Nagara मंदिर शैली उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है, जिसका विकास गुप्त काल (4वीं-6वीं शताब्दी) में हुआ था। इस शैली की विशेषता इसके ऊँचे, गुंबदनुमा शिखर (रेखा-प्रसाद), जटिल नक्काशी और भव्य प्रवेशद्वार हैं। Nagara शैली के मंदिरों में गर्भगृह, मंडप और अंतराल प्रमुख संरचनात्मक तत्व होते हैं। खजुराहो, कोणार्क सूर्य मंदिर, काशी विश्वनाथ और लिंगराज मंदिर इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यह शैली हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है और आध्यात्मिक शांति एवं मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है।
सामग्री की तालिका
नागरा मंदिर शैली: भारतीय मंदिर वास्तुकला की भव्य धरोहर
भारत के मंदिर वास्तुकला को मुख्य रूप से तीन प्रमुख शैलियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- Nagara शैली (उत्तर भारतीय शैली)
- द्रविड़ शैली (दक्षिण भारतीय शैली)
- वेसर शैली (मिश्रित शैली, जो द्रविड़ और नागरा दोनों का मिश्रण है)
इनमें से Nagara शैली उत्तर भारत की प्रमुख मंदिर निर्माण शैली है, जिसे उसकी अनूठी वास्तुकला, शिखर की बनावट और जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है। इस लेख में हम नागरा मंदिर शैली के इतिहास, इसकी संरचनात्मक विशेषताओं, धार्मिक महत्व, प्रमुख उदाहरणों और रोचक तथ्यों पर गहराई से चर्चा करेंगे।
1. नागरा मंदिर शैली का इतिहास
1.1 नागरा शैली की उत्पत्ति और विकास
- Nagara शैली का विकास गुप्त काल (4वीं-6वीं शताब्दी ईस्वी) में हुआ था।
- यह शैली विशेष रूप से उत्तर भारत के राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और बिहार में प्रचलित थी।
- गुप्तकालीन मंदिर जैसे दशावतार मंदिर (देवगढ़) और भूमरा शिव मंदिर इस शैली के प्रारंभिक उदाहरण हैं।
- चंदेल, परमार, प्रतिहार और सोलंकी राजवंशों ने इस शैली को और अधिक विकसित किया।
- 10वीं से 12वीं शताब्दी में इस शैली के मंदिरों का व्यापक निर्माण हुआ।
2. नागरा शैली की वास्तुकल
2.1 प्रमुख विशेषताएँ
- शिखर (मुख्य गुंबदनुमा संरचना)
- Nagara शैली के मंदिरों में गुंबदनुमा शिखर होता है, जिसे आमतौर पर कुर्मीयक शिखर कहा जाता है।
- यह शिखर सीधी रेखा में ऊपर उठता है और शीर्ष पर अमलसार और कलश से अलंकृत होता है।
- गर्भगृह (संवस्था)
- गर्भगृह मंदिर का सबसे पवित्र स्थान होता है, जहाँ मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित होती है।
- यह आमतौर पर एक छोटे, संकरे कक्ष के रूप में बनाया जाता है।
- अंतराल और मंडप
- गर्भगृह के सामने अंतराल (एक छोटा गलियारा) और फिर मंडप (सभा कक्ष) होता है।
- मंडप में स्तंभों पर जटिल नक्काशी होती है।
- मुख्य द्वार और प्रवेश मंडप
- Nagara शैली के मंदिरों के प्रवेशद्वारों पर विस्तृत नक्काशी होती है।
- इनमें विभिन्न देवी-देवताओं, मिथकीय जीवों और पौराणिक कहानियों के चित्रण होते हैं।
- अवंतरा शिखर (छोटे शिखर)
- कुछ बड़े नागरा मंदिरों में मुख्य शिखर के चारों ओर छोटे शिखर भी होते हैं, जो इसे एक विशाल रूप देते हैं।
- अर्धमंडप और परिक्रमा पथ
- कुछ मंदिरों में गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा मार्ग भी होता है।
- यहाँ भक्त भगवान की प्रदक्षिणा करते हैं।
3. नागरा शैली के प्रकार
नागरा शैली को तीन प्रमुख भागों में बाँटा गया है:
3.1 रेखा-प्रसाद (Latina या Curvilinear Shikhara)
- यह Nagara शैली का सबसे सामान्य प्रकार है।
- इस प्रकार के मंदिरों का शिखर सीधा और लम्बवत होता है, जो शीर्ष पर एक बिंदु पर मिलता है।
- उदाहरण: ओडिशा के लिंगराज मंदिर और उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर।
3.2 फंसाना-प्रसाद (Phamsana या Pyramidal Shikhara)
- इस प्रकार के मंदिरों में शिखर सीढ़ीदार होता है।
- ये मुख्य रूप से छोटे मंदिरों या मंडपों में देखे जाते हैं।
- उदाहरण: ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर का जगमोहन भाग।
3.3 वलभी-प्रसाद (Valabhi या Barrel-Vaulted Roof)
- इन मंदिरों की छतें नाव के उल्टे आकार की होती हैं।
- ये शैली मुख्य रूप से गुप्तकालीन मंदिरों में पाई जाती है।
- उदाहरण: गुजरात के सोमनाथ मंदिर का प्राचीन रूप।
4. नागरा शैली के प्रमुख उदाहरण
4.1 काशी विश्वनाथ मंदिर (उत्तर प्रदेश)
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- इसका शिखर नागरा शैली में बना हुआ है और स्वर्ण कलश से अलंकृत है।
4.2 खजुराहो मंदिर समूह (मध्य प्रदेश)
- खजुराहो के प्रसिद्ध कंदरिया महादेव मंदिर और लक्ष्मण मंदिर नागरा शैली के बेहतरीन उदाहरण हैं।
- इन मंदिरों की दीवारों पर अत्यंत सुंदर नक्काशी है।
4.3 कोणार्क सूर्य मंदिर (ओडिशा)
- यह नागरा शैली का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे 13वीं शताब्दी में बनाया गया था।
- इसका मुख्य शिखर अब नष्ट हो चुका है, लेकिन संरचना अब भी भव्यता दर्शाती है।
4.4 लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर, ओडिशा)
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- यह Nagara शैली में निर्मित सबसे भव्य मंदिरों में से एक है।
- इसमें ऊँचा रेखा-प्रसाद शिखर और विस्तृत मंडप हैं।
4.5 महाबोधि मंदिर (बोधगया, बिहार)
- यह एक बौद्ध मंदिर है, लेकिन इसकी संरचना नागरा शैली के अनुरूप है।
5. नागरा मंदिर शैली का धार्मिक महत्व
Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम
- यह शैली हिंदू धर्म के शैव, वैष्णव और शक्ति संप्रदायों में अत्यंत लोकप्रिय है।
- इसका वास्तुशास्त्र वेदों और शास्त्रों के अनुसार देवत्व का प्रतीक माना जाता है।
- Nagara शैली के मंदिरों में पूजा करना विशेष रूप से मोक्ष प्राप्ति और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
6. नागरा शैली से जुड़े रोचक तथ्य
- इस शैली के मंदिरों में गोपुरम (दक्षिण भारतीय शैली की ऊँची द्वार संरचना) नहीं होती।
- मंदिर के शिखर की ऊँचाई, मंदिर के गर्भगृह के अनुपात में होती है।
- खजुराहो मंदिरों की नक्काशी, विश्व धरोहर सूची में शामिल है।
- गुप्तकाल को नागरा शैली का स्वर्ण युग माना जाता है।
- सोमनाथ मंदिर को बार-बार नष्ट किया गया, लेकिन इसे हर बार नागरा शैली में ही पुनर्निर्मित किया गया।
7. निष्कर्ष: नागरा मंदिर शैली की अनूठी विरासत
Nagara मंदिर शैली भारतीय मंदिर वास्तुकला की पहचान है। इसकी भव्यता, उत्कृष्ट शिल्पकला और धार्मिक महत्व इसे हिंदू संस्कृति का अभिन्न अंग बनाते हैं। यदि आप भारतीय मंदिरों और उनकी वास्तुकला में रुचि रखते हैं, तो नागरा शैली के मंदिरों का दर्शन अवश्य करें। ये मंदिर भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता की अनुपम धरोहर हैं।
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