होम ब्लॉग पेज 70

Soy Milk के बारे में 5 रोचक तथ्य

0

Soy Milk, एक लोकप्रिय पौधे आधारित दूध विकल्प है, जो कई लोगों द्वारा अपनी पोषण संबंधी विशेषताओं के कारण पसंद किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोया दूध के बारे में कुछ ऐसे तथ्य भी हैं जो शायद आपको पहले से नहीं पता होंगे? आइए जानते हैं उनमें से कुछ:

यह भी पढ़ें: रोजाना Milk पीने से वजन बढ़ सकता है: मिथक या तथ्य?

Soy Milk के बारे में

5 facts about soy milk

सोयाबीन की उत्पत्ति चीन में हुई थी:

सोयाबीन की खेती सबसे पहले चीन में शुरू हुई थी और हजारों सालों से एशियाई व्यंजनों का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। सोया दूध भी इसी प्राचीन परंपरा का एक हिस्सा है।

सोया दूध में प्रोटीन की मात्रा गाय के दूध के बराबर होती है:

सोया दूध में प्रोटीन की मात्रा गाय के दूध के बराबर होती है, जो इसे शाकाहारियों और लैक्टोज असहिष्णु लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाती है। इसके अलावा, सोया प्रोटीन में सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं।

सोया दूध में आइसोफ्लेवोन्स होते हैं:

सोया दूध में आइसोफ्लेवोन्स नामक पौधे आधारित एस्ट्रोजन होते हैं। इन आइसोफ्लेवोन्स को हृदय रोग, ऑस्टियोपोरोसिस और कुछ प्रकार के कैंसर से बचाने में मददगार माना जाता है।

सोया दूध को विभिन्न प्रकार के स्वादों में उपलब्ध है:

सोया दूध अब केवल मूल स्वाद में ही नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार के स्वादों जैसे कि चॉकलेट, वेनिला, बादाम आदि में भी उपलब्ध है। यह इसे बच्चों और उन लोगों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है जो विभिन्न स्वादों का आनंद लेना पसंद करते हैं।

5 facts about soy milk

Soy Milk को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जा सकता है:

सोया दूध को न केवल पीने के लिए, बल्कि विभिन्न प्रकार के व्यंजनों जैसे कि दलिया, स्मूदी, बेकिंग आदि में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह गाय के दूध का एक बेहतरीन विकल्प है।

यह भी पढ़ें: Kachori Recipes: आप अपनी शाम की चाय के साथ ट्राई कर सकते हैं

क्या आप जानते हैं कि सोया दूध के बारे में और कौन से रोचक तथ्य हैं?

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है और किसी भी चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ली जानी चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Seaweed: समुद्र का हरा सोना

0

Seaweed एक प्रकार का समुद्री पौधा है जो समुद्र के पानी में बढ़ता है। यह विभिन्न आकारों और रंगों में पाया जाता है। समुद्री शैवाल को अक्सर शैवाल भी कहा जाता है। यह समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और कई जीवों के लिए भोजन का स्रोत है।

यह भी पढ़ें: रोजाना भीगे हुए Walnuts खाने के फायदे

Seaweed के प्रकार

Seaweed: The Green Gold of the Sea

समुद्री शैवाल को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:

  • हरे शैवाल: ये सबसे आम प्रकार के शैवाल हैं और इनमें क्लोरोफिल होता है, जो इन्हें हरा रंग देता है।
  • भूरे शैवाल: ये बड़े और जटिल शैवाल होते हैं और इनमें फ्यूकोक्सैन्थिन होता है, जो इन्हें भूरा रंग देता है।
  • लाल शैवाल: ये शैवाल गहरे पानी में पाए जाते हैं और इनमें फाइकोएरिथ्रिन होता है, जो इन्हें लाल रंग देता है।

Seaweed के उपयोग

Seaweed: The Green Gold of the Sea

Seaweed के कई उपयोग हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • भोजन: कई एशियाई देशों में समुद्री शैवाल को सब्जी के रूप में खाया जाता है। इसे सूप, सलाद और अन्य व्यंजनों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • दवा: समुद्री शैवाल में कई औषधीय गुण होते हैं। इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों जैसे कि थायरॉइड समस्याओं, उच्च रक्तचाप और कैंसर के इलाज में किया जाता है।
  • उर्वरक: समुद्री शैवाल में खनिज और पोषक तत्वों की उच्च मात्रा होती है, जिसके कारण इसे उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • खाद्य पूरक: समुद्री शैवाल को आहार पूरक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • कॉस्मेटिक्स: समुद्री शैवाल का उपयोग कई कॉस्मेटिक उत्पादों जैसे कि शैम्पू, कंडीशनर और लोशन में किया जाता है।

Seaweed के लाभ

Seaweed: The Green Gold of the Sea

समुद्री शैवाल में कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पोषक तत्वों से भरपूर: समुद्री शैवाल विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होता है।
  • एंटीऑक्सीडेंट्स: समुद्री शैवाल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं।
  • वजन घटाने में मदद करता है: समुद्री शैवाल में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराती है और वजन घटाने में मदद करती है।
  • पाचन में सुधार करता है: समुद्री शैवाल पाचन में सुधार करने में मदद करता है।
  • हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा: समुद्री शैवाल रक्तचाप को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

यह भी पढ़ें: Kesar Tea के स्वास्थ्य लाभ, रेसिपी

समुद्री शैवाल एक प्रकार का समुद्री पौधा है जो समुद्र के पानी में बढ़ता है। यह विभिन्न आकारों और रंगों में पाया जाता है। समुद्री शैवाल को अक्सर शैवाल भी कहा जाता है। यह समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और कई जीवों के लिए भोजन का स्रोत है।

Stale Food जानने के 6 तरीके

0

Stale Food होने पर खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, यह जानना बहुत जरूरी है कि खाना खाने योग्य है या नहीं। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिससे आप यह पता कर सकते हैं:

Expecting Mothers के लिए 10 आवश्यक सुझाव

Stale Food जानने के तरीके

गंध:

  • खराब होने की गंध: अगर खाने से अजीब या तीखी गंध आ रही है, तो यह संकेत है कि वह खराब हो सकता है।
  • खमीर की गंध: अगर खाने से खमीर की तरह की गंध आ रही है, तो इसे फेंक देना चाहिए।

स्वाद:

  • अजीब स्वाद: अगर खाने का स्वाद पहले जैसा नहीं है या कड़वा या खट्टा लग रहा है, तो यह खराब होने का संकेत हो सकता है।
6 ways to know stale food
Stale Food जानने के 6 तरीके

रंग:

  • रंग में बदलाव: अगर खाने का रंग पहले की तुलना में बदल गया है, जैसे कि फल या सब्जियों का रंग काला पड़ना, तो इसे नहीं खाना चाहिए।
  • फफूंद: अगर खाने पर फफूंद दिख रही है, तो इसे तुरंत फेंक देना चाहिए।

बनावट:

  • गले हुए या मुलायम: अगर खाना पहले की तुलना में गला हुआ या मुलायम लग रहा है, तो इसे नहीं खाना चाहिए।
  • चिपचिपा: अगर खाना चिपचिपा लग रहा है, तो यह खराब हो सकता है।

तारीख:

  • एक्सपायरी डेट: हमेशा उत्पाद की एक्सपायरी डेट को ध्यान से देखें। एक्सपायरी डेट के बाद का खाना खाने से बचें।
6 ways to know stale food
Stale Food जानने के 6 तरीके

दिखावट:

  • अजीब दिखावट: अगर खाने की दिखावट अजीब या असामान्य लग रही है, तो इसे नहीं खाना चाहिए।

ध्यान रखें:

यह भी पढ़ें: Kesar Tea के स्वास्थ्य लाभ, रेसिपी

खाना ठीक से स्टोर करें: खाद्य पदार्थों को हमेशा ठीक से स्टोर करें ताकि वे लंबे समय तक ताजा रहें।

सुरक्षा सबसे पहले: अगर आपको थोड़ी सी भी शंका है कि खाना खराब हो सकता है, तो उसे फेंक देना ही बेहतर है।

रेफ्रिजरेटर की सफाई: रेफ्रिजरेटर को नियमित रूप से साफ करें ताकि खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया न पनपे।

Animation में करियर: एक नई दिशा

Animation स्थिर चित्रों को एक क्रम में रखकर गति का भ्रम पैदा करने की एक कला है। यह एक ऐसी तकनीक है जो हमें चरित्रों और वस्तुओं को चलते हुए देखने की अनुमति देती है।

Animation में करियर क्यों चुनें?

Career in Animation: A New Direction
  • रचनात्मक स्वतंत्रता: आप अपनी कल्पना को उड़ान दे सकते हैं और अपनी खुद की दुनिया बना सकते हैं।
  • उच्च मांग: एनीमेशन के क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की हमेशा मांग रहती है।
  • विभिन्न प्रकार के काम: आप 2D एनीमेशन, 3D एनीमेशन, स्टॉप मोशन एनीमेशन, या मोशन ग्राफिक्स में विशेषज्ञ बन सकते हैं।
  • अच्छा वेतन: एनीमेशन में विशेषज्ञों को आकर्षक वेतन मिलता है।
  • ग्लोबल करियर: आप दुनिया भर में काम कर सकते हैं।

Career के लक्ष्यों को प्राप्त करने के 10 प्रभावी तरीके

Animation में करियर कैसे बनाएं?

Career in Animation: A New Direction
  1. शिक्षा: एनीमेशन में करियर बनाने के लिए आपको एक अच्छी शिक्षा की आवश्यकता होती है। आप एनीमेशन, मल्टीमीडिया, या विजुअल आर्ट्स में डिग्री या डिप्लोमा कर सकते हैं।
  2. कौशल: आपको ड्राइंग, रंग, कंप्यूटर ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर (जैसे कि Adobe Photoshop, Illustrator, और After Effects), और 3D मॉडलिंग सॉफ्टवेयर (जैसे कि Maya और 3ds Max) में महारत हासिल करने की आवश्यकता होगी।
  3. अभ्यास: नियमित रूप से अभ्यास करें और अपने कौशल को निखारते रहें।
  4. पोर्टफोलियो: एक मजबूत पोर्टफोलियो बनाएं जिसमें आपके सर्वश्रेष्ठ काम शामिल हों।
  5. नेटवर्किंग: एनीमेशन उद्योग में लोगों से जुड़ें।
  6. इंटर्नशिप: इंटर्नशिप करके आप व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

Animation में करियर के अवसर

Career in Animation: A New Direction
  • एनिमेटर: आप फिल्मों, टेलीविजन शो, या वीडियो गेम्स के लिए चरित्रों और वस्तुओं को एनिमेट कर सकते हैं।
  • 3D मॉडलर: आप 3D मॉडल बना सकते हैं जिनका उपयोग एनीमेशन में किया जाता है।
  • विजुअल इफेक्ट्स आर्टिस्ट: आप फिल्मों और टेलीविजन शो में विशेष प्रभाव बना सकते हैं।
  • मोशन ग्राफिक्स डिजाइनर: आप विज्ञापनों, प्रस्तुतियों, और वेबसाइटों के लिए मोशन ग्राफिक्स बना सकते हैं।
  • गेम डेवलपर: आप वीडियो गेम्स के लिए ग्राफिक्स और एनीमेशन बना सकते हैं।

यह भी पढ़े: Education भूख और गरीबी को कम करने में कैसे मदद कर सकती है?

