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UGC NET December 2024 संशोधित परीक्षा कार्यक्रम जारी

UGC NET December (University Grants Commission National Eligibility Test) भारत की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है, जिसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित किया जाता है। इस परीक्षा का उद्देश्य उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यताओं का मूल्यांकन करना है ताकि वे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पद के लिए पात्र हो सकें और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) प्राप्त कर सकें। यह परीक्षा साल में दो बार आयोजित होती है – एक बार जून में और दूसरी बार दिसंबर में। 2024 में UGC NET परीक्षा का दिसंबर सत्र के लिए शेड्यूल में संशोधन किया गया है, जो उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम UGC NET दिसंबर UGC NET December 2024 परीक्षा के संशोधित शेड्यूल, इसके कारण और तैयारी के लिए सुझावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

UGC NET December परीक्षा का पृष्ठभूमि

UGC NET December परीक्षा भारतीय शैक्षिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए आयोजित की जाती है जो निम्नलिखित दो भूमिकाओं के लिए पात्रता प्राप्त करना चाहते हैं

  • सहायक प्रोफेसर – यह परीक्षा यह निर्धारित करती है कि कोई उम्मीदवार विश्वविद्यालय या कॉलेज में सहायक प्रोफेसर बनने के लिए योग्य है या नहीं।
  • जूनियर रिसर्च फेलोशिप– यह परीक्षा उन उम्मीदवारों को प्रदान की जाती है जो किसी विशेष क्षेत्र में शोध करना चाहते हैं। JRF के साथ-साथ, शोध के दौरान उम्मीदवारों को एक वजीफा और अन्य शैक्षिक लाभ भी मिलते हैं।

UGC NET परीक्षा में दो पेपर होते हैं

1: यह सामान्य पेपर होता है जो सभी विषयों के लिए समान होता है, और यह शिक्षक और शोध अभिरुचि पर आधारित होता है।

2: यह उम्मीदवार द्वारा चयनित विषय का विशेष पेपर होता है।

दिसंबर 2024 के लिए UGC NET Decembe परीक्षा का आयोजन पहले के शेड्यूल के अनुसार किया जाना था, लेकिन कुछ कारणों से शेड्यूल में संशोधन किया गया है।

संशोधित UGC NET December 2025 परीक्षा शेड्यूल

UGC NET Decembe परीक्षा के संशोधित शेड्यूल की घोषणा ने उम्मीदवारों के बीच कुछ हद तक असमंजस और शंका उत्पन्न की है। हालांकि, यह बदलाव उम्मीदवारों के लिए कुछ सकारात्मक भी साबित हो सकता है। निम्नलिखित संशोधित शेड्यूल के मुख्य बिंदु हैं:

  • संशोधित परीक्षा तिथियाँ:UGC NET December परीक्षा अब फरवरी 2025 से आयोजित की जाएगी (पहले यह दिसंबर 2024 में निर्धारित थी)। परीक्षा के आयोजन की तिथि फरवरी 2025 से मार्च 2025 के बीच होगी। प्रत्येक विषय के लिए विशेष परीक्षा तिथियों की घोषणा जल्द ही की जाएगी।
  • परीक्षा का मोड: परीक्षा का आयोजन कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) मोड में किया जाएगा। इसका मतलब है कि उम्मीदवारों को परीक्षा के लिए निर्धारित कंप्यूटर केंद्रों पर जाकर परीक्षा देनी होगी। परीक्षा मोड में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
  • परीक्षा के शिफ्ट्स: UGC NET December परीक्षा कई शिफ्ट्स में आयोजित की जाएगी, यह विषय और उम्मीदवारों की संख्या पर निर्भर करेगा। आमतौर पर प्रत्येक दिन दो शिफ्ट्स होते हैं, और प्रत्येक शिफ्ट की अवधि लगभग 3 घंटे की होती है।
  • एडमिट कार्ड: संशोधित परीक्षा शेड्यूल के अनुसार, एडमिट कार्ड परीक्षा की तिथि के करीब जारी किए जाएंगे। उम्मीदवारों को NTA की आधिकारिक वेबसाइट से अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड करना होगा और उसे परीक्षा केंद्र पर ले जाना होगा।
  • संशोधित विषय शेड्यूल: प्रत्येक विषय के लिए परीक्षा की तिथियों को अलग-अलग समय में अपडेट किया जाएगा। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से NTA की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर किसी भी बदलाव के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
  • आवेदन सुधार विंडो: अगर उम्मीदवारों को अपने आवेदन पत्र में कोई सुधार करना हो (जैसे व्यक्तिगत विवरण, विषय चयन आदि), तो आवेदन सुधार विंडो कुछ समय के लिए खोली जाएगी।

निजीकरण योजना के कारण

UGC NET December 2025 परीक्षा शेड्यूल में संशोधन के कई संभावित कारण हो सकते हैं। हालांकि NTA द्वारा आधिकारिक रूप से कारणों का खुलासा नहीं किया गया है, फिर भी कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • लॉजिस्टिक चुनौतियाँ: इस तरह की बड़ी परीक्षा का आयोजन करना एक जटिल कार्य है और इसमें कई प्रकार की योजना और समन्वय की आवश्यकता होती है। शैक्षिक और प्रशासनिक कारणों से इस परीक्षा के आयोजन में देरी हो सकती थी।
  • अन्य परीक्षाओं से टकराव: UGC NET December परीक्षा का आयोजन अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और क्षेत्रीय परीक्षाओं से टकरा सकता था, जिस कारण परीक्षा के पुनर्निर्धारण की आवश्यकता पड़ी।
  • प्रशासनिक कारण: कभी-कभी चुनाव, सार्वजनिक अवकाश या तकनीकी समस्याओं के कारण परीक्षा शेड्यूल में बदलाव हो सकता है।
  • अधिक तैयारी का समय: यह संशोधन उम्मीदवारों को अधिक तैयारी का समय देने के लिए भी किया जा सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो कोरोना महामारी के कारण पहले से तैयारी नहीं कर पाए थे।
  • बाहरी कारकों के कारण स्थगन: कभी-कभी राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक कारणों से परीक्षा के आयोजन में बदलाव करना पड़ता है। NTA को इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

उम्मीदवारों के लिए प्रभाव

UGC NET December 2024 परीक्षा शेड्यूल में संशोधन से उम्मीदवारों पर कई प्रकार के प्रभाव पड़ सकते हैं:

  • अधिक तैयारी का समय: जिन उम्मीदवारों को दिसंबर में परीक्षा देने की जल्दी थी, उन्हें अब अधिक समय मिल गया है। यह समय उन्हें अपनी कमजोरियों को सुधारने और पूरी पाठ्यक्रम का पुनरावलोकन करने का मौका देगा।
  • तनाव और चिंता: कुछ उम्मीदवारों के लिए यह अतिरिक्त समय चिंता का कारण बन सकता है, क्योंकि वे पहले से तैयार थे और अब उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ेगा। कुछ उम्मीदवारों को यह चिंता हो सकती है कि वे अपनी तैयारी को बनाए रखने में सक्षम नहीं होंगे।
  • संसाधनों की उपलब्धता: संशोधित शेड्यूल से उम्मीदवारों को अध्ययन सामग्री तक पहुंच, तैयारी कोर्सों में शामिल होने और ऑनलाइन संसाधनों जैसे मॉक टेस्ट, पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र, और शैक्षिक वीडियो का उपयोग करने का और अवसर मिलेगा।
  • परीक्षा पैटर्न में बदलाव (यदि कोई हो): भले ही परीक्षा पैटर्न में किसी प्रकार का बदलाव न हो, फिर भी उम्मीदवारों को किसी भी अंतिम मिनट के अपडेट के लिए सतर्क रहना चाहिए।
  • एडमिट कार्ड और हॉल टिकट: संशोधित शेड्यूल के कारण एडमिट कार्ड के रिलीज होने में देरी हो सकती है। उम्मीदवारों को NTA की वेबसाइट पर नियमित रूप से चेक करते रहना चाहिए ताकि वे किसी भी नई सूचना से अपडेट रह सकें।

उम्मीदवारों के लिए तैयारी के टिप्स

संशोधित शेड्यूल का लाभ उठाने के लिए उम्मीदवारों को अपनी तैयारी को फिर से रणनीति के तहत व्यवस्थित करना चाहिए। निम्नलिखित टिप्स उम्मीदवारों के लिए उपयोगी हो सकती हैं:

  • नई अध्ययन योजना बनाएं: उम्मीदवारों को अब एक नई अध्ययन योजना बनानी चाहिए, जो अतिरिक्त समय को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हो। उन्हें अपने पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित कर के ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • मॉक टेस्ट लें: मॉक टेस्ट लेना बहुत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इससे उम्मीदवारों को परीक्षा के माहौल में बैठकर समय प्रबंधन और प्रश्नों के प्रकार को समझने का मौका मिलेगा।
  • पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल करें: पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल करने से उम्मीदवारों को यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं और उन्हें कैसे हल करना चाहिए।
  • स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति का ध्यान रखें: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है। नियमित व्यायाम, ध्यान और उचित आराम से उम्मीदवार मानसिक रूप से परीक्षा के लिए तैयार रहेंगे।
  • सूचनाओं से अपडेट रहें: उम्मीदवारों को NTA द्वारा जारी किसी भी नई सूचना के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर ध्यान देना चाहिए, ताकि वे समय से सभी जानकारी प्राप्त कर सकें।

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निष्कर्ष

UGC NET December 2025 परीक्षा शेड्यूल में संशोधन ने उम्मीदवारों को महत्वपूर्ण समय दिया है, लेकिन इसके साथ ही कुछ असमंजस भी उत्पन्न किया है। इस अतिरिक्त समय का सही उपयोग करके उम्मीदवार अपनी तैयारी को बेहतर बना सकते हैं और परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। तैयारी के दौरान अनुशासन, समर्पण और मानसिक शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा।

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Ranakpur Jain Temple: भारतीय स्थापत्य कला और आध्यात्मिकता का अद्वितीय संगम

Ranakpur Jain Temple राजस्थान के पाली जिले में स्थित भारत के सबसे भव्य और प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है और अपनी अद्वितीय वास्तुकला, 1,444 खूबसूरत नक्काशीदार स्तंभों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर जैन धर्म के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है। अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिकता, कला, और इतिहास का अनोखा अनुभव प्रदान करता है।

रणकपुर मंदिर, राजस्थान: भारत की भव्य जैन स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना

Ranakpur Jain Temple: Indian Architecture

Ranakpur Jain Temple, राजस्थान के पाली जिले में स्थित है और यह भारत के सबसे प्रसिद्ध और भव्य जैन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला, शिल्पकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसे चौमुखा मंदिर (चार दिशाओं में मुख वाला) भी कहा जाता है। यह मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है और अरावली पर्वतमाला की हरी-भरी घाटियों के बीच स्थित है।

Ranakpur Jain Temple की वास्तुकला, इतिहास, धार्मिक महत्व और अन्य विशेषताओं को विस्तार से वर्णित करता है।

रणकपुर मंदिर का इतिहास

Ranakpur Jain Temple का निर्माण 15वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक प्रेरणादायक कथा है। यह कहा जाता है कि स्थानीय जैन व्यापारी धर्म शाह ने एक सपना देखा था जिसमें भगवान आदिनाथ ने उन्हें एक भव्य मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया।

धर्म शाह ने मेवाड़ के शासक राणा कुंभा से भूमि मांगी, जो उन्होंने सहर्ष दे दी। राजा ने शर्त रखी कि मंदिर का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा, और इस प्रकार इस स्थान का नाम “रणकपुर” पड़ा।

Ranakpur Jain Temple का निर्माण लगभग 50 सालों तक चला और इसमें करीब 2,500 शिल्पकारों और कारीगरों ने काम किया। मुख्य वास्तुकार दीपक था, जिसने मंदिर की डिज़ाइन तैयार की। इस भव्य संरचना के निर्माण में शुद्ध संगमरमर का उपयोग किया गया।

वास्तुकला की विशेषताएँ

Ranakpur Jain Temple स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है। यह मंदिर लगभग 48,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी कुछ अद्वितीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. स्तंभों की अनूठी संरचना

  • Ranakpur Jain Temple में कुल 1,444 स्तंभ हैं, और हर स्तंभ पर अलग-अलग नक्काशी की गई है।
  • ये स्तंभ इस प्रकार बनाए गए हैं कि किसी भी कोण से देखने पर उनका स्वरूप बदलता हुआ प्रतीत होता है।
  • सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इन स्तंभों में से कोई भी एक-दूसरे के समान नहीं है।

2. मुख्य मंदिर

  • मुख्य Ranakpur Jain Temple भगवान आदिनाथ को समर्पित है।
  • इसमें चार दिशाओं में चार विशाल द्वार हैं, जो भगवान की चार मूर्तियों की ओर जाते हैं।
  • प्रत्येक मूर्ति सफेद संगमरमर से बनी है और लगभग 6 फीट ऊँची है।

3. शिखर और गुंबद

  • Ranakpur Jain Temple में 84 छोटे-छोटे गुंबद और शिखर हैं।
  • मुख्य शिखर की ऊँचाई 40 फीट है।
  • गुंबदों और शिखरों पर जटिल नक्काशी की गई है, जिसमें देवी-देवताओं, पशु-पक्षियों और फूलों के डिजाइन बनाए गए हैं।

4. दीवारों पर नक्काशी

Ranakpur Jain Temple: Indian Architecture
  • Ranakpur Jain Temple की दीवारों पर जैन धर्म से संबंधित कहानियों और प्रतीकों की नक्काशी की गई है।
  • इनमें कमल के फूल, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और धार्मिक प्रतीक शामिल हैं।

5. परिक्रमा मार्ग

  • Ranakpur Jain Temple के चारों ओर एक परिक्रमा मार्ग है, जहाँ श्रद्धालु भगवान की मूर्तियों की परिक्रमा करते हैं।

धार्मिक महत्व

Ranakpur Jain Temple न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर शांति, आध्यात्मिकता और ध्यान के लिए एक आदर्श स्थान है।

1. जैन तीर्थंकर आदिनाथ की पूजा

  • Ranakpur Jain Temple धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है।
  • आदिनाथ को मोक्ष (मुक्ति) का प्रतीक माना जाता है।

2. ध्यान और साधना का केंद्र

  • Ranakpur Jain Temple की शांतिपूर्ण वातावरण और हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित यह स्थान ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त है।
  • हर साल यहाँ देश-विदेश से साधक ध्यान और पूजा के लिए आते हैं।

3. जैन पर्व और उत्सव

  • Ranakpur Jain Temple में जैन धर्म के प्रमुख पर्व और उत्सव जैसे महावीर जयंती, पर्यूषण और दीपावली को विशेष रूप से मनाया जाता है।

रणकपुर मंदिर के आसपास के आकर्षण

रणकपुर केवल मंदिर के लिए ही नहीं बल्कि आसपास के अन्य स्थानों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले पर्यटक निम्न स्थानों पर भी जा सकते हैं:

1. सूर्य मंदिर

  • यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है और अपनी भव्य मूर्ति और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

2. सदरी

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

  • सदरी एक छोटा सा गाँव है, जो अपने प्राचीन मंदिरों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।

3. कुंभलगढ़ किला

  • रणकपुर से लगभग 50 किमी दूर स्थित कुंभलगढ़ किला एक विश्व धरोहर स्थल है।
  • यह किला अपनी विशाल दीवारों और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।

रणकपुर मंदिर कैसे पहुँचें?

