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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): कारण, लक्षण, उपचार और प्रबंधन

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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक आम हार्मोनल विकार है, जो महिलाओं में प्रजनन आयु (15-45 वर्ष) के दौरान देखा जाता है। यह हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाशय (ovaries) में सिस्ट बनने, मासिक धर्म की अनियमितता और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ, हार्मोनल संतुलन बनाए रखें और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें!

PCOS के कारण

PCOS: Causes, Symptoms, Treatment and Management

PCOS का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ प्रमुख कारण माने जाते हैं:

हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance):

एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे अंडाणु के विकास में बाधा आती है।

इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) से रक्त में शुगर लेवल बढ़ सकता है।

अनुवांशिकता (Genetics):

यदि परिवार में किसी महिला को PCOS है, तो इसके होने की संभावना अधिक होती है।

जीवनशैली (Lifestyle Factors):

अधिक वजन, अस्वस्थ आहार, व्यायाम की कमी और तनाव PCOS को बढ़ा सकते हैं।

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PCOS के लक्षण (Symptoms)

PCOS के लक्षण अलग-अलग महिलाओं में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

मासिक धर्म की अनियमितता (अनियमित या अत्यधिक रक्तस्राव)
अधिक चेहरे और शरीर के बाल (Hirsutism) – एंड्रोजन की अधिकता के कारण
मुंहासे और तैलीय त्वचा
बाल झड़ना (Male-pattern baldness)
वजन बढ़ना और मोटापा (विशेष रूप से पेट के आसपास)
गर्भधारण में कठिनाई (Infertility)
डिप्रेशन और मूड स्विंग्स

PCOS से होने वाली जटिलताएँ (Complications)

यदि PCOS को ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाए, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है:

बांझपन (Infertility)
टाइप-2 डायबिटीज़
हृदय रोग और उच्च रक्तचाप
स्लीप एपनिया
गर्भावस्था संबंधी समस्याएँ (गर्भपात, प्रीमैच्योर डिलीवरी)
मूड डिसऑर्डर (डिप्रेशन, एंग्जायटी)

PCOS का निदान (Diagnosis)

PCOS: Causes, Symptoms, Treatment and Management

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं:

चिकित्सीय इतिहास और शारीरिक जांच
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): अंडाशय में सिस्ट की उपस्थिति देखने के लिए।
रक्त परीक्षण (Blood Test): हार्मोन लेवल (एंड्रोजन, इंसुलिन, थायरॉइड) की जाँच के लिए।

PCOS का उपचार (Treatment)

PCOS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है।

1. जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes)

स्वस्थ आहार: प्रोसेस्ड फूड कम करें, फाइबर, प्रोटीन और स्वस्थ वसा का सेवन बढ़ाएँ।
वजन नियंत्रण: 5-10% वजन कम करने से हार्मोन संतुलित हो सकते हैं।
नियमित व्यायाम: योग, कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मदद मिलती है।
तनाव प्रबंधन: ध्यान (Meditation) और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।

2. दवाएँ (Medications)

मासिक धर्म नियमित करने के लिए: जन्म नियंत्रण गोलियाँ (Oral Contraceptive Pills)
इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए: मेटफॉर्मिन (Metformin)
अधिक बाल और मुंहासों के लिए: Anti-Androgen दवाएँ
गर्भधारण में सहायता के लिए: ओव्यूलेशन-प्रेरित करने वाली दवाएँ

3. प्राकृतिक उपचार (Natural Remedies)

ग्रीन टी और दालचीनी: इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में सहायक।
ओमेगा-3 फैटी एसिड (मछली, अलसी, अखरोट): हार्मोन संतुलन में मदद करता है।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ (अश्वगंधा, शतावरी): हार्मोन संतुलन को बढ़ावा देती हैं।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और गर्भधारण

PCOS: Causes, Symptoms, Treatment and Management

सभी PCOS वाली महिलाओं को बांझपन नहीं होता, लेकिन कुछ को गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।
वजन घटाने, सही आहार और हार्मोनल संतुलन से गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है।
डॉक्टर के मार्गदर्शन में ओव्यूलेशन बढ़ाने वाली दवाएँ या IVF की आवश्यकता हो सकती है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम पर अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

प्रायद्वीपीय भारत में Blue-cheeked Bee-eater पक्षी का पहला प्रजनन रिकॉर्ड

वैज्ञानिकों ने हाल ही में प्रायद्वीपीय भारत में पहली बार नीले गाल वाले मधुमक्खी खाने वाले पक्षी (Blue-cheeked Bee-eater, Merops persicus) के प्रजनन का रिकॉर्ड दर्ज किया है। यह खोज भारत में पक्षी विज्ञान और जैव विविधता अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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मुख्य बिंदु:

1st breeding record of Blue-cheeked Bee-eater bird

वैज्ञानिक नाम: Merops persicus
सामान्य नाम: ब्लू-चीक्ड बी-ईटर (Blue-cheeked Bee-eater)
मुख्य आवास: पश्चिमी और मध्य एशिया, उत्तरी अफ्रीका, और भारत के कुछ हिस्से
खोज का स्थान: प्रायद्वीपीय भारत (सटीक स्थान की पुष्टि वैज्ञानिक अध्ययन के बाद की जाएगी)
प्रजनन का महत्व: यह पहली बार दर्ज किया गया है कि यह पक्षी भारत के इस क्षेत्र में अस्थायी प्रवासी (passage migrant) से प्रजनन प्रवासी (breeding migrant) के रूप में परिवर्तित हो रहा है।

Blue-cheeked Bee-eater पक्षी की विशेषताएँ:

1st breeding record of Blue-cheeked Bee-eater bird

आकार और रंग: हरा शरीर, नीले गाल, लम्बी पूंछ, और काली चोंच
खाद्य आदतें: मुख्य रूप से मधुमक्खियों, ततैयों और अन्य उड़ने वाले कीटों का शिकार करता है
प्रवास (Migration): यह पक्षी सर्दियों में भारत, श्रीलंका और अफ्रीका की ओर प्रवास करता है
प्रजनन स्थल: आमतौर पर उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया में प्रजनन करता था, लेकिन अब इसका प्रजनन दक्षिण भारत में दर्ज किया गया है

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इस खोज का महत्व

प्रायद्वीपीय भारत में जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक बदलावों का संकेत
इस पक्षी की आबादी और प्रवासी व्यवहार पर नए शोध के अवसर
स्थानीय जैव विविधता संरक्षण में नई रणनीतियाँ बनाने की आवश्यकता
पर्यावरणीय कारकों और मानव प्रभावों का अध्ययन करने का अवसर

भारत में पक्षी विज्ञान (Ornithology) और संरक्षण के लिए प्रभाव

1st breeding record of Blue-cheeked Bee-eater bird

यह खोज भारत में पक्षियों के प्रवासन और प्रजनन व्यवहार में आ रहे परिवर्तनों को समझने में मदद करेगी।
पक्षी संरक्षण के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इन नए प्रजनन स्थलों की रक्षा की जाए और पारिस्थितिकी तंत्र में बदलावों का अध्ययन किया जाए
स्थानीय संरक्षण कार्यक्रमों को मजबूत करने और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की जरूरत है।

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FPC: भारतीय कृषि सुधार और आत्मनिर्भर किसान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

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भारत में कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए किसान उत्पादक कंपनियां (Farmer Producer Companies – FPCs) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। ये कंपनियां किसानों को संगठित करने, उनकी उपज की बेहतर कीमत सुनिश्चित करने और कृषि से जुड़े संसाधनों तक उनकी पहुंच बढ़ाने में मदद करती हैं।

“संगठित किसान, सशक्त किसान – आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम!”

किसान उत्पादक कंपनी (FPC) क्या है?

FPC: A step towards self-reliant farmers

किसान उत्पादक कंपनी (FPC) एक कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत संस्था होती है, जिसमें छोटे और सीमांत किसान सदस्य होते हैं। यह एक सहकारी और व्यावसायिक मॉडल का मिश्रण है, जिसका उद्देश्य किसानों को संगठित तरीके से बाजार से जोड़ना और उनकी आर्थिक स्थिरता बढ़ाना है।

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किसान उत्पादक कंपनियों (FPC) की विशेषताएं:

  1. किसानों की सामूहिक शक्ति: किसानों को एकजुट कर उन्हें बड़े स्तर पर बाजार में प्रतिस्पर्धा करने योग्य बनाती हैं।
  2. बिचौलियों की भूमिका कम: पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखला में बिचौलियों को हटाकर किसानों को सीधा बाजार से जोड़ती हैं।
  3. बेहतर मूल्य निर्धारण: उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक दाम दिलाने में मदद करती हैं।
  4. सस्ती इनपुट सामग्री: बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि थोक में खरीदकर लागत को कम करती हैं।
  5. मूल्य संवर्धन (Value Addition): प्रोसेसिंग यूनिट्स और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराकर किसानों को अतिरिक्त मुनाफा दिलाती हैं।
  6. कृषि से जुड़े वित्तीय लाभ: सरकारी योजनाओं और बैंक ऋणों तक किसानों की पहुंच बढ़ाती हैं।
  7. नवाचार और प्रशिक्षण: नई तकनीकों, जैविक खेती और डिजिटल मार्केटिंग से किसानों को जागरूक करती हैं।

किसान उत्पादक कंपनियां आत्मनिर्भर भारत में कैसे योगदान कर सकती हैं?