भारत में एनीमेशन के लिए शीर्ष संस्थान

  • माया इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड सिनेमैटिक्स एनिमेटेड सामग्री की बढ़ती मांग के साथ, एनिमेटरों के लिए नौकरी का नज़रिया आम तौर पर सकारात्मक है।
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिज़ाइन
  • एरिना एनीमेशन
  • एफएक्स स्कूल

Mackerel: एक स्थायी समुद्री भोजन विकल्प

0

Mackerel एक ऐसी मछली है जो न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि पोषण से भी भरपूर होती है। यह समुद्री भोजन उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो एक स्वस्थ और टिकाऊ आहार का पालन करना चाहते हैं।

यह भी पढ़ें: Masala Paneer Roll Recipe: स्वादिष्ट और पौष्टिक स्नैक बनाने का आसान तरीका

Mackerel के पोषण लाभ

Mackerel: a sustainable seafood option
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड: मैकेरल ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है, जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाने और सूजन को कम करने में मदद करता है।
  • विटामिन और खनिज: यह मछली विटामिन बी12, सेलेनियम और फास्फोरस जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होती है जो शरीर के कई कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं।
  • प्रोटीन: मैकेरल एक उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन स्रोत है जो मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत में मदद करता है।

Mackerel क्यों एक स्थायी विकल्प है?

Mackerel: a sustainable seafood option
  • तेजी से प्रजनन: मैकेरल तेजी से प्रजनन करने वाली मछली है, जिसका अर्थ है कि उनकी आबादी को तेजी से पुनर्स्थापित किया जा सकता है।
  • व्यापक रूप से उपलब्ध: मैकेरल दुनिया भर में कई महासागरों में पाया जाता है, जिससे यह एक व्यापक रूप से उपलब्ध समुद्री भोजन विकल्प बन जाता है।
  • पर्यावरण पर कम प्रभाव: मैकेरल को पकड़ने के लिए आमतौर पर कम प्रभाव वाली मछली पकड़ने की विधियों का उपयोग किया जाता है, जिससे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर कम प्रभाव पड़ता है।

यह भी पढ़े: सुबह किस टाइम yoga करना सही? ध्यान रखें ये बातें 

Mackerel को अपने आहार में कैसे शामिल करें?

Mackerel: a sustainable seafood option

मैकेरल को विभिन्न तरीकों से तैयार किया जा सकता है, जैसे कि:

  • ग्रिल्ड: मैकेरल को ग्रिल करके आप इसके स्वाद को बढ़ा सकते हैं और स्वस्थ वसा को बचा सकते हैं।
  • बेक्ड: ओवन में बेक्ड मैकेरल एक स्वादिष्ट और आसान भोजन विकल्प है।
  • तला हुआ: हालांकि तला हुआ मैकेरल स्वादिष्ट होता है, लेकिन इसे कम बार खाया जाना चाहिए क्योंकि इसमें अधिक कैलोरी और वसा होती है।
  • सूप और स्ट्यू: आप मैकेरल को सूप और स्ट्यू में भी शामिल कर सकते हैं।

Cauliflower, फूल गोभी के कीड़े सेहत के लिए हो सकते हैं खतरनाक, जानिए खाना पकाने से पहले इन्हे साफ करने का सही तरीका

0

सर्दियों के मौसम में घर में Cauliflower खूब बनती है। पत्तागोभी हो या फूलगोभी, इस मौसम में इन्हें खाने का अलग ही मजा है। लेकिन, इन दोनों प्रकार की पत्तागोभी में कीड़े भी काफी मात्रा में होते हैं। पत्तागोभी के कीड़े तो अभी भी दिख जाते हैं, लेकिन फूलगोभी के डंठल में कीड़े इतने गहरे होते हैं कि गलती होने पर पता ही नहीं चलता कि इन्हें कब पकाया और खाया गया। ये ज्यादातर लार्वा, एफिड्स, पिस्सू बीटल, लीफहॉपर्स और टेपवर्म हैं जो कभी-कभी नग्न आंखों से भी दिखाई नहीं देते हैं।

यह भी पढ़ें: Methi के पत्तों की कड़वाहट दूर करने के सरल उपाय, जानें यहां

ऐसे में अगर पत्तागोभी को ठीक से साफ न किया जाए तो इन कीड़ों को थाली से पेट तक जाने में ज्यादा समय नहीं लगता है। इन कीड़ों के पेट में जाने से खतरनाक रसायन पाचन तंत्र तक पहुंच सकते हैं और सेहत बिगाड़ सकते हैं। इसलिए यहां जानिए कि पत्तागोभी और Cauliflower को पकाने से पहले कैसे अच्छी तरह से साफ किया जा सकता है।

Cauliflower और पत्तागोभी को कैसे साफ़ करें?

Cauliflower and cabbage worms can be dangerous for health, know the right way to clean them before cooking.

Cauliflower को साफ करने के लिए सबसे पहले इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लीजिए। अगर फूलगोभी को एक बार बिना काटे धो लिया जाए तो सिर्फ बाहरी गंदगी ही निकलती है, कीड़े नहीं। इसीलिए फूलगोभी को काटने के बाद धोया जाता है। फूलगोभी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लीजिए और बहते पानी में धो लीजिए यानी बहते नल के नीचे धो लीजिए। इससे गंदगी और कीड़े दोनों दूर हो जाते हैं

गोभी को एक बर्तन में डालकर आंच पर रखें और 10 से 20 मिनट के लिए ब्लांच कर लें। इससे बैक्टीरिया और परजीवी मर जाते हैं। इसके बाद गोभी को उबलते पानी में डालकर 5 मिनट तक पकाएं और फिर ठंडे पानी में डाल दें। अब इस पत्तागोभी का उपयोग सब्जी बनाने में किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में इसमें मौजूद सभी प्रकार के कीड़े मर जाते हैं।

Cauliflower and cabbage worms can be dangerous for health, know the right way to clean them before cooking.

पत्तागोभी को साफ करने के लिए इसे काट कर एक बर्तन में रख दीजिए और इसमें नमक वाला पानी डाल दीजिए। अब इस नमक वाले पानी से Cauliflower को अच्छी तरह साफ कर लें। इसके बाद गोभी को एक बार फिर साफ पानी से धो लें। आप इसमें गर्म पानी और हल्दी मिलाकर भी धो सकते हैं। पत्तागोभी को कुछ देर सूखने के लिए अलग रख दें। इसके बाद यह पकने और खाने के लिए तैयार है

यह भी पढ़ें: Methi की पत्तियों को कैसे स्टोर करें और उन्हें पकाने के 5 स्वादिष्ट तरीके

सिर्फ Cauliflower या पत्तागोभी ही नहीं बल्कि कई हरी पत्तेदार सब्जियों में कीड़े लग जाते हैं। ऐसे में इन सब्जियों को साफ करना भी जरूरी है। अगर आप घर में पालक और मेथी का साग लेकर आए हैं तो उसे अच्छी तरह साफ कर लें। इसके लिए इन्हें 10 से 15 मिनट तक नमक वाले पानी में रखें और फिर धोकर निकाल लें। इसके बाद साग को एक बार फिर से साफ पानी से साफ कर लें और सूखने के लिए अलग रख दें। इस प्रकार साग-सब्जी में मौजूद छोटे-छोटे कीड़े निकल जाते हैं।

जानिए Green Moong Dal खाने के स्वास्थ्य लाभ

0

भारतीय घरों में अरहर और चना जैसी दालें बहुतायत में खाई जाती हैं। इनके बिना खाना अधूरा माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरहर के अलावा Green Moong Dal भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है।

यह भी पढ़ें: Moong Dal Halwa: एक स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन

यह दाल सभी दालों में सबसे अधिक पौष्टिक मानी जाती है। यह वजन कम करने में फायदेमंद है और पेट द्वारा आसानी से पच जाता है। मूंग दाल खाने से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है। तो आइए जानते हैं हरी मूंग दाल के सेवन से स्वास्थ्य को क्या फायदे होते हैं

Green Moong Dal खाने के फायदे

Know the health benefits of eating Green Moong Dal

वजन घटाना:

मूंग दाल में फाइबर और प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। इसे खाने से आपको भूख नहीं लगती है इसलिए अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो नियमित रूप से इसका सेवन करें। दाल के अलावा आप इसका सेवन सलाद के रूप में भी कर सकते हैं. हरी मूंग दाल को रात भर भिगो दें. अगली सुबह अंकुरित अनाजों को उबाल लें और इसमें कटा हुआ प्याज, टमाटर, खीरा, हरी मिर्च, नींबू का रस और एक चुटकी नमक डालें।

उच्च रक्तचाप को कम करता है:

Green Moong Dal में फाइबर, पोटेशियम और मैग्नीशियम होता है जो शरीर में रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। यह रक्त में मैग्नीशियम के स्तर को बनाए रखता है। मैग्नीशियम रक्त वाहिकाओं को आसान बनाता है जिससे उच्च रक्तचाप कम हो जाता है।

यह भी पढ़ें: रोजाना moong dal खाने के 7 फायदे

Know the health benefits of eating Green Moong Dal

कोलेस्ट्रॉल:

हरी मूंग दाल कोलेस्ट्रॉल और लिपिड को कम करने में मदद करती है। उच्च कोलेस्ट्रॉल से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। शोध से पता चलता है कि हरी मूंग दाल में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने के गुण होते हैं। एक कटोरी मूंग दाल (लगभग 130 ग्राम) एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को लगभग 5% तक कम कर सकती है। यह न केवल सूजन को कम करता है बल्कि प्लाक जमाव को रोककर दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को भी कम करता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता:

हरी मूंग दाल रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में फायदेमंद होती है। विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर मूंग दाल शरीर की प्राकृतिक रक्षा तंत्र का समर्थन करती है। इसमें मौजूद फाइटोन्यूट्रिएंट्स रोगाणुरोधी होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने और प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं।

Know the health benefits of eating Green Moong Dal

यह भी पढ़ें: Toor Dal: आहार में शामिल करने के लिए 5 व्यंजन

त्वचा के लिए फायदेमंद:

Green Moong Dal त्वचा को चमक और चमक देती है। मूंग दाल को स्क्रब के रूप में इस्तेमाल करना भी एक अच्छा विकल्प है। घर पर मूंग दाल का उपयोग करके एक्सफोलिएटिंग फेस पैक बनाना बहुत आसान है।

Diabetes के मरीजों के लिए इस सब्जी का सेवन है फायदेमंद, जानें कैसे करें सेवन

0

Diabetes में आहार को संतुलित रखना बहुत जरूरी है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजें खाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि शुगर स्पाइक न हो। इसके अलावा, उन खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनमें फाइबर और रफेज प्रचुर मात्रा में हो। इसके अलावा कोशिश करें कि ऐसी चीजें खाएं जो मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाती हों। ऐसी ही एक चीज है लौकी।

यह भी पढ़ें: इस पत्ते का सेवन करके Diabetes को कहें अलविदा, जानें इसके फायदे और इस्तेमाल के तरीके

लौकी का सेवन आपके शरीर में मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा इसके फाइबर और रूघेज पाचन प्रक्रिया को तेज करते हैं और ग्लूकोज के उत्पादन को नियंत्रित करते हैं। लेकिन आपको लौकी ऐसे खानी चाहिए जिससे शरीर को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले।

Diabetes में लौकी खाने के फायदे

Consumption of this vegetable is beneficial for diabetic patients, know how to consume it

चीनी को तेजी से पचाती है: लौकी चीनी को पचाने में तेजी लाती है और पाचन प्रक्रिया को तेज करती है। इसके अलावा यह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाता है, जिससे चीनी अपने आप तेजी से पच जाती है। इसके अलावा लौकी में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो आसानी से पच जाता है।

फास्टिंग ग्लूकोज भी होगा नियंत्रित: लौकी फास्टिंग ग्लूकोज को नियंत्रित करने में मदद करती है। ग्लूकोज फास्टिंग का एक प्रमुख कारण लंबे समय तक कब्ज रहना है जिससे शुगर को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है। इसलिए, जब आप लौकी चोखा खाते हैं, तो यह कब्ज की समस्या को कम करने में मदद करता है और फास्टिंग शुगर को कम करने में मदद करता है। तो इन सभी कारणों से Diabetes से पीड़ित लोगों को लौकी चोखा खाना चाहिए।

लौकी का सेवन कैसे करें

Consumption of this vegetable is beneficial for diabetic patients, know how to consume it

यह भी पढ़ें: Diabetes को नियंत्रित करने के लिए 10 खाद्य पदार्थ 

डायबिटीज के मरीजों को लौकी खानी चाहिए ताकि इसका फाइबर और रफेज खत्म न हो जाए। इसके अलावा लौकी का सेवन इस तरह करना चाहिए कि इसमें मौजूद पानी खत्म न हो। जैसे Diabetes में आप लौकी का सेवन कई तरह से कर सकते हैं। इसे आप चोखा, सूप, जूस या सब्जी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा आप इसका परांठा भी खा सकते हैं।

इस विंटर सुपरफूड को रोजाना खाने से Joint Pain कम होता है, जानें एक दिन में कितना खाना चाहिए?