1. हवाई मार्ग

  • निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है, जो रणकपुर से लगभग 90 किमी दूर है।
  • उदयपुर से रणकपुर तक टैक्सी और बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।

2. रेल मार्ग

Ranakpur Jain Temple: Indian Architecture
  • निकटतम रेलवे स्टेशन फालना है, जो रणकपुर से 35 किमी दूर है।

3. सड़क मार्ग

  • रणकपुर सड़क मार्ग से राजस्थान के प्रमुख शहरों जैसे उदयपुर, पाली और जोधपुर से जुड़ा हुआ है।

रणकपुर मंदिर के लिए सुझाव

  1. धार्मिक नियमों का पालन करें:
    मंदिर में प्रवेश के समय जूते उतारना और शांतिपूर्ण व्यवहार करना आवश्यक है।
  2. ड्रेस कोड का ध्यान रखें:
    मंदिर में पारंपरिक और शालीन वस्त्र पहनना अनिवार्य है।
  3. फोटोग्राफी की अनुमति:
    मंदिर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। बाहर के क्षेत्रों में आप तस्वीरें ले सकते हैं।
  4. सुबह के समय जाएँ:
    सुबह का समय मंदिर दर्शन के लिए सबसे अच्छा है, क्योंकि इस समय कम भीड़ होती है।

निष्कर्ष

रणकपुर जैन मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला और शिल्पकला का अद्वितीय उदाहरण भी है। यह स्थान इतिहास, आध्यात्मिकता और शांति का संगम है। चाहे आप धार्मिक भावना से प्रेरित होकर आएँ या कला और इतिहास के प्रति रुचि रखें, रणकपुर मंदिर आपको अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगा।

यह स्थान राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक है, जिसे हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहिए।

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Delhi चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अरविंद केजरीवाल

Delhi विधानसभा चुनाव की तिथियाँ घोषित होते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। इन चुनावों के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल पर सभी की नज़रें होंगी, जिनका नेतृत्व दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके शासन के रिकॉर्ड, दिल्ली के भविष्य के लिए उनका दृष्टिकोण और आगामी चुनाव के लिए उनकी रणनीतियाँ सिर्फ उनकी पार्टी के लिए ही नहीं, बल्कि दिल्लीवासियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

Delhi का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

दिल्ली, जो भारत की राजधानी है, हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही है। यह एक ऐसा शहर है, जो भारतीय सरकार का दिल है, यहाँ की विविध जनसंख्या, समृद्ध संस्कृति और बढ़ती अर्थव्यवस्था ने इसे खास बना दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव, जो हर पाँच साल में होते हैं, एक अहम घटना माने जाते हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC), और क्षेत्रीय पार्टियाँ जैसे आम आदमी पार्टी (AAP) अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।

2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में AAP ने शानदार जीत हासिल की थी, जिसमें पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीत ली थीं। यह जीत न केवल दिल्ली की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुई, बल्कि केजरीवाल के नेतृत्व में एक नई राजनीतिक धारणा की शुरुआत भी हुई। उन्होंने साफ-सुथरी शासन, बेहतर सार्वजनिक सेवाएँ और आम आदमी के हितों की रक्षा करने का वादा किया था।

हालाँकि, इस ऐतिहासिक जीत के बावजूद केजरीवाल के शासन में कई चुनौतियाँ सामने आईं। केंद्र सरकार के साथ टकराव, बुनियादी ढांचे की समस्याएँ और अन्य प्रशासनिक बाधाएँ थीं। इसके बावजूद, उन्होंने Delhiवासियों के बीच अपनी पकड़ बनाए रखी, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए सुधारों की वजह से।

जैसे ही 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, केजरीवाल के नेतृत्व और उनकी पार्टी के किए गए कार्यों पर फिर से एक बार सवाल उठने लगेंगे। दिल्ली के लोग अपने भविष्य को लेकर गंभीर रूप से चुनावी परिणामों पर विचार करेंगे।

केजरीवाल की प्रसिद्धि में वृद्धि

Arvind Kejriwal after the announcement of Delhi election dates

अरविंद केजरीवाल का राजनीति में प्रवेश 2011 के जन लोकपाल आंदोलन के दौरान हुआ था। वह एक पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी थे, और अन्ना हज़ारे द्वारा चलाए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में वह एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे। उनकी पारदर्शिता, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, और अच्छे शासन के लिए संघर्ष ने भारतीय जनता में एक उम्मीद जगी, जो राजनीतिक सिस्टम से नाखुश थी।

2012 में उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना की, जो पारंपरिक राजनीतिक दलों से हटकर एक नई विचारधारा पर आधारित थी। AAP का उद्देश्य भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति और आम आदमी के हित में काम करने वाली सरकार थी। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP ने अपनी सशक्त शुरुआत की और 28 सीटें जीतने में सफलता पाई। कांग्रेस ने AAP को समर्थन देकर सरकार बनाई, लेकिन यह सरकार केवल 49 दिन तक ही चल पाई।

हालांकि, 2015 के चुनावों में AAP ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में फिर से सत्ता में आए। यह चुनाव न केवल उनके नेतृत्व की पुष्टि थी, बल्कि दिल्ली में एक नई राजनीतिक लहर का संकेत भी था।

2015 के चुनावों में AAP की ऐतिहासिक जीत

2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एक बार फिर केजरीवाल के नेतृत्व में AAP को मजबूत किया। इस चुनाव में AAP ने 70 में से 67 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को केवल 3 सीटें मिलीं और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। यह जीत दिल्लीवासियों द्वारा दिए गए स्पष्ट जनादेश को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने बेहतर शासन, साफ राजनीति और आम आदमी के लिए काम करने वाली सरकार का समर्थन किया।

केजरीवाल का नेतृत्व, उनकी अनूठी शैली और जनता से सीधा संवाद करना, जैसे “टाउन हॉल” मीटिंग्स के माध्यम से, ने उन्हें Delhi वासियों के बीच गहरी पकड़ दिलाई। उन्होंने सरकार की नीतियों में पारदर्शिता रखी और यह संदेश दिया कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ दृढ़ संकल्पित हैं।

केजरीवाल की सरकार के प्रमुख कार्य

केजरीवाल की सरकार ने कई प्रमुख क्षेत्रों में सुधार की दिशा में काम किया है, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक सेवाओं के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

शिक्षा: केजरीवाल सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक शिक्षा क्षेत्र में सुधार था। सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया, शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया, और छात्रों के लिए मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म और कोचिंग की व्यवस्था की गई। दिल्ली मॉडल ऑफ एजुकेशन को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया, और इसे एक उदाहरण के रूप में देखा जाने लगा।

स्वास्थ्य: केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लिनिक योजना शुरू की, जो हर मोहल्ले में मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती है। इस पहल को काफी सराहा गया क्योंकि यह Delhi के गरीब और उपेक्षित इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने का एक प्रयास था।

बिजली और पानी: AAP सरकार ने Delhi वासियों को बिजली और पानी के लिए रियायतें दीं। 200 यूनिट तक बिजली उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली दी गई और पानी के बिलों में भी छूट दी गई। इससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत मिली।

इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन, सड़कों की मरम्मत और अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार किया। मेट्रो नेटवर्क का विस्तार और सार्वजनिक स्थानों का सुधार किया गया, जिससे दिल्लीवासियों के जीवन स्तर में सुधार हुआ।

हालांकि, इन उपलब्धियों के बावजूद, कुछ आलोचनाएँ भी उठीं। विपक्ष ने आरोप लगाया कि कुछ योजनाओं को पूरी तरह से लागू करने में कठिनाई आई है और कुछ क्षेत्रों में सुधार की गति धीमी रही है। साथ ही, Delhi में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों में खींचतान भी एक प्रमुख मुद्दा बना रहा है।

2025 के Delhi विधानसभा चुनाव की तैयारी

Arvind Kejriwal after the announcement of Delhi election dates

2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर केजरीवाल और AAP अपनी सरकार के कार्यों और उपलब्धियों को प्रमुख रूप से प्रचारित करेंगे। उनके अभियान में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

शिक्षा और स्वास्थ्य: AAP शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए सुधारों को और आगे बढ़ाने का वादा करेगी। मोहल्ला क्लिनिक और सरकारी स्कूलों के नेटवर्क का विस्तार और गुणवत्ता में सुधार इसका हिस्सा होंगे।

सुरक्षा और कानून व्यवस्था: Delhi में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, केजरीवाल पुलिस बल को मजबूत करने और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाने के उपायों पर जोर देंगे।

गरीबी उन्मूलन और सामाजिक कल्याण: केजरीवाल गरीबों के लिए योजनाओं और सब्सिडी की व्यवस्था को जारी रखने का वादा करेंगे, जिससे आम आदमी को राहत मिले।

शहरी विकास और बुनियादी ढांचा: Delhi में ट्रैफिक जाम, जल निकासी, और आवास की समस्या को हल करने के लिए नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की योजना बनाई जा सकती है।

Delhi को पूर्ण राज्य का दर्जा: केजरीवाल का एक प्रमुख मुद्दा Delhi को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का है। वह इसे दिल्ली के विकास के लिए आवश्यक मानते हैं।

भाजपा और कांग्रेस की चुनौती

हालांकि केजरीवाल और AAP आगामी चुनाव में मजबूत स्थिति में हैं, भाजपा और कांग्रेस भी अपनी चुनौती प्रस्तुत करेंगे। भाजपा, जो Delhi नगर निगम चुनावों में मजबूत है, विधानसभा चुनावों में वापसी की योजना बना रही है। कांग्रेस, जो 1998 के बाद से दिल्ली में सत्ता से बाहर है, इस बार एक मजबूत वापसी की कोशिश कर रही है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या पार्टी इस चुनाव में एक सशक्त विकल्प पेश कर पाती है।

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निष्कर्ष

2025 के Delhi विधानसभा चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए एक निर्णायक मोड़ होंगे। उनके शासन की सफलता और उनकी योजनाओं की निरंतरता, चुनावी परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। अगर वह अपने वादों को पूरा करने में सफल होते हैं, तो दिल्लीवासी एक बार फिर उनके पक्ष में मतदान कर सकते हैं। हालांकि, उनके सामने विपक्ष की चुनौतियाँ और जनता की बढ़ती उम्मीदें भी हैं। इन चुनावों में केजरीवाल का नेतृत्व और उनकी प्रतिबद्धता दिल्ली के भविष्य को आकार देगी।

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Karni Mata Temple: राजस्थान का चमत्कारी और अनोखा “चूहों वाला मंदिर”

Karni Mata Temple, राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक गाँव में स्थित, अपनी अनोखी परंपराओं और चूहों की पूजा के लिए विश्व प्रसिद्ध है। 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर देवी करणी माता को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। Karni Mata Temple में करीब 25,000 चूहे निवास करते हैं, जिन्हें “काबा” कहा जाता है और पवित्र माना जाता है। संगमरमर की भव्य संरचना, चाँदी के नक्काशीदार द्वार, और धार्मिक मान्यताओं के साथ यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिकता और संस्कृति का अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।

सामग्री की तालिका

करणी माता मंदिर, राजस्थान: चूहों की देवी का अनोखा मंदिर

Karni Mata Temple: The Miracle of Rajasthan

राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित Karni Mata Temple दुनिया भर में अपने अद्वितीय परंपराओं और चूहों की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इसे “चूहों वाला मंदिर” या “रत मंदिर” भी कहा जाता है। करणी माता को दुर्गा का अवतार माना जाता है, और यह मंदिर उनके भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और आस्था का केंद्र है।

यह लेख करणी माता मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक मान्यता, अनूठी परंपराओं और आसपास के आकर्षणों को विस्तार से प्रस्तुत करता है।

करणी माता मंदिर का इतिहास

Karni Mata Temple का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। करणी माता एक आध्यात्मिक और धार्मिक व्यक्तित्व थीं, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। उनका जन्म 1387 ईस्वी में राजस्थान के चारण परिवार में हुआ था।

1. करणी माता की कथा

  • Karni Mata Temple का असली नाम रिद्धि बाई था।
  • वह एक साधारण महिला थीं, जिन्होंने अपना जीवन समाजसेवा और आध्यात्मिकता को समर्पित कर दिया।
  • कहा जाता है कि उनके पास दिव्य शक्तियाँ थीं, जिनसे उन्होंने कई चमत्कार किए।
  • उन्हें चूहों के प्रति विशेष लगाव था और वे इन्हें अपने बच्चों के रूप में देखती थीं।

2. मंदिर का निर्माण

  • वर्तमान Karni Mata Temple का निर्माण बीकानेर और जोधपुर के शासकों ने करवाया।
  • बीकानेर के राजा राव गंगा और उनके वंशजों ने करणी माता को अपना कुलदेवी मानकर इस मंदिर को भव्य रूप दिया।
  • मंदिर का पुनर्निर्माण 20वीं शताब्दी में महाराजा गंगा सिंह ने करवाया।

वास्तुकला की विशेषताएँ

Karni Mata Temple अपनी भव्य संगमरमर की संरचना और नक्काशीदार गेट्स के लिए प्रसिद्ध है।

1. मुख्य द्वार

  • Karni Mata Temple का मुख्य द्वार चाँदी से निर्मित है, जिसमें जटिल नक्काशी की गई है।
  • इस पर देवी की पौराणिक कथाओं को उकेरा गया है।

2. मंदिर का परिसर

Karni Mata Temple: The Miracle of Rajasthan
  • Karni Mata Temple पूरी तरह संगमरमर से बना है।
  • परिसर में चूहों के लिए विशेष मार्ग और सुरंगें बनाई गई हैं।

