार, नालंदा से सातवीं बार जीत के लिए कर रहे कोशिश.

नई दिल्ली:

बिहार की नीतीश कुमार सरकार में ग्रामीण विकास कार्य मंत्री श्रवण कुमार न केवल मुख्यमंत्री के सजातीय (कुर्मी) हैं बल्कि उनके खासमखास भी हैं. सीएम के गृह जिले से आने वाले और वहीं से चुनाव जीतकर आने वाले श्रवण कुमार सातवीं बार विधायक बनने की कतार में हैं. वो 1995 से लगातार नालंदा विधान सभा सीट से जीतते आ रहे हैं. 61 वर्षीय श्रवण कुमार मूलतः समाज सेवा से जुड़े रहे हैं. जब लालू यादव से अलग होकर नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस ने साल 1994 में समता पार्टी का गठन किया था, तब से श्रवण कुमार नीतीश के खास सिपाही रहे हैं.

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श्रवण कुमार ने इंटर तक ही पढ़ाई की है. छात्र जीवन में ही उन्होंने जेपी मूवमेंट के जरिए राजनीति में कदम रखा और पहली बार समता पार्टी के टिकट पर 1995 में नालंदा सीट से विधायक चुने गए. तब से लेकर आजतक छह बार हुए सभी विधान सभा चुनावों में नालंदा सीट से वही जीतते आ रहे हैं. 1995 में समता पार्टी के मात्र सात उम्मीदवार जीते थे, उनमें से एक श्रवण कुमार भी थे.

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श्रवण कुमार का राजनीतिक सफर 30 वर्षों से ज्यादा का रहा है. उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर 1995 और 2000 का विधान सभा चुनाव जीता. बाद में पार्टी का विलय जेडीयू में हो गया. तब से लगातार जेडीयू के टिकट पर जीतते आ रहे हैं. श्रवण कुमार बिहार विधान सभा में जेडीयू के मुख्य सचेतक भी रहे हैं. साथ ही नीतीश और मांझी कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं.

नालंदा विधानसभा इलाका कुर्मी बहुल है. इसके अलावा यहां ईबीसी, एससी-एसटी और मुस्लिम आबादी भी अच्छी है. करीब तीन लाख मतदाताओं में 90 हजार के करीब कोचैइसा कुर्मी,  12 हजार के करीब घमैला कुर्मी वोटर हैं. इनके अलावा 13 हजार कुशवाहा, 22 हजार अल्पसंख्यक, 30 हजार यादव मतदाता हैं. इस इलाके में सवर्ण मतदाताओं में भूमिहार 7 हजार, राजपूत 15 हजार हैं, एससी-एसटी और ईबीसी के भी करीब एक लाख वोट हैं.

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साल 2015 के चुनाव में जेडीयू और राजद का महागठबंधन होने के बावजूद श्रवण कुमार लगभग 3000 वोटों के अंतर से ही जीत सके थे. नीतीश कुमार के नाम पर कुर्मी समाज श्रवण कुमार को वोट करता रहा है लेकिन इस बार कोचैइसा कुर्मी जिनका सबसे ज्यादा वोट शेयर है, नीतीश से नाराज बताया जा रहा है. मूलत: खेतीबारी करने वाला यह समुदाय नीतीश कुमार के शासनकाल में सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से नाराज है.

इसके अलावा यादव और मुस्लिम मतदाता पहले से ही राजद के पक्ष में लामबंद नजर आ रहा है. अगर दलित और ईबीसी समुदाय ने मुंह फेरा तो श्रवण कुमार की राह कठिन हो सकती है. 2015 में इस समुदाय ने बीजेपी को वोट दिया था.

सरकारी कर्मचारी लीव ट्रैवल कंसेशन कैश वाउचर योजना: कर्मचारी लीव इनकैशमेंट के बिना भी एप्लीकेबल LTC फेयर का उपयोग करते हुए योजना का लाभ उठा सकते हैं

सरकार ने 12 अक्टूबर को LTC कैश वाउचर योजना की घोषणा की थी, इसके तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी योजना का लाभ उठाने के लिए 12% या इससे ज्यादा GST वाली कोई भी वस्तु या सेवा खरीद सकते हैं

LTC (लीव ट्रैवल कंसेशन) कैश वाउचर योजना का लाभ उठाने के लिए केंद्रीय कर्मचारी अपने नाम खरीदी गई वस्तु और सवाओं के एक से ज्यादा बिल जमा कर सकते हैं। यह बात वित्त मंत्रालय के एक्सपेंडीचर डिपार्टमेंट द्वारा इस योजना पर जारी FAQ में कही गई है। FAQ के मुताबिक कर्मचारी लीव इनकैशमेंट के बिना भी एप्लीकेबल LTC फेयर का उपयोग करते हुए योजना का लाभ उठा सकते हैं।