0

Joint Pain: सूखे मेवों में शामिल मखाना के अनगिनत स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट जैसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो पाचन में सुधार कर सकते हैं। इस ड्राई फ्रूट को बिना गरम किये भी खाया जा सकता है। कई लोग इसे भूनकर खाना पसंद करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इसमें एंटी-एजिंग गुण होते हैं। इससे जोड़ों के दर्द से भी राहत मिल सकती है। मखाने की सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी तासीर ठंडी होती है। इसलिए इसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: मखाना बनाम मूंगफली: Weight Loss के लिए कौन सा स्नैक बेहतर है?

Joint Pain के अलावा इन समस्याओं में कारगर है मखाना

Eating this winter superfood daily reduces joint pain, know how much should be eaten in a day?

मखाने में कैलोरी की मात्रा कम होती है। इसलिए इसका उपयोग वजन घटाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके सेवन से किडनी और हृदय के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। मखाना हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी अच्छा माना जाता है। बार-बार मांसपेशियों में अकड़न की समस्या होने पर मखाना खाना फायदेमंद होता है। इसमें कैलोरी, सोडियम और वसा की मात्रा नगण्य होती है। इसलिए मखाना आपके बालों और त्वचा के लिए भी कई तरह से उपयोगी है।

इन बीमारियों के लिए फायदेमंद है मखाना

Eating this winter superfood daily reduces joint pain, know how much should be eaten in a day?

यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ कई बीमारियों को दूर करने में भी कारगर माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, गठिया के दर्द, शारीरिक कमजोरी, शरीर में जलन, Joint Pain, हृदय स्वास्थ्य, कान दर्द, प्रसवोत्तर दर्द, रक्तचाप नियंत्रण, अनिद्रा से राहत, गुर्दे की बीमारियों, गर्मी, नपुंसकता से बचने, झुर्रियों से छुटकारा पाने और दस्त से बचने के लिए इसके दैनिक सेवन को आहार में शामिल किया जा सकता है।

एक दिन में कितना खाना चाहिए?

Eating this winter superfood daily reduces joint pain, know how much should be eaten in a day?

यह भी पढ़ें: Joint Pain: क्या चावल से जोड़ों में दर्द होता है?

डायबिटीज जैसी कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए मखाना फायदेमंद माना जाता है। बीमारियों को दूर रखने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट 4 से 5 मखाने का सेवन करना आयुर्वेद में अच्छा माना जाता है। कुछ दिनों तक लगातार इनका सेवन करने से और भी कई फायदे हो सकते है। जो लोग तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं से गुजर रहे हैं, उनके लिए अच्छी नींद के लिए रात को सोने से पहले गर्म दूध के साथ सात से आठ मखाने खाना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

मौसमी संक्रमण के लिए कारगर हैं Amla And Honey, जानें इसके 5 स्वास्थ्य लाभ

0

Amla And Honey दोनों में कई महत्वपूर्ण पोषण गुण होते हैं। मौसमी संक्रमण से लड़ने के लिए इनका सेवन वर्षों से किया जाता रहा है। अगर इन्हें एक साथ लिया जाए तो ये अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं। आज के समय में गिरते तापमान और बढ़ते प्रदूषण के कारण सर्दी, खांसी, कफ और अन्य फ्लू के लक्षण लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। आंवला और शहद का मिश्रण आपको इन्हें नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। तो आइए जानते हैं कि आंवला और शहद आपके लिए कैसे फायदेमंद हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें:  इस पत्ते का सेवन करके Diabetes को कहें अलविदा, जानें इसके फायदे और इस्तेमाल के तरीके

Amla And Honey मौसमी संक्रमण को रोकने में कैसे मदद करते हैं?

Amla and honey are effective for seasonal infections, know its 5 health benefits

आंवला विटामिन सी का समृद्ध स्रोत है, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके साथ ही शहद में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।

इन दोनों के संयोजन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे आपका शरीर मौसमी संक्रमण और फ्लू के अन्य लक्षणों से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। अगर आप गंभीर रूप से सर्दी-खांसी से पीड़ित हैं और आपको बार-बार छींक आ रही है तो नियमित रूप से Amla And Honey का मिश्रण लेने से तुरंत राहत मिलेगी।

Amla And Honey के फायदे

Amla and honey are effective for seasonal infections, know its 5 health benefits

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट है, इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जब इसे शहद के एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ मिलाया जाता है, तो यह एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाला संयोजन बन जाता है। इस प्रकार यह शरीर को पर्याप्त शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है।

पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छा: Amla आहार फाइबर से भरपूर होता है जो पाचन में सहायता करता है जबकि शहद में मौजूद एंजाइम आंतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। दोनों का संयोजन पाचन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। नियमित सेवन से सर्दियों के दौरान पाचन समस्याओं का खतरा कम हो जाता है और नियमित मल त्याग को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

Amla and honey are effective for seasonal infections, know its 5 health benefits

बालों की गुणवत्ता में सुधार: बालों की गुणवत्ता में सुधार के लिए आंवले का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। आंवले में मौजूद विटामिन के साथ-साथ शहद के मॉइस्चराइजिंग गुण उन्हें बालों के स्वास्थ्य के लिए एक बहुत प्रभावी उपाय बनाते हैं। जब शहद के साथ मिलाया जाता है, तो यह संभावित रूप से बालों की गुणवत्ता को बढ़ाता है, साथ ही बालों में चमक और मजबूती भी लाता है।

यह भी पढ़ें: Curd And Honey: 7 कारण जिनकी वजह से आपको यह संयोजन अवश्य आज़माना चाहिए

विषहरण: आंवले के विषहरण गुण, शहद की यकृत समारोह को समर्थन देने की क्षमता के साथ मिलकर, शरीर की प्राकृतिक विषहरण प्रक्रियाओं में सहायता करते हैं। Amla And Honey का संयोजन शरीर के विषाक्त पदार्थों को खत्म करना आसान बनाता है, जिससे आपका शरीर स्वस्थ और संतुलित रहता है।

Amla and honey are effective for seasonal infections, know its 5 health benefits

श्वसन स्वास्थ्य को बनाए रखें: आंवले में मौजूद विटामिन सी श्वसन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। वहीं, शहद के सुखदायक प्रभाव के साथ इसका सेवन खांसी और सर्दी से राहत दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।

स्वास्थ्य पर Vein Bulges के प्रभाव को समझना

स्वास्थ्य पर Vein Bulges के प्रभाव को समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि नसों के उभार (vein prominence) का क्या अर्थ है और यह शरीर में किस प्रकार के बदलावों को सूचित कर सकता है। नसों के उभार का अर्थ है नसों का सामान्य से अधिक दिखाई देना, जो कभी-कभी शारीरिक प्रयास, उम्र, या किसी बीमारी के कारण हो सकता है। यह एक सामान्य स्थिति हो सकती है, लेकिन कभी-कभी यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकती है।

Vein Bulges के कारण

Understanding the Effects of Vein Bulges on Health
स्वास्थ्य पर Vein Bulges के प्रभाव को समझना

नसों का उभरना कुछ सामान्य कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

1. शारीरिक गतिविधि और व्यायाम: शारीरिक मेहनत, जैसे कि व्यायाम या वजन उठाना, नसों के उभार का एक सामान्य कारण हो सकता है। जब शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है, तो नसें फैली हुई दिखाई देती हैं। यह आमतौर पर उन व्यक्तियों में देखा जाता है जो नियमित रूप से शारीरिक अभ्यास करते हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां मांसपेशियों का विकास हुआ होता है।

2. उम्र: उम्र बढ़ने के साथ-साथ त्वचा की लचीलापन कम हो जाती है और शरीर में रक्त वाहिकाओं (veins) की दीवारें कमजोर हो सकती हैं। इससे नसें अधिक उभरी हुई दिखाई देती हैं, खासकर हाथों और पैरों में। इस प्रक्रिया को “वेनस एजिंग” कहा जाता है।

3. आनुवंशिक कारक: कई बार नसों का उभरना अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार में किसी को नसों के उभार या वेरिकोज़ वेन (varicose veins) की समस्या रही हो, तो उनके बच्चों या पोते-पोतियों को भी इस समस्या का सामना हो सकता है।

4. वजन बढ़ना: अधिक वजन भी नसों के उभार का कारण बन सकता है। शरीर पर अतिरिक्त वजन नसों पर दबाव डालता है, जिससे रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं और उभरी हुई दिखाई देती हैं।

5. गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं में बढ़ते हुए भ्रूण के कारण रक्त प्रवाह पर दबाव पड़ता है, जिससे पैरों में नसों का उभरना आम बात होती है। यह स्थिति वेरिकोज़ वेन के रूप में प्रकट हो सकती है।

6. हॉर्मोनल बदलाव: हॉर्मोनल असंतुलन, खासकर महिलाओं में, नसों के उभार का कारण हो सकता है। मासिक धर्म, गर्भावस्था और मेनोपॉज जैसे हॉर्मोनल बदलावों के दौरान नसें अधिक उभरी हुई दिखाई दे सकती हैं।

7. दवाओं का प्रभाव: कुछ दवाओं के कारण भी नसों में बदलाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, स्टेरॉयड दवाइयों का सेवन रक्त वाहिकाओं को कमजोर कर सकता है, जिससे नसें अधिक दिखाई देने लगती हैं।

Vein Bulges के स्वास्थ्य पर प्रभाव

Understanding the Effects of Vein Bulges on Health
स्वास्थ्य पर Vein Bulges के प्रभाव को समझना

नसों का उभरना अपने आप में कोई गंभीर समस्या नहीं होती, लेकिन यदि इसका कारण वेरिकोज़ वेन जैसी स्थिति हो, तो यह स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

1. वेरिकोज़ वेन (Varicose veins): यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें नसें कमजोर हो जाती हैं और उनमें रक्त का प्रवाह सामान्य रूप से नहीं हो पाता। यह न केवल नसों के उभार का कारण बनता है, बल्कि इसके कारण दर्द, सूजन, और त्वचा पर परिवर्तन भी हो सकते हैं। लंबे समय तक वेरिकोज़ वेन की स्थिति को नजरअंदाज करने से रक्त का थक्का जम सकता है, जिससे गहरी रक्त वाहिका थ्रोम्बोसिस (Deep vein thrombosis) का खतरा बढ़ सकता है।

2. सूजन और दर्द: जब नसें उभरी हुई होती हैं, तो अक्सर उनमें सूजन और दर्द की शिकायत भी हो सकती है। यह विशेष रूप से पैरों की नसों में देखा जाता है, जहां लंबा खड़ा रहने या चलने के बाद दर्द बढ़ सकता है। कभी-कभी, ये दर्द और सूजन इस हद तक बढ़ सकते हैं कि व्यक्ति को सामान्य कार्यों में भी कठिनाई महसूस हो सकती है।

3. त्वचा संबंधी समस्याएं: नसों के उभरने के कारण त्वचा में परिवर्तन भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, वेरिकोज़ वेन के कारण त्वचा पर भूरे या नीले रंग के धब्बे और सूजन हो सकते हैं। इसके अलावा, नसों के उभार के कारण त्वचा में शुष्कता और खुजली भी हो सकती है।

