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Tarakeshwar मंदिर: बाबा तारकेश्वरनाथ का दिव्य धाम

Tarakeshwar मंदिर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के “तारकेश्वरनाथ” स्वरूप को समर्पित है और हिंदू श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। Tarakeshwar मंदिर का ऐतिहासिक महत्व, वास्तुकला, धार्मिक अनुष्ठान और विशेष पूजा विधियाँ इसे भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय बनाती हैं। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहाँ लाखों श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं। जानिए इस मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, प्रमुख त्योहार, यात्रा मार्ग और रोचक तथ्यों की संपूर्ण जानकारी।

तारकेश्वर मंदिर: बाबा तारकेश्वरनाथ का दिव्य धाम

Tarakeshwar Temple: The divine abode of Baba

Tarakeshwar भारत में कई प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं, जो भक्तों की आस्था और श्रद्धा के केंद्र हैं। उन्हीं में से एक है तारकेश्वर मंदिर, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे “बाबा तारकेश्वर” के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर न केवल बंगाल, बल्कि पूरे भारत में शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। इस लेख में हम Tarakeshwar मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्व, पूजा विधियाँ, प्रमुख त्योहार और यात्रा मार्ग के बारे में विस्तार से जानेंगे।

1. तारकेश्वर मंदिर का इतिहास

1.1 मंदिर की स्थापना और मान्यता

  • कहा जाता है कि Tarakeshwar मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था।
  • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका नाम “तारकेश्वर” भगवान शिव के एक रूप “तारकेश्वर महादेव” से लिया गया है।
  • स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, एक साधु भक्त तारकेश्वर ने यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी।
  • कालांतर में यह स्थान एक महत्वपूर्ण शक्ति पीठ और शिव साधना का केंद्र बन गया।

1.2 ऐतिहासिक संदर्भ

  • Tarakeshwar मंदिर बंगाल में शैव परंपरा का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है।
  • इस मंदिर का जीर्णोद्धार विभिन्न राजाओं और श्रद्धालुओं द्वारा किया गया है।
  • यहाँ सालभर शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है, विशेषकर श्रावण मास और महाशिवरात्रि के समय।

2. तारकेश्वर मंदिर की वास्तुकला

2.1 मंदिर की संरचना और शैली

  • मंदिर की वास्तुकला बंगाली और नागर शैली का एक सुंदर मिश्रण है।
  • मुख्य मंदिर में एक भव्य शिवलिंग स्थित है, जो बहुत प्राचीन और दिव्य माना जाता है।
  • मंदिर का ऊपरी भाग शिवलिंग के आकार का गुंबद (शिखर) दर्शाता है।
  • मंदिर के चारों ओर एक विशाल प्रांगण है, जहाँ भक्त पूजा और ध्यान करते हैं।
  • प्रवेश द्वार पर नक्काशीदार चित्र और भगवान शिव से जुड़ी मूर्तियाँ बनी हुई हैं।

2.2 प्रमुख विशेषताएँ

  • मंदिर के पास एक पवित्र जलकुंड (स्नान स्थल) है, जहाँ भक्त स्नान करके शुद्ध होकर शिवलिंग का दर्शन करते हैं।
  • यहाँ एक बड़ा घंटा भी स्थित है, जिसे श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बजाते हैं।
  • मंदिर के आसपास भक्तों के लिए धर्मशालाएँ और प्रसाद वितरण केंद्र भी बनाए गए हैं।

3. धार्मिक महत्व और पूजा विधियाँ

3.1 तारकेश्वर मंदिर की आध्यात्मिकता

  • यह मंदिर “कामना लिंग” के रूप में प्रसिद्ध है, अर्थात यहाँ शिवलिंग की पूजा करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  • भक्त यहाँ जल और बेलपत्र अर्पित करते हैं और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
  • इस मंदिर में शिव की आराधना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

3.2 पूजा विधियाँ

  • रुद्राभिषेक पूजा: भक्त विशेष रूप से गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र और चंदन से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
  • नित्य आरती: सुबह और शाम को विशेष आरती का आयोजन होता है, जिसमें भक्त भजन-कीर्तन करते हैं।
  • नवग्रह पूजा: ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए विशेष पूजा कराई जाती है।
  • विवाह और संतान प्राप्ति की पूजा: कई श्रद्धालु यहाँ सुखद वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति के लिए विशेष पूजा करवाते हैं।