FPC: A step towards self-reliant farmers

1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना:

  • किसानों की आय बढ़ने से ग्रामीण बाजारों में मांग बढ़ेगी, जिससे आर्थिक विकास होगा।

2. कृषि आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देना:

  • FPC किसानों को व्यापारिक दृष्टिकोण अपनाने में मदद करती हैं, जिससे वे कृषि-आधारित उद्योगों में शामिल हो सकते हैं।

3. डिजिटल और स्मार्ट खेती को बढ़ावा देना:

  • ई-नाम (e-NAM), कृषि ऐप्स और डेटा-आधारित निर्णय लेने में सहायता करती हैं।

4. निर्यात संभावनाएं बढ़ाना:

  • संगठित कृषि समूहों के रूप में कार्य करके अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित करती हैं।

5. सरकारी योजनाओं का लाभ:

  • सरकार की 10,000 FPO योजना, PM-Kisan योजना, और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) जैसी योजनाओं से किसानों को आर्थिक सहायता मिलती है।
FPC: A step towards self-reliant farmers

चुनौतियाँ और समाधान:

चुनौतीसंभावित समाधान
किसानों में जागरूकता की कमीप्रशिक्षण और प्रचार अभियान
वित्तीय संसाधनों की कमीसरकारी अनुदान, बैंक ऋण और निवेश
कुशल प्रबंधन की आवश्यकतापेशेवर प्रबंधन और तकनीकी सहायता
विपणन और ब्रांडिंग में कठिनाईडिजिटल प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन मार्केटिंग
लॉजिस्टिक्स और भंडारण समस्याकोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस सुविधाएं

ग्लूकोमा (Glaucoma): दुनिया में अंधेपन का एक प्रमुख कारण

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Glaucoma एक आँखों की बीमारी है जो आँखों के अंदर दबाव (Intraocular Pressure – IOP) बढ़ने के कारण होती है। यह बीमारी धीरे-धीरे ऑप्टिक नर्व (दृष्टि तंत्रिका) को नुकसान पहुंचाती है, जिससे दृष्टि हानि (Vision Loss) और अंधापन हो सकता है। यह दुनिया में अंधेपन का एक प्रमुख कारण है।

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ग्लूकोमा के प्रकार

Complete information about Glaucoma

ओपन-एंगल ग्लूकोमा (Open-Angle Glaucoma)

सबसे आम प्रकार

आँखों का ड्रेनेज सिस्टम धीरे-धीरे बंद हो जाता है, जिससे आईओपी बढ़ता है

शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन धीरे-धीरे दृष्टि खोने लगती है

एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा (Angle-Closure Glaucoma)

अचानक आँखों का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है

तेज सिरदर्द, आँखों में दर्द, धुंधला दिखना, मतली और उल्टी जैसे लक्षण होते हैं

यह एक आपातकालीन स्थिति होती है और तुरंत इलाज जरूरी होता है

नॉर्मल-टेंशन ग्लूकोमा (Normal-Tension Glaucoma)

इसमें आँखों का दबाव सामान्य होता है, लेकिन ऑप्टिक नर्व को नुकसान होता है

कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है

जन्मजात ग्लूकोमा (Congenital Glaucoma)

यह जन्मजात दोष होता है जिसमें शिशु की आँखों का ड्रेनेज सिस्टम सही से विकसित नहीं होता

सेकेंडरी ग्लूकोमा (Secondary Glaucoma)

अन्य बीमारियों (जैसे मधुमेह, आँखों की चोट, सूजन, स्टेरॉयड दवाएं) के कारण होता है

ग्लूकोमा के कारण और जोखिम कारक

Complete information about Glaucoma
  • उच्च नेत्रदाब (High Eye Pressure – IOP)
  • आनुवंशिकता (Genetics) – यदि परिवार में किसी को है, तो खतरा बढ़ जाता है
  • 40 वर्ष से अधिक उम्र
  • मधुमेह, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन जैसी बीमारियां
  • लंबे समय तक स्टेरॉयड का उपयोग
  • आँखों की चोट या सर्जरी का इतिहास

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ग्लूकोमा के लक्षण

शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन धीरे-धीरे निम्न लक्षण दिख सकते हैं:

  • धीरे-धीरे दृष्टि कम होना
  • आँखों में दर्द और लालिमा
  • धुंधला दिखना
  • रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखना
  • सिरदर्द और मतली (विशेष रूप से एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा में)

ग्लूकोमा की जाँच और निदान

ग्लूकोमा का शीघ्र पता लगाने के लिए नियमित नेत्र परीक्षण जरूरी है। मुख्य परीक्षण इस प्रकार हैं:

  • टोनोंमेट्री (Tonometry) – आँखों के अंदर दबाव मापने के लिए
  • ऑप्टिक नर्व परीक्षण (Optic Nerve Examination)
  • गोनियोस्कोपी (Gonioscopy) – ड्रेनेज एंगल की जाँच
  • विजुअल फील्ड टेस्ट (Perimetry) – दृष्टि क्षेत्र की जाँच
  • ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT) – ऑप्टिक नर्व की संरचना की जाँच

ग्लूकोमा का इलाज

Complete information about Glaucoma

ग्लूकोमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। उपचार के विकल्प:

दवाएं (Eye Drops & Medications)

  • आँखों के दबाव को कम करने के लिए आई ड्रॉप्स
  • कुछ दवाएं आँखों में तरल पदार्थ के उत्पादन को कम करती हैं

लेज़र थेरेपी (Laser Therapy)

  • ट्राबेकुलोप्लास्टी (Trabeculoplasty): ड्रेनेज को सुधारने के लिए
  • इरिडोटोमी (Iridotomy): आईरिस में छोटा छेद बनाकर तरल पदार्थ का बहाव बढ़ाने के लिए

सर्जरी (Surgical Treatment)

  • ट्राबेकुलेक्टोमी (Trabeculectomy): नया ड्रेनेज मार्ग बनाना
  • ड्रेनेज इम्प्लांट सर्जरी

ग्लूकोमा से बचाव के उपाय

नियमित नेत्र परीक्षण कराएं (विशेष रूप से 40 वर्ष के बाद)
आँखों की सुरक्षा (चोट से बचाव करें)
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं (व्यायाम करें, संतुलित आहार लें)
धूम्रपान और शराब से बचें
मधुमेह और रक्तचाप को नियंत्रित रखें

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Biosimilars: सस्ती और प्रभावी जैविक दवाओं की आवश्यकता

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बायोसिमिलर (Biosimilars) बायोलॉजिकल दवाओं के ऐसे संस्करण होते हैं जो मौजूदा स्वीकृत जैविक उत्पादों (Biological Reference Products) के समान होते हैं लेकिन उनकी सटीक प्रतिकृति नहीं होते। बायोसिमिलर, विशेष रूप से कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों और अन्य जटिल चिकित्सा स्थितियों के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं।

बायोसिमिलर दवाओं की लागत पारंपरिक जैविक दवाओं से कम होती है, जिससे मरीजों को सस्ता और प्रभावी उपचार मिल सकता है। हालाँकि, इनके उपयोग और स्वीकृति के लिए उचित नीतिगत दिशानिर्देशों की आवश्यकता होती है।

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Biosimilars क्या हैं?

  • बायोसिमिलर दवाएं उन जैविक दवाओं के समान होती हैं, जो पहले से अनुमोदित (approved) होती हैं, लेकिन उनकी सटीक प्रतिलिपि नहीं होती।
  • इन्हें जीवित कोशिकाओं और जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से विकसित किया जाता है।
  • उदाहरण: इंसुलिन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ (Monoclonal Antibodies), एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoietin) आदि।

Biosimilars बनाम जेनेरिक दवाएं

विशेषताBiosimilarsजेनेरिक दवा
संरचनामूल दवा से थोड़ा अलग हो सकता हैमूल दवा की सटीक प्रतिकृति
उत्पादनजैविक प्रक्रिया के माध्यम सेरासायनिक संश्लेषण द्वारा
जटिलताअत्यधिक जटिलतुलनात्मक रूप से सरल
अनुमोदन प्रक्रियाकठोर परीक्षण और अध्ययन आवश्यकतुलनात्मक रूप से सरल प्रक्रिया

Biosimilars की आवश्यकता क्यों है?

Biosimilars: cheap and effective biological drugs

महंगी जैविक दवाओं का सस्ता विकल्प:

कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की जैविक दवाएं बहुत महंगी होती हैं।

बायोसिमिलर अधिक किफायती होते हैं और बड़ी संख्या में मरीजों को इलाज की सुविधा दे सकते हैं।

स्वास्थ्य देखभाल लागत में कमी:

बायोसिमिलर के उपयोग से चिकित्सा खर्च में 30-50% तक की बचत हो सकती है।

इससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage) की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है।

स्वदेशी दवा निर्माण को बढ़ावा:

भारत जैवप्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

Biosimilars के विकास से ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल मिलेगा।

रोगियों की पहुंच बढ़ाना:

दुर्लभ और पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए सस्ती और सुलभ दवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।

ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा को सशक्त बनाया जा सकता है।

नीतिगत नुस्खे की आवश्यकता

Biosimilars: cheap and effective biological drugs

(i) नियामक ढांचा (Regulatory Framework) मजबूत करना

  • भारत में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) बायोसिमिलर के नियमन का कार्य करता है।
  • बायोलॉजिक्स और बायोसिमिलर गाइडलाइन्स (2012, संशोधित 2016) के अनुसार, इन दवाओं को प्रमाणित करने के लिए कठोर परीक्षण आवश्यक हैं।
  • नियामक प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाने की आवश्यकता है ताकि भारतीय बाजार में बायोसिमिलर तेजी से उपलब्ध हो सकें।

(ii) अनुसंधान एवं विकास (R&D) को प्रोत्साहन

  • बायोसिमिलर निर्माण में उच्च तकनीक, बड़े निवेश और दीर्घकालिक शोध की आवश्यकता होती है।
  • सरकार को अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए विशेष फंडिंग और टैक्स छूट देनी चाहिए।

(iii) गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को बनाए रखना

  • बायोसिमिलर की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए कठोर परीक्षण आवश्यक हैं।
  • दीर्घकालिक सुरक्षा डेटा एकत्र करना और सतत निगरानी प्रणाली (Pharmacovigilance) विकसित करना अनिवार्य है।

(iv) पेटेंट और आईपीआर नीतियों का संतुलन

  • मूल जैविक दवाओं के पेटेंट समाप्त होने के बाद ही बायोसिमिलर बनाए जा सकते हैं।
  • पेटेंट कानूनों में सुधार कर बायोसिमिलर विकास को बढ़ावा देना आवश्यक है।

(v) जागरूकता और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण

  • डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को बायोसिमिलर के लाभ और सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
  • रोगियों को भी उचित जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे बायोसिमिलर को लेकर आत्मविश्वास महसूस करें।

भारत में Biosimilars क्षेत्र की संभावनाएं

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  • भारत विश्व का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा निर्माता है और बायोसिमिलर के क्षेत्र में भी अग्रणी बन सकता है।
  • भारतीय फार्मा कंपनियां जैसे बायोकॉन, डॉ. रेड्डीज, सिप्ला और ल्यूपिन पहले से बायोसिमिलर बाजार में काम कर रही हैं।
  • सरकार द्वारा ‘फार्मा विजन 2020’ और ‘बायोटेक्नोलॉजी पॉलिसी’ के तहत इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • भारत में लगभग 98 से अधिक बायोसिमिलर विकसित किए जा चुके हैं, जो वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं।

Koraput के आदिवासी खाद्य प्रणाली का बदलाव

ओडिशा के Koraput जिले में विभिन्न आदिवासी समुदाय रहते हैं, जिनकी पारंपरिक खाद्य प्रणाली लंबे समय से स्थानीय रूप से उपलब्ध फसलों और वन संसाधनों पर निर्भर रही है। हाल के वर्षों में, इनकी खाद्य टोकरी (फूड बास्केट) में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिसमें पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक कृषि नवाचारों का समावेश किया गया है।