4. गहरी रक्त वाहिका थ्रोम्बोसिस (DVT): यदि नसें कमजोर हो जाएं और रक्त का प्रवाह सामान्य रूप से न हो, तो रक्त थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है। गहरी रक्त वाहिका थ्रोम्बोसिस एक खतरनाक स्थिति हो सकती है, जो रक्त के थक्के के फटने पर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकती है, जैसे कि फेफड़ों में (पल्मोनरी एम्बोलिज़्म)। यह स्थिति जीवन के लिए खतरे का कारण बन सकती है।

Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने के लिए 8 खाद्य पदार्थ

Vein Bulges से बचाव और उपचार

Understanding the Effects of Vein Bulges on Health
स्वास्थ्य पर Vein Bulges के प्रभाव को समझना

1. व्यायाम: नियमित व्यायाम नसों के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है और नसों पर दबाव कम पड़ता है। पैरों के व्यायाम, जैसे चलना, दौड़ना या साइकिल चलाना, खासकर नसों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अच्छे होते हैं।

2. वजन नियंत्रण: अधिक वजन नसों पर दबाव डालता है, जिससे वे उभरी हुई दिखाई देती हैं। वजन कम करने से नसों पर दबाव कम होता है और उनकी स्थिति में सुधार हो सकता है।

3. उठाकर रखना: पैरों को समय-समय पर ऊंचा रखकर रक्त प्रवाह को बेहतर किया जा सकता है। यह विशेष रूप से तब मददगार होता है जब व्यक्ति लंबे समय तक खड़ा रहता है।

4. दवाइयां और उपचार: वेरिकोज़ वेन के इलाज के लिए दवाइयां और सर्जिकल प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। सर्जरी या लेजर उपचार से नसों के उभार को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, compression stockings भी एक प्रभावी उपचार हो सकता है, जो नसों पर दबाव डालकर रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है।

स्वस्थ आहार: एक संतुलित और पौष्टिक आहार रक्त वाहिकाओं के स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। विशेष रूप से, ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर आहार नसों के लिए फायदेमंद होता है।

निष्कर्ष:

नसों का उभरना एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह कभी-कभी स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकता है। वेरिकोज़ वेन, सूजन, दर्द, और रक्त के थक्के बनने जैसी समस्याओं से बचने के लिए इसके कारणों को समझना और उचित उपचार अपनाना जरूरी है। यदि नसों के उभार के साथ अन्य लक्षण भी दिखाई दें, तो डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होता है, ताकि समय पर इलाज किया जा सके और गंभीर समस्याओं से बचा जा सके।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

सर्दियों में Guava खाने से मिलती है इन समस्याओं से राहत

0

Guava Benefits: फलों का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। खासकर डॉक्टर स्वस्थ रहने के लिए रोजाना सेब खाने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक फल ऐसा भी है जो सेब से भी ज्यादा फायदेमंद है? इस फल का स्वाद इतना लाजवाब है कि आप इसे रोजाना खाने से भी बोर नहीं होंगे। हम जिस फल की बात कर रहे हैं वह अमरूद है। इसमें सेब से 9.81 गुना अधिक प्रोटीन और 2.25 गुना अधिक फाइबर होता है जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

यह भी पढ़ें: Sweet Potato के स्वास्थ्य पोषण तथ्य और लाभ

विशेषज्ञों के अनुसार सर्दी के मौसम में अमरूद खाने से पाचन तंत्र तो स्वस्थ रहता ही है साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। आइए जानते हैं इस मौसम में अमरूद खाने से सेहत को किस तरह के फायदे होते हैं:

Guava इन समस्याओं में कारगर है

Eating Guava in winter provides relief from these problems

रक्तचाप को नियंत्रित करता है:

Guava एंटीऑक्सीडेंट, विशेष रूप से पॉलीफेनोल्स से भरपूर होता है, जो रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। इसमें पोटेशियम भी होता है, एक खनिज जो मूत्र के माध्यम से सोडियम को कम करता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है:

अमरूद विटामिन सी जैसे घुलनशील फाइबर से भरपूर होता है। घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने और रक्त में इसके स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, क्योंकि अमरूद में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, यह एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के अच्छे स्तर को बनाए रखता है।

यह भी पढ़ें: Guava leaves की मदद से दांत दर्द को कहें अलविदा

Eating Guava in winter provides relief from these problems

सर्दी-खांसी से राहत दिलाता है:

सर्दी-खांसी से पीड़ित लोगों को Guava का सेवन करना चाहिए। विशेषकर जिनका कफ नहीं निकल रहा हो उन्हें अमरूद के बीज खिलाएं और रोगी को नाक बंद करके ताजा पानी पीना चाहिए। 2-3 दिन में रुकी हुई सर्दी निकल कर साफ़ हो जायेगी। यदि सूखी खांसी हो और कफ नहीं निकल रहा हो तो सुबह ताजा अमरूद तोड़कर चबाने से लाभ होता है।

डायबिटीज में फायदेमंद:

अमरूद में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस फल की पत्तियां पॉलीफेनोल्स और ट्राइटरपीन से भरपूर होती हैं, ये यौगिक ग्लाइकोजन के चयापचय को प्रबंधित करने में मदद करते हैं।

Eating Guava in winter provides relief from these problems

त्वचा के लिए फायदेमंद:

गुलाबी या लाल Guava खाना त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है क्योंकि इसमें लाइकोपीन प्रचुर मात्रा में होता है, जो त्वचा को सूरज की पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है।

यह भी पढ़ें: भुने Guava खाने से आपकी सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे

दांत दर्द से राहत मिलती है:

अमरूद की पत्तियों को चबाने या पत्तियों के काढ़े में फिटकरी मिलाकर कुल्ला करने से दांत दर्द से राहत मिलती है। अमरूद की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में नमक मिलाकर 4-5 मिनट तक मुंह में रखकर कुल्ला करने से दांत स्वस्थ रहते हैं।

Sweet Potato: जानिए ठंड के मौसम में शकरकंद खाने के 6 फायदे

0

सर्दी के मौसम में लोग Sweet Potato खाना बहुत पसंद करते हैं। यह न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है बल्कि कई बीमारियों से राहत दिलाने में भी कारगर है। शकरकंद में कई पोषक तत्व होते हैं। यह विटामिन ए और सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। सर्दी के मौसम में शकरकंद सबसे अच्छा इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है, यह शरीर को गर्म भी रखता है। आइए आपको सर्दी के मौसम में शकरकंद खाने के पांच फायदों के बारे में बताते हैं।

ठंड के मौसम में Sweet Potato खाने के 6 फायदे

Sweet Potato: Know the 5 benefits of eating sweet potatoes in cold weather

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अच्छा है


शकरकंद पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें मौजूद विटामिन ए और विटामिन सी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विटामिन ए प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सर्दियों के दौरान संक्रमण से बचाने के लिए यह फायदेमंद है।

हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है


Sweet Potato में बीटा-कैरोटीन के अलावा अन्य एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन से लड़ते हैं, जो हृदय की स्थिति से संबंधित कारक हैं। जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शकरकंद पोटेशियम और फाइबर से भरपूर होता है, जो हृदय स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह भी पढ़ें: Sweet Potato Rabdi: सर्दियों की पसंदीदा मिठाई, जानें विधि

Sweet Potato: Know the 5 benefits of eating sweet potatoes in cold weather

पाचन के लिए अच्छा है


शकरकंद पाचन के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या से भी राहत मिलती है. फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन जैसी पत्रिकाओं के अनुसार, शकरकंद से संबंधित शोध बेहतर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्वास्थ्य लाने में मदद करता है और पाचन तंत्र में स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

शुगर नियंत्रण में मदद करता है


अध्ययनों के अनुसार, Sweet Potato अपने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) और उच्च फाइबर सामग्री के कारण रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो पाचन और ग्लूकोज अवशोषण को धीमा कर देता है। शकरकंद के सेवन से शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है।

Sweet Potato: Know the 5 benefits of eating sweet potatoes in cold weather

आंखों की रोशनी के लिए अच्छा है


Sweet Potato बीटा-कैरोटीन से भरपूर होता है जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में कारगर है। स्वस्थ रेटिना बनाए रखने और कम रोशनी में दृष्टि में सुधार के लिए विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण है और शकरकंद विटामिन ए से भरपूर होता है।

यह भी पढ़ें: Sweet potato क्या खून बढ़ाता है?

त्वचा के लिए फायदेमंद


शकरकंद बीटा-कैरोटीन एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो समय से पहले बूढ़ा होने के लिए जिम्मेदार मुक्त कणों को निष्क्रिय करके त्वचा की रक्षा करता है। सर्दियों में शकरकंद खाने से मुलायम, साफ़ और कोमल त्वचा मिलती है। उनके पोषक तत्व त्वचा की लोच और नमी बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे आपको एक स्वस्थ चमक मिलती है।

Parvati Mata चालीसा से पूरी होगी आपकी मनोकामना, दूर होंगी आर्थिक परेशानियां

Parvati Mata, जिन्हें गौरी और उमा के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में शिवजी की पत्नी और देवी शक्ति की एक महत्वपूर्ण अवतार मानी जाती हैं। वे सुख-समृद्धि, ज्ञान, और शक्ति की देवी हैं। पार्वती माता की पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, साथ ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

यह भी पढ़ें: Kubera Chalisa: जीवन में धन की प्राप्ति के लिए पढ़ें

Parvati Mata चालीसा एक शक्तिशाली मंत्र है, जिसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि आती है। यह चालीसा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो आर्थिक समस्याओं, जीवन में संघर्ष या किसी विशेष समस्या का सामना कर रहे हैं।

Parvati Mata चालीसा के लाभ:

Parvati Mata Chalisa, financial problems will be removed
  1. मनोकामनाओं की पूर्ति: Parvati Mata की उपासना से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चालीसा में उनका ध्यान करके और उनका गुणगान करके कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति कर सकता है।
  2. आर्थिक परेशानियों का समाधान: पार्वती माता के आशीर्वाद से आर्थिक संकटों में कमी आती है। जो लोग आर्थिक तंगी या व्यवसाय में विफलता का सामना कर रहे हैं, वे इस चालीसा का पाठ करके मां पार्वती की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
  3. धन-संपत्ति की वृद्धि: पार्वती माता की पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है, जिससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और घर में समृद्धि आती है।
  4. मन की शांति और तनाव का निवारण: चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और मानसिक तनाव को दूर करता है। यह न केवल पारिवारिक जीवन को खुशहाल बनाता है, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी संतुलन बनाए रखता है।
  5. कष्टों का निवारण: जीवन में जो कष्ट, दुःख या विघ्न आते हैं, उनकी समाप्ति होती है। देवी पार्वती की उपासना से व्यक्ति का जीवन खुशहाल और तनावमुक्त होता है।

Parvati Mata चालीसा का पाठ करने का सही तरीका:

  • शुद्ध स्थिति में बैठें: चालीसा का पाठ करने से पहले, अपने शरीर और मन को शुद्ध करें। एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  • माता का ध्यान करें: पाठ शुरू करने से पहले देवी पार्वती का ध्यान करें और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करें।
  • नियमित रूप से पाठ करें: चालीसा का पाठ कम से कम 11 बार करें। अगर आप और अधिक पढ़ सकते हैं तो 108 बार पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
  • प्रसाद चढ़ाएं: चालीसा का पाठ करते समय देवी पार्वती को मिठाई, फल या फूल चढ़ाना शुभ होता है।
  • आत्मविश्वास रखें: पाठ करते समय अपने विश्वास को मजबूत रखें कि माता की कृपा से आपके सभी संकट समाप्त होंगे और आपकी इच्छाएं पूरी होंगी।

Parvati Mata चालीसा

Parvati Mata Chalisa, financial problems will be removed

जय माता पार्वती देवी, जय गौरी माँ की।
आपके चरणों में बसी है, हर सुख और समृद्धि।।

शिवशक्ति स्वरूपा माता, सबकी हर बुरी स्थिति,
आपका नाम सुमिरन करके, दूर होती है हर पीड़ा।।