3. देवी की मूर्ति

  • Karni Mata Temple में करणी माता की मूर्ति स्थापित है, जो सफेद वस्त्रों में विराजमान हैं।
  • मूर्ति के पास एक त्रिशूल और कमल का फूल है, जो शक्ति और शांति का प्रतीक है।

4. सुरक्षित जालीदार संरचना

  • Karni Mata Temple के चारों ओर जालीदार संरचना बनाई गई है, ताकि चूहे परिसर के अंदर सुरक्षित रहें।

धार्मिक मान्यता और चूहों का महत्व

1. चूहों की पवित्रता

  • Karni Mata Temple में करीब 25,000 चूहे हैं, जिन्हें “काबा” कहा जाता है।
  • ये चूहे करणी माता के भक्तों और वंशजों के पुनर्जन्म के रूप में माने जाते हैं।
  • इन चूहों को देवी का परिवार समझकर पूजा जाता है।

2. सफेद चूहे का महत्व

  • Karni Mata Temple में सफेद चूहे को बेहद शुभ माना जाता है।
  • यह माना जाता है कि सफेद चूहा स्वयं करणी माता और उनके परिवार का प्रतीक है।

3. चूहों का भोजन

  • Karni Mata Temple में चूहों के लिए दूध, लड्डू, अनाज और मिठाई चढ़ाई जाती है।
  • इन चूहों द्वारा जूठा किया गया भोजन “प्रसाद” के रूप में भक्तों को दिया जाता है।

4. पुनर्जन्म की कथा

  • यह मान्यता है कि करणी माता ने अपने एक मृतक बच्चे को चूहा बनाकर पुनर्जीवित किया था।
  • तब से यह परंपरा चली आ रही है कि उनके भक्त चूहों के रूप में जन्म लेते हैं।

धार्मिक महत्व

1. करणी माता की पूजा

  • Karni Mata Temple को शक्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है।
  • यहाँ आने वाले भक्त उनसे अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।

2. विशेष उत्सव और मेले

Karni Mata Temple: The Miracle of Rajasthan
  • नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है।
  • हजारों श्रद्धालु इस दौरान मंदिर में दर्शन करने आते हैं।

3. शादी और अन्य शुभ कार्य

  • राजस्थान के कई परिवार अपने शुभ कार्यों की शुरुआत करणी माता के दर्शन से करते हैं।

मंदिर से जुड़ी मान्यताएँ और चमत्कार

  1. चूहों को चोट पहुँचाना वर्जित है
    • यदि कोई चूहा गलती से मर जाए, तो भक्त को इसे सोने का चूहा बनवाकर मंदिर में दान करना पड़ता है।
  2. चूहों की सुरक्षा
    • चूहों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाया जाता।
    • मंदिर के पुजारी और भक्त इनकी देखभाल करते हैं।
  3. सावधानीपूर्वक चलना
    • भक्त मंदिर में धीरे-धीरे चलते हैं, ताकि किसी चूहे को चोट न पहुँचे।

करणी माता मंदिर के आसपास के आकर्षण

1. बीकानेर का जूनागढ़ किला

  • यह किला बीकानेर के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है।
  • यहाँ की वास्तुकला और संग्रहालय दर्शनीय हैं।

2. गजनेर पैलेस

  • यह एक सुंदर झील के किनारे स्थित महल है, जहाँ पर्यटक शांति और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।

3. राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

  • यह बीकानेर में स्थित है और ऊँटों के संरक्षण और अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध है।

4. लालगढ़ पैलेस

  • यह महल बीकानेर के शाही परिवार का निवास स्थान था और अब इसे होटल में बदल दिया गया है।

करणी माता मंदिर कैसे पहुँचें?

Karni Mata Temple: The Miracle of Rajasthan

1. हवाई मार्ग

  • निकटतम हवाई अड्डा बीकानेर का नाल हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 17 किमी दूर है।

2. रेल मार्ग

  • बीकानेर रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

3. सड़क मार्ग

  • बीकानेर राजस्थान के अन्य शहरों जैसे जोधपुर, जयपुर और जोधपुर से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
  • मंदिर बीकानेर से लगभग 30 किमी दूर देशनोक गाँव में स्थित है।

मंदिर दर्शन के लिए सुझाव

  1. चूहों को छेड़खानी न करें
    • मंदिर में चूहों के साथ आदरपूर्वक व्यवहार करें।
  2. धार्मिक नियमों का पालन करें
    • मंदिर में शुद्धता और शांति बनाए रखें।
  3. फोटोग्राफी
    • मंदिर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
  4. सुबह के समय जाएँ
    • सुबह का समय मंदिर दर्शन के लिए आदर्श होता है।

निष्कर्ष

करणी माता मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में अपनी अनूठी परंपराओं और मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध है। यह मंदिर आध्यात्मिकता, भक्ति और चमत्कारों का प्रतीक है। चूहों की पूजा और उनका धार्मिक महत्व इस मंदिर को दुनिया में अलग पहचान दिलाते हैं।

इस मंदिर की यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि यह राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं से परिचित होने का अवसर भी प्रदान करती है। यदि आप इतिहास, कला और धर्म के संगम को देखना चाहते हैं, तो करणी माता मंदिर अवश्य जाएँ।

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Sanchi Stupa: मध्य प्रदेश का प्राचीन बौद्ध धर्म और स्थापत्य कला का अद्वितीय प्रतीक

Sanchi Stupa, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित, बौद्ध धर्म का एक प्रमुख और ऐतिहासिक स्थल है। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित, यह स्तूप भगवान बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित करने और उनकी शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए बनाया गया था। अर्धगोलाकार संरचना, चार भव्य तोरणद्वार, और intricate नक्काशी इस स्मारक को भारतीय स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना बनाते हैं। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित Sanchi Stupa शांति, ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जो हर इतिहास प्रेमी और पर्यटक के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।

सामग्री की तालिका

साँची स्तूप: मध्य प्रदेश का प्राचीन बौद्ध स्थापत्य चमत्कार

Sanchi Stupa: Ancient Buddhism of Madhya Pradesh

Sanchi Stupa, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित, बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन स्मारक है। इसे भारतीय स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना माना जाता है। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित यह स्तूप बौद्ध धर्म की महत्ता, शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है।

यह लेख Sanchi Stupa के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्व, इसके आसपास के स्थानों और सांस्कृतिक धरोहर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।

साँची स्तूप का इतिहास

1. सम्राट अशोक का योगदान

  • तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से साँची स्तूप का निर्माण करवाया।
  • यह स्तूप भगवान बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित करने और उनकी शिक्षाओं का प्रतीक है।
  • अशोक की पत्नी, देवी, जो विदिशा की राजकुमारी थीं, के कारण Sanchi Stupa स्थान का चयन किया गया।

2. पुनर्निर्माण और विस्तार

  • मूल स्तूप एक साधारण ईंट संरचना थी, जिसे बाद में शुंग राजाओं ने पत्थरों से फिर से बनवाया।
  • कुषाण और गुप्त काल में स्तूप का विस्तार और संरक्षण किया गया।

3. पुनः खोज

  • 1818 में ब्रिटिश अधिकारी जनरल टेलर द्वारा साँची स्तूप की खोज की गई।
  • इसके बाद 20वीं शताब्दी में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने इसका पुनरुद्धार और संरक्षण किया।

वास्तुकला की विशेषताएँ

1. स्तूप का आकार और संरचना

  • Sanchi Stupa एक अर्धगोलाकार गुंबद है, जिसे “अंडा” के आकार में बनाया गया है।
  • यह गुंबद भगवान बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित करने के लिए निर्मित है।
  • स्तूप के ऊपर एक “हरमिका” है, जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का संपर्क दर्शाता है।

2. तोरणद्वार (गेटवे)

Sanchi Stupa: Ancient Buddhism of Madhya Pradesh
  • Sanchi Stupa के चारों ओर चार भव्य तोरणद्वार हैं, जो बौद्ध कला और वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं।
  • इन तोरणों पर बुद्ध के जीवन की घटनाओं, जातक कथाओं और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को चित्रित किया गया है।
  • प्रत्येक तोरणद्वार भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत करता है।

3. परिक्रमा पथ

  • Sanchi Stupa के चारों ओर एक पथ है, जहाँ श्रद्धालु भगवान बुद्ध के सम्मान में परिक्रमा करते हैं।
  • इस परिक्रमा पथ को रेलिंग से घेरा गया है।

4. नक्काशी और चित्रांकन

  • Sanchi Stupa और तोरणद्वारों पर की गई नक्काशी बौद्ध धर्म के प्रतीकों जैसे कमल, धर्मचक्र और त्रिरत्न को दर्शाती है।
  • इन चित्रों में बुद्ध को प्रत्यक्ष रूप से नहीं, बल्कि प्रतीकों के माध्यम से दिखाया गया है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

1. बौद्ध धर्म का केंद्र

  • Sanchi Stupa बौद्ध धर्म के तीन रत्नों – बुद्ध, धर्म (शिक्षा), और संघ (समुदाय) का प्रतीक है।
  • यह स्थान भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और बौद्ध धर्म के प्रचार का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

2. आध्यात्मिक शांति का स्थान

  • Sanchi Stupa एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है, जहाँ लोग ध्यान और साधना के लिए आते हैं।
  • यह स्थान शांति, ज्ञान और मोक्ष का प्रतीक है।

3. बौद्ध कला का उत्कृष्ट उदाहरण

  • यहाँ की नक्काशी और स्थापत्य कला भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाती है।
  • यह स्थान भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म के विस्तार का प्रमाण है।

साँची स्तूप के आकर्षण

Sanchi Stupa: Ancient Buddhism of Madhya Pradesh

1. मुख्य स्तूप (ग्रेट स्टूपा)

  • यह Sanchi Stupa का सबसे बड़ा और प्राचीन स्तूप है।
  • इसके चारों तोरणद्वार पर बुद्ध के जीवन और जातक कथाओं की नक्काशी है।

2. अन्य स्तूप

  • Sanchi Stupa परिसर में छोटे-छोटे स्तूप भी हैं, जो बौद्ध धर्म के अन्य प्रमुख भिक्षुओं और अनुयायियों को समर्पित हैं।

3. अशोक स्तंभ

  • सम्राट अशोक द्वारा स्थापित यह स्तंभ बौद्ध धर्म का प्रतीक है।
  • इसके ऊपर सिंह की मूर्ति है, जो भारतीय राष्ट्रीय चिह्न के रूप में प्रसिद्ध है।

4. बौद्ध मठ और विहार

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

  • Sanchi Stupa में कई प्राचीन बौद्ध मठ और विहार स्थित हैं, जहाँ भिक्षु निवास करते थे।

साँची स्तूप के आसपास के स्थान

1. विदिशा

  • Sanchi Stupa से लगभग 10 किमी दूर स्थित विदिशा प्राचीन काल में व्यापार और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था।

2. उदयगिरि की गुफाएँ

  • यहाँ जैन और हिंदू मूर्तियों और गुफाओं का अद्भुत संग्रह है।
  • ये गुफाएँ चौथी और पाँचवीं शताब्दी की हैं।

3. भीमबेटका

  • यह प्रागैतिहासिक गुफा स्थल है, जो साँची से 45 किमी दूर स्थित है।
  • यहाँ मानव जीवन के प्राचीन चित्र और शैल चित्र देखे जा सकते हैं।

साँची स्तूप कैसे पहुँचे?

1. हवाई मार्ग

  • Sanchi Stupa का निकटतम हवाई अड्डा भोपाल है, जो लगभग 50 किमी दूर है।

2. रेल मार्ग

Sanchi Stupa: Ancient Buddhism of Madhya Pradesh
  • Sanchi Stupa रेलवे स्टेशन भारतीय रेल के माध्यम से प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

3. सड़क मार्ग

  • Sanchi Stupa सड़क मार्ग से भोपाल, विदिशा और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

यात्रा के सुझाव

  1. शांतिपूर्ण समय चुनें
    • सुबह या शाम का समय यहाँ भ्रमण के लिए सबसे अच्छा होता है।
  2. गाइड का सहारा लें
    • एक अनुभवी गाइड के साथ यात्रा करने से आपको बौद्ध धर्म और स्तूप के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
  3. आरामदायक कपड़े पहनें
    • स्तूप के चारों ओर घूमने के लिए हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें।
  4. फोटोग्राफी
    • फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हुए इसे करें।

निष्कर्ष

Sanchi Stupa न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत का एक गौरवशाली स्मारक है। यह बौद्ध धर्म, भारतीय इतिहास और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह स्थान उन सभी के लिए आदर्श है, जो शांति, आध्यात्मिकता और प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर की तलाश में हैं।

अगर आप भारतीय इतिहास और बौद्ध धर्म में रुचि रखते हैं, तो साँची स्तूप की यात्रा आपके जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव हो सकता है।

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Khajuraho Temples: मध्य प्रदेश की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर और स्थापत्य कला

Khajuraho Temples, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित, भारतीय स्थापत्य कला और मूर्तिकला का एक अद्भुत उदाहरण है। 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच चंदेल शासकों द्वारा निर्मित ये मंदिर हिंदू और जैन धर्म को समर्पित हैं और अपनी जटिल नक्काशी, कामुक मूर्तियों और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों का निर्माण अद्वितीय वास्तुकला में किया गया है, जो भारतीय कला और संस्कृति का प्रतीक हैं। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त खजुराहो के मंदिर भारतीय इतिहास और संस्कृति के गौरवपूर्ण धरोहर के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध हैं।

सामग्री की तालिका

खजुराहो मंदिर: मध्य प्रदेश का अद्वितीय सांस्कृतिक और स्थापत्य धरोहर

Khajuraho Temples: Unique Cultural Heritage of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित Khajuraho Temples भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला का एक अद्भुत उदाहरण हैं। ये मंदिर अपनी खूबसूरत नक्काशी, कामुक मूर्तियों और धार्मिक महत्त्व के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच चंदेल वंश के शासकों द्वारा निर्मित, Khajuraho Temples को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया है।

यह लेख Khajuraho Temples के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्व, प्रमुख मंदिरों और पर्यटकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान करता है।

खजुराहो मंदिर का इतिहास

1. चंदेल वंश का योगदान

  • Khajuraho Temples 950 से 1050 ईस्वी के बीच चंदेल राजाओं द्वारा बनाए गए थे।
  • यह स्थल चंदेल शासकों की धार्मिक और सांस्कृतिक भव्यता का प्रतीक है।
  • मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से हिंदू और जैन धर्म के लिए किया गया था।