4. तारकेश्वर मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार

4.1 महाशिवरात्रि

  • यह सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जब लाखों भक्त रातभर जागरण और शिव अभिषेक करते हैं।
  • इस दिन विशेष भस्म आरती और महाप्रसाद वितरण होता है।

4.2 श्रावण मास (सावन का महीना)

  • सावन के महीने में हर सोमवार यहाँ विशेष पूजा और जलाभिषेक किया जाता है।
  • हजारों कांवड़िये यहाँ गंगा जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

4.3 नाग पंचमी

  • इस दिन भगवान शिव के नागों की पूजा की जाती है और विशेष आरती का आयोजन होता है।

4.4 काली पूजा और दीपावली

  • यहाँ काली पूजा के समय विशेष हवन और तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

5. यात्रा मार्ग और मंदिर तक पहुँचने के तरीके

Tarakeshwar Temple: The divine abode of Baba

5.1 हवाई मार्ग

  • निकटतम हवाई अड्डा कोलकाता नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 70 किमी दूर है।

5.2 रेल मार्ग

  • Tarakeshwar रेलवे स्टेशन सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • कोलकाता से यहाँ के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

5.3 सड़क मार्ग

  • Tarakeshwar मंदिर कोलकाता और अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
  • यहाँ के लिए नियमित बस, टैक्सी और निजी वाहन आसानी से उपलब्ध हैं।

6. तारकेश्वर मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

  1. मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है, यानी यह प्राकृतिक रूप से प्रकट हुआ था।
  2. कहा जाता है कि यहाँ की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  3. श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं।
  4. यह मंदिर तांत्रिक साधना के लिए भी प्रसिद्ध है और यहाँ विशेष तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं।
  5. Tarakeshwar मंदिर में दर्शन करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।

7. निष्कर्ष:

Tarakeshwar मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। Tarakeshwar मंदिर भक्तों की श्रद्धा, भक्ति और शिव साधना का महत्वपूर्ण केंद्र है। यदि आप भगवान शिव के सच्चे भक्त हैं, तो Tarakeshwar मंदिर के दर्शन अवश्य करें और बाबातारकेश्वरनथ का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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Kerala के सीएम पिनाराई विजयन की बेटी पर धोखाधड़ी का आरोप

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Kerala के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की बेटी वीणा विजयन पर धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने आरोप लगाया है कि वीणा की कंपनी, एक्सालॉजिक सॉल्यूशंस, ने कोचीन मिनरल्स एंड रूटाइल लिमिटेड (CMRL) से बिना कोई सेवा प्रदान किए ₹2.73 करोड़ प्राप्त किए।

यह भी पढ़ें: BJP के K Surendran ने Kerala सरकार पर वायनाड राहत कोष में बढ़ोत्तरी करने का आरोप लगाया

SFIO की 160-पृष्ठों की चार्जशीट में वीणा विजयन, CMRL के प्रबंध निदेशक सशिधरन कार्था और अन्य 25 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इन पर कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 447 के तहत आरोप लगाए गए हैं, जो कॉर्पोरेट धोखाधड़ी से संबंधित है। यदि दोषी पाए जाते हैं, तो इन्हें छह महीने से दस साल तक की जेल और धोखाधड़ी की राशि के तीन गुना तक का जुर्माना हो सकता है।

विपक्षी दलों ने Kerala के सीएम पर उठाए सवाल

Kerala CM Pinarayi Vijayan's daughter accused of fraud

विपक्षी दलों ने इस मामले पर Kerala के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की नैतिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के नेता वी.डी. सतीशन ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है, यह तर्क देते हुए कि जब उनकी बेटी पर मुकदमा चल रहा है, तो उनके लिए पद पर बने रहना उचित नहीं है। ​

वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने इन आरोपों को राजनीतिक एजेंडा के तहत किया गया ‘नाटक’ करार दिया है। पार्टी के केरल सचिव एम.वी. गोविंदन ने कहा कि सरकार या मुख्यमंत्री ने किसी भी कंपनी को विशेष लाभ नहीं दिया है और इन आरोपों का उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना है।

यह मामला अगस्त 2023 में सामने आया था, जब आयकर अंतरिम निपटान बोर्ड ने पुष्टि की थी कि एक्सालॉजिक ने 2017 से 2020 के बीच CMRL से बिना किसी सेवा के ₹1.72 करोड़ प्राप्त किए थे। इसके बाद, केंद्र सरकार ने SFIO को इस मामले की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया था।

Kerala CM Pinarayi Vijayan's daughter accused of fraud

SFIO की जांच के निष्कर्षों के आधार पर, केंद्र सरकार ने वीणा विजयन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।