दीननाथ, कष्ट हरते हो, संकट से बचाओ तुम,
जीवन की राह दिखलाओ, सुख शांति का आशीर्वाद दो तुम।।

मां की पूजा से प्राप्त होती है, ऐश्वर्य और वैभव की बात,
मन के हर विचार को साकार करती हो, आपके चरणों में वास।।

जय पार्वती, जय गौरी, जय उमा महेश्वरी,
आपकी कृपा से सुखी हम, मिले हर सुख समृद्धि।।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Kubera Chalisa: जीवन में धन की प्राप्ति के लिए पढ़ें

Kubera Chalisa भगवान कुबेर को समर्पित 40 छंदों वाला स्तोत्र है। भगवान कुबेर को हिंदू धर्म में धन के देवता माना जाता है। यह माना जाता है कि कुबेर चालीसा का नियमित पाठ करने से धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। इस चालीसा में हर छंद भगवान कुबेर की स्तुति करता है और उनसे समृद्धि, सफलता और जीवन की आर्थिक बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना की जाती है।

यह भी पढ़ें: Akshardham Mandir: शांति और सद्भाव का प्रतीक

Kubera Chalisa का महत्व

Kubera Chalisa: Read to achieve wealth in life
Kubera Chalisa का महत्व

इससे पहले कि हम चालीसा का पाठ करें, यह समझना महत्वपूर्ण है कि भगवान कुबेर की पूजा का क्या महत्व है और क्यों इसे इतनी श्रद्धा के साथ किया जाता है।

  • कुबेर का हिंदू धर्म में महत्व: भगवान कुबेर को सभी देवताओं का कोषाध्यक्ष कहा जाता है। उनका मुख्य कार्य सृष्टि में धन और संपत्ति का प्रबंधन करना है। उन्हें भौतिक समृद्धि, संपत्ति और सौभाग्य का देवता माना जाता है।
  • कुबेर चालीसा का पाठ क्यों करें: Kubera Chalisa का पाठ करने से भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन की प्राप्ति होती है, जीवन में आर्थिक उन्नति होती है और बाधाएँ दूर होती हैं।

Kubera Chalisa का पाठ कैसे करें

Kubera Chalisa का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से शुक्रवार को इसका पाठ करना अधिक शुभ माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख बातें हैं जो आपको चालीसा का पाठ करते समय ध्यान में रखनी चाहिए:

पवित्र स्थान तैयार करें: कुबेर चालीसा का पाठ करने से पहले एक साफ और पवित्र स्थान सुनिश्चित करें। घी का दीपक जलाएं और भगवान को पुष्प अर्पित करें ताकि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

भगवान को अर्पण करें: भगवान कुबेर को चावल, गुड़, मिठाई, या केसर अर्पित करें। ये वस्तुएँ शुभ मानी जाती हैं और धन को आकर्षित करती हैं।

श्रद्धा और समर्पण के साथ पाठ करें: चालीसा का पाठ पूरे ध्यान और समर्पण के साथ करें। शब्दों के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करें और भगवान कुबेर के प्रति श्रद्धा रखें।

विश्वास के साथ पाठ करें: विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप यह चालीसा सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ करेंगे, तो आप निश्चित रूप से भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त करेंगे।

Kubera Chalisa: विस्तृत रूप में

Kubera Chalisa: Read to achieve wealth in life

दोहा (प्रारंभिक श्लोक)

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करन कृपाल।
विघ्न हरो सब काज में, रहो सदा प्रतिपाल॥

अर्थ: चालीसा की शुरुआत भगवान गणेश की स्तुति से होती है, जो विघ्नहर्ता माने जाते हैं। यहाँ भगवान गणेश से प्रार्थना की जाती है कि वे सभी बाधाओं को दूर करें ताकि कुबेर चालीसा का पाठ सफल हो और भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त हो सके।

Kubera Chalisa के श्लोक

जय कुबेर धन के स्वामी, करहु कृपा दिन रजनी।
हे धन के स्वामी भगवान कुबेर, दिन-रात कृपा बरसाओ।


अर्थ
: यह श्लोक भगवान कुबेर की स्तुति करता है और उनसे दिन-रात कृपा करने की प्रार्थना की जाती है ताकि धन-समृद्धि जीवन में लगातार आती रहे।

बिनु तुमरे असिरवाद के, दरिद्रता रहे चपलिनी॥
आपकी कृपा के बिना जीवन में दरिद्रता और अभाव बना रहता है।


अर्थ
: इस श्लोक में कहा गया है कि भगवान कुबेर की कृपा के बिना दरिद्रता का वास होता है। इसलिए, कुबेर की कृपा से ही आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है।

धन के अधिपति हे प्रभु तुम, कृपा करो हम दास पर।
हे धन के अधिपति, हम पर कृपा करो, हम आपके सेवक हैं।


अर्थ
: इस श्लोक में भगवान कुबेर से विनती की जाती है कि वे अपने भक्तों पर कृपा करें और उन्हें दरिद्रता से मुक्त करें। भगवान कुबेर को धन के स्वामी के रूप में संबोधित करते हुए, भक्त उनसे दया की याचना करते हैं।

दरिद्रता हटाओ जीवन से, करो कृपा सब काज सफल॥
जीवन से दरिद्रता को दूर करें और हमारे सभी कार्यों को सफल बनाएं।


अर्थ
: भक्त भगवान कुबेर से प्रार्थना करते हैं कि वे जीवन से गरीबी और अभाव को समाप्त करें और हर कार्य को सफल बनाएं, चाहे वह व्यापार हो, नौकरी हो या कोई और व्यक्तिगत प्रयास हो।

हे अर्धलोकपति धनी, दयावान तुम हो कृपाल।
हे आध्यात्मिक और भौतिक संपत्ति के अधिपति, आप कृपालु हैं।


अर्थ
: भगवान कुबेर को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों संपत्तियों के स्वामी के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। यह श्लोक उनकी कृपालुता की प्रशंसा करता है और उनके दयालु स्वभाव की सराहना करता है।

रिद्धि-सिद्धि दो हर जीवन में, धन के बिना सब हाल खराब॥
जीवन में रिद्धि और सिद्धि प्रदान करें, क्योंकि धन के बिना जीवन कठिन है।


अर्थ
: यहाँ यह समझाया गया है कि जीवन में धन और आध्यात्मिक संपत्ति दोनों का महत्व है। भगवान कुबेर से प्रार्थना की जाती है कि वे जीवन में रिद्धि (धन) और सिद्धि (आध्यात्मिक शक्ति) प्रदान करें।

हे कुबेर विद्या के दाता, रहो सदा हमारे साथ।
हे कुबेर, जो विद्या के दाता हैं, कृपया हमेशा हमारे साथ रहें।


अर्थ
: इस श्लोक में भगवान कुबेर को न केवल धन के स्वामी के रूप में बल्कि विद्या के दाता के रूप में भी मान्यता दी जाती है। विद्या को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण धन माना गया है और भक्त इससे भी भगवान कुबेर की कृपा की याचना करते हैं।

ज्ञान-संपत्ति भी दो भगवन, जीवन में हो सुकुन-विश्राम॥
भगवान, हमें ज्ञान और संपत्ति प्रदान करें ताकि जीवन में शांति और सुख हो।


अर्थ
: भगवान कुबेर से प्रार्थना की जाती है कि वे ज्ञान और संपत्ति दोनों प्रदान करें ताकि जीवन में मानसिक शांति और संतोष प्राप्त हो सके। इस श्लोक में भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति की कामना की जाती है।

Kubera Chalisa का नियमित पाठ क्यों करें?

Kubera Chalisa: Read to achieve wealth in life
Kubera Chalisa का नियमित पाठ क्यों करें?

धन और समृद्धि को आकर्षित करना: Kubera Chalisa का नियमित पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है। चाहे व्यापार में सफलता हो या आय में वृद्धि, भगवान कुबेर की कृपा से आर्थिक स्थिरता और उन्नति प्राप्त होती है।

बाधाओं को दूर करना: अगर जीवन में कोई आर्थिक समस्या या बाधा आ रही हो, तो कुबेर चालीसा का पाठ उन समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। भगवान कुबेर की कृपा से नए अवसर मिलते हैं और आर्थिक चुनौतियाँ कम होती हैं।

आध्यात्मिक उन्नति: कुबेर को केवल धन के देवता नहीं माना जाता, वे ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के भी प्रतीक हैं। उनके चालीसा का पाठ करने से भौतिक समृद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास भी होता है।

मानसिक शांति और संतोष: धन तो जरूरी है, लेकिन मानसिक शांति और संतोष उससे भी अधिक मूल्यवान हैं। कुबेर चालीसा का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है, जिससे जीवन सुखद और समृद्ध होता है।

कुबेर मंत्र और यंत्र: अतिरिक्त उपाय

Kubera Chalisa: Read to achieve wealth in life

Kubera Chalisa के साथ आप कुबेर मंत्र और कुबेर यंत्र का भी उपयोग कर सकते हैं। ये उपाय कुबेर की कृपा को और भी सशक्त बनाते हैं।

कुबेर मंत्र

कुबेर चालीसा के साथ निम्न मंत्र का जाप करने से इसका प्रभाव बढ़ता है:

“ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा”

यह मंत्र भगवान कुबेर को समर्पित है और उनसे धन और समृद्धि की प्राप्ति की प्रार्थना करता है।

यह भी पढ़ें: South Indian Culture: कला, वास्तुकला, भाषा, भोजन 

कुबेर यंत्र

कुबेर यंत्र एक पवित्र ज्यामितीय आकृति है जो भगवान कुबेर का प्रतीक है। इसे घर या पूजा स्थल पर स्थापित करने से समृद्धि और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

Kubera Chalisa का पाठ करना उन लोगों के लिए एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अभ्यास है जो वित्तीय विकास, धन और समृद्धि चाहते हैं। इस प्रार्थना के लिए हर दिन कुछ मिनट समर्पित करके, आप खुद को भगवान कुबेर की दिव्य ऊर्जा के साथ जोड़ सकते हैं और अपने जीवन में उनका आशीर्वाद आमंत्रित कर सकते हैं। चाहे आप वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे हों या अपनी भौतिक सफलता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हों, कुबेर चालीसा प्रचुरता और शांति का मार्ग प्रदान करती है।

NIFT 2025 एडमिट कार्ड और शहर सूचना पर्ची जल्द ही जारी की जाएगी

NIFT 2025 (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी) एडमिट कार्ड और सिटी इंटिमेशन स्लिप जल्द ही जारी होने वाली है। जो उम्मीदवार NIFT प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए पंजीकरण कर चुके हैं, उन्हें आधिकारिक NIFT वेबसाइट पर अपडेट्स के लिए नजर बनाए रखनी चाहिए। एडमिट कार्ड और सिटी इंटिमेशन स्लिप दोनों ही महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं, जिनमें परीक्षा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी होती है, जैसे परीक्षा केंद्र, समय, और अन्य निर्देश। इस लेख में हम इन दस्तावेजों के बारे में विस्तार से जानेंगे और उनकी अहमियत को समझेंगे।

NIFT प्रवेश परीक्षा क्या है?