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Koraput के पारंपरिक खाद्य स्रोत

Transformation of the tribal food system of Koraput

जंगली कंद (ट्यूबर) एवं अनाज:
Koraput के आदिवासी समुदाय मानसून के महीनों (जून-अक्टूबर) के दौरान भोजन की कमी से निपटने के लिए जंगली खाद्य कंदों (स्थानीय भाषा में “कंदा”) का उपयोग करते रहे हैं। ये कंद पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

मोटे अनाज (मिलेट्स):
उंगलियों का बाजरा (फिंगर मिलेट), जिसे स्थानीय रूप से “मंडिया” कहा जाता है, इन समुदायों का मुख्य आहार रहा है। इसे पारंपरिक रूप से अलग-अलग रूपों में खाया जाता है, जिससे यह पोषण और ऊर्जा प्रदान करता है।

खेती में नवाचार और फसल विविधीकरण

पारंपरिक फसलों को पुनर्जीवित करने की पहल:
भोजन की असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा ऐसी उपेक्षित और कम उपयोग की जाने वाली पारंपरिक फसलों (neglected and under-utilized species – NUS) को पुनर्जीवित करने पर बल दिया जा रहा है, जो स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल हैं।

Koraput काला जीरा चावल:
कोरापुट में उगाया जाने वाला “काला जीरा चावल” एक सुगंधित धान प्रजाति है, जिसे जनवरी 2024 में भौगोलिक संकेतक (GI) टैग मिला है। इस मान्यता से न केवल इसकी गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, बल्कि किसानों को इसे उगाने के लिए प्रोत्साहन भी मिल रहा है।

महिला सशक्तिकरण और खाद्य प्रसंस्करण में सुधार

Transformation of the tribal food system of Koraput

महिला स्वयं सहायता समूहों की भूमिका:
12 गांवों में स्थापित छोटे आटा चक्कियों (मिनी फ्लोर मिल्स) ने मोटे अनाजों (मिलेट्स) को पीसने के काम को आसान बना दिया है। पहले यह काम पूरी तरह से महिलाओं पर निर्भर था और अत्यधिक मेहनत भरा था।

स्व-रोजगार और सामाजिक सशक्तिकरण:
इन आटा चक्कियों को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिससे न केवल उनका श्रम बच रहा है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी मिल रहा है।

परंपरा और आधुनिकता का संतुलन

Koraput की आदिवासी खाद्य प्रणाली में हो रहा यह बदलाव पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक कृषि तकनीकों का मिश्रण है।
फसल विविधीकरण, स्थानीय फसलों का संरक्षण, और महिला सशक्तिकरण जैसी पहल कोरापुट को खाद्य सुरक्षा और पोषण की दिशा में आत्मनिर्भर बना रही हैं।
✔ इससे न केवल स्थानीय किसानों को लाभ हो रहा है, बल्कि आदिवासी संस्कृति और खाद्य विरासत को संरक्षित करने में भी मदद मिल रही है।

ट्रम्प के वफादार Kash Patel को एफबीआई निदेशक नियुक्त किया गया

भारतीय मूल के Kash Patel को अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) का नया निदेशक नियुक्त किया गया है। अमेरिकी सीनेट ने उनके नामांकन को 51-47 वोटों से मंजूरी दी, हालांकि इस प्रक्रिया के दौरान डेमोक्रेट्स ने विरोध जताया था।

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काश पटेल, जो पहले डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में उप अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य कर चुके हैं, ने अपनी नियुक्ति के बाद एक बयान में कहा कि अमेरिकी लोग एक ऐसी एफबीआई के हकदार हैं जो पूरी तरह से पारदर्शी, जवाबदेह और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध हो। उन्होंने न्याय प्रणाली के राजनीतिकरण को समाप्त करने का संकल्प लिया।

Kash Patel confirmed as FBI director in us

हालांकि, डेमोक्रेट्स ने उनकी नियुक्ति पर चिंता व्यक्त की है, यह आशंका जताते हुए कि पटेल एफबीआई का उपयोग ट्रंप के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कर सकते हैं, जिससे एजेंसी की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।

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Kash Patel के बारे में

अपने करियर के दौरान, काश पटेल ने सार्वजनिक वकील, अमेरिकी न्याय विभाग में आतंकवाद विरोधी अभियोजक, और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में विभिन्न भूमिकाओं में सेवा दी है। उनकी नियुक्ति अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है, जो एफबीआई की भविष्य की दिशा को प्रभावित कर सकती है।

PM Modi आज करेंगे 98वें अखिल भारतीय Marathi Sahitya Sammelan का उद्घाटन

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PM Modi आज, 21 फरवरी 2025 को, नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय Marathi Sahitya Sammelan का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन 21 से 23 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रख्यात साहित्यकार, लेखक, कवि और साहित्य प्रेमी भाग लेंगे।

इस आयोजन में पैनल चर्चाएं, पुस्तक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और संवाद सत्र शामिल होंगे, जो मराठी साहित्य की समृद्ध परंपरा और समसामयिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डालेंगे। सम्मेलन में भाषा संरक्षण, अनुवाद, और साहित्यिक कार्यों के डिजिटलीकरण जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श होगा।

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दिलचस्प बात यह है कि 71 वर्षों के बाद यह सम्मेलन दिल्ली में आयोजित हो रहा है; पिछली बार 1954 में इसका आयोजन यहां हुआ था। इस अवसर पर पुणे से दिल्ली तक एक प्रतीकात्मक साहित्यिक ट्रेन यात्रा भी आयोजित की गई है, जिसमें 1,200 प्रतिभागी शामिल हैं, जो साहित्य की एकता और समृद्धि को दर्शाते हैं।

सम्मेलन के दौरान 2,600 से अधिक कविताओं की प्रस्तुति, 50 पुस्तकों का लोकार्पण और 100 से अधिक बुक स्टॉल लगाए जाएंगे। इस आयोजन का उद्देश्य मराठी साहित्य की कालातीत प्रासंगिकता का उत्सव मनाना और समसामयिक संवाद में इसकी भूमिका का पता लगाना है।

यह सम्मेलन मराठी भाषा और साहित्य के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, विशेषकर हाल ही में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद। इससे मराठी भाषा में अध्ययन और शोध को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही भाषा की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

अखिल भारतीय Marathi Sahitya Sammelan

inaugurate the 98th All India Marathi Sahitya Sammelan today

अखिल भारतीय Marathi Sahitya Sammelan मराठी भाषा और साहित्य का सबसे प्रतिष्ठित वार्षिक आयोजन है, जिसमें देशभर के साहित्यकार, लेखक, कवि, आलोचक और साहित्य प्रेमी एक मंच पर आते हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य मराठी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार, शोध, और समकालीन मुद्दों पर चर्चा करना है।

सम्मेलन का इतिहास और महत्व

  • पहला अखिल भारतीय Marathi Sahitya Sammelan 1878 में पुणे में आयोजित किया गया था।
  • यह सम्मेलन मराठी साहित्य की समृद्ध परंपरा को संरक्षित करने और इसे नए आयाम देने के लिए हर वर्ष आयोजित किया जाता है।
  • इस आयोजन में मराठी साहित्य से जुड़ी चर्चाएँ, पुस्तक विमोचन, कविता पाठ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और संवाद सत्र होते हैं।
  • सम्मेलन में भाषा के संरक्षण, अनुवाद, साहित्यिक कार्यों के डिजिटलीकरण और समकालीन साहित्यिक चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया जाता है।

98वां अखिल भारतीय Marathi Sahitya Sammelan (2025)

  • तिथि: 21-23 फरवरी 2025
  • स्थान: नई दिल्ली (71 साल बाद दिल्ली में आयोजन)
  • मुख्य अतिथि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • विशेष आयोजन: पुणे से दिल्ली तक साहित्यिक यात्रा, 2,600 से अधिक कविताओं की प्रस्तुति, 50 पुस्तकों का लोकार्पण और 100 से अधिक बुक स्टॉल।

यह सम्मेलन मराठी भाषा और साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने और इसे युवा पीढ़ी से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

Holi की रात: अपनाएं ये उपाय, बदलें किस्मत!

Holi का पर्व खुशियों, उमंग, और रंगों से भरा होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शुभ अवसर पर किए गए कुछ विशेष उपाय आपकी किस्मत बदल सकते हैं? होलिका दहन की रात को तंत्र-मंत्र, ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रात को किए गए उपाय बाधाओं को दूर करने, दुर्भाग्य को समाप्त करने और सुख-समृद्धि को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

आइए विस्तार से जानते हैं कि होलिका दहन के अवसर पर कौन-कौन से उपाय किए जाएं जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

Holi और होलिका दहन का महत्व

Holi का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्त प्रहलाद की भक्ति से क्रोधित होकर उसके पिता, असुरराज हिरण्यकशिपु ने उसे मारने के लिए होलिका को आदेश दिया। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती, लेकिन जब वह प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी, तो भगवान विष्णु की कृपा से वह स्वयं जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बच गए।

इसलिए, होलिका दहन को नकारात्मकता को समाप्त करने और शुभता को आमंत्रित करने का अवसर माना जाता है। इस दिन किए गए विशेष उपाय बहुत प्रभावी माने जाते हैं।

होलिका दहन के विशेष उपाय जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत

Holi night: Adopt these measures, change your luck!

1. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से मुक्ति के लिए उपाय

Holi: अगर आपको बार-बार नकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है, कामों में बाधाएं आती हैं, या परिवार में अशांति बनी रहती है, तो होलिका दहन की रात इन उपायों को करें:

  • नजर दोष से मुक्ति: सात लाल मिर्च, सरसों के कुछ दाने और थोड़ी सी राई लेकर उसे अपने ऊपर सात बार वारें और होलिका दहन की आग में डाल दें।
  • बुरी शक्तियों से बचाव: काले तिल, नारियल और सरसों के तेल का दीपक जलाकर भगवान हनुमान के समक्ष रखें। इससे नकारात्मक शक्तियों का नाश होगा।

2. धन की वृद्धि और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति

अगर आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, तो होलिका दहन पर निम्नलिखित उपाय आज़माएं:

  • गुड़-गाय का घी: होलिका दहन के समय अग्नि में गुड़ और गाय का घी अर्पित करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  • काली हल्दी का उपाय: काली हल्दी, चांदी का सिक्का और थोड़ा सा केसर लाल कपड़े में बांधकर होलिका दहन के समय पूजा करें और इसे तिजोरी में रखें। इससे धन में वृद्धि होगी।
  • 11 कौड़ियां: 11 पीली कौड़ियों को हल्दी से रंगकर होलिका दहन में अर्पित करें और बाद में इन्हें अपने घर के धन स्थान में रखें।

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3. Holi: शादी और प्रेम संबंधों में सफलता के उपाय

अगर विवाह में विलंब हो रहा है या प्रेम संबंध में समस्याएं आ रही हैं, तो यह उपाय करें:

  • गुलाब की पंखुड़ियां: होलिका दहन की अग्नि में गुलाब की पंखुड़ियां डालें और भगवान राधा-कृष्ण का स्मरण करें। इससे प्रेम संबंधों में मजबूती आती है।
  • मांगलिक दोष से मुक्ति: जो लोग मांगलिक दोष से परेशान हैं, वे होलिका दहन की रात हनुमान चालीसा का पाठ करें और सिंदूर चढ़ाएं।
  • पीले वस्त्र दान करें: गुरुवार के दिन किसी जरूरतमंद को पीले वस्त्र दान करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।

4. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति के लिए उपाय

Holi night: Adopt these measures, change your luck!
  • नीम की पत्तियां: होलिका दहन की अग्नि में नीम की पत्तियां डालें और इसकी राख को माथे पर लगाएं। इससे रोगों से बचाव होता है।
  • लौंग और कपूर: कपूर और लौंग को जलाकर उसका धुआं घर में फैलाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और रोगों से बचाव होता है।

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5. शत्रु और बाधाओं से मुक्ति के लिए उपाय

अगर आपके जीवन में शत्रु बढ़ रहे हैं या किसी की बुरी नजर का असर हो रहा है, तो यह उपाय करें:

  • गुप्त मंत्र जाप: होलिका दहन के दौरान भगवान नृसिंह के मंत्र “ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलंतं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्यं नमाम्यहम्॥” का 108 बार जाप करें।
  • सरसों के बीज: होलिका दहन में सरसों के कुछ बीज डालें, इससे आपके शत्रु शांत होंगे।

Holi: होलिका दहन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  1. होलिका दहन की अग्नि को जलाने से पहले परिवार के सभी सदस्य पूजा करें और रक्षा सूत्र बांधें।
  2. होलिका दहन के समय कोई भी गलत विचार न लाएं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा के साथ भगवान से प्रार्थना करें।
  3. होलिका की राख को घर में लाकर तिजोरी या अन्य शुभ स्थान पर रखें, इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  4. अग्नि शांत होने के बाद होलिका की परिक्रमा करें और हाथ जोड़कर अपनी इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
  5. अग्नि में जले हुए नारियल या लकड़ी के छोटे टुकड़ों को घर में लाकर किसी पवित्र स्थान पर रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

निष्कर्ष

Holi  केवल रंगों और उत्सव का त्योहार ही नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। होलिका दहन की रात कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय करने से आपकी किस्मत चमक सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती है।

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Indian Railways  का बड़ा बदलाव! सफर से पहले नया नियम जानें

Indian Railways, जिसे देश की जीवनरेखा कहा जाता है, हर दिन लाखों यात्रियों को उनकी मंज़िल तक पहुँचाता है। अपने विशाल नेटवर्क और लाखों यात्रियों की सुविधा को देखते हुए, रेलवे समय-समय पर नई नीतियाँ लाता है। हाल ही में, रेलवे ने जनरल टिकट बुकिंग प्रणाली में एक बड़ा बदलाव किया है, जिससे यात्रियों को पहले से ही इसके बारे में जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है।

आइए विस्तार से समझते हैं कि यह नया नियम क्या है, और यह यात्रियों को कैसे प्रभावित करेगा

जनरल टिकट बुकिंग का नया नियम क्या है?

पहले, यात्री जनरल टिकट रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर से या UTS मोबाइल ऐप के ज़रिए खरीद सकते थे। लेकिन अब Indian Railways ने कई स्टेशनों और रूट्स पर डिजिटल टिकट बुकिंग को अनिवार्य कर दिया है। यानी:

  • अब कई स्टेशनों पर टिकट काउंटर नहीं होंगे
  • यात्रियों को जनरल टिकट UTS मोबाइल ऐप या ऑटोमैटिक टिकट मशीनों से लेना होगा।
  • नकद भुगतान के बजाय, ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इसका मुख्य उद्देश्य यात्रियों को तेज़, सुविधाजनक और भीड़-रहित टिकटिंग प्रणाली प्रदान करना है।

यह बदलाव क्यों किया गया?

रेलवे ने यह बदलाव कई महत्वपूर्ण कारणों से किया है:

Big change by Indian Railways! Know the new rules before travelling

1. लंबी कतारों को खत्म करना

Indian Railways स्टेशनों पर टिकट काउंटर पर भीड़ लगना आम बात थी। डिजिटल बुकिंग से यह समस्या खत्म हो जाएगी।

2. डिजिटल इंडिया पहल को बढ़ावा

सरकार की “डिजिटल इंडिया” योजना के तहत Indian Railways को आधुनिक और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जा रहा है।

3. संपर्क रहित यात्रा को बढ़ावा

COVID-19 महामारी के बाद, डिजिटल टिकट प्रणाली से संपर्क रहित यात्रा को बढ़ावा मिलेगा, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।

4. टिकटिंग प्रक्रिया को तेज़ और आसान बनाना

मोबाइल ऐप से टिकट बुकिंग केवल कुछ सेकंड में हो सकती है, जिससे यात्रियों का समय बचेगा।

UTS मोबाइल ऐप से जनरल टिकट कैसे बुक करें?

क्योंकि अब टिकट काउंटर सीमित हो जाएंगे, यात्रियों को UTS (अनारक्षित टिकटिंग प्रणाली) मोबाइल ऐप से टिकट बुक करने की आदत डालनी होगी। नीचे इस ऐप से टिकट बुक करने की पूरी प्रक्रिया दी गई है:

स्टेप 1: UTS मोबाइल ऐप डाउनलोड करें

  • यह ऐप Android और iOS दोनों के लिए उपलब्ध है।
  • इसे Google Play Store या Apple App Store से डाउनलोड करें।

स्टेप 2: ऐप में रजिस्ट्रेशन करें

  • मोबाइल नंबर के साथ साइन अप करें
  • OTP के माध्यम से नंबर वेरीफाई करें
  • अपना यूजरनेम और पासवर्ड सेट करें।

स्टेप 3: अपने R-Wallet में पैसे जोड़ें

  • इस ऐप से टिकट बुक करने के लिए Railway Wallet (R-Wallet) का उपयोग करना होगा।
  • R-Wallet में नेट बैंकिंग, डेबिट/क्रेडिट कार्ड या UPI के ज़रिए पैसे जोड़ें।
  • कम से कम ₹100 का बैलेंस जरूरी है।

स्टेप 4: जनरल टिकट बुक करें

  • ऐप खोलें और “बुक टिकट” ऑप्शन चुनें।
  • टिकट के प्रकार का चयन करें (यात्रा टिकट, सीजन टिकट, प्लेटफार्म टिकट)।
  • अपना स्टेशन और गंतव्य दर्ज करें।
  • भुगतान करें और टिकट “My Tickets” सेक्शन में सेव हो जाएगा।

स्टेप 5: यात्रा के दौरान टिकट दिखाएँ

  • टिकट का प्रिंटआउट निकालने की ज़रूरत नहीं
  • मोबाइल स्क्रीन पर टिकट दिखाकर सफर कर सकते हैं।

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नए नियम से यात्रियों को क्या लाभ होगा?

यह नया नियम यात्रियों को कई फायदे देगा:

लंबी कतारों से छुटकारा – अब काउंटर पर टिकट लेने के लिए लंबी लाइन में खड़े होने की ज़रूरत नहीं।

तेज़ और आसान टिकट बुकिंग – टिकट बुक करने में सिर्फ कुछ सेकंड लगेंगे।

पेपरलेस और पर्यावरण के अनुकूल – कोई प्रिंटआउट की ज़रूरत नहीं, जिससे कागज की बर्बादी रुकेगी।

24/7 टिकट बुकिंग सुविधा – कहीं से भी, कभी भी टिकट बुक कर सकते हैं।

संपर्क रहित और सुरक्षित यात्रा – नकदी के बजाय डिजिटल भुगतान से संक्रमण का खतरा कम होगा।

नई प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियाँ

Big change by Indian Railways! Know the new rules before travelling

हालांकि यह बदलाव यात्रियों के लिए लाभकारी है, लेकिन कुछ लोगों को इससे कठिनाइयाँ हो सकती हैं:

डिजिटल ज्ञान की कमी – कुछ यात्रियों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मोबाइल ऐप उपयोग करने में कठिनाई हो सकती है।

इंटरनेट की समस्या – दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या हो सकती है।

तकनीकी समस्याएँ – कई बार फोन की बैटरी खत्म हो सकती है या नेटवर्क न मिलने से टिकट नहीं दिखाया जा सकता।

आदत में बदलाव – कई लोग पारंपरिक टिकटिंग सिस्टम के आदी हैं, इसलिए डिजिटल प्रणाली को अपनाने में समय लगेगा।

Indian Railway ने आरक्षण नियमों में किया बदलाव

Indian Railways इन चुनौतियों को कैसे हल कर रहा है?

Indian Railways यात्रियों की सुविधा के लिए कई कदम उठा रहा है:

स्टेशनों पर ऑटोमैटिक टिकटिंग मशीनें लगाई जा रही हैं।
बुजुर्ग और दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष सहायता केंद्र उपलब्ध रहेंगे।
यात्रियों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
तकनीकी सहायता के लिए Indian Railways हेल्पलाइन नंबर चालू किया गया है।

क्या यह बदलाव यात्रियों के लिए अच्छा है?

बिल्कुल! Indian Railways का यह नया नियम यात्रियों के लिए भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है। हालांकि शुरुआत में कुछ कठिनाइयाँ हो सकती हैं, लेकिन लंबे समय में यह यात्रा को तेज़, सुगम और सुविधाजनक बनाएगा

अगर आप Indian Railways से यात्रा करते हैं, तो आपको जल्द ही इस नई प्रणाली को अपनाना होगा। UTS मोबाइल ऐप डाउनलोड करें, डिजिटल टिकटिंग के साथ सफर करें, और भीड़-भाड़ से बचें!

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Aloe Vera Juice पीने का सही समय क्या है?

What is the right time to drink Aloe Vera Juice?