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Ram Navami पर Bengal में सियासी संग्राम, टीएमसी और बीजेपी आमने-सामने

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पश्चिम बंगाल में Ram Navami को लेकर सियासी सरगर्मी तेज़ होती जा रही है। अदालत द्वारा 6 अप्रैल को शोभायात्रा की इजाजत मिलने के बाद जहां बीजेपी और उससे जुड़े कई हिंदू संगठन जोर-शोर से जुलूस निकालने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है।

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कैनिंग में होने वाली विशाल राम नवमी रैली में TMC विधायक शौकत मोल्लाह के शामिल होने की घोषणा ने यह साफ कर दिया है कि अब यह पर्व पूरी तरह से राजनीतिक अखाड़े का हिस्सा बन गया है।

Ram Navami बना सियासी मुद्दा

Political battle in Bengal on Ram Navami, TMC and BJP face to face

टीएमसी की ओर से यह दावा भी किया गया है कि Ram Navami के आयोजकों ने उन्हें औपचारिक निमंत्रण दिया है, जिससे वे भी इस धार्मिक आयोजन में अपनी भागीदारी दिखा सकें। हालांकि, विधायक शौकत मोल्लाह ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी नेता इस मौके को भड़काऊ माहौल तैयार करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुकांत मजूमदार, सुवेंदु अधिकारी और दिलीप घोष जैसे भाजपा नेता धर्म का राजनीतिकरण कर समाज में तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस सबके बीच राज्य सरकार ने हालात को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बलों की तैनाती की जा रही है। डर इस बात का है कि कहीं राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के चलते यह धार्मिक आयोजन हिंसा या सांप्रदायिक तनाव की चपेट में न आ जाए।

Political battle in Bengal on Ram Navami, TMC and BJP face to face

राजनीतिक दलों की इस खींचतान का असर आम जनता पर साफ दिखाई दे रहा है। लोग Ram Navami को शांतिपूर्वक और पारंपरिक तरीके से मनाना चाहते हैं, लेकिन बढ़ती सियासी दखलअंदाजी और सुरक्षा एजेंसियों की मौजूदगी के कारण उत्सव का माहौल तनावपूर्ण बन गया है। स्थानीय व्यापारी, दुकानदार और अभिभावक भी चिंतित हैं कि कहीं यह तनाव किसी बड़ी हिंसा में न बदल जाए। इसके चलते प्रशासन को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ रही है और खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं।

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Kiriteswari मंदिर: पवित्र शक्तिपीठ और देवी शक्ति की दिव्य स्थली

Kiriteswari मंदिर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित एक प्राचीन शक्तिपीठ है, जहाँ देवी सती का मुकुट (किरीट) गिरा था। यह मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है और इसे मुक्तकंठा काली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

Kiriteswari मंदिर की स्थापत्य कला पारंपरिक बंगाली शैली में निर्मित है और यहाँ देवी की मूर्ति के स्थान पर एक पवित्र पत्थर की पूजा की जाती है। नवरात्रि, दुर्गा पूजा और काली पूजा जैसे त्योहारों के दौरान यहाँ विशेष अनुष्ठान होते हैं। इस मंदिर में देवी की आराधना से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होने का विश्वास किया जाता है।

किरीटेश्वरी मंदिर: शक्ति उपासना का प्राचीन केंद्र

Kiriteswari Temple: The Holy Shakti Peetha

Kiriteswari भारत की भूमि पर देवी शक्ति के कई पवित्र स्थल हैं, जिन्हें शक्तिपीठों के रूप में पूजा जाता है। पश्चिम बंगाल में स्थित Kiriteswari मंदिर भी इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर देवी सती के किरीट (मुकुट) के गिरने के स्थान पर बना है, इसलिए इसे Kiriteswari देवी मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर का उल्लेख पुराणों और तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है और इसे मुक्तकंठा काली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

श्रद्धालु यहाँ माँ के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं और विशेष रूप से नवरात्रि और दुर्गा पूजा के अवसर पर यहाँ भक्तों की भीड़ उमड़ती है।आइए, Kiriteswari पवित्र मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्ता, त्योहार और रोचक तथ्यों पर विस्तार से चर्चा करें।

1. किरीटेश्वरी मंदिर का इतिहास

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1.1 शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व