NIFT प्रवेश परीक्षा एक प्रमुख परीक्षा है, जो उन लोगों के लिए होती है, जो फैशन डिजाइन, टेक्नोलॉजी, और मैनेजमेंट में करियर बनाना चाहते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी विभिन्न अंडरग्रेजुएट (UG) और पोस्टग्रेजुएट (PG) कार्यक्रमों की पेशकश करता है, जिनमें फैशन डिजाइन, फैशन कम्युनिकेशन, फैशन टेक्नोलॉजी, और एपरल प्रोडक्शन आदि शामिल हैं। प्रवेश परीक्षा NIFT के विभिन्न कैंपसों में एडमिशन प्राप्त करने के लिए पहला कदम होती है।

NIFT प्रवेश परीक्षा आमतौर पर कई चरणों में आयोजित होती है, जिसमें एक लिखित परीक्षा (जिसमें क्रिएटिव एबिलिटी टेस्ट या CAT और जनरल एबिलिटी टेस्ट या GAT शामिल होते हैं), और कुछ प्रोग्रामों के लिए एक सिचुएशन टेस्ट या इंटरव्यू भी होता है। लिखित परीक्षा उम्मीदवारों की क्रिएटिव स्किल्स, डिजाइन के बारे में ज्ञान, सामान्य जागरूकता, और रीजनिंग क्षमताओं का मूल्यांकन करती है। एडमिट कार्ड उन उम्मीदवारों को जारी किया जाता है जिन्होंने सफलतापूर्वक पंजीकरण किया है और परीक्षा में बैठने के योग्य हैं।

NIFT एडमिट कार्ड की अहमियत

NIFT एडमिट कार्ड एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो उम्मीदवारों के लिए परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान करता है। यह दस्तावेज परीक्षा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। एडमिट कार्ड में निम्नलिखित जानकारी होती है:

  • व्यक्तिगत विवरण: एडमिट कार्ड में उम्मीदवार का नाम, रोल नंबर, जन्म तिथि और फोटो शामिल होती है। उम्मीदवारों को इन विवरणों की जांच करनी चाहिए ताकि कोई त्रुटि न हो।
  • परीक्षा केंद्र का विवरण: एडमिट कार्ड का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा परीक्षा केंद्र के बारे में जानकारी है। इसमें परीक्षा केंद्र का नाम और पता उल्लेखित होता है, जो उम्मीदवार के लिए महत्वपूर्ण होता है। इससे उम्मीदवार अपने यात्रा की योजना बना सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे समय पर केंद्र पर पहुँचें।
  • परीक्षा की तिथि और समय: एडमिट कार्ड में परीक्षा की तिथि और समय भी होगा। उम्मीदवारों को केंद्र पर रिपोर्टिंग समय से पहले पहुंचना चाहिए ताकि कोई आखिरी मिनट की समस्या न हो।
  • परीक्षा के दिन के निर्देश: एडमिट कार्ड में परीक्षा के दिन के लिए महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए जाते हैं। इसमें यह बताया जा सकता है कि परीक्षा केंद्र में क्या लेकर जाना है और क्या नहीं, ड्रेस कोड (अगर है), और परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के बारे में दिशानिर्देश।
  • हस्ताक्षर और फोटो: एडमिट कार्ड में उम्मीदवार का फोटो और हस्ताक्षर भी होंगे, जो यह सत्यापित करते हैं कि वह उम्मीदवार वास्तविक रूप से परीक्षा में शामिल हो रहा है।
  • सिटी इंटिमेशन स्लिप क्या है?

एडमिट कार्ड जारी होने से पहले, NIFT एक सिटी इंटिमेशन स्लिप जारी करता है। यह स्लिप उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने के लिए निर्धारित शहर के बारे में सूचित करती है। इसमें परीक्षा केंद्र का पूरा पता नहीं होता, बल्कि यह उम्मीदवार को उस शहर की जानकारी देती है, जहां परीक्षा आयोजित होने वाली है। इस जानकारी से उम्मीदवारों को यात्रा और आवास की योजना बनाने में मदद मिलती है, विशेष रूप से अगर वे अन्य शहर से यात्रा कर रहे हैं।

सिटी इंटिमेशन स्लिप आमतौर पर एडमिट कार्ड जारी होने से कुछ दिन पहले जारी होती है। जबकि एडमिट कार्ड में परीक्षा केंद्र का पूरा पता होता है, सिटी इंटिमेशन स्लिप उम्मीदवार को शहर के बारे में जानकारी देती है, ताकि वे अपनी तैयारी को सही तरीके से व्यवस्थित कर सकें।

NIFT एडमिट कार्ड और सिटी इंटिमेशन स्लिप कैसे डाउनलोड करें

NIFT एडमिट कार्ड और सिटी इंटिमेशन स्लिप डाउनलोड करना एक सरल प्रक्रिया है। निम्नलिखित चरणों का पालन करके आप इन दस्तावेजों को डाउनलोड कर सकते हैं:

1. सिटी इंटिमेशन स्लिप

  • NIFT की आधिकारिक वेबसाइट (nift.ac.in) पर जाएं।
  • होमपेज या “Admissions” सेक्शन में “NIFT 2025 City Intimation Slip” लिंक खोजें।
  • लिंक पर क्लिक करें और लॉगिन पेज पर जाएं।
  • अपनी आवेदन संख्या, जन्मतिथि, या अन्य आवश्यक विवरण दर्ज करें।
  • लॉगिन करने के बाद, सिटी इंटिमेशन स्लिप स्क्रीन पर दिखाई देगी।
  • स्लिप को डाउनलोड करें और भविष्य के संदर्भ के लिए प्रिंट आउट ले लें।

2. एडमिट कार्ड

  • जैसे ही एडमिट कार्ड जारी हो, उसी प्रक्रिया का पालन करके उसे डाउनलोड करें।
  • NIFT की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  • NIFT 2025 Admit Card” लिंक खोजें।
  • लॉगिन करके अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड करें।
  • इसे सेव करें और प्रिंट आउट लें। इसे सुरक्षित रखें क्योंकि यह परीक्षा केंद्र में प्रवेश के लिए आवश्यक है।

ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • जानकारी की पुष्टि करें: उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड में उल्लिखित सभी जानकारी की जांच करनी चाहिए, जैसे नाम, परीक्षा केंद्र और अन्य व्यक्तिगत जानकारी। किसी भी त्रुटि की स्थिति में उम्मीदवारों को तुरंत NIFT अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।
  • मान्य आईडी प्रूफ लाना आवश्यक है: एडमिट कार्ड के साथ उम्मीदवार को एक मान्य फोटो आईडी (जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी आदि) लानी होगी। बिना मान्य आईडी के परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं मिलेगा।
  • परीक्षा दिन के निर्देशों का पालन करें: उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड पर दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए। इसमें रिपोर्टिंग समय, ड्रेस कोड (अगर दिया गया हो), और परीक्षा के दौरान अनुशासन बनाए रखने के बारे में जानकारी हो सकती है।
  • परीक्षा केंद्र में बदलाव: कभी-कभी, दुर्लभ परिस्थितियों में, उम्मीदवार का परीक्षा केंद्र बदल सकता है। उम्मीदवारों को इसके लिए NIFT वेबसाइट पर अपडेट्स की जांच करते रहना चाहिए।
  • एडमिट कार्ड के बिना परीक्षा नहीं: बिना एडमिट कार्ड के उम्मीदवारों को परीक्षा हॉल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसलिए, एडमिट कार्ड को पहले से डाउनलोड और प्रिंट करना जरूरी है।

समस्या होने पर NIFT से संपर्क करें: अगर किसी कारणवश उम्मीदवार एडमिट कार्ड या सिटी स्लिप डाउनलोड नहीं कर पा रहे हैं या किसी अन्य समस्या का सामना कर रहे हैं, तो उन्हें NIFT की हेल्पलाइन या सपोर्ट टीम से संपर्क करना चाहिए।

FMGE स्कोरकार्ड 2025 जल्द ही जारी किया जाएगा

निष्कर्ष

NIFT 2025 एडमिट कार्ड और सिटी इंटिमेशन स्लिप का जारी होना उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण घटना है। ये दस्तावेज उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हैं और परीक्षा के लिए जरूरी जानकारी प्रदान करते हैं। इन दस्तावेजों को समय रहते डाउनलोड और प्रिंट करके, उम्मीदवार परीक्षा की तैयारी को अच्छी तरह से पूरा कर सकते हैं।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Indigestion को ठीक करने में मदद कर सकती हैं ये 10 जड़ी-बूटियाँ

0

Indigestion जिसे अपच के रूप में भी जाना जाता है, एक पाचन विकार है जो पेट के ऊपरी हिस्से में बार-बार या लगातार दर्द या परेशानी की विशेषता है। इसमें सूजन, मतली, जल्दी तृप्ति और खाने के बाद तृप्ति की भावना जैसे लक्षण भी शामिल हो सकते हैं। क्रोनिक अपच का सटीक कारण अक्सर अस्पष्ट होता है, लेकिन इसे बहुक्रियाशील माना जाता है, जिसमें असामान्य पेट की गतिशीलता, पेट में एसिड के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता, मनोवैज्ञानिक कारक और हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण जैसे कारक शामिल होते हैं।

यह भी पढ़ें: Jaggery को स्टोर करने के टिप्स और इसे अपने शीतकालीन आहार में शामिल करने के आसान तरीके

जबकि कुछ जड़ी-बूटियों का उपयोग पारंपरिक रूप से पाचन संबंधी समस्याओं को प्रबंधित करने के लिए किया जाता रहा है और इससे कुछ राहत मिल सकती है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पुरानी अपच एक जटिल स्थिति है जिसके प्रभावी प्रबंधन के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता हो सकती है। ये जड़ी-बूटियाँ सूजन और मतली जैसे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन वे पुरानी अपच के अंतर्निहित कारणों का समाधान नहीं कर सकती हैं।

पुरानी अपच के इलाज के लिए किसी भी जड़ी-बूटी का उपयोग करने से पहले हमेशा एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या योग्य हर्बलिस्ट से परामर्श करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि व्यक्तिगत मामले अलग-अलग हो सकते हैं और सुरक्षा और उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है।

Indigestion के लिए जड़ी-बूटियां

यहां कुछ जड़ी-बूटियां दी गई हैं जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से अपच के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है


हल्दी

10 herbs can help in curing indigestion
Indigestion के लिए जड़ी-बूटियां


हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह अपच से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इसे खाना पकाने में उपयोग करें, या पूरक के रूप में सेवन करें।

पुदीना

10 herbs can help in curing indigestion
Indigestion के लिए जड़ी-बूटियां


पुदीना: पुदीना जठरांत्र संबंधी मार्ग की मांसपेशियों को आराम देने और गैस, सूजन और अपच जैसे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। पुदीना चाय इसका सेवन करने का एक सामान्य तरीका है। Indigestion के लिए पुदीना बहुत लाभदायक माना जाता है।

अदरक

10 herbs can help in curing indigestion
Indigestion के लिए जड़ी-बूटियां

अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाना जाने वाला अदरक मतली को कम कर सकता है और पाचन में सुधार कर सकता है। आप अदरक की चाय बना सकते हैं या अपने भोजन में ताज़ा अदरक शामिल कर सकते हैं।

कैमोमाइल

कैमोमाइल में सूजनरोधी और सुखदायक गुण होते हैं जो अपच के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। कैमोमाइल चाय पाचन संबंधी परेशानी के लिए एक लोकप्रिय उपाय है।

सौंफ

अक्सर सूजन और गैस से राहत पाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सौंफ अपच को शांत करने में मदद कर सकती है। इसे चाय के रूप में सेवन करें या सौंफ के बीज चबाएं।

यह भी पढ़ें: Masala Shikanji बनाने की 5 आसान टिप्स

मुलेठी जड़

10 herbs can help in curing indigestion
Indigestion के लिए जड़ी-बूटियां

सूजन को कम करके और पेट की परत की रक्षा करके पाचन स्वास्थ्य का समर्थन करता है। यह पूरक या चाय के रूप में उपलब्ध है।

मार्शमैलो जड़

पेट और अन्नप्रणाली के भीतर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है, जो संभावित रूप से एसिड भाटा के लक्षणों को कम करता है। इसका सेवन चाय, कैप्सूल या पाउडर के रूप में करें।

सिंहपर्णी जड़

पित्त उत्पादन को उत्तेजित करके और यकृत के स्वास्थ्य का समर्थन करके पाचन में सहायता कर सकता है। उपभोग के लिए डेंडिलियन जड़ की चाय बनाएं।

दालचीनी

10 herbs can help in curing indigestion
Indigestion के लिए जड़ी-बूटियां

पाचन को उत्तेजित करता है, गैस को कम करता है और पेट की ऐंठन को कम कर सकता है। अपने भोजन में दालचीनी का एक छींटा शामिल करें या चाय के रूप में इसका सेवन करें।