2. मूल नाम और महत्व

  • Khajuraho Temples का प्राचीन नाम ‘खर्जूरवाहक’ था, जिसका अर्थ है खजूर के पेड़ों का स्थान।
  • यह क्षेत्र खजूर के पेड़ों से घिरा हुआ था, इसलिए इसका नाम खजुराहो पड़ा।

3. मंदिरों का पतन और पुनः खोज

  • मध्यकालीन युग में इन मंदिरों का उपयोग कम हो गया और ये जंगलों में छिप गए।
  • 1838 में एक ब्रिटिश इंजीनियर टी.एस. बर्ट ने इन मंदिरों की खोज की।

खजुराहो मंदिर की वास्तुकला

1. नागर शैली की वास्तुकला

  • Khajuraho Temples नागर शैली की वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  • इन मंदिरों में गर्भगृह, मंडप, अर्धमंडप और शिखर शामिल हैं।

2. मूर्तिकला और नक्काशी

Khajuraho Temples: Unique Cultural Heritage of Madhya Pradesh
  • Khajuraho Temples की बाहरी दीवारों पर बेहद जटिल नक्काशी की गई है।
  • इनमें देवी-देवताओं, अप्सराओं, नृत्यांगनाओं, संगीतकारों, और कामुक दृश्यों को उकेरा गया है।

3. मंदिरों की संरचना

  • Khajuraho Temples तीन भागों में विभाजित हैं:
    • पश्चिमी समूह (सबसे प्रमुख और भव्य)
    • पूर्वी समूह (मुख्यतः जैन धर्म के मंदिर)
    • दक्षिणी समूह (छोटे मंदिर)

4. शिखर और स्थापत्य सौंदर्य

  • Khajuraho Temples के शिखर (गर्भगृह के ऊपर की संरचना) आकाश की ओर इंगित करते हैं, जो मोक्ष का प्रतीक है।
  • मंदिरों की संरचना सिमेट्रिकल और अत्यधिक कलात्मक है।

खजुराहो मंदिरों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

1. धर्म और आध्यात्मिकता

  • Khajuraho Temples हिंदू और जैन धर्म को समर्पित हैं।
  • यह स्थल धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न धर्मों के सह-अस्तित्व का प्रतीक है।

2. कामुक मूर्तियाँ और जीवन चक्र

  • Khajuraho Temples की मूर्तियाँ जीवन, प्रेम और कामुकता के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं।
  • यह मूर्तियाँ कामसूत्र के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करती हैं और जीवन चक्र के महत्व को दर्शाती हैं।

3. शिल्पकला का विकास

  • Khajuraho Temples भारतीय मूर्तिकला और स्थापत्य कला के विकास को दर्शाते हैं।
  • यहाँ की मूर्तियाँ मानव शरीर और भावनाओं को अभूतपूर्व सजीवता के साथ प्रस्तुत करती हैं।

खजुराहो के प्रमुख मंदिर

1. कंदरिया महादेव मंदिर

Khajuraho Temples: Unique Cultural Heritage of Madhya Pradesh
  • यह खजुराहो का सबसे बड़ा और भव्य मंदिर है।
  • यह भगवान शिव को समर्पित है और अपनी उत्कृष्ट नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

2. लक्ष्मण मंदिर

  • यह भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • मंदिर में देवी-देवताओं, अप्सराओं, और प्रेम संबंधी मूर्तियों की अद्भुत नक्काशी है।

3. विश्वनाथ मंदिर

  • यह भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है।
  • यहाँ नंदी बैल की एक विशाल प्रतिमा भी स्थित है।

4. चित्रगुप्त मंदिर

  • यह सूर्य देव को समर्पित है।
  • Khajuraho Temples में सूर्य देवता को सात घोड़ों वाले रथ पर विराजमान दिखाया गया है।

5. पार्श्वनाथ मंदिर

  • यह जैन धर्म का प्रमुख मंदिर है।
  • यह अपनी नक्काशी और जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

खजुराहो मंदिर के आसपास के आकर्षण

1. खजुराहो संग्रहालय

  • यह संग्रहालय खजुराहो के मंदिरों से जुड़ी मूर्तियों और शिल्पकला का अद्भुत संग्रह प्रस्तुत करता है।

2. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान

  • Khajuraho Temples से लगभग 30 किमी दूर स्थित यह उद्यान वन्यजीवों और प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है।

3. केन नदी

  • यह नदी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है।

4. रनेह जलप्रपात

  • यह स्थान पन्ना और खजुराहो के बीच स्थित है और प्राकृतिक दृश्यों का आदर्श स्थल है।

खजुराहो मंदिर तक कैसे पहुँचें?

Khajuraho Temples: Unique Cultural Heritage of Madhya Pradesh

1. हवाई मार्ग

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

  • Khajuraho Temples का अपना हवाई अड्डा है, जो दिल्ली, वाराणसी और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।

2. रेल मार्ग

  • Khajuraho Temples रेलवे स्टेशन निकटतम रेल जंक्शन है, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

3. सड़क मार्ग

  • खजुराहो अच्छी सड़क सुविधाओं से जुड़ा हुआ है और बस व टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

यात्रा के लिए उपयोगी सुझाव

  1. सही समय चुनें
    • Khajuraho Temples की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है।
  2. खजुराहो नृत्य महोत्सव का अनुभव करें
    • हर साल फरवरी में आयोजित यह महोत्सव भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संस्कृति का अद्भुत संगम है।
  3. गाइड की सहायता लें
    • मंदिरों की गहन जानकारी के लिए एक अनुभवी गाइड के साथ यात्रा करें।
  4. आरामदायक कपड़े पहनें
    • हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें और मंदिरों की परिक्रमा के लिए आरामदायक जूते साथ रखें।

निष्कर्ष

खजुराहो के मंदिर न केवल भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक हैं, बल्कि यह कला, स्थापत्य और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का अद्भुत उदाहरण भी हैं। इन मंदिरों की यात्रा हर इतिहास प्रेमी और कला प्रेमी के लिए एक अद्वितीय अनुभव है।

यदि आप भारतीय संस्कृति और स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों को करीब से देखना चाहते हैं, तो खजुराहो की यात्रा अवश्य करें। यह स्थान न केवल आपकी आत्मा को शांति प्रदान करेगा, बल्कि आपके दिल में भारतीय धरोहर के प्रति गर्व की भावना भी जगाएगा।

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Kandariya Mahadev Temple: खजुराहो की अद्वितीय स्थापत्य कला और धार्मिक धरोहर

Kandariya Mahadev Temple, मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित, भारतीय स्थापत्य कला का एक बेजोड़ उदाहरण है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे चंदेल काल के सबसे भव्य मंदिरों में से एक माना जाता है। खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों में स्थित कंदरिया महादेव मंदिर, न केवल अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है।

यह लेख Kandariya Mahadev Temple के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्व, मूर्तिकला और आसपास के आकर्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेगा।

कंदरिया महादेव मंदिर: मध्य प्रदेश की अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक धरोहर

Kandariya Mahadev Temple: Unique Architecture of Khajuraho

1. चंदेल राजवंश और मंदिर का निर्माण

  • Kandariya Mahadev Temple का निर्माण चंदेल वंश के शासक विद्याधर द्वारा १०वीं शताब्दी में किया गया था।
  • चंदेल वंश के शासक Kandariya Mahadev Temple को एक भव्य और शास्त्रीय शैव मंदिर के रूप में निर्मित करना चाहते थे, जो भगवान शिव के सम्मान में समर्पित हो।
  • चंदेल राजवंश ने इस मंदिर के निर्माण के दौरान भारतीय वास्तुकला की सर्वोत्तम परंपराओं का पालन किया। मंदिर के निर्माण के उद्देश्य के पीछे धार्मिक विश्वास था कि भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए।

2. मंदिर का नामकरण

  • मंदिर का नाम “कंदरिया महादेव” भगवान शिव के एक रूप “महादेव” के साथ जुड़ा हुआ है। “कंदरिया” शब्द का अर्थ “गुफा” या “गुफा का घर” होता है, जो मंदिर की संरचना के संदर्भ में उपयुक्त है, क्योंकि यह एक गुफा जैसी संरचना में स्थित है।

3. मंदिर का पतन और पुनः खोज

  • Kandariya Mahadev Temple, जैसे अन्य खजुराहो के मंदिरों की तरह, मध्यकाल में कुछ हद तक उपेक्षित हो गया और यह जंगलों में छिप गया।
  • 19वीं शताब्दी के अंत में एक ब्रिटिश अधिकारी टी.एस. बर्ट द्वारा इसकी खोज की गई और तब से इसका पुनर्निर्माण और संरक्षण किया गया।

कंदरिया महादेव मंदिर की वास्तुकला

1. नागर शैली का प्रभाव

  • Kandariya Mahadev Temple मंदिर भारतीय वास्तुकला की नागर शैली का बेहतरीन उदाहरण है। इस शैली में मंदिर का शिखर (गर्भगृह के ऊपर का भाग) आकाश की ओर झुका हुआ होता है, जो दिव्यता और मुक्ति की ओर इशारा करता है।
  • मंदिर का प्रमुख शिखर गगनचुंबी है, जो भारतीय स्थापत्य कला की भव्यता और धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
  • Kandariya Mahadev Temple की यह शैली हिंदू मंदिरों के वास्तुशास्त्र की एक खास विशेषता है, जिसमें शिखर और अन्य संरचनाओं का सटीक अनुपात महत्वपूर्ण होता है।

2. मंदिर की संरचना

Kandariya Mahadev Temple: Unique Architecture of Khajuraho
  • Kandariya Mahadev Temple की संरचना में एक गर्भगृह, मंडप और एक अर्धमंडप शामिल है। गर्भगृह में भगवान शिव की एक भव्य मूर्ति स्थापित है।
  • गर्भगृह के चारों ओर एक परिक्रमा मार्ग है, जहाँ श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं।
  • मंदिर के मुख्य भाग में शिवलिंग की पूजा की जाती है, जो भगवान शिव के प्रतीक के रूप में स्थापित है।

3. मूर्तिकला और नक्काशी

  • Kandariya Mahadev Temple के बाहरी हिस्से पर अत्यधिक जटिल नक्काशी की गई है। इसमें देवी-देवताओं, अप्सराओं, नृत्यांगनाओं, और प्रेम संबंधों की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
  • मंदिर की दीवारों पर कामुक चित्रकला का दृश्य भी है, जो उस समय की समाजिक और धार्मिक मान्यताओं को दर्शाता है।
  • मंदिर की दीवारों पर शिव और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं, जो धार्मिक प्रतीकों के रूप में उकेरी गई हैं।

4. शिखर की नक्काशी

  • Kandariya Mahadev Temple का शिखर बेहद शानदार नक्काशी से सुसज्जित है, जो भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  • शिखर की नक्काशी में शिव के वाहन नंदी, विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और अन्य शास्त्रीय प्रतीक शामिल हैं।

कंदरिया महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व

1. शिव पूजा का केंद्र

  • Kandariya Mahadev Temple भगवान शिव को समर्पित है, और यह मंदिर विशेष रूप से शिव पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।
  • शिवलिंग, जो गर्भगृह में स्थापित है, श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आस्था का केंद्र है, जहां वे पूजा अर्चना करते हैं।
  • यह मंदिर धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि शिव भगवान के पूजन के दौरान इस मंदिर का अनुभव अत्यधिक शुभ और आध्यात्मिक माना जाता है।

2. कामसूत्र और चित्रकला

  • Kandariya Mahadev Temple में कामसूत्र से संबंधित चित्रकला और मूर्तिकला भी देखी जा सकती है।
  • यह चित्रकला और मूर्तियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं, जैसे प्रेम, विवाह, सौंदर्य और कामुकता।
  • ये चित्रकला मंदिर के धार्मिक उद्देश्य को और भी अधिक समृद्ध करती हैं, क्योंकि वे जीवन के अन्य पहलुओं को भी समाहित करती हैं।

कंदरिया महादेव मंदिर के आसपास के प्रमुख आकर्षण

Kandariya Mahadev Temple: Unique Architecture of Khajuraho

1. खजुराहो के अन्य मंदिर

  • लक्ष्मण मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी सुंदर मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है।
  • चित्रगुप्त मंदिर: सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर सूर्य के रथ पर भगवान सूर्य की विशाल मूर्ति दिखाता है।
  • विश्वनाथ मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

2. खजुराहो संग्रहालय

  • खजुराहो संग्रहालय, जो मंदिर परिसर के निकट स्थित है, में खजुराहो के मंदिरों से संबंधित मूर्तियाँ और शिल्पकला का अद्भुत संग्रह है।

3. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान

  • खजुराहो से लगभग 30 किमी दूर स्थित पन्ना राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक आकर्षक स्थल है। यहाँ विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव और पक्षी देखे जा सकते हैं।

4. केन नदी और रनेह जलप्रपात

  • खजुराहो के पास स्थित केन नदी और रनेह जलप्रपात एक सुंदर प्राकृतिक वातावरण का हिस्सा हैं, जो पर्यटकों को शांति और सौंदर्य का अहसास कराते हैं।

कंदरिया महादेव मंदिर तक कैसे पहुँचें

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

1. हवाई मार्ग

  • खजुराहो का निकटतम हवाई अड्डा है खजुराहो हवाई अड्डा, जो प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ है।

2. रेल मार्ग

  • खजुराहो रेलवे स्टेशन, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, पर्यटकों के लिए आसानी से उपलब्ध है।

3. सड़क मार्ग

  • खजुराहो सड़क मार्ग से प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, भोपाल और कटनी से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

यात्रा के सुझाव

Kandariya Mahadev Temple: Unique Architecture of Khajuraho
  1. समय का चयन:
    • खजुराहो यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम ठंडा और सुखद रहता है।
  2. गाइड का सहारा लें:
    • एक गाइड के साथ यात्रा करना आपको मंदिर के इतिहास और वास्तुकला के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेगा।
  3. आरामदायक कपड़े पहनें:
    • मंदिर की परिक्रमा और दर्शनों के लिए आरामदायक कपड़े पहनें।

निष्कर्ष

कंदरिया महादेव मंदिर न केवल भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह मंदिर भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और कला प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थल है। यदि आप भारतीय इतिहास और संस्कृति के गहरे अनुभव की तलाश में हैं, तो कंदरिया महादेव मंदिर की यात्रा आपके जीवन का अविस्मरणीय अनुभव साबित होगी।

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Mahakaleshwar Temple: उज्जैन का पवित्र ज्योतिर्लिंग और धार्मिक धरोहर

Mahakaleshwar Temple, मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है, जो भारत के प्रमुख और सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिन्दू धर्म में अत्यधिक सम्मानित है। Mahakaleshwar Temple, न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला का एक अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