सरकार ने 12 अक्टूबर को LTC कैश वाउचर योजना की घोषणा की थी। इसके तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी योजना का लाभ उठाने के लिए 12 फीसदी या इससे ज्यादा GST वाली कोई भी वस्तु या सेवा खरीद सकते हैं। अब तक यात्रा पर ही LTC स्कीम का लाभ मिलता था, अन्यथा रकम लैप्स हो जाती थी।

आंशिक रूप से उपयोग हो चुके LTC पर भी मिलेगा लाभ

क्या कर्मचारी या उसके किसी पारिवारिक सदस्य द्वारा आंशिक रूप से उपयोग किए जा चुके LTC पर भी योजना का लाभ मिलेगा? इस सवाल के जवाब में FAQ में कहा गया है कि ब्लॉक इयर (2018-21) के दौरान LTC फेयर के जितने हिस्से का उपयोग नहीं हुआ है, उस हिस्से पर यह योजना लागू होगी।

4 पारिवारिक सदस्यों वाले कर्मचारी 4 से कम सदस्यों के लिए भी ले सकते हैं लाभ

क्या LTC के लिए योग्य 4 पारिवारिक सदस्यों वाले कर्मचारी 4 से कम सदस्यों के लिए भी योजना का लाभ ले सकते हैं? इसके जवाब में कहा गया है कि कर्मचारी आंशिक रूप से योजना का लाभ उठा सकते हैं। परिवार के जिस सदस्य के LTC फेयर का उपयोग नहीं हुआ है, उसके लिए मौजूदा नियमों के तहत योजना LTC का उपयोग किया जा सकता है।

FAQ में बताई गई अन्य प्रमुख बातें

  • योजना के तहत LTC फेयर के लिए निर्धारित रेश्यो के अनुसार ही खरीदारी होनी चाहिए।

  • सभी खरीदारी इसी वित्त वर्ष में होनी चाहिए।

  • खरीदारी का भुगतान सिर्फ डिजिटल मोड में ही होना चाहिए।

  • GST डिटेल्स वाला इनवॉयस जमा करने के बाद ही रीइंबर्समेंट किया जाएगा।

  • आखिरी समय की हड़बडी या उसके कारण होने वाले लैप्स से बचने के लिए जहां तक संभव हो 1 मार्च 2021 से पहले ही क्लेम और सेटलमेंट हो जाना चाहिए।

  • योजना का लाभ लेने वाले कर्मचारी के नाम पर ही इनवॉयस होना चाहिए।

IRCTC: केरल की कोच्चि, मुन्नार और कुमाराकोम के अलावा कई जगह की सैर करा रहा IRCTC

आप रिजर्वेशन काउंटर से या IRCTC की वेबसाइट से ऑनलाइन ही इस टूर पैकेज की बुकिंग करा सकते हैं

  • इस टूर पैकेट की बुकिंग के लिए आपको 13 हजार 705 रुपए खर्च करने होंगे

  • ये यात्रा 5 रात और 6 दिन की रहेगी जो उड़ीसा के त्रिशूर से शुरू होगी

अगर आप घर बैठे-बैठे बोर हो गए हैं तो IRCTC आपके लिए केरल का टूर पैकेज लेकर आया है। ‘Serene Kerala With House Boat Stay’ नाम के इस टूर पैकेज के तहत आपको 5 रातें और 6 दिन केरल में बिताने का मौका मिलेगा। टूर की शुरुआत उड़ीसा के त्रिशूर से 30 अक्टूबर को होगी।

कहां-कहां घूमने का मिलेगा मौका?

टूर के दौरान यात्रियों को आलप्पुषा़ (Alappuzha) , गुरुवायुर, कोच्चि, मुन्नार और कुमाराकोम की सुंदरता को करीब से निहारने का मौका मिलेगा। केरल राज्य के सभी दर्शनीय स्थल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं। कुमाराकोम छोटे और सुंदर द्वीपों के झुंड के रूप में इस राज्य का सबसे अधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

पैकेज में क्या-क्या शामिल रहेगा?
पैकेज के दौरान मिलने वाली सुविधाओं में होटल में स्टे, यात्रा का टिकट, ब्रेकफास्ट, डिनर और एक रात हाउस बोट में रुकने का किराया शामिल है। इसके अलावा इसमें साइट व्यू के लिए व्हीकल का इंतजाम भी किया जाएगा।

कितना देना होगा किराया?