यह भी पढ़ें: क्या आपकी नियमित दिनचर्या आपके लिए Acne का कारण बनती है

फिसलन एल्म

पाचन तंत्र के भीतर एक सुरक्षात्मक कोटिंग बनाता है और नाराज़गी और अपच को कम कर सकता है। इसका सेवन चाय के रूप में या कैप्सूल के रूप में करें।

Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने के लिए 8 खाद्य पदार्थ

Wisdom Teeth Surgery करवाना एक असहज अनुभव हो सकता है, और रिकवरी अवधि में अक्सर थोड़ा समायोजन करने की आवश्यकता होती है – खासकर जब बात खाने की आती है। प्रक्रिया के बाद, आपका मुंह दर्द, सूजन और कोमल हो सकता है, इसलिए खाना एक चुनौती बन सकता है। लेकिन चिंता न करें! ऐसे कई नरम, पौष्टिक खाद्य पदार्थ हैं जो आपकी रिकवरी में सहायता कर सकते हैं, आपको सहज महसूस करने में मदद कर सकते हैं, और आपके शरीर को उपचार के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं।

Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने के लिए आठ आदर्श खाद्य विकल्पों का पता लगाएंगे

8 Foods to Eat After Wisdom Teeth Surgery
Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने के लिए 8 खाद्य पदार्थ

1. स्मूदी

स्मूदी Wisdom Teeth Surgery हटाने के बाद खाने के लिए सबसे अच्छे खाद्य पदार्थों में से एक हैं, क्योंकि वे पौष्टिक, हाइड्रेटिंग और विटामिन और खनिजों से भरपूर हो सकते हैं। आप एक ताज़ा उपचार के लिए विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियाँ और यहाँ तक कि डेयरी या पौधे-आधारित दूध को एक साथ मिला सकते हैं। रिकवरी के लिए स्मूदी को उपयुक्त बनाने की कुंजी किसी भी कठोर या कुरकुरे तत्व का उपयोग करने से बचना है जो सर्जिकल साइट को परेशान कर सकता है।

क्या मिलाएँ

  • केले, जामुन और आड़ू जैसे नरम फल आदर्श हैं, क्योंकि उन्हें मिलाना आसान है और वे विटामिन से भरपूर हैं।
  • ग्रीक दही या बादाम का दूध प्रोटीन और कैल्शियम जोड़ सकता है, जो उपचार के लिए आवश्यक हैं।
  • पालक या केल को अतिरिक्त पोषक तत्वों के लिए शामिल किया जा सकता है (किसी भी बड़े पत्तेदार टुकड़े से बचने के लिए बस अच्छी तरह से ब्लेंड करें)।
  • अपनी स्मूदी में बीज, मेवे या ग्रेनोला डालने से बचें, क्योंकि वे उपचार प्रक्रिया के लिए बहुत अधिक घर्षण कर सकते हैं।
  • सलाह: स्मूदी पीते समय स्ट्रॉ के बजाय चम्मच का उपयोग करें, क्योंकि स्ट्रॉ से चूसने से रक्त के थक्के निकल सकते हैं और ड्राई सॉकेट नामक दर्दनाक स्थिति हो सकती है।

2. मसले हुए आलू

मैश किए हुए आलू मुंह की सर्जरी के बाद नरम, आरामदायक और खाने में आसान होते हैं। इन्हें ज़्यादा चबाने की ज़रूरत नहीं होती, जो आपके जबड़े में दर्द होने पर एकदम सही है। आलू कार्बोहाइड्रेट से भी भरपूर होते हैं, जो आपके शरीर को ठीक होने के लिए ऊर्जा देते हैं।

क्या मिलाएँ

  • मक्खन, खट्टी क्रीम या पनीर मसले हुए आलू को और भी ज़्यादा मलाईदार और स्वादिष्ट बना सकते हैं। बस यह सुनिश्चित करें कि वे अच्छी तरह से मसले गए हों ताकि कोई गांठ न रह जाए।
  • अतिरिक्त पोषण के लिए, अपने मसले हुए आलू में गाजर, मटर या फूलगोभी जैसी बारीक कटी हुई सब्ज़ियाँ शामिल करने पर विचार करें।
  • सलाह: छिलके वाले या बहुत ज़्यादा मसाले वाले मसले हुए आलू न खाएँ, क्योंकि वे आपके मसूड़ों को परेशान कर सकते हैं।

3. दही

दही अपनी चिकनी, मलाईदार बनावट और प्रोबायोटिक्स के साथ पाचन में सहायता करने की क्षमता के कारण Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने के लिए एक और बढ़िया भोजन है। यह प्रोटीन और कैल्शियम का भी एक अच्छा स्रोत है, जो दोनों ही उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं। ग्रीक दही, विशेष रूप से, एक बढ़िया विकल्प है क्योंकि इसमें नियमित दही की तुलना में अधिक प्रोटीन सामग्री होती है।

क्या मिलाएँ

  • सादा दही ऐसे ही खाया जा सकता है या स्वाद के लिए थोड़ा शहद या प्यूरी किए हुए फलों के साथ मिलाया जा सकता है।
  • अतिरिक्त पोषक तत्वों के लिए, मसला हुआ केला या कद्दू प्यूरी मिलाएँ, जो पोटेशियम और विटामिन ए की खुराक देगा।
  • सुझाव: पहले बिना फल वाली दही वाली किस्मों का चयन करें, क्योंकि फलों के टुकड़े या बीज मसूड़ों में दर्द के साथ संभालना मुश्किल हो सकता है।

Wisdom Teeth: आपके मौखिक स्वास्थ्य के लिए एक गाइड

8 Foods to Eat After Wisdom Teeth Surgery
Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने के लिए 8 खाद्य पदार्थ

4. सूप (शोरबा आधारित या मलाईदार)

सूप Wisdom Teeth Surgery के बाद एक बढ़िया विकल्प हो सकता है, क्योंकि वे पीने में आसान होते हैं और कई तरह के पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं। सूप चुनें जो या तो शोरबा आधारित हों या मलाईदार, लेकिन सुनिश्चित करें कि वे अच्छी तरह से प्यूरी किए गए हों या छानकर बनाए गए हों ताकि कोई भी टुकड़ा या खुरदरा टुकड़ा न हो जो सर्जरी वाली जगह पर जलन पैदा कर सकता है।

क्या मिलाएँ

  • गाजर, स्क्वैश और मटर जैसी प्यूरी की गई सब्ज़ियाँ चिकने और पौष्टिक सूप बेस बनाती हैं।
  • क्रीमयुक्त बनावट के लिए, आप आलू आधारित या क्रीम सूप चुन सकते हैं।
    कोलेजन सामग्री के कारण बोन शोरबा एक अच्छा विकल्प है, जो ऊतक की मरम्मत और रिकवरी में सहायता कर सकता है।
  • सलाह: खाने से पहले गर्म सूप को ठंडा होने दें, क्योंकि गर्म तापमान सूजन और बेचैनी बढ़ा सकता है।

5. ओटमील और दलिया

ओटमील एक और नरम खाद्य विकल्प है जो मुंह के लिए कोमल है। यह पेट भरने वाला, पौष्टिक होता है और इसे आसानी से आपके स्वाद के अनुसार बदला जा सकता है। Wisdom Teeth Surgery के बाद, बहुत सारे पानी या दूध के साथ बनाया गया ओटमील चुनें ताकि इसकी स्थिरता चिकनी और मुलायम बनी रहे।

क्या मिलाएँ

  • स्वाद और पोषक तत्वों को जोड़ने के लिए शहद, दालचीनी या केले जैसे मसले हुए फलों से मीठा करें।
  • अगर आपको थोड़ा प्रोटीन चाहिए, तो ओटमील पकाने के बाद उसमें थोड़ा ग्रीक दही मिलाएँ।
  • सलाह: ओटमील को अच्छी तरह से पकाएँ ताकि यह चिकना और निगलने में आसान हो। कोई भी मेवा या सख्त टॉपिंग न डालें जिसे चबाना मुश्किल हो सकता है।

6. अंडे (तले हुए या नरम उबले हुए)

अंडे प्रोटीन और आवश्यक पोषक तत्वों का एक बेहतरीन स्रोत हैं, और ये आपके मसूड़ों के लिए काफी नरम होते हैं। तले हुए अंडे या नरम उबले अंडे सबसे अच्छे विकल्प हैं, क्योंकि इन्हें बहुत ज़्यादा चबाने की ज़रूरत नहीं होती और इन्हें खाना आसान होता है।

क्या मिलाएँ

  • तले हुए अंडे को अतिरिक्त क्रीमीनेस और स्वाद के लिए थोड़े से पनीर या मक्खन के साथ पकाया जा सकता है।
  • आप अतिरिक्त पोषक तत्वों के लिए पालक या मशरूम जैसी बारीक कटी हुई नरम सब्ज़ियाँ भी मिला सकते हैं।
  • सलाह: तले हुए अंडे या सख्त उबले अंडे खाने से बचें, क्योंकि इन्हें ज़्यादा चबाने की ज़रूरत होती है और रिकवरी प्रक्रिया के दौरान ये असुविधाजनक हो सकते हैं।

7. सेब की चटनी

सेब की चटनी Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने में आसान और बेहतरीन है। यह मुलायम होती है, मसूड़ों के लिए अच्छी होती है और इसमें विटामिन और फाइबर होते हैं, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। अगर आप स्टोर से खरीदी गई किस्मों में मिलने वाली अतिरिक्त चीनी नहीं चाहते हैं, तो अपना खुद का घर का बना सेब की चटनी बनाने पर विचार करें।

क्या मिलाएँ

  • बिना किसी असुविधा के अतिरिक्त स्वाद के लिए दालचीनी या जायफल का एक छींटा मिलाया जा सकता है।
  • अधिक पोषक तत्वों के लिए, आप सेब की चटनी में कुछ चम्मच मसले हुए केले या अन्य नरम फल मिला सकते हैं।
  • सलाह: सुनिश्चित करें कि सेब की चटनी मुलायम हो और उसमें कोई टुकड़ा या कण न हो, क्योंकि ये आपके ठीक हो रहे मुंह में जलन पैदा कर सकते हैं।
8 Foods to Eat After Wisdom Teeth Surgery
Wisdom Teeth Surgery के बाद खाने के लिए 8 खाद्य पदार्थ

8. एवोकाडो

एवोकाडो नरम होते हैं, स्वस्थ वसा से भरपूर होते हैं, और कई तरह के विटामिन और खनिज प्रदान करते हैं। इन्हें खाना आसान है और Wisdom Teeth Surgery के बाद के आहार में इन्हें शामिल करना आपके लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। एवोकाडो की मलाईदार बनावट इसे ज़्यादा चबाए बिना आसानी से खाने योग्य बनाती है।

क्या मिलाएँ

  • आप एवोकाडो को कांटे से मसलकर वैसे ही खा सकते हैं, या स्वाद के लिए इसमें चुटकी भर नमक, काली मिर्च या नींबू का रस मिला सकते हैं।
  • ज़्यादा विविधता के लिए, मसले हुए एवोकाडो को थोड़े से दही या पनीर के साथ मिलाकर क्रीमी बनावट दें।
  • सलाह: ग्वाकामोल या एवोकाडो को मिर्च या लहसुन जैसे मसालों के साथ खाने से बचें, क्योंकि ये उपचार प्रक्रिया के दौरान जलन पैदा कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

Wisdom Teeth Surgery के बाद, सही खाद्य पदार्थ इस बात में बड़ा अंतर डाल सकते हैं कि आप कितनी जल्दी और आराम से ठीक हो जाते हैं। नरम, आसानी से खाने योग्य खाद्य पदार्थ चुनना जो आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर हों, वे असुविधा को कम करते हुए उपचार में सहायता करेंगे।

स्मूदी, मसले हुए आलू, दही, सूप और अंडे जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि आप इस दौरान अपने शरीर की देखभाल कर रहे हैं। हमेशा अपने दंत चिकित्सक या मौखिक सर्जन के पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल निर्देशों का पालन करें, और रिकवरी के दौरान अपने आहार पर मार्गदर्शन लेने में संकोच न करें। भोजन के विकल्पों पर थोड़ा ध्यान देने से, आप कुछ ही समय में अपनी सामान्य दिनचर्या में वापस आ जाएंगे!