Mahakaleshwar Temple के बारे में विस्तार से जानने के लिए हम इसके इतिहास, धार्मिक महत्व, वास्तुकला, पूजा प्रक्रिया और आसपास के आकर्षणों पर चर्चा करेंगे।

महाकालेश्वर मंदिर: उज्जैन का दिव्य धरोहर और धार्मिक केंद्र

Mahakaleshwar Temple: The Holy Jyotirlinga of Ujjain

1. प्राचीन काल से महाकालेश्वर मंदिर

  • Mahakaleshwar Temple का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह मंदिर भगवान शिव के उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भारत के विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं।
  • Mahakaleshwar Temple का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है, जिसमें बताया गया है कि यह स्थान भगवान शिव के आवास स्थल के रूप में पूजा जाता है।
  • Mahakaleshwar Temple के बारे में पहली बार उल्लेख स्कंद पुराण और माहात्म्य में किया गया है, जो इसे बहुत प्राचीन बनाता है।

2. कैलाश के निकट महाकाल

  • Mahakaleshwar Temple का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे विशेष रूप से कैलाश पर्वत का केंद्र माना जाता है।
  • यह मंदिर पवित्र नदी शिप्रा के किनारे स्थित है, जो धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • महाकालेश्वर के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव के रूप में महाकाल अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें मृत्यु के भय से मुक्त करते हैं।

3. वर्तमान मंदिर का निर्माण

  • वर्तमान Mahakaleshwar Temple का निर्माण लगभग 18वीं शताब्दी में हुआ था, जो कि मराठा शासक महादजी शिंदे द्वारा करवाया गया।
  • इसके बाद मंदिर में कई सुधार और विस्तार किए गए, जो आज के भव्य स्वरूप में देखे जाते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला

1. द्रविड़ शैली में निर्माण

  • Mahakaleshwar Temple की वास्तुकला द्रविड़ शैली में की गई है। इस शैली में मंदिरों का शिखर (गर्भगृह के ऊपर का भाग) ऊँचा और पिरामिड आकार का होता है।
  • मंदिर की संरचना में मुख्य रूप से गर्भगृह, मंडप और शिखर शामिल हैं, जो इसे वास्तुकला के दृष्टिकोण से अद्वितीय बनाता है।

2. मुख्य गर्भगृह और शिवलिंग

Mahakaleshwar Temple: The Holy Jyotirlinga of Ujjain
  • Mahakaleshwar Temple का मुख्य आकर्षण शिवलिंग है, जिसे भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है।
  • यह शिवलिंग न केवल पूजा का केंद्र है, बल्कि इसे “ज्योतिर्लिंग” के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, जो विशेष रूप से ऊँचा और अद्वितीय है।

3. तोरण और नक्काशी

  • Mahakaleshwar Temple के द्वार पर सुंदर तोरण (आर्च) और नक्काशी की गई है, जो भारतीय कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।
  • यह तोरण और नक्काशी भगवान शिव के विविध रूपों और उनसे संबंधित मिथकों का चित्रण करती हैं, जो यहां आने वाले भक्तों को आकर्षित करती हैं।

4. संरचना और सुविधाएँ

  • Mahakaleshwar Temple में एक विस्तृत आंगन, मंडप, और कई अन्य छोटे-छोटे मंदिर स्थित हैं।
  • इस मंदिर में एक विशाल दीपमालिका भी है, जो विशेष रूप से रात्रि की पूजा में उपयोग होती है और यह दृश्य बहुत ही आकर्षक होता है।

महाकालेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व

1. ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर

  • Mahakaleshwar Temple को 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
  • ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के दिव्य रूपों को दर्शाते हैं और महाकालेश्वर का दर्शन करना किसी भी भक्त के लिए अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है।

2. महाकाल का स्वरूप

  • Mahakaleshwar Temple भगवान शिव का एक रूप है, जो समय के नियंत्रक और मृत्यु के देवता के रूप में जाने जाते हैं।
  • यहाँ भगवान शिव का कालचक्र रूप में पूजा की जाती है, जहां समय और मृत्यु के साथ उनका संबंध दर्शाया जाता है।
  • महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव के रूप में पूजा का एक विशेष महत्व है, जो मृत्यु के भय को नष्ट करता है और भक्तों को मुक्ति की प्राप्ति की आशा देता है।

3. विशेष पूजा और अभिषेक

  • Mahakaleshwar Temple में महाशिवरात्रि और अन्य प्रमुख हिंदू तिथियों पर विशेष पूजा और अभिषेक होते हैं।
  • इन विशेष अवसरों पर मंदिर में लिंग अभिषेक, आध्यात्मिक आयोजन, आरती और प्रसाद वितरण जैसे आयोजनों की धूम रहती है।
  • भस्म आरती, जो महाकालेश्वर मंदिर की एक विशेष पूजा है, विशेष रूप से भक्तों द्वारा देखी जाती है, जहाँ भगवान शिव की पूजा करते समय भस्म का उपयोग किया जाता है। यह एक दुर्लभ और अद्वितीय पूजा विधि है।

महाकालेश्वर मंदिर का माहौल और दर्शन

1. शिव भक्ति का माहौल

Mahakaleshwar Temple: The Holy Jyotirlinga of Ujjain
  • Mahakaleshwar Temple में एक विशेष भक्ति का वातावरण रहता है।
  • मंदिर के भीतर और बाहर हर समय “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण होता है, जो भक्तों को मानसिक शांति और शुद्धता का अनुभव कराता है।

2. रात्रि का दृश्य

  • Mahakaleshwar Temple में विशेष रूप से रात्रि के समय का वातावरण बहुत ही दिव्य और अलौकिक होता है।
  • रात्रि के समय दीप जलाए जाते हैं और मंदिर का शिखर और गर्भगृह रौशन होते हैं, जिससे एक अद्वितीय दृश्य उत्पन्न होता है।

3. विशालता और धार्मिक उत्सव

  • Mahakaleshwar Temple का परिसर बहुत बड़ा और सुंदर है, जो पूरे वर्ष भर भक्तों और पर्यटकों से भरा रहता है।
  • महाशिवरात्रि जैसे बड़े धार्मिक त्योहारों के दौरान यह मंदिर विशेष रूप से सजाया जाता है और यहां लाखों श्रद्धालु पूजा करने आते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के प्रमुख आकर्षण

1. उज्जैन का किला

  • उज्जैन का किला एक ऐतिहासिक किला है, जो महाकालेश्वर मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
  • यह किला एक आकर्षक पर्यटन स्थल है, जो उज्जैन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।

2. संजय पार्क और गोपाल मंदिर

  • संजय पार्क और गोपाल मंदिर उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, जो महाकालेश्वर मंदिर के आसपास स्थित हैं।

3. काल भैरव मंदिर

  • काल भैरव मंदिर भगवान शिव के एक और रूप, काल भैरव को समर्पित है और यह भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
  • काल भैरव मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के निकट स्थित है और यहां की पूजा विधियाँ विशेष रूप से आकर्षक हैं।

महाकालेश्वर मंदिर तक कैसे पहुँचे?

1. हवाई मार्ग

Mahakaleshwar Temple: The Holy Jyotirlinga of Ujjain
  • उज्जैन का देवास हवाई अड्डा सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, जो प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • उज्जैन से आप टैक्सी या बस द्वारा महाकालेश्वर मंदिर पहुँच सकते हैं।

2. रेल मार्ग

Maha Kumbh 2025: आस्था, संस्कृति और एकता का महोत्सव

  • उज्जैन रेलवे स्टेशन प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ है और यहाँ से महाकालेश्वर मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।

3. सड़क मार्ग

  • उज्जैन शहर अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और आप यहाँ सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।

यात्रा के सुझाव

  1. समय का चयन:
    • महाकालेश्वर मंदिर यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम ठंडा और सुखद रहता है।
  2. विशेष पूजा और आयोजन:
    • महाशिवरात्रि और अन्य धार्मिक त्योहारों के दौरान मंदिर में विशेष पूजा आयोजित की जाती है, जो भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।
  3. आरामदायक कपड़े पहनें:
    • मंदिर में दर्शन करने के लिए हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें, क्योंकि यहाँ अक्सर बड़ी भीड़ रहती है।

निष्कर्ष

महाकालेश्वर मंदिर न केवल उज्जैन का, बल्कि भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यह मंदिर भगवान शिव के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने का अद्भुत स्थान है। यहाँ की पूजा विधियाँ, वास्तुकला और धार्मिक महत्व इसे हर भक्त के लिए एक पवित्र और अविस्मरणीय अनुभव बनाती हैं। अगर आप हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो महाकालेश्वर मंदिर की यात्रा आपके लिए एक दिव्य अनुभव साबित होगी।

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Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित Dilwara Temple विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थस्थल है। यह मंदिर अपनी उत्कृष्ट स्थापत्य कला, संगमरमर की नक्काशी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह मंदिर माउंट आबू की पहाड़ियों में स्थित है और हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। Dilwara Temple का निर्माण 11वीं और 13वीं सदी के बीच हुआ था और इसे जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा पूजा और आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।

दिलवाड़ा मंदिर: एक अद्भुत स्थापत्य कला का नमूना

Dilwara Temple: A wonderful confluence of architecture

दिलवाड़ा मंदिर का इतिहास

Dilwara Temple का निर्माण मुख्य रूप से सोलंकी राजवंश के शासनकाल में हुआ। इन मंदिरों का निर्माण विभिन्न जैन व्यवसायियों और शासकों द्वारा कराया गया, जिन्होंने अपनी श्रद्धा और धन का उपयोग इस अद्भुत निर्माण के लिए किया।
मंदिरों के निर्माण में इस्तेमाल किए गए संगमरमर को अरावली पहाड़ियों से लाया गया था। इसे इस तरह काटा और तराशा गया कि इसका प्रत्येक टुकड़ा अनूठा और अद्वितीय दिखाई देता है।

मंदिरों की संरचना और वास्तुकला

Dilwara Temple पांच प्रमुख मंदिरों का एक समूह है, और इनमें प्रत्येक मंदिर का नाम उस तीर्थंकर के नाम पर रखा गया है जिनकी यहाँ पूजा की जाती है।
यह पांच मंदिर हैं:

  1. विमल वसाही मंदिर
    • Dilwara Temple प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है।
    • इसका निर्माण 1031 ईस्वी में चालुक्य राजकुमार विमल शाह ने कराया।
    • इसमें 48 स्तंभ हैं, जो अद्भुत नक्काशी और मूर्तियों से सजे हैं।
    • मुख्य मंडप के चारों ओर 52 देवकुलिकाएं (छोटे मंदिर) स्थित हैं।
  2. लूण वसाही मंदिर
    • Dilwara Temple 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है।
    • इसे 1231 ईस्वी में वस्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाइयों ने बनवाया।
    • Dilwara Temple के प्रवेश द्वार पर की गई बारीक कारीगरी और छत पर की गई नक्काशी बहुत ही सुंदर है।
  3. पीठलहर मंदिर
    • इसे भगवान ऋषभदेव को समर्पित किया गया है।
    • इस मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में किया गया था।
    • यहाँ भगवान की एक भव्य मूर्ति है, जो पूरी तरह से धातु से बनी है।
Dilwara Temple: A wonderful confluence of architecture
  1. परश्वनाथ मंदिर
    • यह 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है।
    • इस मंदिर में 3 मंजिलें हैं, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं।
    • दीवारों पर जैन कथाओं के चित्र और नक्काशीदार आकृतियाँ हैं।
  2. महावीर स्वामी मंदिर
    • यह 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित है।
    • यह सबसे छोटा मंदिर है और इसे 1582 ईस्वी में बनाया गया था।
    • इसकी दीवारों पर चित्रकारी और सजावट मनमोहक है।

नक्काशी की अद्वितीयता

Dilwara Temple की नक्काशी इतनी सूक्ष्म और सजीव है कि इसे देखकर प्रतीत होता है जैसे पत्थर में जान डाल दी गई हो।

  1. स्तंभ और छत की कारीगरी
    • Dilwara Temple के हर स्तंभ और छत पर जटिल और बारीक नक्काशी की गई है।
    • छतों पर कमल के फूल, नृत्य करते हुए अप्सराएँ, और जैन धर्म की पौराणिक कथाएँ दर्शाई गई हैं।
  2. मार्बल की विशेषता
    • यहाँ का संगमरमर अत्यधिक सफेद और चमकीला है।
    • इसे इस प्रकार तराशा गया है कि हर आकृति जीवंत प्रतीत होती है।
  3. दीवारों पर उकेरी गई कथाएँ
    • दीवारों पर जैन धर्म से संबंधित कथाओं, देवी-देवताओं और पौराणिक पात्रों को उकेरा गया है।
    • इनमें भगवान आदिनाथ और भगवान नेमिनाथ की कथाएँ प्रमुख हैं।

धार्मिक महत्त्व

Dilwara Temple: A wonderful confluence of architecture

जैन धर्म में दिलवाड़ा मंदिरों का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। यह न केवल एक तीर्थस्थल है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी दिखाता है।

  • यहाँ प्रतिवर्ष जैन धर्म के अनुयायी विशेष पूजा-अर्चना और उत्सवों का आयोजन करते हैं।

Maha Kumbh 2025: आस्था, संस्कृति और एकता का महोत्सव

  • पंचकल्याणक पूजा और महा-मस्तकाभिषेक यहाँ के प्रमुख धार्मिक आयोजन हैं।

पर्यावरण और सौंदर्य

Dilwara Temple हरे-भरे पहाड़ों और शांत वातावरण के बीच स्थित है।

  • इसके चारों ओर के प्राकृतिक सौंदर्य इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।
  • माउंट आबू की ठंडी जलवायु इस स्थान को धार्मिक और पर्यटन दोनों दृष्टिकोण से आदर्श बनाती है।

पर्यटकों के लिए जानकारी

  1. स्थान:
    Dilwara Temple राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  2. प्रवेश शुल्क:
    भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है, लेकिन विदेशी पर्यटकों को टिकट खरीदनी पड़ती है।
  3. समय:
    • Dilwara Temple 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।
    • दर्शन का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का होता है।
  4. कैसे पहुँचें:
    • हवाई मार्ग: उदयपुर का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है।
    • रेल मार्ग: आबू रोड रेलवे स्टेशन से माउंट आबू आसानी से पहुँचा जा सकता है।
    • सड़क मार्ग: राजस्थान और गुजरात के प्रमुख शहरों से यहाँ के लिए बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।