  • Kiriteswari मंदिर उन 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो देवी सती के अंगों के गिरने से बने थे।
  • पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष द्वारा किए गए यज्ञ में माता सती ने अपने प्राण त्याग दिए, तो भगवान शिव ने उनके शरीर को उठाकर तांडव नृत्य किया।
  • इस दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया और वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए।
  • इस मंदिर में देवी सती का किरीट (मुकुट) गिरा था, जिससे इसे किरीटेश्वरी मंदिर कहा जाता है।

1.2 मंदिर का ऐतिहासिक निर्माण

  • Kiriteswari मंदिर का प्राचीन निर्माण 16वीं शताब्दी में महाराजा धर्म नारायण ने करवाया था।
  • यह मंदिर मुरारई, मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) के जियागंज इलाके में स्थित है।
  • कहा जाता है कि यह मंदिर कई बार नष्ट हुआ और फिर से पुनर्निर्माण किया गया।
  • वर्तमान संरचना 18वीं शताब्दी में नवनिर्मित की गई थी।

2. मंदिर की वास्तुकला

2.1 बंगाली स्थापत्य शैली

  • Kiriteswari मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक बंगाली शैली में निर्मित है।
  • इसका मुख्य शिखर (गर्भगृह) अष्टकोणीय आकार में बना हुआ है।
  • मंदिर के ऊपर त्रिकोणीय गुंबदनुमा छत इसे विशिष्ट बनाती है।
  • मंदिर में अद्भुत नक्काशी और देवी की भव्य मूर्ति स्थापित है।

2.2 मंदिर परिसर और अन्य संरचनाएँ

  • Kiriteswari मंदिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का वृक्ष है, जिसे भक्त विशेष रूप से पूजते हैं।
  • पास में एक पवित्र तालाब स्थित है, जिसका जल धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है।
  • मंदिर के पास एक भव्य नंदी की प्रतिमा भी स्थापित है, जो भगवान शिव की उपस्थिति का प्रतीक है।
Kiriteswari Temple: The Holy Shakti Peetha

3. किरीटेश्वरी मंदिर का धार्मिक महत्व

  • Kiriteswari मंदिर सिद्ध शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहाँ माता की पूजा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  • यहाँ देवी सती को “किरटीश्वरी” या “मुक्तकंठा देवी” के रूप में पूजा जाता है।
  • देवी की पूजा तांत्रिक साधना के लिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यह स्थान शक्ति और तंत्र-साधना का प्रमुख केंद्र है।
  • यहाँ माता की आराधना करने से संतान सुख, विवाह में सफलता और धन-संपत्ति की प्राप्ति मानी जाती है।

4. प्रमुख त्योहार और उत्सव

4.1 दुर्गा पूजा

  • Kiriteswari मंदिर दुर्गा पूजा के दौरान विशेष रूप से भक्तों से भरा रहता है।
  • इस दौरान विशेष हवन, आरती और भोग प्रसाद का आयोजन किया जाता है।

4.2 नवरात्रि महोत्सव

  • नवरात्रि में माँ किरीटेश्वरी की विशेष आराधना और अनुष्ठान होते हैं।
  • देवी के नौ रूपों की पूजा होती है और भक्त जागर (रात्रि जागरण) का आयोजन करते हैं।

4.3 अमावस्या और पूर्णिमा पूजन

  • हर अमावस्या और पूर्णिमा के दिन यहाँ विशेष पूजा होती है।
  • इस दिन शक्तिपीठ पर दीपदान किया जाता है, जिससे समस्त कष्ट दूर होते हैं।

4.4 काली पूजा

  • K iriteswariमंदिर काली पूजा के लिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ देवी शक्ति के उग्र रूप की उपासना की जाती है।
  • इस दिन भक्त विशेष रूप से रक्त चंदन और नीम के पत्तों से माँ की पूजा करते हैं।

5. किरीटेश्वरी मंदिर जाने का सही समय और यात्रा मार्ग

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

5.1 यात्रा मार्ग

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: जियागंज रेलवे स्टेशन (8 किमी)
  • निकटतम हवाई अड्डा: नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता (200 किमी)
  • सड़क मार्ग: मुर्शिदाबाद और जियागंज से मंदिर तक टैक्सी और बस सेवा उपलब्ध है।

5.2 दर्शन का समय

Kiriteswari Temple: The Holy Shakti Peetha
  • सुबह: 6:00 बजे से 12:00 बजे तक
  • शाम: 4:00 बजे से 8:30 बजे तक

