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Maa Kushmanda का इतिहास और उत्पत्ति

देवी कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली होती हैं। यही कारण है कि इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है

Maa Kushmanda एक हिंदू देवी हैं, जिन्हें अपनी दिव्य मुस्कान से दुनिया बनाने का श्रेय दिया जाता है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन जुनून, क्रोध और शुभता का प्रतीक है। उनका नाम उनकी मुख्य भूमिका को संकेत देता है कू का अर्थ है “थोड़ा”, उष्मा का अर्थ है “गर्मी” या “ऊर्जा” और अंदा का अर्थ है “ब्रह्मांडीय अंडा”।

Maa Kushmanda का इतिहास और उत्पत्ति

मां कूष्मांडा की कहानी ऐसे समय में शुरू होती है,जब कुछ भी नहीं था। सारा ब्रह्मांड खाली था, जीवन का कोई निशान नहीं था और हर जगह अंधेरा छा गया था। अचानक,दिव्य प्रकाश की एक किरण प्रकट हुई जिसने धीरे-धीरे सब कुछ रोशन कर दिया।

Maa Kushmanda: History and Origin
Maa Kushmanda का इतिहास और उत्पत्ति

प्रारंभ में यह दिव्य प्रकाश निराकार था और इसका कोई विशेष आकार नहीं था। हालांकि, जल्द ही इसने एक स्पष्ट आकार लेना शुरू कर दिया और आखिरकार इसने एक महिला का रूप ले लिया। यह दिव्य महिला, ब्रह्मांड की पहली प्राणी, मां कुष्मांडा थीं।

ऐसा माना जाता है कि मां कुष्मांडा अपनी मूक मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना करने में सक्षम थीं। उन्होंने इस “छोटे ब्रह्मांडीय अंडे” का उत्पादन किया और उनकी मुस्कान ने अंधेरे पर कब्जा कर लिया। माँ कुष्मांडा ने इसे प्रकाश से बदल दिया और इस ब्रह्मांड को नया जीवन दिया।

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जल्द ही, उन्होंने सूर्य, ग्रहों, सितारों और आकाशगंगाओं का निर्माण किया जो हमारे रात के आकाश को भर देती हैं। वह खुद सूर्य के केंद्र में बैठी थी और अब इसे हमारे ब्रह्मांड में सभी ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। वह सूर्य की किरणों के माध्यम से सभी जीवित प्राणियों को जीवन प्रदान करती है और इसलिए इसे शक्ति के रूप में भी जाना जाता है।

माँ कूष्मांडा ने अपने भीतर तीनों देवी-देवताओं को समाहित कर लिया और फिर शक्ति में दिव्य, शक्तिशाली और अंतहीन ऊर्जा के रूप में प्रवेश किया।

Maa Kushmanda: History and Origin
Maa Kushmanda का स्वरूप

Maa Kushmanda का स्वरूप 

देवी कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली होती हैं। यही कारण है कि इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है

उनकी सवारी शेरनी हैं

उनके चारों दाहिने हाथों में कमंडल, धनुष, बाड़ा और कमल होता है

जबकि, चारों बाएं हाथ में जपने वाली माला, गदा, अमृत कलश और चक्र होता है

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