निष्कर्ष

Dilwara Temple: A wonderful confluence of architecture

Dilwara Temple न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक तीर्थस्थल है, बल्कि यह भारत की स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत उदाहरण भी है। इसकी भव्यता, नक्काशी और शांत वातावरण हर किसी को आकर्षित करता है।
यदि आप शांति, कला और धर्म के संगम को अनुभव करना चाहते हैं, तो दिलवाड़ा मंदिर का दौरा अवश्य करें।

दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान के माउंट आबू में स्थित, जैन धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है जो अपनी अद्भुत संगमरमर की नक्काशी, भव्य स्थापत्य कला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं से 13वीं सदी के बीच निर्मित इस मंदिर समूह में पाँच मुख्य मंदिर शामिल हैं, जो विभिन्न जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं। यहाँ की सूक्ष्म कारीगरी और पौराणिक कथाओं से सजी आकृतियाँ इसे भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अनमोल हिस्सा बनाती हैं। प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक शांति का अनुभव करने के लिए दिलवाड़ा मंदिर अवश्य जाएँ।

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Game Changer Box Office Collection Day 4: राम चरण की फिल्म ने पहले सोमवार को गिरावट देखी

नई दिल्ली: राम चरण की Game Changer लगातार ₹100 करोड़-क्लब के करीब पहुंच रही है। सैकनिल्क की एक रिपोर्ट के अनुसार, चौथे दिन एस शंकर निर्देशित फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर गिरावट देखी और ₹8.5 करोड़ की कमाई की।

अपने पहले सोमवार को, फिल्म ने कुल मिलाकर 20.58% तेलुगु ऑक्यूपेंसी दर्ज की। इसके साथ ही पॉलिटिकल एक्शन ड्रामा का कुल घरेलू कलेक्शन ₹97 करोड़ तक पहुंच गया है।

व्यापक दर्शकों को ध्यान में रखते हुए, गेम चेंजर को तमिल, तेलुगु, हिंदी और कन्नड़ में रिलीज़ किया गया है। फिल्म में राम चरण को एच. राम नंदन और उनके पिता अप्पन्ना के रूप में दोहरी भूमिकाओं में दिखाया गया है। कियारा आडवाणी राम की पत्नी दीपिका के किरदार में नजर आ रही हैं।

Game Changer के बारे में

Game Changer Box Office Collection Day 4: Ram Charan's film sees decline on first Monday

शंकर द्वारा निर्देशित, Game Changer वर्तमान में भारतीय सिनेमा में सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है। मुख्य सितारों के अलावा, फिल्म में एसजे सूर्या, नासर, ब्रह्मानंदम, वेनेला किशोर और मुरली शर्मा सहित मजबूत सहायक कलाकार महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।

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गेम चेंजर विनय विद्या राम (2019) के बाद राम चरण की पहली एकल फिल्म है, जो कियारा की आखिरी तेलुगु फिल्म भी थी।

Maharashtra में मोटरसाइकिल चलाते समय नायलॉन पतंग की डोरी से गला कटने से व्यक्ति की मौत

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Maharashtra: यह घटना न केवल बेहद दुखद है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और प्रतिबंधित वस्तुओं के इस्तेमाल को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। महाराष्ट्र में पतंग उड़ाने के दौरान उपयोग की जाने वाली नायलॉन या “मांझा” डोरी कई बार जानलेवा साबित होती है। इस मामले में मोटरसाइकिल चलाते समय नायलॉन मांझे के कारण एक व्यक्ति की मौत होना इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।

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घटना के मुख्य बिंदु:

Maharashtra: Several people died due to nylon kites

क्या हुआ:

पीड़ित मोटरसाइकिल चला रहा था, जब नायलॉन मांझा उसके गले में फंस गया।

इस दुर्घटना में गहरे कट और अत्यधिक खून बहने के कारण उसकी मौत हो गई।

नायलॉन मांझा की समस्या:

नायलॉन या सिंथेटिक मांझा बेहद तेज और मजबूत होता है, जिससे यह खतरनाक बन जाता है।

यह न केवल इंसानों के लिए, बल्कि पक्षियों के लिए भी जानलेवा साबित होता है।

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मौजूदा कानून:

भारत में कई राज्यों में नायलॉन मांझा पर प्रतिबंध है, लेकिन इसका उपयोग अब भी चोरी-छिपे जारी है।

पुलिस और प्रशासन इस पर सख्ती से रोक लगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन जागरूकता और पालन में कमी है।

सुरक्षा उपायों की कमी:

सड़क पर चलते समय इस तरह के खतरे से बचने के लिए कोई प्रभावी प्रणाली नहीं है।

पतंग उड़ाने वालों द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है।

समाधान के संभावित उपाय:

Maharashtra: Several people died due to nylon kites

सख्त प्रतिबंध और निगरानी:

नायलॉन मांझा के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर सख्त प्रतिबंध लागू किया जाना चाहिए।

कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

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जागरूकता अभियान:

लोगों को नायलॉन मांझे के खतरों के बारे में जागरूक किया जाए।

स्कूलों और पतंगबाजी समुदायों के बीच विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

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वैकल्पिक सामग्री का उपयोग:

सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल पतंग डोरी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।

सुरक्षा उपाय:

सड़कों पर चलते समय मोटरसाइकिल सवारों को गले और चेहरे की सुरक्षा के लिए गियर पहनने की सलाह दी जा सकती है।

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उद्धव सेना के बाद Sharad Pawar का संदेश “भारत ब्लॉक केवल राष्ट्रीय चुनावों के लिए”

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Sharad Pawar का यह बयान, जिसमें उन्होंने “भारत ब्लॉक” (I.N.D.I.A.) को केवल राष्ट्रीय चुनावों तक सीमित बताते हुए टिप्पणी की, भारतीय राजनीति में विपक्षी गठबंधन की सीमाओं और प्राथमिकताओं को उजागर करता है। यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति, खासकर उद्धव ठाकरे और एनसीपी के संबंधों, और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों की एकजुटता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

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प्रमुख बिंदु:

Sharad Pawar का बयान:
Sharad Pawar's vision for India Block

शरद पवार ने कहा कि “भारत ब्लॉक” का गठन केवल राष्ट्रीय चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए हुआ है।

यह गठबंधन राज्यों में होने वाले चुनावों में स्वचालित रूप से लागू नहीं होगा।

राज्यों में पार्टियां स्थानीय परिस्थितियों और समीकरणों के अनुसार चुनाव लड़ेंगी।

महाराष्ट्र का संदर्भ:

महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट), और कांग्रेस एकजुट होकर महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन का हिस्सा हैं।

“भारत ब्लॉक” और MVA के बीच समन्वय को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं।

पवार का बयान यह संकेत देता है कि महाराष्ट्र में गठबंधन के भविष्य पर स्थानीय समीकरण प्राथमिक रहेंगे।

राष्ट्रीय बनाम राज्य स्तरीय राजनीति:

Sharad Pawar's vision for India Block

“भारत ब्लॉक” का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को चुनौती देना है।

राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक दलों की प्राथमिकताएं और गठबंधन हैं, जो “भारत ब्लॉक” की एकता को प्रभावित कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: Sharad Pawar ने संसद में PM Modi से मुलाकात की

विपक्षी गठबंधन की चुनौती:

विपक्षी दलों के लिए एकजुट रहना और एक साझा एजेंडा बनाना एक बड़ी चुनौती है।

क्षेत्रीय दलों के अपने हित और राजनीति हैं, जो अक्सर राष्ट्रीय गठबंधन की एकजुटता को कमजोर करते हैं।

भाजपा की प्रतिक्रिया:

भाजपा इस बयान का उपयोग विपक्षी एकता पर सवाल उठाने और “भारत ब्लॉक” को केवल दिखावटी गठबंधन के रूप में पेश करने के लिए कर सकती है।

हाउस पैनल ने Mark Zuckerberg के Meta को तलब किया_”माफी मांगनी पड़ेगी…”

Meta और Mark Zuckerberg को लेकर संसद के सवालों और नेताओं की प्रतिक्रिया से यह मामला और भी गंभीर हो गया है। यह घटना भारतीय राजनीति, वैश्विक मंच पर सोशल मीडिया दिग्गजों की भूमिका, और गलत सूचना के संभावित प्रभाव को लेकर एक महत्वपूर्ण विवाद बन गई है।

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विवाद का सारांश:

Mark Zuckerberg की टिप्पणी:
House panel summons Mark Zuckerberg

जुकरबर्ग ने कहा कि 2024 के भारतीय आम चुनाव में मौजूदा सरकार हार गई थी, जो स्पष्ट रूप से तथ्यात्मक रूप से गलत है।

उनकी टिप्पणी का आधार कोविड महामारी और सरकारों की नीतियों का वैश्विक प्रभाव बताया गया।

भारतीय नेताओं की प्रतिक्रिया:

निशिकांत दुबे: भाजपा सांसद और पैनल के अध्यक्ष ने मेटा को गलत सूचना के लिए समन जारी करने की बात कही। उन्होंने सार्वजनिक “माफी की भी मांग” की।

अश्विनी वैष्णव: केंद्रीय मंत्री ने Mark Zuckerberg की टिप्पणी को गलत करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि यह गलत सूचना निराशाजनक है और मेटा को तथ्यों की पुष्टि करनी चाहिए।

भारत का चुनावी परिदृश्य:

2024 में एनडीए ने बहुमत से सरकार बनाई, हालांकि भाजपा ने अकेले बहुमत नहीं पाया।

एनडीए ने गठबंधन सहयोगियों के साथ बहुमत हासिल किया।

विपक्ष ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार बदलने के लिए पर्याप्त समर्थन हासिल नहीं कर सका।

प्रमुख चिंताएँ:

House panel summons Mark Zuckerberg

गलत सूचना का प्रसार:

जुकरबर्ग की टिप्पणी का भारत जैसे बड़े लोकतंत्र की छवि पर असर पड़ सकता है।

यह मामला सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी और उनके प्लेटफॉर्म पर फैली जानकारी की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाता है।

सोशल मीडिया की जवाबदेही:

मेटा जैसे दिग्गज प्लेटफॉर्म्स पर राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव को लेकर पहले से ही आलोचना होती रही है।

यह घटना मेटा पर भारत जैसे बड़े बाजार में और अधिक दबाव बना सकती है।

राजनीतिक प्रभाव:

इस मुद्दे ने सत्तारूढ़ सरकार और विपक्ष के बीच विचारधारा और प्रदर्शन को लेकर बहस को और तेज कर दिया है।

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संभावित परिणाम:

  • मेटा को भारत में अपने संचालन और गलत सूचना प्रबंधन के लिए नए दिशानिर्देशों का पालन करना पड़ सकता है।
  • Mark Zuckerberg और मेटा को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
  • भारत में सोशल मीडिया दिग्गजों पर अधिक नियामक सख्ती लागू हो सकती है।

यह घटना सोशल मीडिया, राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में एक बड़ा मामला बन सकती है। क्या आप इस विषय पर और विस्तृत जानकारी या विश्लेषण चाहते हैं?

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Makar Sankranti 2025: इस शुभ दिन पर क्यों खाया जाता है दही चूड़ा?

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर घरों में कई तरह के पकवान बनाए और खाए जाते हैं. लेकिन कुछ चीजों का विशेष महत्व होता है. जिसमें खिचड़ी, चावल, गुड़ और तिल शामिल हैं. बिहार, झारखंड और यूपी में लोग मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा (चपटा चावल) बड़े चाव से खाते हैं. दही चूड़ा खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद होता है. इसे आप कुछ ही मिनटों में तैयार कर सकते हैं. दही चूड़ा में आप चीनी, गुड़ या पिसी चीनी का इस्तेमाल कर सकते हैं. कुछ लोग स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें बारीक कटे फल और सूखे मेवे भी मिलाते हैं. आइए जानते हैं दही चूड़ा बनाने की रेसिपी.

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Makar Sankranti पर दही चूड़ा खाने का क्या है महत्व?

Makar Sankranti 2025: Why is Dahi Chuda eaten on this auspicious day?

Makar Sankranti के दिन दही चूड़ा खाने का बहुत महत्व है। यह सिर्फ एक स्वादिष्ट व्यंजन नहीं है, इसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण भी हैं। दही चूड़ा सूर्य देव का पसंदीदा प्रसाद माना जाता है. इस दिन सूर्य देव को दही चूड़ा चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। ऐसा माना जाता है कि Makar Sankranti के दिन दही चूड़ा खाने से सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है। दही चूड़ा खाने से कुंडली के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।

कैसे बनाएं दही चूड़ा, जानें रेसिपी:

Makar Sankranti 2025: Why is Dahi Chuda eaten on this auspicious day?

पहला चरण- दही चूड़ा बनाने के लिए आपको गाढ़ा पोहा चाहिए, जिसे चूड़ा भी कहा जाता है. चूड़ा या पोहा को पानी में अच्छी तरह भिगोकर रख दें और जैसे चावल धोते हैं, वैसे ही धो लें। अगर पोहा गाढ़ा है तो इसे साफ पानी में करीब 2 मिनट के लिए भिगो दें. पानी छान लें और पोहा को कुछ देर के लिए ऐसे ही रख दें.

दूसरा स्टेप- अब आपको दही चूड़ा के लिए दही तैयार करना है. एक कटोरे में ताजा और गाढ़ा दही लें. इसे हल्के हाथों से ब्लेंड करें. – अब दही में पिसा हुआ गुड़ या चीनी डालकर मिला लें. आप इसमें अपनी पसंद के अनुसार चीनी या शहद मिला सकते हैं। कुछ लोग दही चूड़ा को गन्ने के रस के साथ खाते हैं.

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Makar Sankranti 2025: Why is Dahi Chuda eaten on this auspicious day?

तीसरा स्टेप- अब पोहे को हल्के हाथों से हिलाएं. सर्व करने के लिए सबसे पहले भीगे हुए पोहे को एक प्लेट या बाउल में निकाल लें. इसके ऊपर दही डालें. अब दोनों चीजों को हाथ या चम्मच की मदद से मिला लें. – तैयार मिश्रण में गुठलियां नहीं रहनी चाहिए.

चौथा स्टेप- दही चूड़ा को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कटे हुए काजू, बादाम और किशमिश डालें. आप चाहें तो इसमें कोई फल भी डालकर खा सकते हैं. इससे दही चूड़ा और भी स्वादिष्ट बनेगा. हालांकि अगर आप असली स्वाद चाहते हैं तो सिंपल दही चूड़ा खाएं.

दही चूड़ा खाने के फायदे

Makar Sankranti 2025: Why is Dahi Chuda eaten on this auspicious day?

