नई दिल्ली: MBBS मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के नक्शेकदम पर चलते हुए छत्तीसगढ़ अब हिंदी में MBBS कोर्स शुरू करने की योजना बना रहा है। इस फैसले की घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की।
‘हिंदी दिवस’ के अवसर पर अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए साय ने कहा कि उनकी सरकार हिंदी में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के पीएम मोदी के दृष्टिकोण को लागू करने में प्रसन्न है, जिसे उन्होंने 2022 में उत्तर प्रदेश में एक रैली के दौरान व्यक्त किया था।
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छत्तीसगढ़ में MBBS कोर्स चालू शैक्षणिक सत्र से हिंदी में शुरू किया जाएगा।
“इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को लाभ होगा क्योंकि वे ज्यादातर हिंदी माध्यम के स्कूलों से आते हैं और अंग्रेजी भाषा के उपयोग के कारण प्रतिभाशाली होने के बावजूद मेडिकल कोर्स में कठिनाई का सामना करते हैं।
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हिंदी में अध्ययन करने से उनका बुनियादी ज्ञान मजबूत होगा, उन्हें विषय की गहरी समझ विकसित करने और उन्हें अच्छे डॉक्टर बनाने में मदद मिलेगी,” साय ने जोर दिया।
मध्य प्रदेश MBBS कोर्स के लिए हिंदी में पाठ्यपुस्तकें शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। 16 अक्टूबर 2022 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने MBBS छात्रों के लिए हिंदी में पाठ्यपुस्तकों का शुभारंभ किया। यह राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है जिसके तहत हिंदी में चिकित्सा शिक्षा प्रदान की जाएगी।
मध्य प्रदेश के बाद, उत्तराखंड इस तरह की पहल करने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है। उत्तराखंड ने पहले ही राज्य के मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी।
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बिहार सरकार ने भी बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (MBBS) पाठ्यक्रम को हिंदी में शुरू करने का फैसला किया था। बिहार में नया हिंदी पाठ्यक्रम NEET UG 2024 परीक्षा पास करने वाले छात्रों के लिए AIIMS दिल्ली के पाठ्यक्रम का अनुसरण करेगा।
MBBS कोर्स हिन्दी भाषा मे छत्तीसगढ़ में शुरू होगा
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने वाले मेडिकल छात्रों के लिए हिंदी पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना की घोषणा की है। इस पहल का उद्देश्य चिकित्सा पेशेवरों के संचार कौशल को बढ़ाना और हिंदी भाषी क्षेत्रों में रोगियों के साथ बेहतर बातचीत की सुविधा प्रदान करना है।
मुख्य बिंदु:
हिंदी पाठ्यक्रम एकीकरण: हिंदी पाठ्यक्रम को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में एकीकृत किया जाएगा।
भाषा प्रवीणता: पाठ्यक्रम का उद्देश्य मेडिकल छात्रों की हिंदी भाषा में दक्षता में सुधार करना है, ताकि वे रोगियों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद कर सकें।
सांस्कृतिक समझ: पाठ्यक्रम में भाषा और उसके संदर्भ की बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए हिंदी संस्कृति और साहित्य के तत्व भी शामिल हो सकते हैं।
रोगियों के लिए लाभ: एमबीबीएस में हिंदी पाठ्यक्रम शुरू करने से हिंदी भाषी क्षेत्रों के रोगियों को लाभ होगा, क्योंकि वे अपने डॉक्टरों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से संवाद कर पाएंगे।
पाठ्यक्रम संरचना: हिंदी पाठ्यक्रम को संभवतः अनिवार्य या वैकल्पिक विषय के रूप में मौजूदा एमबीबीएस पाठ्यक्रम में एकीकृत किया जाएगा।
पाठ्यक्रम सामग्री: पाठ्यक्रम सामग्री में हिंदी व्याकरण, शब्दावली, चिकित्सा शब्दावली और संचार कौशल शामिल हो सकते हैं।
शिक्षण पद्धति: हिंदी पाठ्यक्रम योग्य हिंदी भाषा शिक्षकों या हिंदी में प्रवीणता वाले चिकित्सा संकाय सदस्यों द्वारा पढ़ाया जा सकता है।
मूल्यांकन: पाठ्यक्रम में नियमित मूल्यांकन, जैसे कि प्रश्नोत्तरी, असाइनमेंट और अंतिम परीक्षा शामिल हो सकती है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एमबीबीएस छात्रों के लिए हिंदी पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय राज्य में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और संचार में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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