Aloe Vera Juice सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और पाचन में सुधार, इम्यूनिटी बढ़ाने और डिटॉक्स करने में मदद करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एलोवेरा जूस पीने का सही समय क्या है? सही समय पर पीने से इसके अधिकतम लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। आइए विस्तार से जानें कि इसे कब और कैसे पीना चाहिए।

Aloe Vera Juice पीने के फायदे

एलोवेरा जूस पीने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, जैसे:

पाचन सुधारता है – कब्ज, गैस और एसिडिटी से राहत देता है।
इम्यूनिटी बढ़ाता है – एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन A, C, E से भरपूर।
डिटॉक्स करता है – शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में मदद करता है।
त्वचा को स्वस्थ बनाता है – त्वचा को हाइड्रेट करता है और मुंहासे दूर करता है।
वजन कम करने में सहायक – मेटाबॉलिज्म तेज करता है और फैट बर्न करता है।
सूजन कम करता है – गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

अब जानते हैं कि इसे पीने का सबसे सही समय क्या है।

What is the right time to drink Aloe Vera Juice

एलोवेरा जूस पीने का सबसे अच्छा समय

1. सुबह खाली पेट

सुबह खाली पेट Aloe Vera Juice पीना सबसे फायदेमंद माना जाता है। इससे शरीर को अधिक पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं।

फायदे:

  • पाचन तंत्र को एक्टिव करता है और गैस की समस्या दूर करता है।
  • लीवर को डिटॉक्स करता है और पाचन क्रिया सुधारता है।
  • वजन कम करने में मदद करता है।
  • शरीर को हाइड्रेट करता है और ऊर्जा देता है।

कैसे पिएं:

  • 1-2 चम्मच एलोवेरा जूस को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं।
  • स्वाद के लिए नींबू का रस या शहद मिला सकते हैं।

सावधानी: यदि आपका पेट संवेदनशील है, तो कम मात्रा से शुरू करें और धीरे-धीरे बढ़ाएं।

2. खाने से 30 मिनट पहले

खाने से आधा घंटा पहले Aloe Vera Juice पीने से पाचन क्रिया बेहतर होती है।

फायदे:

  • पाचन एंजाइम्स को उत्तेजित करता है।
  • एसिडिटी और गैस की समस्या कम करता है।
  • पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाता है।

कैसे पिएं:

  • 1 चम्मच एलोवेरा जूस को पानी में मिलाकर भोजन से 30 मिनट पहले लें।

सावधानी: अधिक मात्रा में लेने से पेट खराब हो सकता है।

3. खाने के बाद (एसिडिटी और पाचन समस्याओं के लिए)

What is the right time to drink Aloe Vera Juice

यदि आपको एसिडिटी, अपच या गैस की समस्या रहती है, तो भोजन के बाद Aloe Vera Juice पीना लाभदायक हो सकता है।

फायदे:

  • एसिडिटी और हार्टबर्न से राहत देता है।
  • पेट की जलन और सूजन कम करता है।
  • आंतों के स्वास्थ्य को सुधारता है।

कैसे पिएं:

  • 1 चम्मच एलोवेरा जूस को पानी में मिलाकर भोजन के बाद पिएं।

सावधानी: यदि आपको पेट में अल्सर या गैस्ट्रिक समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लें।

4. रात को सोने से पहले (डिटॉक्स और आराम के लिए)

सोने से पहले एलोवेरा जूस पीने से शरीर डिटॉक्स होता है और नींद अच्छी आती है।

फायदे:

  • लीवर की सफाई करता है और विषैले तत्व बाहर निकालता है।
  • पाचन को दुरुस्त रखता है।
  • शरीर और त्वचा को अंदर से हाइड्रेट करता है।

कैसे पिएं:

  • 1 चम्मच एलोवेरा जूस को गुनगुने पानी या हर्बल टी में मिलाकर पिएं।

सावधानी: यदि एलोवेरा जूस से दस्त हो रहे हैं, तो इसे रात में पीना बंद करें।

Aloe Vera Juice कितनी बार पीना चाहिए?

यदि आप सामान्य स्वास्थ्य के लिए एलोवेरा जूस पी रहे हैं, तो दिन में एक बार पीना पर्याप्त है। यदि आप इसे किसी विशेष स्वास्थ्य लाभ के लिए ले रहे हैं, तो दिन में दो बार – सुबह और रात में पी सकते हैं।

सही मात्रा:

  • सामान्य स्वास्थ्य के लिए: 1-2 चम्मच प्रतिदिन।
  • पाचन के लिए: खाने से पहले या बाद में 1-2 चम्मच।
  • डिटॉक्स और वजन घटाने के लिए: सुबह और रात में 1-2 चम्मच।

सावधानी: अधिकतम 4 चम्मच प्रतिदिन से अधिक न लें, क्योंकि अधिक सेवन से पेट खराब हो सकता है।

What is the right time to drink Aloe Vera Juice

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किन लोगों को Aloe Vera Juice नहीं पीना चाहिए?

हालांकि एलोवेरा जूस फायदेमंद है, लेकिन कुछ लोगों को इसे पीने से बचना चाहिए या डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए:

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं – इससे गर्भाशय में संकुचन हो सकता है।
आईबीएस या पुरानी दस्त की समस्या वाले लोग – एलोवेरा जूस प्राकृतिक रूप से रेचक होता है।
ब्लड शुगर कम करने की दवा लेने वाले लोग – एलोवेरा शुगर लेवल को कम कर सकता है।
ब्लड प्रेशर, हार्ट या अन्य दवाएं लेने वाले लोग – डॉक्टर की सलाह लें।

Aloe Vera Juice पीने के बेहतरीन तरीके

अगर आपको एलोवेरा जूस का स्वाद पसंद नहीं है, तो इसे मजेदार तरीकों से पी सकते हैं:

एलोवेरा डिटॉक्स वॉटर – गुनगुने पानी और नींबू के साथ मिलाकर पिएं।
फ्रूट जूस के साथ – संतरा या अनानास जूस में मिलाकर लें।
हर्बल टी में मिलाकर – ग्रीन टी या कैमोमाइल टी के साथ पिएं।
स्मूदी में मिलाकर – दही, शहद और फलों के साथ मिलाकर स्मूदी बनाएं।

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आपके लिए सबसे सही समय कौन सा है?

आपके स्वास्थ्य लक्ष्यों के आधार पर एलोवेरा जूस पीने का सही समय अलग-अलग हो सकता है:

डिटॉक्स और वजन घटाने के लिए → सुबह खाली पेट।
पाचन और एसिडिटी के लिए → खाने से पहले या बाद में।
बेहतर नींद और डिटॉक्स के लिए → रात में सोने से पहले।

अपनी बॉडी के अनुसार एलोवेरा जूस पीने की आदत बनाएं और हमेशा संतुलित मात्रा में इसका सेवन करें। अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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Nutmeg से पाएं झुर्रियों से छुटकारा, खूबसूरत चमकदार त्वचा!

Nutmeg: बढ़ती उम्र एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन समय से पहले झुर्रियों और महीन रेखाओं के कारण आपकी त्वचा उम्र से अधिक दिख सकती है। यदि आप झुर्रियों से छुटकारा पाने का एक प्राकृतिक, प्रभावी और किफायती तरीका ढूंढ रहे हैं, तो जायफल (Nutmeg) आपके लिए एक बेहतरीन उपाय है।

यह जादुई मसाला न केवल आपके खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि त्वचा की देखभाल में भी बहुत फायदेमंद है। एंटीऑक्सीडेंट, आवश्यक तेलों और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर Nutmeg आपकी त्वचा को झुर्रियों से मुक्त करने और उसे चमकदार बनाए रखने में मदद करता है।

इस लेख में हम जानेंगे कि झुर्रियों को दूर करने के लिए जायफल क्यों फायदेमंद है, इसे इस्तेमाल करने के तरीके और कुछ आसान घरेलू फेस पैक्स जो आपकी त्वचा को जवां और खूबसूरत बनाएंगे।

झुर्रियों के लिए Nutmeg क्यों फायदेमंद है?

जायफल (Myristica fragrans) में कई ऐसे गुण होते हैं जो त्वचा को पोषण प्रदान करते हैं और झुर्रियों को कम करने में सहायक होते हैं।

1. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर

ऑक्सीडेटिव तनाव (oxidative stress) त्वचा की उम्र बढ़ाने का एक मुख्य कारण है। Nutmeg में मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट जैसे माइरिस्टिसिन (Myristicin) और एलेमिकिन (Elemicin) त्वचा को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और झुर्रियों को रोकते हैं।

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2. कोलेजन उत्पादन को बढ़ाता है

कोलेजन त्वचा को मजबूत और लचीला बनाए रखने में मदद करता है। जायफल कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक है, जिससे त्वचा की लोच बनी रहती है और झुर्रियां कम होती हैं।

3. प्राकृतिक एक्सफोलिएंट

मृत त्वचा कोशिकाएं (Dead skin cells) झुर्रियों को अधिक स्पष्ट कर सकती हैं। Nutmeg एक हल्का स्क्रब है जो त्वचा से मृत कोशिकाओं को हटाकर नई, चमकदार त्वचा को उजागर करता है।

4. हाइड्रेटिंग और मॉइस्चराइजिंग गुण

सूखी त्वचा पर झुर्रियां जल्दी आती हैं। जायफल में मौजूद आवश्यक तेल त्वचा को गहराई से हाइड्रेट कर मुलायम और कोमल बनाए रखते हैं।

5. एंटी-इंफ्लेमेटरी और उपचारात्मक गुण

Nutmeg त्वचा की सूजन को शांत करता है, लालिमा (redness) को कम करता है और दाग-धब्बों को ठीक करता है, जिससे त्वचा बेदाग और युवा दिखती है।

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6. काले धब्बों और दाग-धब्बों को हल्का करता है

उम्र बढ़ने के साथ त्वचा पर काले धब्बे और असमान रंगत आने लगती है। Nutmeg त्वचा को प्राकृतिक रूप से ग्लोइंग और समान टोन बनाने में मदद करता है।

झुर्रियों के लिए Nutmeg का उपयोग कैसे करें?