दही चूड़ा पेट के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. इससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और आंत का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। अगर आपका पेट खराब है या फूड पॉइजनिंग है तो आप दही चूड़ा खा सकते हैं। दही में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया आपकी आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। दही चूड़ा खाने से भी वजन कम किया जा सकता है. हालांकि, दही चूड़ा में ज्यादा मीठे का इस्तेमाल न करें.

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मिक्स स्प्राउट्स Corn Chaat रेसिपी: पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता

Corn Chaat ऐसी दुनिया में जहाँ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक खाद्य प्रवृत्तियाँ लोकप्रिय हो रही हैं, पारंपरिक भारतीय चाट में स्वाद से समझौता किए बिना ताज़ी और पौष्टिक सामग्री शामिल की गई है। ऐसा ही एक अभिनव और स्वस्थ संस्करण है मिक्स स्प्राउट्स कॉर्न चाट, अंकुरित बीन्स, स्वीट कॉर्न, सब्ज़ियों और कई तरह के मसालों का एक शानदार मिश्रण। यह Corn Chaat न केवल स्वाद का तड़का देती है बल्कि फाइबर, प्रोटीन और ज़रूरी पोषक तत्वों का एक बेहतरीन स्रोत भी है। आइए इस पौष्टिक नाश्ते और इसकी रेसिपी के बारे में विस्तार से जानें।

मिक्स स्प्राउट्स Corn Chaat का परिचय

Mix Sprouts Corn Chaat Recipe Nutritious and Delicious Breakfast
मिक्स स्प्राउट्स Corn Chaat रेसिपी: पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता

चाट भारत में स्ट्रीट फ़ूड की एक लोकप्रिय श्रेणी है, जिसे अक्सर इसके तीखे, मसालेदार और कुरकुरे बनावट के लिए पसंद किया जाता है। आम तौर पर, इसे पूरी, समोसे या पापड़ी जैसे डीप-फ्राइड घटकों का उपयोग करके बनाया जाता है, जिसमें कई तरह की चटनी और ताज़ी सामग्री मिलाई जाती है। हालांकि, मिक्स स्प्राउट्स Corn Chaat एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है, जिसमें तले हुए अवयवों की जगह पौष्टिक स्प्राउट्स और उबले हुए कॉर्न कर्नेल का इस्तेमाल किया जाता है, जो इसे उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाता है जो बिना किसी अपराधबोध के भारतीय स्ट्रीट फूड का स्वाद लेना चाहते हैं।

स्प्राउट्स स्वास्थ्य के लिए अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद होते हैं, क्योंकि वे प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। मकई भी एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट का एक बड़ा स्रोत है, जो डिश में पोषण की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है। इन दो पावरहाउस सामग्रियों को कुरकुरी सब्जियों और सुगंधित मसालों के साथ मिलाकर, यह Corn Chaat एक ऐसा नाश्ता प्रदान करती है जो स्वादिष्ट और पौष्टिक दोनों है।

सामग्री के स्वास्थ्य लाभ

1. मिश्रित स्प्राउट्स

अंकुरित अनाज और फलियाँ प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों सहित आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। Corn Chaat अंकुरित होने के दौरान स्टार्च के टूटने के कारण वे अपने बिना अंकुरित समकक्षों की तुलना में पचाने में आसान होते हैं।

मूंग (हरा चना), चना (छोले) और अन्य अंकुरित अनाज पौधे आधारित प्रोटीन प्रदान करते हैं, जो इस व्यंजन को शाकाहारियों या अपने प्रोटीन सेवन को बढ़ाने के इच्छुक लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प बनाता है।

वे फोलिक एसिड से भरपूर होते हैं, जो शरीर के विकास और सेलुलर मरम्मत के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे गर्भवती माताओं के लिए अंकुरित अनाज एक अच्छा विकल्प बन जाता है।

अंकुरित अनाज रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में भी मदद करते हैं।

Mix Sprouts Corn Chaat Recipe Nutritious and Delicious Breakfast
मिक्स स्प्राउट्स Corn Chaat रेसिपी: पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता

2. स्वीट कॉर्न

Corn Chaat फाइबर का एक बेहतरीन स्रोत है, जो पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखने में मदद करता है। यह ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट की खुराक भी प्रदान करता है, जो आँखों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

विटामिन ए और सी जैसे विटामिन से भरपूर, स्वीट कॉर्न प्रतिरक्षा और स्वस्थ त्वचा का समर्थन करता है।

मकई की प्राकृतिक मिठास चाट के तीखे और मसालेदार घटकों के साथ एक सुखद विपरीतता जोड़ती है।

3. कटी हुई सब्जियाँ

प्याज, टमाटर, खीरे और उबले हुए आलू जैसी ताज़ी सब्जियाँ डालने से चाट में कई तरह की बनावट और स्वाद आते हैं। ये सब्ज़ियाँ कैलोरी में कम होती हैं, लेकिन विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होती हैं, जिससे यह व्यंजन पेट भरने वाला और पौष्टिक दोनों होता है।

4. चटनी और मसाले

Corn Chaat हरी चटनी (पुदीना और धनिया की चटनी) और इमली की चटनी का मिश्रण मीठे, खट्टे और मसालेदार स्वाद का संतुलन प्रदान करता है। इमली एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जबकि पुदीना और धनिया अपने पाचन और ठंडक देने वाले गुणों के लिए जाने जाते हैं।

जीरा पाउडर, काला नमक और चाट मसाला जैसे मसाले स्वाद को बढ़ाते हैं, जिससे यह व्यंजन स्वाद से भरपूर हो जाता है जो इंद्रियों को आकर्षित करता है।

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मिक्स स्प्राउट्स कॉर्न चाट की रेसिपी

Mix Sprouts Corn Chaat Recipe Nutritious and Delicious Breakfast
मिक्स स्प्राउट्स Corn Chaat रेसिपी: पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता

अब जब हम इसके पोषण संबंधी लाभों को समझ गए हैं, तो आइए इस स्वादिष्ट Corn Chaat को बनाने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया पर नज़र डालें।

सामग्री

  • 1 कप मिक्स स्प्राउट्स (मूंग, चना या बीन्स का मिश्रण)
  • 1/2 कप उबले हुए स्वीट कॉर्न कर्नेल (ताज़े या जमे हुए)
  • 1 मध्यम प्याज़, बारीक कटा हुआ
  • 1 छोटा टमाटर, बारीक कटा हुआ
  • 1/2 खीरा, बारीक कटा हुआ
  • 1 छोटा उबला आलू, कटा हुआ (वैकल्पिक)
  • 2-3 बड़े चम्मच अनार के दाने (गार्निश के लिए)
  • 1-2 हरी मिर्च, बारीक कटी हुई (वैकल्पिक, मसाले के लिए)
  • 1 बड़ा चम्मच नींबू का रस
  • 1 बड़ा चम्मच ताज़ा धनिया पत्ता, कटा हुआ (गार्निश के लिए)
  • 1 बड़ा चम्मच इमली की चटनी
  • 1 बड़ा चम्मच हरी चटनी (पुदीना-धनिया चटनी)
  • 1/2 छोटा चम्मच भुना जीरा पाउडर
  • 1/4 छोटा चम्मच चाट मसाला
  • 1/4 छोटा चम्मच काला नमक
  • स्वादानुसार नमक
  • स्वादानुसार ताज़ी पिसी हुई काली मिर्च

निर्देश

1. अंकुरित फलियाँ तैयार करें

यदि आप पहले से भिगोई हुई और अंकुरित फलियाँ इस्तेमाल कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वे अच्छी तरह से धुली हुई हों और अच्छी तरह से सूखी हों। आप अपनी पसंद के अनुसार मूंग (हरा चना), चना (छोले) और अन्य फलियों का मिश्रण इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि आपके पास अंकुरित फलियाँ नहीं हैं, तो आप उन्हें घर पर आसानी से अंकुरित कर सकते हैं, इसके लिए आपको उन्हें रात भर पानी में भिगोना होगा और अगले 1-2 दिनों तक उन्हें गर्म, नम वातावरण में अंकुरित होने के लिए छोड़ देना होगा।

2. स्वीट कॉर्न को उबालें

अगर आप ताजा मकई का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो दानों को पानी में लगभग 5-7 मिनट तक उबालें, जब तक कि वे नरम न हो जाएँ, लेकिन गूदेदार न हों। अगर आप जमे हुए मकई का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उन्हें पिघलाएँ और उन्हें नरम करने के लिए उबलते पानी में कुछ मिनट तक पकाएँ। उबालने के बाद, मकई से बचा हुआ पानी निकाल दें।

3. सब्ज़ियाँ काटें

प्याज़, टमाटर, खीरा और उबले आलू को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। आप शिमला मिर्च या गाजर जैसी दूसरी सब्ज़ियाँ भी डाल सकते हैं, ताकि चाट में कुरकुरापन और रंग आए। ये सब्ज़ियाँ न सिर्फ़ पोषक तत्व देती हैं, बल्कि चाट की बनावट और स्वाद को भी बढ़ाती हैं।

4. सामग्री मिलाएँ

एक बड़े मिक्सिंग बाउल में अंकुरित अनाज, स्वीट कॉर्न, कटे हुए प्याज़, टमाटर, खीरा और उबले आलू मिलाएँ। अगर आपको तीखा पसंद है, तो बारीक कटी हरी मिर्च डालें

5. मसाले डालें

मिश्रण में भुना जीरा पाउडर, चाट मसाला, काला नमक, स्वादानुसार नमक और ताज़ी पिसी हुई काली मिर्च डालें। ये मसाले चाट को उसका खास गाढ़ा और तीखा स्वाद देने के लिए ज़रूरी हैं। सभी सामग्री को मसालों से अच्छी तरह से कोट करने के लिए अच्छी तरह मिलाएँ।

6. चटनी डालें

मिश्रण के ऊपर इमली की चटनी और हरी चटनी डालें। ये चटनी चाट में मीठा-तीखा और तीखा स्वाद जोड़ती हैं। आप अपनी पसंद के अनुसार चटनी की मात्रा को समायोजित कर सकते हैं।

7. ताजा नींबू का रस निचोड़ें

चाट में एक बड़ा चम्मच ताजा नींबू का रस डालें, जो न केवल तीखापन बढ़ाएगा बल्कि एक ताज़ा खट्टा स्वाद भी देगा।

8. सजावट

चाट को रंग और ताज़गी के लिए ताज़े धनिया के पत्तों और मुट्ठी भर अनार के दानों से सजाएँ। अनार के दाने भी थोड़ी मिठास और कुरकुरापन जोड़ते हैं जो डिश के तीखेपन को पूरा करते हैं।

9. तुरंत परोसें

मिक्स स्प्राउट्स कॉर्न चाट को तुरंत परोसें और इसका सबसे ताज़ा स्वाद लें। इसे नाश्ते, हल्के भोजन या पार्टियों और समारोहों में स्टार्टर के रूप में सबसे अच्छा खाया जाता है।

निष्कर्ष:

मिक्स स्प्राउट्स Corn Chaat इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे पारंपरिक भारतीय स्ट्रीट फूड को स्वाद से समझौता किए बिना सेहतमंद बनाया जा सकता है। बेस के तौर पर स्प्राउट्स और स्वीट कॉर्न का इस्तेमाल करके और ताज़ी सब्ज़ियाँ, तीखी चटनी और सुगंधित मसालों को मिलाकर, यह Corn Chaat न सिर्फ़ स्वाद के लिए एक बेहतरीन व्यंजन बन जाती है, बल्कि एक पौष्टिक नाश्ता भी बन जाती है जो समग्र स्वास्थ्य में योगदान देता है।

हल्के भोजन, ऐपेटाइज़र या शाम के नाश्ते के रूप में यह रेसिपी आपकी भूख और स्वादिष्ट, पोषक तत्वों से भरपूर व्यंजन की आपकी लालसा दोनों को संतुष्ट करेगी। इसे आज ही आज़माएँ और स्वाद से भरपूर एक पौष्टिक, ताज़गी देने वाले व्यंजन का आनंद लें!

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Makar Sankranti 2025: त्यौहार के लिए 5 तरह की गजक रेसिपी

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ की मिठाइयाँ बनाने की परंपरा है। इस साल यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। अब यहां हम आपको घर पर अलग-अलग तरह की गजक बनाने के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप इस त्योहार को और भी खास बना सकते हैं।

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मकर संक्रांति का त्यौहार भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन न केवल पतंगबाजी होती है बल्कि तिल और गुड़ से बनी विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का आनंद लेने की भी परंपरा है। इन मिठाइयों में सबसे मशहूर है गजक, जिसका स्वाद न सिर्फ मुंह में पानी ला देता है बल्कि त्योहार की खुशी में मिठास भी घोल देता है। इस बार मकर संक्रांति पर आप घर पर ही स्वादिष्ट गजक बनाकर अपने परिवार और दोस्तों को खुश कर सकते हैं. आइए आपको 5 तरह की गजक के बारे में बताते हैं जिन्हें आप घर पर बहुत आसानी से बना सकते हैं.

Makar Sankranti 2025: 5 types of Gajak recipes for the festival

Makar Sankranti पर क्यों खास है गजक?

गजक सिर्फ एक मिठाई नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। यह तिल, गुड़ और देसी घी से बनाया जाता है जो सर्दियों में शरीर को गर्माहट देता है। इसके अलावा गजक में कई पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। खासकर सर्दी के मौसम में।


Makar Sankranti 2025: 5 types of Gajak recipes for the festival

तिल और गुड़ की गजक- यह गजक का सबसे आम और पारंपरिक प्रकार है। इसे बनाना बहुत आसान है. बस तिल को भून कर पीस लीजिये, गुड़ को पिघला लीजिये, दोनों को मिला दीजिये और पतली परत में फैला दीजिये. ठंडा होने के बाद आप इसे तोड़कर खा सकते हैं. Makar Sankranti के मौके पर आप इसे घर पर आसानी से बना सकते हैं.

Makar Sankranti 2025: 5 types of Gajak recipes for the festival

मूंगफली गजक- मकर संक्रांति पर आप मूंगफली की गजक भी बना सकते हैं. इसकी खास बात यह है कि इसमें तिल के साथ मूंगफली भी मिलाई जाती है. मूंगफली की गजक थोड़ी कुरकुरी लगती है और बच्चों को बहुत पसंद आती है. आप इसमें अपनी पसंद के अनुसार ड्राई फ्रूट्स भी मिला सकते हैं.