  • अगर आप इस टूर के लिए तीन लोगों के ग्रुप में बुकिंग कराते हैं तो आपको प्रति व्यक्ति 13 हजार 705 रुपए खर्च करने होंगे।

  • दो लोगों द्वारा यह पैकेज लिए जाने पर आपको प्रति व्यक्ति 18 हजार 145 रुपए खर्च होंगे।

  • सिंगल सिटिंग के लिए यह टूर पैकेज 35 हजार 930 रुपए में लिया जा सकता है।

  • अगर आपके साथ बच्चा है, जिसकी उम्र 5 से 11 साल है, तो बेड के साथ आपको 4,825 रुपए देने होंगे। वहीं बिना बेड के 2,790 रुपए लगेंगे।

Telangana: एक शराबी बेटे ने नशे की लत के चलते अपनी मां को मौत के घाट उतार दिया

हैदराबाद: एक ओर देश जहां दुर्गा मां की पूजा कर नवरात्र का त्यौहार मना रहा है, वहीं तेलंगाना (Telangana) में एक दिल को दहला देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक शराबी बेटे ने नशे की लत के चलते अपनी मां को मौत के घाट उतार दिया. पुलिस ने मामले की जानकारी शनिवार को दी थी. खास बात है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के मुताबिक, 2018 के मुकाबले 2019 में हैदराबाद और तेलंगाना में आपराधिक बढ़े हैं.

कटा हुआ सिर लेकर भाग गया आरोपी

शराब की लत (Alcohol Addiction) का शिकार एक युवक ने पहले अपनी मां से शराब के लिए पैसे मांगे और ऐसा न करने पर उसने मां का सिर धड़ से कथित तौर पर अलग कर दिया. इतना ही नहीं युवक कटा सिर लेकर भाग गया. मृतका पी चंद्रम्मा (P Chandramma) की उम्र 65 वर्ष बताई जा रही है. पुलिस के मुताबिक, यह मामला तेलंगाना के नागरकुर्नूल जिले (Nagarkurnool) के एक गांव में शनिवार तड़के हुई.

उन्होंने कहा कि आरोपी के बड़े भाई की शिकायत पर इस सिलसिले में एक मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि 45 वर्षीय आरोपी व्यक्ति को दोपहर में एक टैंक के पास पकड़ा गया और झाड़ियों में छिपा कर रखा हुआ कटा हुआ सिर भी बरामद कर लिया गया.अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया कि खबर के मुताबिक, मृतका चंद्रम्मा के दो बेटे पी रामुडु और पी कुरुमुर्थी हैं. वह अपने छोटे बेटे रामुडु के साथ घर के आगे के हिस्से रहती थीं. जबकि, उनका बड़ा बेटा कुरुमुर्थी परिवार के साथ घर के पिछले हिस्से में रहा करता था. 

Noida: साइबर अपराध शाखा ने दो विदेशियों को गिरफ्तार किया

शनिवार को चंद्रम्मा कहीं नहीं दिखीं, तो कुरुमुर्थी उनकी तलाश में घर में आया. उसने घर में पहुंचकर अपनी मां का खून से सना हुआ धड़ पाया. इसके तुरंत बाद पुलिस मामले को लेकर अलर्ट हो गई और पाया कि छोटा बेटा रामुडु मौके से गायब था.

बड़े भाई के शिकायत पर मामला दर्ज.

मामले की जांच कर रही पुलिस के अनुसार, पी रामुडु शराब की लत से जूझ रहा था. पुलिस ने जब तलाश की तो उन्हें पानी की टंकी के पास झाड़ियों में महिला का सिर मिला. जबकि, बाकी शरीर घर में ही था. बड़े भाई के शिकायत पर मामला दर्ज.

तेलंगाना और हैदराबाद में बढ़ा है क्राइम


एनसीआरबी का डेटा बताता है कि तेलंगाना (Telangana) और हैदराबाद (Hyderabad) में अपराध बढ़ने की सबसे बड़ी वजह हत्या के अलावा अपहरण, साइबर क्राइम और महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अपराध हैं.

Vastu Tips: घर या ऑफिस में किस दिशा में लगाएं दर्पण की आय में हो बढ़ोतरी

आजकल अधिकतर लोग अपने ऑफिस में, दुकानों में या संस्थानों में या फिर घर में भी बहुत चमकीले ग्रेनाइट या संगमरमर के टाइल्स लगवाने लगे हैं, जो कि देखने में बड़े ही सुंदर लगते हैं और साफसफाई के लिये भी सुविधाजनक होते हैं। 

ये एक तरह से दर्पण की भांति ही होते हैं, लेकिन आपको बता दूं कि ईशान कोण, यानी उत्तरपूर्व दिशा में इस तरह का फर्श लगवाते समय कुछ चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए। 

दरअसल वास्तु के अनुसार ईशान कोण में दक्षिण या पश्चिम की अपेक्षा ऊंचाई कम रखनी चाहिए या कहें इस दिशा में गहराई अधिक होनी चाहिए। इसलिए अगर आपके संस्थान या घर आदि का नैऋत्य कोण, यानी दक्षिणपश्चिम दिशा का भाग ईशान कोण यानी उत्तरपूर्वी भाग से नीचा है, जो कि नहीं होना चाहिए, तब उस स्थिति में आप ईशान कोण में इस तरह का चमकदार, साफ दिखाई देने वाला दर्पण या फर्श लगवा सकते हैं। 