जायफल को झुर्रियों को कम करने के लिए विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां कुछ प्रभावी घरेलू उपाय दिए गए हैं—

1. जायफल और शहद फेस मास्क

फायदे: यह मास्क त्वचा को गहराई से पोषण देता है, झुर्रियों को कम करता है और त्वचा में निखार लाता है।

सामग्री:

  • 1 चम्मच Nutmeg पाउडर
  • 1 बड़ा चम्मच शहद

कैसे इस्तेमाल करें:

  1. जायफल पाउडर और शहद को अच्छी तरह मिलाकर एक पेस्ट बना लें।
  2. इसे चेहरे पर समान रूप से लगाएं और 15-20 मिनट तक छोड़ दें।
  3. गुनगुने पानी से धोकर चेहरा सुखा लें।
  4. इसे सप्ताह में दो बार लगाएं।

2. Nutmeg और दूध एंटी-एजिंग पैक

फायदे: दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड त्वचा को एक्सफोलिएट करता है और उसे चमकदार बनाता है।

सामग्री:

  • 1 चम्मच जायफल पाउडर
  • 2 बड़े चम्मच दूध

कैसे इस्तेमाल करें:

Get rid of wrinkles with nutmeg and get beautiful glowing skin!
  1. जायफल पाउडर और दूध को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बना लें।
  2. इसे चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट तक छोड़ दें।
  3. हल्के हाथों से स्क्रब करते हुए धो लें।
  4. इसे हफ्ते में 2-3 बार लगाएं।

3. जायफल और दही झुर्रियों के लिए फेस मास्क

फायदे: दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स और लैक्टिक एसिड त्वचा की बनावट में सुधार करते हैं और झुर्रियों को कम करते हैं।

सामग्री:

  • 1 चम्मच जायफल पाउडर
  • 2 बड़े चम्मच ताजा दही

कैसे इस्तेमाल करें:

  1. जायफल पाउडर और दही को मिलाकर पेस्ट बना लें।
  2. इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट तक सूखने दें।
  3. ठंडे पानी से धो लें।
  4. नियमित उपयोग से त्वचा जवां और चमकदार बनी रहेगी।

4. जायफल और नारियल तेल उपचार

फायदे: नारियल तेल त्वचा को गहराई से हाइड्रेट करता है, जबकि जायफल त्वचा की लोच बनाए रखता है।

सामग्री:

  • 1 चम्मच जायफल पाउडर
  • 1 चम्मच नारियल तेल

कैसे इस्तेमाल करें:

  1. जायफल और नारियल तेल को मिलाकर हल्के हाथों से चेहरे पर मालिश करें।
  2. इसे रातभर के लिए छोड़ दें और सुबह हल्के फेस वॉश से धो लें।
  3. इसे हर रात लगाने से झुर्रियां धीरे-धीरे कम होने लगेंगी।

5. जायफल और एलोवेरा जेल फेस पैक

फायदे: एलोवेरा त्वचा को हाइड्रेट करता है, जलन को शांत करता है और झुर्रियों को कम करने में मदद करता है।

सामग्री:

  • 1 चम्मच जायफल पाउडर
  • 1 बड़ा चम्मच ताजा एलोवेरा जेल

यह भी पढ़े- Skincare: चेहरे की लटकी स्किन और झुर्रियां दूर करेगा ये तेल!

कैसे इस्तेमाल करें:

  1. जायफल पाउडर और एलोवेरा जेल को मिलाकर एक चिकना पेस्ट बना लें।
  2. इसे चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट तक छोड़ दें।
  3. ठंडे पानी से धो लें।
  4. इसे हर दूसरे दिन इस्तेमाल करें।

युवा और झुर्री-मुक्त त्वचा के लिए अतिरिक्त टिप्स

  1. पर्याप्त पानी पिएं – त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पिएं।
  2. संतुलित आहार लें – फल, सब्जियां और हेल्दी फैट त्वचा को पोषण देते हैं।
  3. सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें – सूरज की हानिकारक किरणें झुर्रियों को बढ़ा सकती हैं।
  4. अच्छी नींद लें – अच्छी नींद लेने से त्वचा की मरम्मत तेजी से होती है।
  5. व्यायाम करें – नियमित एक्सरसाइज से रक्त संचार बढ़ता है, जिससे त्वचा चमकती है।

निष्कर्ष

जायफल एक शक्तिशाली प्राकृतिक उपचार है जो आपको झुर्रियों से मुक्त, चमकदार त्वचा पाने में मदद कर सकता है। चाहे आप इसे फेस मास्क, स्क्रब या रात भर के उपचार में इस्तेमाल करें, यह साधारण मसाला आपकी स्किनकेयर रूटीन को बदल सकता है। नियमित उपयोग से, जायफल आपकी त्वचा की युवा चमक को बहाल करने में मदद करेगा, जिससे झुर्रियाँ अतीत की बात बन जाएँगी। तो, आप किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं? आज ही जायफल से बने इन DIY स्किनकेयर उपायों को आज़माएँ और जवां, स्वस्थ त्वचा पाएँ!

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सुबह Raw Milk में मिलाकर लगाएं, 15 दिन में गोल्डन ग्लो!

Raw Milk हर किसी की ख्वाहिश होती है कि उसकी त्वचा बेदाग, चमकदार और सुनहरी नज़र आए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सपने को पूरा करने का राज़ आपके घर में ही मौजूद है? जी हां! कच्चा दूध और कुछ खास प्राकृतिक सामग्रियों का मिश्रण आपकी त्वचा को सिर्फ 15 दिनों में चमकदार बना सकता है।

सामग्री की तालिका

अगर आप महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स और पार्लर ट्रीटमेंट्स से थक चुके हैं, तो अब समय आ गया है कि आप इस घरेलू नुस्खे को आज़माएं। इस लेख में हम जानेंगे कि कच्चा दूध क्यों फायदेमंद है, किन सामग्रियों के साथ इसे मिलाना चाहिए और इसे सही तरीके से कैसे इस्तेमाल करें ताकि आपको बेहतरीन नतीजे मिलें।

क्यों है कच्चा दूध त्वचा के लिए अमृत समान?

कच्चा दूध प्राकृतिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो आपकी त्वचा को अंदर से पोषण देकर उसे निखारता है। आइए जानें कि यह क्यों फायदेमंद है:

लैक्टिक एसिड से भरपूर – यह त्वचा की डेड स्किन हटाकर उसे साफ और निखरी हुई बनाता है।
विटामिन्स का भंडार – इसमें विटामिन A, D, B12 और बायोटिन होते हैं, जो त्वचा की बनावट सुधारते हैं।
प्राकृतिक मॉइश्चराइज़र – यह त्वचा को गहराई तक हाइड्रेट करता है, जिससे वह मुलायम और कोमल बनी रहती है।
दाग-धब्बे दूर करता है – यह झाइयों, काले धब्बों और असमान त्वचा टोन को कम करता है।
शांत और उपचारात्मक गुण – यह जलन, लालिमा और मुंहासों को कम करता है।

अब जानते हैं कि किन चीज़ों को Raw Milk में मिलाकर इस्तेमाल करने से आपकी त्वचा को अधिक लाभ मिलेगा।

1. कच्चा दूध + हल्दी – सदियों पुराना निखार देने वाला नुस्खा

कैसे फायदेमंद है?

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) त्वचा को प्राकृतिक रूप से निखारने, दाग-धब्बे मिटाने और चमक बढ़ाने में मदद करता है।

कैसे इस्तेमाल करें?

2 बड़े चम्मच Raw Milk में एक चुटकी हल्दी मिलाएं।
इसे अच्छे से मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं।
15–20 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें।

परिणाम: 7 दिनों में चमक और 15 दिनों में सुनहरी त्वचा!

2. Raw Milk + शहद – त्वचा को गहराई से मॉइश्चराइज़ करने वाला मास्क

कैसे फायदेमंद है?

शहद त्वचा को हाइड्रेट करता है और उसमें नमी बनाए रखता है, साथ ही इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुंहासों और रूखापन को दूर करते हैं।

कैसे इस्तेमाल करें?

2 बड़े चम्मच Raw Milk में 1 चम्मच शहद मिलाएं।
इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें।
ठंडे पानी से धो लें।

परिणाम: 10–15 दिनों में त्वचा होगी मुलायम और दमकती हुई!

3. Raw Milk + गुलाब जल – ताजगी और निखार देने वाला टॉनिक

कैसे फायदेमंद है?

गुलाब जल प्राकृतिक टोनर का काम करता है, जिससे त्वचा के रोमछिद्र साफ होते हैं और निखार आता है।

कैसे इस्तेमाल करें?

1 बड़ा चम्मच कच्चा दूध और 1 बड़ा चम्मच गुलाब जल मिलाएं।
इसे कॉटन की मदद से पूरे चेहरे पर लगाएं।
15 मिनट के बाद धो लें।

 परिणाम: तुरंत ताजगी और 2 हफ्तों में चमकदार त्वचा!

4. Raw Milk + बेसन – डीप क्लीनिंग और ब्राइटनिंग मास्क

कैसे फायदेमंद है?

बेसन त्वचा से गंदगी और अतिरिक्त तेल हटाकर उसे साफ और कोमल बनाता है।

कैसे इस्तेमाल करें?

2 बड़े चम्मच बेसन में थोड़ा कच्चा दूध मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाएं।
इसे चेहरे पर लगाकर 15 मिनट तक सूखने दें।
हल्के हाथों से रगड़ते हुए धो लें।

परिणाम: 1 हफ्ते में साफ और चमकदार त्वचा, 15 दिनों में सुनहरी चमक!

5. Raw Milk + केसर – रॉयल ग्लो मास्क

कैसे फायदेमंद है?

केसर त्वचा के रंग को हल्का करने, झाइयां हटाने और चमक बढ़ाने में मदद करता है।

कैसे इस्तेमाल करें?

कुछ केसर की पत्तियां 2 बड़े चम्मच Raw Milk में रातभर भिगोकर रखें।
सुबह इसे अच्छे से मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
20 मिनट के बाद धो लें।

परिणाम: 10–15 दिनों में बेदाग और चमकती हुई त्वचा!

कैसे अपनाएं यह स्किनकेयर रूटीन?

सुबह:
चेहरे को हल्के फेस वॉश से धो लें।
Raw Milk का मास्क लगाएं।
15–20 मिनट बाद धोकर मॉइश्चराइज़र और सनस्क्रीन लगाएं।

रात:
मेकअप हटाकर चेहरे को साफ करें।
दूध का पैक लगाएं (बेसन को छोड़कर)।
15 मिनट बाद धोकर नाइट क्रीम या एलोवेरा जेल लगाएं।

कितनी बार लगाएं?
बेहतर नतीजों के लिए इसे रोज़ाना या हफ्ते में कम से कम 4–5 बार लगाएं।

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स्वस्थ और चमकदार त्वचा के लिए अतिरिक्त टिप्स

पर्याप्त पानी पिएं – दिनभर में कम से कम 8 गिलास पानी ज़रूर पिएं।
सही खानपान अपनाएं – ताजे फल, सब्ज़ियां और नट्स खाएं।
अच्छी नींद लें – कम से कम 7–8 घंटे की नींद ज़रूर लें।
धूप से बचाव करें – बाहर जाते समय सनस्क्रीन ज़रूर लगाएं।
नियमित व्यायाम करें – एक्सरसाइज़ करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और त्वचा में नैचुरल ग्लो आता है।

15 दिनों में पाएं सुनहरी चमक!