6. किरीटेश्वरी मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

  1. देवी की कोई भौतिक मूर्ति नहीं – इस मंदिर में देवी किरीटेश्वरी की कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक पवित्र पत्थर को देवी का स्वरूप माना जाता है।
  2. शक्तिपीठों में विशेष स्थान – यह मंदिर उन ऐतिहासिक शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माँ सती का मुकुट गिरा था।
  3. तांत्रिक साधकों के लिए विशेष स्थान – यह स्थान तांत्रिकों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।
  4. मंदिर का पुनर्निर्माण कई बार हुआ – किरीटेश्वरी मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन इसके पवित्र स्थान को कभी नहीं बदला गया।
  5. मंदिर का रहस्यमयी वातावरण – यहाँ आने वाले भक्तों का मानना है कि वे किसी अलौकिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं।

7. निष्कर्ष:

Kiriteswari मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शक्ति की उपासना का प्रमुख केंद्र है। यहाँ आने वाले भक्तों को देवी माँ का आशीर्वाद, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यदि आप शक्तिपीठों की यात्रा पर हैं, तो किरीटेश्वरी देवी के दर्शन अवश्य करें और माँ किरीटेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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नई Railway परियोजनाओं से कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा: पीएम मोदी

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार द्वारा चार मल्टी-ट्रैकिंग Railway परियोजनाओं को मंजूरी दिए जाने से कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा, सुविधा बढ़ेगी, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी।

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4 नई Railway परियोजनाएँ को मंजूरी

New railway projects will improve connectivity infrastructure: PM Modi

एक सरकारी प्रेस नोट में कहा गया है कि वह रेल मंत्रालय की चार परियोजनाओं के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिनकी कुल लागत लगभग 18,658 करोड़ रुपये है। महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के तीन राज्यों के 15 जिलों को कवर करने वाली चार परियोजनाएं भारतीय Railway के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 1,247 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-II को कैबिनेट की मंजूरी सीमावर्ती गांवों में जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक “असाधारण खबर” है।

उन्होंने कहा, “इस स्वीकृति के साथ, हम वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-I की तुलना में कवर किए गए गांवों के दायरे का भी विस्तार कर रहे हैं।”

सीमा क्षेत्र विकास के लिए बड़ा निवेश

New railway projects will improve connectivity infrastructure: PM Modi

कार्यक्रम का उद्देश्य समृद्ध और सुरक्षित सीमाओं को सुनिश्चित करने, सीमा पार अपराधों को नियंत्रित करने और सीमावर्ती आबादी को राष्ट्र के साथ आत्मसात करने और उन्हें ‘सीमा सुरक्षा बलों की आंख और कान’ के रूप में विकसित करने के लिए बेहतर जीवन स्थितियां और पर्याप्त आजीविका के अवसर पैदा करना है, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

एक बयान में कहा गया है कि कुल 6,839 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, यह कार्यक्रम 2028-29 तक अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के चुनिंदा रणनीतिक गांवों में लागू किया जाएगा।

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भारत पर Tariff से पहले वार्ता की कोशिशें तेज़: व्यापार समझौते की आशा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नवीनतम Tariff नीति ने भारतीय निर्यातकों में भय पैदा कर दिया है। 10% के बेसलाइन टैरिफ के अतिरिक्त 26% तक शुल्क बढ़ाए जाने से घरेलू विक्रेताओं को डर है कि उनकी विदेशी बिक्री प्रभावित हो सकती है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगले सप्ताह टैरिफ लागू होने से पहले भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत के साथ समाधान निकट हो सकता है।

व्यापार युद्ध बढ़ने पर China ने अमेरिका पर 34% टैरिफ लगाया

सीएनएन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के एक वरिष्ठ सलाहकार के हवाले से कहा कि ट्रंप भारत, वियतनाम और इजरायल के साथ व्यापार सौदों पर “सक्रिय रूप से बातचीत” कर रहे हैं।

भारत पर Tariff 9 अप्रैल से लागू होगा।


Efforts to speed up negotiations before tariff on India: Hope for trade deal

10% बेस टैरिफ आज से प्रभावी होगा जबकि भारत के लिए 26% देश-विशिष्ट शुल्क अगले बुधवार (9 अप्रैल) से लागू होगा। भारत सरकार ने कहा है कि वह 2 अप्रैल को ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ के प्रभावों की “सावधानीपूर्वक जांच” कर रही है और वाणिज्य मंत्रालय सभी हितधारकों के साथ स्थिति का आकलन कर रहा है। निर्यातकों से फीडबैक लिया जा रहा है और विभाग टैरिफ परिवर्तनों के कारण उत्पन्न होने वाले अवसरों का भी अध्ययन कर रहा है।