इससे ईशान कोण में गहराई का आभास होगा, जबकि दक्षिणपश्चिम का हिस्सा देखने पर ऊंचा लगेगा। इससे आपकी आय में बढ़ोतरी होगी और आपको वास्तु दोषों से छुटकारा भी मिलेगा।

कई लोग कारोबार में उन्नति के लिये दक्षिण दिशा में दर्पण लगाने की सलाह देते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार ये ठीक नहीं है।

उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा माना जाता है और दक्षिण दिशा में दर्पण लगाने से उत्तर से आने वाला प्रतिबिम्ब दर्पण में दिखाई देगा, जो कि ठीक नहीं है। चूंकि दक्षिण दिशा के स्वामी यम हैं, इसलिए यहां दर्पण लगाने से कुबेर का लाभ नहीं मिल पायेगा। इसके साथ ही आपको बता दूं कि घर में कभी भी बहुत भारी, नुकीला या जिसका किनारा टूटा फूटा हो, ऐसा दर्पण या शीशा नहीं लगाना चाहिए। साथ ही तिकोना, यानी तीन कोनों वाला शीशा भी नहीं लगाना चाहिए। इससे निगेटिविटी बढ़ती है  

Coronavirus: कम वायरल लोड कोविड-19 ट्रांसमिशन को प्रभावित करता है. बिना लक्षण वाले बच्चों में कोरोना वायरस का लेवल कम पाया गया

शोधकर्ताओं ने कहा है कि बिना लक्षण वाले बच्चों में कोरोना वायरस का लेवल कम पाया गया

उन्होंने 339 एसिम्पटोमैटिक और 478 सिम्पटोमैटिक बच्चों का परीक्षण कर नतीजा निकाला

कोरोना वायरस के लक्षण वाले बच्चों के मुकाबले ज्यादातर एसिम्पटोमैटिक बच्चों में वायरस का बहुत कम लेवल पाया गया है. शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस संक्रमण के 800 बाल चिकित्सा मामलों का विश्लेषण कर खुलासा किया. हालांकि, जर्नल ऑफ क्लीनिक माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित शोध में चेताया गया कि इस खोज का नतीजा स्पष्ट नहीं है. इसके लिए विस्तार से शोध करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा गया कि कैसे कम वायरल लोड कोविड-19 ट्रांसमिशन को प्रभावित करता है.

एसिम्टोमैटिक बच्चों में कम कोरोना वायरस का लेवल

बाल चिकित्सा संक्रामक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि शोध से बिना लक्षण वाले संक्रमित स्कूली बच्चों की सुरक्षा के बारे में कुछ आश्वासन मिलता है. इन अनसुलझे सवालों से पता चलता है कि जोखिम से राहत के लिए स्कूलों, डेकेयर में उपाय किए जाने चाहिए और कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए ये समुदाय गंभीर बना हुआ है. इसलिए, बच्चों को मास्क जरूर पहनना चाहिए, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए और अपने हाथों को बारबार धोना चाहिए.

शोधकर्ताओं का कहना है कि ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि कौन बच्चा वायरस को ज्यादा या कम फैलाता है. अमेरिकी शोधकर्ता लैरी कोकिओलेक कहते हैं, “क्योंकि हर ग्रुप के बच्चों की जांच के बाद पता चला कि कुछ एसिम्पटोमैटिक बच्चों में ज्यादा वायरल लोड होता है. फिर भी, उच्च वायरल लोड वाले एसिम्पटोमैटिक बच्चों के ग्रुप में लक्षण वाले बच्चों की तुलना में कम वायरल लोड का पता चला.” शोधकर्ताओं ने 339 एसिम्पटोमैटिक और 478 सिम्पटोमैटिक बच्चों का परीक्षण किया. PCR की जांच में कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए सभी बच्चों की उम्र 0-17 साल के बीच थी.

बच्चों के लिए कम भरोसेमंद जांच के प्रति सावधानशोध

शोधकर्ताओं ने बताया कि एसिम्पटोमैटिक बच्चों में पाया गया वायरस का लेवल रैपिड एंटीजन टेस्ट की तुलना में ज्यादा कम था. इसलिए, समझना जरूरी है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट PCR टेस्ट के मुकाबले वायरस का पता लगाने में कम सक्षम साबित होते हैं. शोध की बुनियाद पर उन्होंने बाल चिकित्सा में कम भरोसेमंद जांच तकनीक के इस्तेमाल के प्रति सावधान किया. साथ ही उन्होंने जोर दिया कि एसिम्टोमैटिक बच्चों में वायरल लोड को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने के लिए और शोध किए जाएं.

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