अगर आप अपनी त्वचा को प्राकृतिक रूप से सुंदर और दमकता हुआ बनाना चाहते हैं, तो Raw Milk का यह घरेलू नुस्खा आपकी ब्यूटी केयर रूटीन का हिस्सा ज़रूर होना चाहिए। यह न केवल त्वचा को पोषण देता है, बल्कि उसे स्वस्थ और चमकदार भी बनाता है।

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Carrot Juice के फायदे और इसे आहार में शामिल करने के तरीके

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Carrot Juice पोषण से भरपूर और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन A, C, K, पोटैशियम, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर जैसे कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं।

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Carrot Juice के फायदे:

Benefits of carrot juice

आंखों की रोशनी बढ़ाए – गाजर में मौजूद बीटा-कैरोटीन और विटामिन A आंखों की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए – इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन C शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं।

स्किन ग्लो बढ़ाए – गाजर का जूस त्वचा को चमकदार बनाने और डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है।

दिल को रखे स्वस्थ – इसमें फाइबर और पोटैशियम होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक है।

पाचन को बेहतर बनाए – गाजर के जूस में फाइबर होता है, जिससे पाचन क्रिया सुचारू रूप से काम करती है।

वजन घटाने में मददगार – यह कम कैलोरी वाला पेय है, जो वजन घटाने में सहायक होता है।

Benefits of carrot juice

Carrot Juice को आहार में शामिल करने के तरीके:

  1. सादा गाजर का जूस – गाजर को मिक्सी में पीसकर और छानकर ताजा जूस बनाया जा सकता है।
  2. गाजर-सेब जूस – सेब और अदरक मिलाकर जूस बनाएं, जिससे स्वाद और पोषण दोनों बढ़ जाएंगे।
  3. गाजर-चुकंदर जूस – गाजर के साथ चुकंदर और नींबू मिलाकर एक हेल्दी डिटॉक्स ड्रिंक तैयार की जा सकती है।
  4. गाजर-संतरा जूस – इसमें विटामिन C भरपूर होता है, जो इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद है।
  5. गाजर-दूध स्मूदी – गाजर को दूध और शहद के साथ मिलाकर एक हेल्दी स्मूदी तैयार की जा सकती है।

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गाजर का जूस रोज़ाना पीना सेहत के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। इसे अपने आहार में किसी भी रूप में शामिल करें और सेहतमंद जीवन का आनंद लें! 🥕🥤

Umananda Temple: आस्था, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय संगम

Umananda Temple असम के गुवाहाटी शहर में स्थित एक प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिर है। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में स्थित एक छोटे से द्वीप “उमानंद द्वीप” पर बना हुआ है, जिसे ‘पीकॉक आइलैंड’ भी कहा जाता है। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता भी इसे एक अनूठा पर्यटन स्थल बनाती है।

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Umananda Temple का इतिहास और निर्माण

Umananda Temple: A unique confluence of faith

Umananda Temple का निर्माण 1694 में अहोम राजा गदाधर सिंह (1681–1696) द्वारा कराया गया था, जो उस समय के असम के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक थे। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे “उमानंद” नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यहां भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती, जिन्हें ‘उमा’ भी कहा जाता है, को आनंदित किया था। इस प्रकार इस मंदिर का नाम “उमा” और “आनंद” शब्दों के मेल से पड़ा।

माना जाता है कि इस स्थान का उल्लेख कई प्राचीन हिंदू ग्रंथों और कथाओं में मिलता है। कहा जाता है कि भगवान शिव यहां ध्यान में लीन रहते थे और ब्रह्मपुत्र नदी के बीच इस शांत स्थान को अपने निवास के लिए चुना।

भूगोल और स्थान

Umananda Temple जिस द्वीप पर स्थित है, वह ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में है। यह द्वीप आकार में छोटा है, लेकिन इसकी प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय है। चारों ओर हरियाली और नदी का पानी इसे एक शांतिपूर्ण और आकर्षक स्थल बनाते हैं। यह द्वीप “पीकॉक आइलैंड” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसके आकार को मोर की तरह माना जाता है।

इस द्वीप पर अनेक दुर्लभ प्रजातियों के पौधे और पशु पाए जाते हैं। विशेष रूप से यहां पाया जाने वाला “गोल्डन लंगूर” एक मुख्य आकर्षण है, जो एक दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजाति है।

धार्मिक महत्व

Umananda Temple: A unique confluence of faith

Umananda Temple हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है और इसे “भूमि का सबसे आनंदमय स्थान” कहा जाता है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मंदिर में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

कहा जाता है कि इस स्थान पर कामदेव, जो प्रेम और आकर्षण के देवता हैं, ने भगवान शिव की साधना में बाधा डाली थी। इसके कारण भगवान शिव ने उन्हें भस्म कर दिया। इसी वजह से यह स्थान “भस्माचल” के नाम से भी प्रसिद्ध है।

स्थापत्य कला

Umananda Temple असम की पारंपरिक स्थापत्य शैली में बना हुआ है। मंदिर के मुख्य भवन में बारीक नक्काशी और मूर्तियां हैं, जो इसे अद्वितीय बनाती हैं। यहां भगवान शिव के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जिनमें गणेश, विष्णु, सूर्य और देवी पार्वती प्रमुख हैं।

मंदिर की दीवारों पर हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों का वर्णन किया गया है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी कलात्मक सुंदरता भी लोगों को आकर्षित करती है।

उमानंद द्वीप तक पहुंचने का तरीका

Umananda Temple तक पहुंचने के लिए गुवाहाटी शहर से नावों की सेवा ली जाती है। गुवाहाटी के किनाराघाट से नियमित रूप से फेरी और नावें उपलब्ध होती हैं। यह यात्रा न केवल तीर्थयात्रियों के लिए सुखद होती है, बल्कि पर्यटकों को ब्रह्मपुत्र नदी की खूबसूरती का अनुभव करने का भी अवसर मिलता है।

नाव यात्रा के दौरान, पर्यटक नदी के शांत और मनमोहक दृश्यों का आनंद लेते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव यात्रा के बाद कुछ कदम पैदल चलना पड़ता है।

प्रमुख त्यौहार और उत्सव

उमानंद मंदिर में सबसे प्रमुख त्योहार “महाशिवरात्रि” है। इस दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। लोग विशेष पूजा-अर्चना और रात्रि जागरण करते हैं।

इसके अलावा, हर सोमवार और अमावस्या के दिन भी यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर असम के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पर्यटकों के लिए जानकारी

Umananda Temple: A unique confluence of faith
Umananda Temple
  • समय: मंदिर सुबह 5:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
  • प्रवेश शुल्क: मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है, लेकिन नाव की यात्रा के लिए अलग से शुल्क लिया जाता है।
  • सर्वोत्तम समय: उमानंद मंदिर की यात्रा के लिए सर्दियों का समय (अक्टूबर से मार्च) सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय मौसम सुहावना होता है।

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Umananda Temple असम के गुवाहाटी शहर में स्थित एक प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिर है। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में स्थित एक छोटे से द्वीप “उमानंद द्वीप” पर बना हुआ है, जिसे ‘पीकॉक आइलैंड’ भी कहा जाता है। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता भी इसे एक अनूठा पर्यटन स्थल बनाती है

माना जाता है कि इस स्थान का उल्लेख कई प्राचीन हिंदू ग्रंथों और कथाओं में मिलता है। कहा जाता है कि भगवान शिव यहां ध्यान में लीन रहते थे और ब्रह्मपुत्र नदी के बीच इस शांत स्थान को अपने निवास के लिए चुना।

Cancer रोधी मसालों को आपको अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए

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मसाले, एक विशिष्ट स्वाद और सुगंध जोड़ने के अलावा, कई विकारों से लड़ते हैं। आयुर्वेद की प्राचीन औषधीय प्रणाली द्वारा कई बीमारियों से बचाव के लिए कुछ मसालों की सिफारिश की जाती है। मसालों में एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी यौगिक उच्च मात्रा में होते हैं, और वे Cancer को रोकने और उसका इलाज करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने में मदद करते हैं।

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कुछ मसाले जिन्हें आमतौर पर Cancer से लड़ने के लिए फायदेमंद माना जाता है:

हल्दी

You must include anti-cancer spices in your diet.

हल्दी में करक्यूमिन एक सक्रिय पॉलीफेनोल यौगिक है जिसमें शक्तिशाली सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह स्तन, बृहदान्त्र और अग्न्याशय में कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने में मदद करता है। इसका उपयोग लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है और हल्दी स्वस्थ कोशिकाओं को विकिरण चिकित्सा से होने वाले नुकसान से बचाने में भी मदद कर सकती है।

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अदरक

अदरक में बायोएक्टिव यौगिक जिंजरोल और शोगोल मौजूद होता है जो एक कैंसररोधी गुण है। यह कैंसर कोशिकाओं की मृत्यु को प्रेरित करके कैंसर को रोकता है और कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकता है। फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक समीक्षा के अनुसार, अदरक के अर्क के सेवन से कोलोरेक्टल Cancer को रोकने और इलाज करने की क्षमता है लेकिन यह क्षमता कमजोर है। इसका उपयोग पेट की खराबी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं और मतली के लिए एक हर्बल उपचार के रूप में भी किया जाता है।

लहसुन

You must include anti-cancer spices in your diet.

लहसुन में उच्च मात्रा में सल्फर यौगिक एलिसिन होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और पेट, कोलन और प्रोस्टेट में कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। लहसुन के यौगिक डीएनए की मरम्मत में भी मदद करते हैं और कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करते हैं। ऑथर मौस्क्रिप्ट के अध्ययन के अनुसार लहसुन और प्याज में कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं।

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दालचीनी

दालचीनी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने में मदद करते हैं। यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है और दालचीनी में आवश्यक तेल भी होता है जो ट्यूमर के आकार को दबा देता है।

लाल मिर्च

You must include anti-cancer spices in your diet.

