होम जीवन शैली Life से परे जीवन: आत्मा की प्रकृति के बारे में अंतर्दृष्टि

Life से परे जीवन: आत्मा की प्रकृति के बारे में अंतर्दृष्टि

जिस तरह बारिश आती है और गर्म धरती पानी से तर हो जाती है, उसी तरह जो भी इस दुनिया में आता है, जन्म लेता है, एक दिन अपने नश्वर शरीर को छोड़कर अपनी अमर आत्मा को हमेशा के लिए अलविदा कह देता है।

इस संसार में आत्मा को छोड़कर सब कुछ नश्वर है, इसलिए इसके अच्छे रख-रखाव के लिए Life में हर चीज पर निरंतर ध्यान देना जरूरी है। अगर हम किसी चीज से आसक्त हैं, चाहे वह धन-संपत्ति हो, भौतिक चीजें हों, स्वास्थ्य हो या फिर भावनात्मक रिश्तों की भावना ही क्यों न हो, तो हमें उसे छोड़ देना चाहिए क्योंकि समय से पहले उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है।

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Life के परिवर्तन

Life Beyond the Body

आत्मा अमर है, शरीर नश्वर है, सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय आदि सब कर्म की माया है। मनुष्य न मरता है, न जन्म लेता है, आत्मा अमर है, सिर्फ शरीर का नाश होता है, हवा, आग और पानी सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं, आत्मा को नहीं, हमें यह जान लेना चाहिए कि एक दिन हमें इस दुनिया को अलविदा कहना है।

जिस तरह बारिश आती है और गर्म धरती पानी से तर हो जाती है, उसी तरह जो भी इस दुनिया में आता है, जन्म लेता है, एक दिन अपने नश्वर शरीर को छोड़कर अपनी अमर आत्मा को हमेशा के लिए अलविदा कह देता है।

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वही मुस्कुरा सकता है जिसने सत्य को जान लिया है और स्वीकार कर लिया है, जिसके हृदय में क्षमा का दीप जलता है, जहां समता का सागर बहता है, जो जानता है कि आत्मा शरीर से भिन्न है, जो जानता है कि संसार नश्वर और शाश्वत है तथा दुख का सागर है, जो समझता है कि जीवन क्षणभंगुर है, सब मिलन और वियोग का सिलसिला है, केवल आत्मा ही शाश्वत है।

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इसलिए हमें भौतिकवाद से दूर रहकर अध्यात्म की ओर बढ़ना चाहिए तथा त्याग, तपस्या, ध्यान आदि के माध्यम से धर्म का टिफिन तैयार रखना चाहिए, ताकि जब भी हमारा जीवन बंध जाए, तो इस दुर्लभतम Human Life को सार्थक बनाकर अपने परम लक्ष्य की ओर बढ़ सकें।

प्रदीप छाजेड़

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