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Makar Sankranti 2025: 5 types of Gajak recipes for the festival

खोये की गजक- खोया गजक का स्वाद बहुत ही स्वादिष्ट और मलाईदार होता है. इसे बनाने के लिए तिल, गुड़ और खोया मिलाकर पकाया जाता है. खोये की गजक को आप गरम या ठंडा खा सकते हैं. Makar Sankranti के मौके पर ये गजक आपको बेहद पसंद आएगी.

Makar Sankranti 2025: 5 types of Gajak recipes for the festival

नारियल गजक- मकर संक्रांति के लिए नारियल गजक का ऑप्शन भी परफेक्ट है. इसमें नारियल का पाउडर मिलाया जाता है. नारियल गजक का स्वाद बहुत ही अलग और अनोखा होता है. यह एक स्वस्थ विकल्प भी है क्योंकि नारियल में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है।

Makar Sankranti 2025: 5 types of Gajak recipes for the festival

ड्राई फ्रूट गजक- ड्राई फ्रूट गजक में आप अपनी पसंद के अनुसार अलग-अलग तरह के ड्राई फ्रूट्स जैसे काजू, बादाम, पिस्ता आदि मिला सकते हैं. इस गजक का स्वाद भी बहुत लाजवाब और लाजवाब होता है. इसे आप Makar Sankranti के दिन घर पर आसानी से बना सकते हैं.

घर पर गजक बनाते समय रखें इन बातों का ख्याल

  • तिल को अच्छे से भून लीजिए ताकि इनका कड़वापन दूर हो जाए.
  • गुड़ को धीमी आंच पर पिघलाइये ताकि वह जले नहीं.
  • गजक को पतली चादर की तरह फैलाएं ताकि वह जल्दी सूख जाए.
  • गजक को सूखने के लिए साफ और सूखी जगह पर रखें.

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Makar Sankranti 2025: खिचड़ी से लेकर उंधियू तक, उत्सव की दावत के लिए यह पारंपरिक व्यंजन अवश्य आज़माएँ

Makar Sankranti 2025: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है। साथ ही मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है। सूर्य 6 माह दक्षिणायन और 6 माह उत्तरायण में रहता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस त्यौहार को लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

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मकर संक्रांति को लोग अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से बुलाते हैं। कुछ लोग इसे खिचड़ी कहते हैं तो कहीं इसे उत्तरायण और पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जानिए मकर संक्रांति पर उत्सव के लिए क्या बनाया और खाया जाता है?

Makar Sankranti 2025: पारंपरिक व्यंजन जिन्हें अवश्य आज़माना चाहिए

Makar Sankranti 2025: From Khichdi to Undhiyu, these must-try traditional dishes for the festive feast

खिचड़ी: Makar Sankranti के दिन उड़द की दाल और चावल का महत्व होता है। इस दिन लोग दाल-चावल मिलाकर खिचड़ी बनाते हैं और घी के साथ खाते हैं। संक्रांति पर खिचड़ी का दान भी किया जाता है।

तिल और गुड़ के लड्डू: संक्रांति के दिन घरों में तिल और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं। कुछ जगहों पर तिलकुट खाने का भी महत्व है। संक्रांति के दिन आप तिल और गुड़ का दान भी कर सकते हैं।

रेवड़ी, गजक और चिक्की : संक्रांति के दिन रेवड़ी और गजक का भी महत्व होता है। इस दिन तिल से बनी चीजें जरूर खानी चाहिए। इससे पुण्य मिलता है। आप मूंगफली की चिक्की भी खा सकते हैं।

दही चूड़ा: मकर संक्रांति के दिन खासकर बिहार और झारखंड में दही चूड़ा खाने की परंपरा है। दही चूड़ा को गुड़ के साथ खाया जाता है। यह शरीर को कई फायदे पहुंचाता है और खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होता है।

Makar Sankranti 2025: From Khichdi to Undhiyu, these must-try traditional dishes for the festive feast

लाई के लड्डू: संक्रांति पर कई जगहों पर लाई या मुरमुरे के लड्डू भी बनाए जाते हैं। इन लड्डुओं को बनाना बहुत आसान है। आप इनमें गुड़ मिलाकर घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इन लड्डुओं को आप दान में भी खरीद सकते हैं।

मूंग के मंगोड़े: मकर संक्रांति के दिन मध्य प्रदेश में लोग मूंग दाल के मंगोड़े बनाकर खाते हैं। सर्दियों में गर्मागर्म मूंग दाल के मंगोड़े को हरी चटनी के साथ खाने का मजा आएगा। आप इसे आज़मा सकते हैं।

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बाजरे के पुआ: Makar Sankranti पर बाजरे के आटे से बने पुआ या टिक्की भी खाई जाती है। सर्दियों में दस्ताने शरीर को गर्म रखते हैं। आप इन्हें तिल डालकर तैयार कर सकते हैं। अगर कुछ मीठा खाने का मन हो तो बाजरे के पुआ सबसे अच्छे हैं।

Makar Sankranti 2025: From Khichdi to Undhiyu, these must-try traditional dishes for the festive feast

सक्कराई पोंगल: मीठा पोंगल रेसिपी तमिलनाडु में बनाई जाती है। यह चावल और गुड़ से बनी खीर है। इसे चने और सूखे मेवे डालकर बनाया जाता है। पोंगल में इस व्यंजन का सबसे अधिक महत्व है।

उंधियू: गुजरात में उत्तरायण के दिन उंधियू बनाई जाती है। यह एक सब्जी जैसी डिश है। इसे सर्दियों की सब्जियां डालकर बनाया जाता है। इसे मेथी के पकौड़े और मसालों के साथ बनाया जाता है।

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Makar Sankranti 2025: पौष संक्रांति के दौरान बनाए जाते हैं 4 प्रकार के पीठे

Makar Sankranti एक हिंदू फसल त्योहार है जो पूरे भारत में मनाया जाता है। इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, हालांकि त्योहारों का आधार सूर्य देव (Surya Dev) की पूजा है। इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं क्योंकि सूर्य उत्तर की ओर संक्रमण करता है। यह धनु (धनु) के घर से मकर (मकर) के घर तक सूर्य की गति को भी दर्शाता है।

Makar Sankranti 2025: 4 types of Pithas

Makar Sankranti को पश्चिम बंगाल में पौष पारबोन या पौष बोरोन के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार भोजन, संगीत, नृत्य और लोकगीत के साथ मनाया जाता है। पौष संक्रांति उत्सव के केंद्रीय भागों में से एक पीठ हैं।

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पीठा पारंपरिक बंगाली मिठाइयाँ हैं जो चावल के आटे, नारियल, दूध और नए कटे हुए खजूर के गुड़ (नोलेन गुड़) से बनाई जाती हैं।

नोलेन गुड़, जिसे खेजूर गुड़ के नाम से भी जाना जाता है, खजूर के पेड़ से प्राप्त खजूर के रस से बनाया जाता है। फिर इसे अलग-अलग स्थिरता प्राप्त करने के लिए आग पर घंटों तक उबाला जाता है। नोलेन गुड़ एक शीतकालीन व्यंजन है क्योंकि पेड़ से रस तभी उत्पन्न होता है जब सर्दियों के दौरान तापमान गिरना शुरू हो जाता है।

Makar Sankranti 2025: 4 प्रकार के पीठे

दूध पुली

Makar Sankranti 2025: 4 types of Pithas

यह एक लोकप्रिय मिठाई है जो Makar Sankranti के दौरान बनाई जाती है। दूध पुली की पकौड़ी की बाहरी परत मीठे चावल के आटे के आटे का उपयोग करके बनाई जाती है। वहीं, इसकी फिलिंग कसा हुआ नारियल और गुड़ से बनाई जाती है. फिर इन पकौड़ों को गाढ़े दूध और खेजूर गुड़ में उबाला जाता है।

चितोई पिथे

Makar Sankranti 2025: 4 types of Pithas

यह एक और लोकप्रिय पीठा है जो पौष पर्व के दौरान बनाया जाता है। इन्हें बंगाली स्टीम्ड पैनकेक भी कहा जाता है जो चावल के आटे से बने होते हैं और अंडे रहित होते हैं। आपको चावल का आटा, साबुत गेहूं का आटा, नमक और पानी का उपयोग करके एक घोल बनाना होगा। फिर, अपने पैनकेक को एक फ्लैट पैन में भाप दें। आप इसे कसा हुआ नारियल और नोलेन गुड़ के साथ परोस सकते हैं.

भापा पीठे

Makar Sankranti 2025: 4 types of Pithas

यह एक पीठा है जो चावल के आटे, नारियल, नोलेन गुड़ और खोया से बनाया जाता है। इसे आमतौर पर पकाया या भाप में पकाया जाता है और चावल के आटे, गर्म पानी, कसा हुआ नारियल, कुचले हुए गुड़ और नमक का उपयोग करके बनाया जाता है।

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नोलेन गुर पतिसप्ता

Makar Sankranti 2025: 4 types of Pithas

यह एक मीठा व्यंजन है जो आमतौर पर Makar Sankranti के दौरान बनाया जाता है। पकवान में नोलेन गुड़ के उपयोग के कारण सर्दियों के दौरान पातिशप्ता का व्यापक रूप से आनंद लिया जाता है। हालाँकि खीर की फिलिंग लोकप्रिय है, आप इसे नारियल की फिलिंग का उपयोग करके भी बना सकते हैं।

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Train Accident के घायलों से मिलने पहुंचे पूर्व सांसद Subrata Pathak

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पूर्व सांसद Subrata Pathak ने Train Accident में घायल लोगों से मुलाकात की और उनके इलाज और सहायता का आश्वासन दिया। इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखा पलटवार किया।

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Subrata Pathak का बयान:

Ex MP Subrat Pathak met the injured in the train accident
  • सुब्रत पाठक ने कहा कि अखिलेश यादव को राजनीति करने के बजाय घायलों से मिलना चाहिए था।
  • उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव दंगाइयों और आतंकियों के घर तो जा सकते हैं, लेकिन गरीब मजदूरों की सुध लेने नहीं आते।

SP पर निशाना:

  • हादसे के संदर्भ में सुब्रत पाठक ने सपा सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
  • उन्होंने कहा कि सपा का दूसरा नाम “ठेकेदारों की पार्टी” है, क्योंकि उनके शासन में ज्यादातर ठेकेदार भ्रष्टाचार करते थे।
  • पाठक ने कहा कि सपा के शासन में ठेकेदारों द्वारा घटिया निर्माण कार्य किए गए, जो ऐसी दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

Train Accident पर कार्रवाई का आश्वासन:

Ex MP Subrat Pathak met the injured in the train accident
  • सुब्रत पाठक ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया और कहा कि इस मामले में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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यह बयान राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के साथ-साथ दुर्घटना के पीड़ितों के प्रति संवेदना और न्याय के आश्वासन का मिश्रण प्रस्तुत करता है।

Poco F7 Pro, Poco F7 अल्ट्रा कथित तौर पर इंडोनेशिया टेलीकॉम साइट पर लिस्टेड; जल्द हो सकता है लॉन्च

Poco F7 Pro, Poco F7 अल्ट्रा जल्द ही लॉन्च हो सकते हैं, क्योंकि हैंडसेट कथित तौर पर एक नियामक की वेबसाइट पर दिखाई दिए हैं। हालाँकि Xiaomi सब-ब्रांड ने अभी तक एक विशिष्ट लॉन्च टाइमलाइन की घोषणा नहीं की है, लेकिन उन्हें इंडोनेशिया टेलीकॉम सर्टिफिकेशन साइट पर उनके मॉडल नंबरों का खुलासा करते हुए लिस्ट किया गया है। पोको F7 प्रो को एक रीब्रांडेड Redmi K80 के रूप में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। यह स्नैपड्रैगन 8 जेन 3 चिपसेट पर चलने की संभावना है, जबकि पोको F7 अल्ट्रा को स्नैपड्रैगन 8 एलीट SoC के साथ एक रीब्रांडेड Redmi K80 प्रो कहा जाता है।

Poco F7 Pro, Poco F7 Ultra Reportedly Listed on Indonesian Startup Site, May Launch Soon

MySmartPrice की रिपोर्ट है कि पोको F7 प्रो और पोको F7 अल्ट्रा अब इंडोनेशिया टेलीकॉम सर्टिफिकेशन वेबसाइट पर सूचीबद्ध हैं, जिसमें क्रमशः मॉडल नंबर 24117RK2CG और 24122RKC7G हैं। प्रकाशन द्वारा साझा की गई लिस्टिंग के स्क्रीनशॉट से उनके कथित उपनामों का भी पता चलता है। मॉडल नंबर में ‘G’ प्रत्यय डिवाइस के वैश्विक संस्करण को संदर्भित कर सकता है।

Samsung Galaxy S25, Samsung Galaxy S25 अल्ट्रा डिज़ाइन और स्पेसिफिकेशन लॉन्च से पहले लीक

Poco F7 Pro, Poco F7 Ultra के स्पेसिफिकेशन (अपेक्षित)

Poco F7 Pro, Poco F7 Ultra Reportedly Listed on Indonesian Startup Site, May Launch Soon

कथित Poco F7 Pro और Poco F7 Ultra के स्पेसिफिकेशन अभी तक ज्ञात नहीं हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि यह Redmi K80 का रीब्रांडेड वर्शन होगा। इसलिए, इसमें 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ 6.67-इंच OLED 2K डिस्प्ले, स्नैपड्रैगन 8 जेन 3 SoC और 50-मेगापिक्सल के मुख्य सेंसर के साथ डुअल रियर कैमरा यूनिट होने की उम्मीद है।

Poco F7 Pro को 16GB तक रैम और 1TB तक स्टोरेज के साथ पेश किए जाने की संभावना है। इसमें 90W वायर्ड चार्जिंग के लिए सपोर्ट के साथ 6,550mAh की बैटरी हो सकती है।

Poco F7 Pro, Poco F7 Ultra Reportedly Listed on Indonesian Startup Site, May Launch Soon

दूसरी ओर, Poco F7 Ultra को Redmi K80 Pro का रीब्रांडेड वर्शन कहा जा रहा है। अगर यह सच साबित होता है, तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि फोन में स्नैपड्रैगन 8 एलीट चिपसेट, 6.67 इंच का OLED 2K डिस्प्ले, 50 मेगापिक्सल का ट्रिपल रियर कैमरा यूनिट, 20 मेगापिक्सल का सेल्फी शूटर और 120W वायर्ड और 50W वायरलेस चार्जिंग के लिए सपोर्ट वाली 6,000mAh की बैटरी होगी।

Redmi K80 सीरीज़ पिछले साल नवंबर से चीनी बाज़ार में CNY 2,499 (लगभग 29,000 रुपये) की शुरुआती कीमत पर उपलब्ध है।

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