लाल मिर्च में मौजूद यौगिक कैप्साइसिन में कैंसर विरोधी प्रभाव होता है और यह कैंसर कोशिका मृत्यु को प्रेरित करने में भी मदद करता है। लाल मिर्च में बीटा-कैरोटीन भी होता है जो कैंसर कोशिकाओं के लिए विषैला होता है।

लौंग और केसर

लौंग में यूजेनॉल होता है, जो कैंसर, खासकर फेफड़ों और लीवर में होने वाले कैंसर को रोकने में मददगार होता है। केसर में सफ्रानल होता है, जो एक कैंसर रोधी गुण है जो कैंसर के विकास को रोकने में मदद करता है।

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अन्य मसाले जो अन्य मसाले जो Cancer को कम कर सकते हैं, रोक सकते हैं और इलाज में मदद कर सकते हैं उनमें दालचीनी, काली मिर्च, अजवायन, मेंहदी, तुलसी और थाइम शामिल हैं।

Nadaaniyan: इब्राहिम अली खान और ख़ुशी कपूर की रॉम-कॉम इस तारीख को रिलीज़ होगी

नई दिल्ली: सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान खुशी कपूर के साथ अपनी पहली फिल्म Nadaaniyan से लोगों को प्रभावित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

ख़ुशी कपूर जुनैद खान के साथ अपनी आखिरी रिलीज़ लवयापा के लिए मिल रही सराहना से उबर रही हैं। इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान ही नादानियां का पहला गाना- इश्क में रिलीज हुआ था। प्रशंसकों को इब्राहिम और ख़ुशी के बीच की ताज़ा ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री तुरंत पसंद आ गई।

फिल्म 7 मार्च, 2025 को रिलीज होगी

Nadaaniyan: Ibrahim Ali Khan and Khushi Kapoor's rom-com to release on this date

इससे पहले आज, नेटफ्लिक्स द्वारा रिलीज की तारीख की घोषणा की गई थी, नादानियां 7 मार्च, 2025 को स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने के लिए पूरी तरह तैयार है।

टीज़र की शुरुआत ‘कुछ कुछ होता है’ के मशहूर डायलॉग ‘प्यार क्या है’ से होती है। (प्यार क्या है?) मिस ब्रैगेंज़ा (अर्चना पूरन सिंह) ने पहली बार 27 साल पहले यह पूछा था, और उन्होंने उसी ट्रेंडिंग डायलॉग के साथ नादानियां में वापसी की।

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Nadaaniyan आज की पीढ़ी के लिए कोड क्रैक करने के लिए यहां हैं। नेटफ्लिक्स और धर्माटिक एंटरटेनमेंट का नवीनतम रोमांस ड्रामा युवा प्रेम, अनकहे नियमों और अप्रत्याशित कनेक्शनों की पड़ताल करता है जो वास्तविक भावनाओं के जटिल समीकरण में प्रवेश करने पर आपकी दुनिया को उलट-पुलट कर सकते हैं।

Nadaaniyan: Ibrahim Ali Khan and Khushi Kapoor's rom-com to release on this date

नादानियां जेन ज़ेड रोमांस की नाजुक भूलभुलैया में गहराई से उतरती है, जहां भावनाएं जटिल हैं और दिखावा करना कभी-कभी बहुत वास्तविक लग सकता है।

Nadaaniyan का निर्देशन शौना गौतम ने किया है

यह फिल्म नवोदित शौना गौतम द्वारा निर्देशित और धर्माटिक एंटरटेनमेंट के तहत करण जौहर, अपूर्व मेहता और सोमेन मिश्रा द्वारा निर्मित है। इसमें महिमा चौधरी, सुनील शेट्टी, दीया मिर्जा और जुगल हंसराज भी प्रमुख भूमिकाओं में थे।

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Lootera: इस तारीख को दोबारा रिलीज होगी सोनाक्षी सिन्हा और रणवीर सिंह की फिल्म

नई दिल्ली: विक्रमादित्य मोटवानी द्वारा निर्देशित Lootera, जिसमें मुख्य भूमिका में सोनाक्षी सिन्हा और रणवीर सिंह थे, ने थिएटर में रिलीज होने के बाद एक पंथ का दर्जा हासिल कर लिया।

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हालांकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त प्रदर्शन नहीं किया था, फिर भी यह फिल्म सोनाक्षी सिन्हा और रणवीर सिंह की बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाती है।

प्रशंसक यह जानकर बहुत उत्साहित हैं कि Lootera एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौट रही है। यह फिल्म 7 मार्च, 2025 को सिनेमाघरों में फिर से रिलीज होने के लिए तैयार है। यह उन फिल्मों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जिन्हें आज फिल्म प्रेमियों के बीच अपार प्यार मिला है।

Lootera फिल्म के बारे में

Lootera: Sonakshi Sinha and Ranveer Singh's film will be re-released on this date

Lootera 1950 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित एक क्लासिक रोमांटिक फिल्म है। यह फिल्म ओ हेनरी की लघु कहानी द लास्ट लीफ से प्रेरित है, यह फिल्म विश्वासघात और धोखे के बीच एक रोमांटिक कहानी बताती है।

जबकि रणवीर सिंह ने वरुण श्रीवास्तव नाम के एक आकर्षक युवक का किरदार निभाया था, वह पाखी रॉय चौधरी (सोनाक्षी सिन्हा) नाम की एक महत्वाकांक्षी युवा लेखिका के साथ रास्ते में मिलते हैं, फिल्म तब सुलझती है जब पाखी को पता चलता है कि वरुण वास्तव में एक ठग है। दोबारा रिलीज होने के ट्रेंड के बाद लुटेरा एक बार फिर फिल्मों में दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है।

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काम के मोर्चे पर, रणवीर सिंह को आखिरी बार सिंघम अगेन (2024) में एक कैमियो भूमिका में देखा गया था। सोनाक्षी सिन्हा की पिछली दो रिलीज़ नेटफ्लिक्स की हीरामंडी (2024) और ज़ी5 पर काकुडा (2024) थीं।

दिल्ली की सीएम Rekha Gupta ने संभाला कार्यभार, शाम 7 बजे होंगी पहली कैबिनेट बैठक

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पद की शपथ लेने के बाद, दिल्ली की मुख्यमंत्री Rekha Gupta कई प्रमुख कार्यक्रमों के साथ अपने आधिकारिक कर्तव्यों की शुरुआत करेंगी। दोपहर 3:00 बजे वह औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करने के लिए दिल्ली सचिवालय गईं। बाद में दिन में, शाम 5:00 बजे, वह वासुदेव घाट, यमुना बाज़ार का दौरा करेंगी। और शाम 7:00 बजे वह दिल्ली सचिवालय में अपनी पहली कैबिनेट बैठक करेंगी।

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राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में आयोजित एक समारोह में Rekha Gupta ने दिल्ली के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मुख्यमंत्री की सलाह पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के छह अन्य नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

Rekha Gupta के साथ 6 अन्य नेताओं ने भी शपथ ली


Delhi CM Rekha Gupta takes charge, first cabinet meeting to be held at 7 pm

जिन छह अन्य भाजपा नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, वे हैं परवेश साहिब सिंह (डिप्टी सीएम), आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंदर इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह।

शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भाग लिया। अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।

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Korean Drama: नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध 9 रोमांटिक थ्रिलर के-ड्रामा

भारत में Korean Drama को बहुत पसंद किया जाता है। अधिकांश लोग अपने घरों में आराम से कोरियाई नाटक देखना पसंद करते हैं और नेटफ्लिक्स ने आपकी समस्या का समाधान कर दिया है। ओटीटी दिग्गज के पास रोमांटिक थ्रिलर कोरियाई नाटकों का भी अच्छा संग्रह है। उनमें से कुछ के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।

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9 रोमांटिक थ्रिलर Korean Drama


Korean Drama: 9 Romantic Thriller K-Dramas Available on Netflix

किंग द लैंड: यह नेटफ्लिक्स पर हिंदी में एक रोमांटिक कोरियाई ड्रामा है। इसकी प्रेम कहानी आपको आम लगेगी लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब होती है।

ऑल ऑफ अस आर डेड: अगर आपको जॉम्बी फिल्में देखना पसंद है। अगर आप कुछ खतरनाक दृश्यों को देखकर नहीं डरते हैं तो यह आपके लिए सबसे अच्छा कोरियाई ड्रामा है।


Korean Drama: 9 Romantic Thriller K-Dramas Available on Netflix

बिजनेस प्रपोजल: यह एक रोमांटिक कोरियन ड्रामा है जिसमें एक खूबसूरत लड़की एक कंपनी में काम करती है। यहां कुछ ऐसी चीजें होती हैं कि बॉस को अपने कर्मचारी से प्यार हो जाता है।

क्रैश लैंडिंग ऑन यू: यह रॉम-कॉम ड्रामा दक्षिण कोरिया की एक लड़की की कहानी दिखाती है। जो पैराग्लाइडिंग करते हुए उत्तर कोरिया पहुंचती है जहां उसकी मुलाकात एक आर्मी ऑफिसर से होती है। फिर शुरू होती है उनकी प्रेम कहानी।

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9 Romantic Thriller Korean Dramas on Netflix That Are Very Interesting

स्क्विड गेम- द चैलेंज: इस कोरियाई ड्रामा को ओटीटी का सबसे सफल नाटक माना जाता है। इसमें एक खतरनाक गेम दिखाया गया है जिसे देखकर आप हैरान तो हो जाएंगे लेकिन आप एक पल के लिए भी इस सीरीज से अपनी नजरें नहीं हटा पाएंगे।

एक्स्ट्राऑर्डिनरी अटॉर्नी वू: यह कोरियाई नाटक एक वकील लड़की की कहानी दिखाता है। ये वकील बीमार हैं और कई बातें उनकी समझ से परे हैं। यह नेटफ्लिक्स पर एक अद्भुत श्रृंखला है जिसे देखने में आपको आनंद आएगा।

9 Romantic Thriller Korean Dramas on Netflix That Are Very Interesting

विन्सेन्ज़ो: इस थ्रिलर-एक्शन कोरियाई ड्रामा को नेटफ्लिक्स पर हिंदी में देखा जा सकता है। यह ड्रामा सीरीज़ एक गैंगस्टर की कहानी दिखाती है।

द फ्रॉग: इस अलौकिक सीरीज को अब आप हिंदी में भी देख सकते हैं। इसमें आपको कुछ ऐसी चीजें देखने को मिलेंगी जिन्हें देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे कि क्या ये चीजें दुनिया में मौजूद भी हैं। यह एक अद्भुत सीरीज है जिसे एक बार जरूर देखना चाहिए.

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माई डेमन: यह कोरियाई ड्रामा एक अलौकिक कहानी दिखाता है, जिसमें एक राक्षस है. उसके पास कुछ अद्भुत शक्तियां हैं जिन्हें वह गलती से खो देता है।