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Arvind Kejriwal ने PM Modi को पत्र लिखकर अरबपतियों की कर्ज माफी पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की मांग की

0

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र से किसानों और मध्यम वर्ग के लिए ऋण माफ करने को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है। उन्होंने अरबपतियों को दिए गए कर्ज की माफी पर रोक लगाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून बनाने की भी मांग की।

यह भी पढ़ें: Delhi की सीएम Atishi ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर Yamuna में अमोनिया के बढ़ते स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की

विशेष रूप से, दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होने हैं और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। Arvind Kejriwal 2020 में AAP की शानदार जीत के बाद लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं, जब उन्होंने 70 में से 62 सीटें जीती थीं।

Arvind Kejriwal ने केंद्र सरकार की आलोचना की

Arvind Kejriwal wrote a letter to PM Modi demanding a law to ban loan waiver of billionaires.

मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, Arvind Kejriwal ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए हजारों करोड़ रुपये के कॉर्पोरेट ऋण माफ करके अमीरों के प्रति पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि इस तरह की प्रथाएं आम नागरिकों पर अत्यधिक कर का बोझ डालती हैं जबकि अमीरों को फायदा पहुंचाती हैं। “आम लोग अपना आधा वेतन करों में चुका रहे हैं, जबकि अमीरों के ऋण माफ किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार आम नागरिकों के गृह ऋण, कार ऋण या अन्य वित्तीय बोझ माफ क्यों नहीं करती?” केजरीवाल ने पूछा।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अरबपतियों के लिए ऋण माफी बंद करने से सरकार आयकर और जीएसटी दरों को आधा करने, कर योग्य आय सीमा को दोगुना करने और आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाने में सक्षम हो सकती है। उन्होंने कहा, “यह एक बड़ा घोटाला है और इसे ख़त्म करने का समय आ गया है।”

Arvind Kejriwa ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

Arvind Kejriwal wrote a letter to PM Modi demanding a law to ban loan waiver of billionaires.

अपने पत्र में केजरीवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री को घोषणा करनी चाहिए कि किसी भी अमीर व्यक्ति का कर्ज माफ नहीं किया जाएगा। अगर माफ करना है तो किसानों का कर्ज माफ करें, मध्यम वर्ग का होम लोन माफ करें। इस पैसे से मध्यम वर्ग को बहुत फायदा होगा।”

यह भी पढ़ें: Delhi चुनाव से पहले Ramesh Bidhuri का विवादास्पद बयान: Atishi पर निजी कटाक्ष

Arvind Kejriwal ने आगे तर्क दिया कि अमीरों के लिए ऋण माफ करके, सरकार कर दरों को कम कर सकती है। केजरीवाल ने लिखा, “मैंने हिसाब लगाया है कि अगर कर्ज माफ नहीं किया गया तो टैक्स की दरें आधी हो जाएंगी। 12 लाख सालाना कमाने वाला व्यक्ति अपनी पूरी सैलरी टैक्स में चुका देता है, यह मध्यम वर्ग का दुख है।”

UGC ने संस्थानों को परिसर में रैगिंग विरोधी गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया

भारत में उच्च शिक्षा की निगरानी करने वाली सर्वोच्च संस्था, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), ने हाल ही में शैक्षिक संस्थानों को अपने परिसर में रगिंग की घटनाओं को रोकने और काबू करने के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है। यह कदम छात्रों, विशेषकर नए छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंता के मद्देनजर उठाया गया है, जो अक्सर रगिंग के शिकार होते हैं। UGC ने इस पहल के तहत संस्थानों से कई प्रमुख कदम उठाने का आग्रह किया है, ताकि सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ और सहायक वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। आयोग के इस निर्देश में केवल दंडात्मक कार्रवाई नहीं, बल्कि प्रासंगिक और निवारक उपायों पर भी जोर दिया गया है, जो एक समावेशी और सम्मानजनक कैंपस संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।

रगिंग की प्रकृति और उसका प्रभाव

रगिंग, जो जूनियर छात्रों के साथ वरिष्ठ छात्रों द्वारा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने के रूप में सामने आती है, एक गंभीर समस्या रही है। पहले इसे नए छात्रों को “स्वागत” करने का एक तरीका माना जाता था, लेकिन समय के साथ यह एक प्रकार के शोषण में बदल गया है, जो कभी-कभी मानसिक और शारीरिक आघात का कारण बनता है। कुछ मामलों में तो रगिंग के कारण छात्र आत्महत्या तक कर लेते हैं। इसके अलावा, रगिंग के शिकार छात्रों को अक्सर समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जिससे एक विषाक्त कैंपस वातावरण का निर्माण होता है।

UGC के इस कदम का उद्देश्य न केवल रगिंग से जुड़े मामलों को नियंत्रित करना है, बल्कि छात्रों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की रक्षा करना भी है। यह बात अब स्पष्ट हो चुकी है कि रगिंग का प्रभाव छात्रों पर दीर्घकालिक मानसिक समस्याओं के रूप में भी हो सकता है, जैसे चिंता, अवसाद, और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)। ऐसे मामलों में कई बार छात्र जीवन से निराश होकर गंभीर कदम उठा लेते हैं। इसलिए UGC यह सुनिश्चित करना चाहता है कि संस्थान सिर्फ दंडात्मक कार्रवाई न करें, बल्कि ऐसे उपायों को लागू करें जो रगिंग को शुरू होने से पहले ही रोकने में सक्षम हों।

UGC के निर्देश

UGC द्वारा जारी किए गए निर्देशों में कई ऐसे उपाय शामिल हैं, जिनका उद्देश्य संस्थानों में रगिंग की घटनाओं को रोकना और एक सुरक्षित शैक्षिक वातावरण सुनिश्चित करना है। इन निर्देशों में से कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • एंटी-रगिंग कमेटियों को मजबूत करना: सभी शैक्षिक संस्थानों से यह आग्रह किया गया है कि वे प्रभावी एंटी-रगिंग कमेटियां बनाएं, जिनमें वरिष्ठ शिक्षक, छात्र प्रतिनिधि और काउंसलर्स शामिल हों। इन समितियों का काम रगिंग की घटनाओं की निगरानी करना, शिकायतों की जांच करना और उचित दंडात्मक कार्रवाई करना होगा। नियमित रूप से बैठकें आयोजित करनी चाहिए ताकि संस्थान अपने रगिंग विरोधी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता की समीक्षा कर सकें।
  • छात्रों में जागरूकता बढ़ाना: संस्थानों से यह भी कहा गया है कि वे व्यापक जागरूकता अभियान चलाएं, जिससे छात्रों को रगिंग के गंभीर परिणामों के बारे में जानकारी हो। नए छात्रों को उनके अधिकारों और उपलब्ध सहायता संरचनाओं के बारे में बताया जाए। वरिष्ठ छात्रों को भी प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे एक सकारात्मक और सहायक कैंपस वातावरण बनाने में भूमिका निभा सकें।

कठोर रगिंग विरोधी नियमों को लागू करना: UGC ने संस्थानों से अनुरोध किया है कि वे रगिंग के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति अपनाएं। संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि रगिंग की कोई भी घटना अस्वीकार्य हो, और इसके लिए स्पष्ट नियम और दंडात्मक प्रावधान हों। इन नियमों को छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षकों के साथ साझा किया जाना चाहिए।

  • नए छात्रों के लिए न डरने वाला माहौल बनाना: रगिंग को शुरू होने से रोकने के लिए संस्थानों को ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिसमें नए छात्र डर के बजाय आत्मविश्वास के साथ शैक्षिक जीवन में प्रवेश करें। इसके लिए संस्थान छात्र-परामर्श कार्यक्रम, मेंटरशिप प्रोग्राम और ओरिएंटेशन सत्र आयोजित कर सकते हैं, ताकि नए छात्र आसानी से और बिना डर के अपनी पहचान बना सकें।
  • सख्त निगरानी और निगरानी तंत्र: रगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए संस्थानों को तकनीकी समाधान, जैसे कि सामान्य क्षेत्रों में निगरानी कैमरों का उपयोग करने और रगिंग की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए मोबाइल ऐप्स का उपयोग करने की सिफारिश की गई है। इससे न केवल निगरानी बढ़ेगी, बल्कि शिकायतों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने में भी मदद मिलेगी।
  • पीड़ितों के लिए पर्याप्त समर्थन: संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रगिंग के शिकार छात्रों को तुरंत मानसिक और कानूनी सहायता प्राप्त हो। काउंसलिंग सेवाएं आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए, और छात्रों को रगिंग की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की प्रतिशोध का डर न हो।
  • छात्रों और उनके अभिभावकों का पंजीकरण अनिवार्य करना: संस्थानों को यह निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों और उनके अभिभावकों का पंजीकरण दाखिले के समय अनिवार्य रूप से करें। इससे संस्थानों को शिकायतों के मामले में जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, अभिभावकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएं, ताकि वे घर पर भी रगिंग के खिलाफ सकारात्मक मूल्य विकसित कर सकें।
  • नियमित निगरानी और मूल्यांकन: UGC ने संस्थानों से यह भी कहा है कि वे रगिंग विरोधी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए नियमित निगरानी तंत्र स्थापित करें। इसके तहत, छात्रों से प्रतिक्रिया और सर्वेक्षणों के जरिए यह मापने की कोशिश की जाए कि कैंपस का वातावरण कितना सुरक्षित और स्वागतपूर्ण है।

कानूनी और नैतिक प्रभाव

UGC के निर्देश में रगिंग के कानूनी पक्ष पर भी जोर दिया गया है। रगिंग भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत एक अपराध है और इसके लिए कड़ी सजा, जैसे कि कारावास और जुर्माना, का प्रावधान है। रगिंग विरोधी अधिनियम, 2009 के तहत संस्थानों को रगिंग विरोधी समितियां बनानी होती हैं, हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करने होते हैं, और अन्य निवारक कदम उठाने होते हैं। इसके बावजूद, कई बार रगिंग के मामले अनदेखे रह जाते हैं, जो इस बात को स्पष्ट करता है कि संस्थानों में संस्कृति की आवश्यकता है।

कानून एक स्पष्ट रूपरेखा प्रदान करता है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि संस्थान अपने छात्रों में नैतिक जिम्मेदारी का अहसास कराएं। संस्थान केवल दंडात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित न करें, बल्कि एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा दें, जिसमें सभी छात्रों का सम्मान किया जाए, चाहे उनका वरिष्ठता स्तर कुछ भी हो। यह तब संभव होगा जब संस्थान समावेशिता, सहानुभूति और सामूहिकता की भावना को प्रोत्साहित करेंगे।

FMGE स्कोरकार्ड 2025 जल्द ही जारी किया जाएगा

निष्कर्ष

UGC का यह कदम भारतीय कैंपसों में रगिंग की समस्या के समाधान के लिए समय पर और आवश्यक कदम है। रगिंग, किसी भी रूप में, शैक्षिक संस्थानों में जगह नहीं बना सकती, और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इसे समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाएं। संस्थानों को केवल दंडात्मक उपायों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि ऐसे कदम उठाने चाहिए जो रगिंग के शुरू होने से पहले ही इसे रोक सकें। जागरूकता अभियान, प्रभावी निगरानी और छात्रों को सहायक और सुरक्षित माहौल प्रदान करके हम सभी एक बेहतर और सम्मानजनक शैक्षिक वातावरण बना सकते हैं। UGC के निर्देशों के आधार पर, यह संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और रगिंग को अतीत की बात बना दें।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें