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Pradosh Vrat पर इस विधि से करें शिवलिंग का अभिषेक

Pradosh Vrat का अभिषेक एक महान भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का कार्य है। यह पवित्र अनुष्ठान भगवान शिव को प्रसन्न करने और भक्तों को सुख, समृद्धि और मुक्ति प्राप्त करने में सहायक है।

Pradosh Vrat जो भगवान शिव को समर्पित होता है, प्रत्येक माह में त्रयोदशी तिथि (चन्द्र माह की 13वीं तिथि) को शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में मनाया जाता है। यह दिन भक्तों के इच्छाओं को पूरा करने, विघ्नों को दूर करने और भौतिक व आध्यात्मिक समृद्धि पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस दिन का मुख्य अनुष्ठानShivling अभिषेक होता है, जिसे विशेष विधि और समर्पण के साथ किया जाता है। अब हम जानेंगे Pradosh Vrat अभिषेक करने की विधि और इसका आध्यात्मिक महत्व।

Pradosh Vrat अभिषेक के लिए तैयारी

On Pradosh Vrat, do the Abhishekam of Shivling with this method

Shivling का चयन:

अभिषेक पारंपरिक रूप से पत्थर या संगमरमर के Shivling पर किया जाता है।

यदि मंदिर में न जा सकें, तो घर पर छोटे Shivling का भी प्रयोग किया जा सकता है।

अभिषेक का समय:

अभिषेक करने का सर्वोत्तम समय Pradosh काल होता है, जो सूर्यास्त के 1.5 घंटे पहले से लेकर 1 घंटे बाद तक होता है।

आवश्यक सामग्री:

अभिषेक के लिए निम्नलिखित सामग्रियाँ एकत्रित करें:

  • पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर और घी का मिश्रण)।
  • गंगा जल या पवित्र जल।
  • ताजे फूल, विशेषकर बेल पत्र।
  • चंदन का लेप।
  • चावल की दाने।
  • फल और मिठाइयाँ।
  • अगरबत्तियाँ और कपूर।

एक साफ, सफेद वस्त्र या धोती पहनने वाले पूजा करने वाले के लिए।

Pradosh Vrat अभिषेक की विधि

1. पवित्रता और शुद्धिकरण

सबसे पहले अपने आप को स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर शुद्ध करें।

जिस स्थान परShivling रखा है, उसे स्वच्छ करें और गंगा जल छिड़ककर उसे पवित्र करें।

आह्वान

पूर्व या उत्तर की दिशा में बैठकर भगवान शिव का आह्वान करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

वातावरण को शुद्ध करने के लिए दीपक और अगरबत्तियाँ जलाएं।

Shivling का अभिषेक

अभिषेक निम्नलिखित क्रम में करें:

जल (गंगाजल या पवित्र जल)

गंगाजल या शुद्ध जल Shivling पर डालें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

यह Shivling को शुद्ध और पवित्र करता है।

पंचामृत:

दूध, दही, शहद, शक्कर और घी का मिश्रण समान मात्रा में मिलाकर तैयार करें।

इस मिश्रण को Shivling पर धीरे-धीरे डालें और रुद्र मंत्र या माहामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करें।

प्रत्येक सामग्री का अपना विशेष महत्व है:

  • दूध: पवित्रता और भक्ति का प्रतीक।
  • दही: समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक।
  • शहद: जीवन में मिठास और समृद्धि का प्रतीक।

शक्कर: आनंद और सुख का प्रतीक।

घी: स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक।

नारियल जल या फल का रस:

नारियल जल शिवलिंग पर चढ़ाएं, जो आभार और प्राकृतिक समृद्धि का प्रतीक है।

सुगंधित द्रव (गुलाब जल या चंदन जल):

गुलाब जल या चंदन जल का उपयोग करें, जो शीतलता और सुगंध प्रदान करता है।

पवित्र राख (भस्म):

शिवलिंग पर पवित्र राख चढ़ाएं, जो सांसारिक वासनाओं से मुक्ति का प्रतीक है।

Shivling की सजावट

अभिषेक के बाद, शिवलिंग को एक साफ कपड़े से हल्के से पोंछें।

शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।

बेल पत्र (अवश्य 3, 5, 7 या 9 की संख्या में) शिवलिंग पर चढ़ाएं, जो भगवान शिव को प्रिय होते हैं।

ताजे फूलों से शिवलिंग को सजाएं, विशेषकर सफेद और पीले रंग के, जो पवित्रता और भक्ति का प्रतीक होते हैं।

पूजा अर्चना और प्रार्थना

1. मंत्र जाप

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप 108 बार रुद्राक्ष माला से करें।

शिव तांडव स्तोत्र या माहामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करें, ताकि भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो।

2. नैवेद्य अर्पण (भोग अर्पित करना)

Pradosh Vrat के सामने फल, मिठाइयाँ और नारियल अर्पित करें।

इन सामग्रियों को भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित करें।

3. आरती

Shivling के चारों ओर दीपक और कपूर घुमा कर शिव आरती (जैसे “जय शिव ओंकारा”) गाएं।

अभिषेक का आध्यात्मिक महत्व

Pradosh Vrat में प्रयुक्त प्रत्येक सामग्री का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है:

1.दूध: पवित्रता और भक्ति को दर्शाता है।

2.शहद: जीवन में मिठास और समृद्धि लाने का प्रतीक है।

3.दही: स्थिरता और सुख-समृद्धि का प्रतीक है।

4.घी: स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक है।

5.जल: जीवन का प्रतीक है, जो नकारात्मकता को दूर करता है।

इस पूजन के माध्यम से भक्त:

अपने मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं।

अतीत के पापों के लिए क्षमा प्राप्त करते हैं।

भगवान शिव से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

Pradosh Vrat पर प्रमुख अनुष्ठान

उपवास (व्रत):

भक्त इस दिन उपवासी रहते हैं, केवल फल और जल का सेवन करते हैं।

पूजा के बाद उपवास तोड़ते हैं।

शिव पार्वती पूजा:

भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें, जो वैवाहिक जीवन और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक होते हैं।

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दान:

गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान करें।

सावधानियाँ और दिशा-निर्देश

हमेशा ताजे और शुद्ध पदार्थों का प्रयोग करें।

  • Pradosh Vrat पर तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं, क्योंकि ये भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं।
  • टूटे हुए बेल पत्र या कांटे वाले फूलों का उपयोग न करें।

Shivling और पूजा स्थान को व्यवस्थित रखें, अव्यवस्थित न छोड़ें।

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निष्कर्ष

Pradosh Vrat का अभिषेक एक महान भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का कार्य है। यह पवित्र अनुष्ठान भगवान शिव को प्रसन्न करने और भक्तों को सुख, समृद्धि और मुक्ति प्राप्त करने में सहायक है। उपरोक्त विधि का पालन विश्वास और समर्पण के साथ करें, और आप भगवान शिव के दिव्य आशीर्वाद से संपूर्ण जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करें और आपको हर संकट से उबारें।

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