होम मंत्र-जाप Mathura श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर: इतिहास, धार्मिक महत्त्व और वास्तुकला

Mathura श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर: इतिहास, धार्मिक महत्त्व और वास्तुकला

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर का भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है।

Mathura का श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है और भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में इसका विशेष स्थान है। इस मंदिर के इतिहास, धार्मिक महत्व, वास्तुकला, और यहां होने वाले प्रमुख उत्सवों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत है।

मथुरा का ऐतिहासिक महत्व

Mathura Shri Krishna Birthplace Temple

Mathura को भारतीय पौराणिक कथाओं में विशेष स्थान प्राप्त है। यह वही स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। मथुरा का उल्लेख महाकाव्यों, जैसे महाभारत और रामायण, में भी मिलता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, Mathura के राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को बंदी बना लिया था और उनके सभी संतानों को मारने का आदेश दिया था क्योंकि उसे भविष्यवाणी हुई थी कि उसकी मृत्यु देवकी की आठवीं संतान के हाथों होगी। इस भविष्यवाणी को सत्य करते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने Mathura में जन्म लिया और बाद में कंस का वध किया।

मंदिर का इतिहास

Mathura में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान मंदिर अनेक बार ध्वस्त हुआ और पुनः निर्माण किया गया। माना जाता है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। इसके बाद, विभिन्न शासकों द्वारा इस मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण किया गया। मुगल शासक औरंगजेब के काल में यह मंदिर ध्वस्त कर दिया गया था और उसकी जगह एक मस्जिद का निर्माण हुआ था। आज भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर के निकट स्थित मस्जिद, कटरा केशव देव, इस विवाद का केंद्र बनी रहती है।

वर्तमान मंदिर परिसर का निर्माण

Mathura जन्मस्थान का वर्तमान मंदिर परिसर 20वीं शताब्दी के मध्य में बनाया गया। इस परिसर में कई मंदिर हैं, जिनमें से प्रमुख है गर्भगृह, जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए प्रसिद्ध उद्योगपति सेठ जुगल किशोर बिड़ला और उनकी पत्नी ने सहयोग किया। मंदिर का पूरा परिसर बहुत सुंदरता और शांति से भरा हुआ है और इसे देखने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं।

मंदिर की वास्तुकला

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर की वास्तुकला आधुनिक और पारंपरिक शैलियों का मेल है। गर्भगृह, जहां भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित है, मंदिर का मुख्य आकर्षण है। यहाँ पर कृष्ण जन्म के समय की झांकी भी सजाई गई है, जो भक्तों को उस समय की याद दिलाती है। मंदिर में सुंदर नक्काशी, भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं के चित्रण और भगवद्गीता के उपदेशों को दर्शाया गया है।

धार्मिक महत्त्व

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर का धार्मिक महत्त्व अद्वितीय है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। यहाँ पर आने वाले भक्त भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी लीलाओं से जुड़ी कहानियों का अनुभव करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है, और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी गहरा अर्थ दिया गया है। भक्तगण यहाँ आकर अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने और भगवान के आशीर्वाद का अनुभव करते हैं।

जन्माष्टमी उत्सव

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर यहाँ पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है। मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है, और रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का विशेष अनुष्ठान किया जाता है। इस समय पर भक्तगण भजन, कीर्तन और नृत्य करते हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर में झांकियों का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप को दर्शाया जाता है। मथुरा की जन्माष्टमी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, और इसे देखने के लिए देश-विदेश से भक्तगण यहाँ आते हैं।

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सुरक्षा और प्रबंधन

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के परिसर की सुरक्षा का प्रबंधन मथुरा प्रशासन और श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है। चूंकि मंदिर के निकट कटरा केशव देव मस्जिद स्थित है, इसलिए यहाँ पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए जाते हैं। इस परिसर में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं को सुरक्षा जांच से गुजरना होता है, और कैमरों की मदद से पूरे परिसर की निगरानी की जाती है। मंदिर परिसर में साफ-सफाई और भक्तों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है।

आसपास के पर्यटन स्थल

Mathura के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के आसपास भी कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। इनमें वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, गोवर्धन पर्वत, गोकुल और राधाकुंड प्रमुख हैं। वृंदावन में स्थित इस्कॉन मंदिर भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। यहाँ पर श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ी कई कहानियाँ और स्थल हैं, जो भक्तों को अध्यात्म की ओर प्रेरित करते हैं।

मंदिर आने का समय और प्रवेश शुल्क

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर हर दिन सुबह से शाम तक भक्तों के लिए खुला रहता है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता, और यह सभी के लिए नि:शुल्क है। मंदिर का समय गर्मियों में प्रातः 5 बजे से रात 9 बजे तक होता है, जबकि सर्दियों में मंदिर प्रातः 5:30 बजे से रात 8:30 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में आने के लिए भक्तगण का विशेष दिन शनिवार और जन्माष्टमी के अवसर पर होता है, जब यहाँ पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती है।

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मंदिर तक कैसे पहुंचे

Mathura दिल्ली से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग उपलब्ध हैं। मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जहां देश के प्रमुख शहरों से ट्रेनें आती हैं। इसके अलावा, आगरा का खेरिया हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जो मथुरा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से टैक्सी या बस के माध्यम से मथुरा तक पहुंचा जा सकता है।

Mathura श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर का भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है।

Mathura का श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है। उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में स्थित यह मंदिर भारतीय धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। कई बार ध्वस्त होने के बाद, यह मंदिर 20वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित किया गया। इसके आकर्षक वास्तुकला, भव्य गर्भगृह, और जन्माष्टमी उत्सव के दौरान यहां उमड़ती भक्तों की भीड़ इसे विशेष बनाती है।

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