ट्रम्प ने बढ़े हुए शुल्कों को “मुक्ति दिवस” ​​Tariff के रूप में पेश किया है, जिसका उद्देश्य विदेशी विक्रेताओं को अमेरिकी उद्योगों को “लूटने” से रोकना है।

अमेरिकी राष्ट्रपति, जिन्होंने बार-बार भारत को “सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों” में से एक कहा है, ने नई दिल्ली के लिए टैरिफ की घोषणा करते समय नरम लहजे का इस्तेमाल किया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “अच्छा दोस्त” कहा – ट्रम्प के पहले राष्ट्रपति पद के बाद से उनके बीच जारी दोस्ती की ओर इशारा करते हुए। लेकिन उन्होंने फरवरी में अमेरिका की यात्रा के दौरान भारतीय नेता से कहा कि नई दिल्ली “हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रही है”।

Tariff लगाए जाने के फैसले पर आप के सांसद Raghav Chadha की प्रतिक्रिया

व्हाइट हाउस ने कहा कि भारतीय Tariff ने अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में अपने उत्पाद बेचना महंगा कर दिया है – जिसे अगर हटा दिया जाता है, तो अमेरिकी निर्यात में सालाना कम से कम 5.3 बिलियन डॉलर की वृद्धि होगी।

28 अरब डॉलर के निर्यात पर संकट के बादल

Efforts to speed up negotiations before tariff on India: Hope for trade deal

विशेषज्ञों को डर है कि बढ़े हुए टैरिफ से लगभग 14 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक निर्यात और 9 बिलियन डॉलर के रत्न और आभूषण निर्यात प्रभावित होंगे। मौजूदा टैरिफ से काफी हद तक बचे हुए, ऑटो कंपोनेंट और एल्युमीनियम निर्यात इन उत्पादों पर पहले घोषित 25% शुल्क का खामियाजा भुगतेंगे।

हालांकि, सरकार ट्रम्प प्रशासन के साथ बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रही है – जिसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है, जैसा कि फरवरी में व्हाइट हाउस में पीएम मोदी की ट्रम्प से मुलाकात के बाद घोषणा की गई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा Tariff की घोषणा के एक दिन बाद भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि भारतीय और अमेरिकी टीमें एक बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते को गति देने की कोशिश कर रही हैं जो पारस्परिक रूप से लाभकारी है। व्यापार समझौते में आपसी हितों के कई मुद्दे शामिल होंगे, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को गहरा करना शामिल है। सरकार ने कहा कि भारतीय अधिकारी ट्रम्प प्रशासन के संपर्क में हैं, उन्होंने कहा कि उनकी बातचीत व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बढ़ाने पर केंद्रित है।

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Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर: वृंदावन का प्राचीन भक्ति धाम

Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर वृंदावन का सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में श्री सनातन गोस्वामी द्वारा किया गया था और बाद में जयपुर के राजा मानसिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया। Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और भक्तों के लिए भक्ति व आध्यात्मिक जागरण का केंद्र माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला नागरा शैली में बनी है और यह यमुना नदी के तट पर स्थित है। यहाँ जन्माष्टमी, राधाष्टमी और झूलन यात्रा जैसे त्योहार विशेष धूमधाम से मनाए जाते हैं।

श्री श्री राधा मदन मोहन मंदिर: भक्ति और दिव्यता का अद्भुत संगम

Sri Sri Radha Madan Mohan

Sri Sri Radha Madan Mohan भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों में वृंदावन का विशेष स्थान है। यह भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की भूमि मानी जाती है और यहाँ अनेक भव्य मंदिर स्थित हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक श्री श्री राधा मदन मोहन मंदिर है, जो वृंदावन के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है।इस मंदिर को गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के संस्थापक श्री चैतन्य महाप्रभु के सहयोगी, श्री सनातन गोस्वामी जी ने स्थापित किया था।

Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक जागरण और कृष्ण प्रेम का प्रमुख केंद्र है। आइए, इस पवित्र मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, धार्मिक महत्ता, त्योहार और रोचक तथ्यों पर विस्तार से चर्चा करें।

1. श्री श्री राधा मदन मोहन मंदिर का इतिहास

1.1 मंदिर की स्थापना

  • Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर 16वीं शताब्दी में सनातन गोस्वामी जी द्वारा स्थापित किया गया था।
  • सनातन गोस्वामी जी श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य थे और उन्होंने वृंदावन में भक्ति आंदोलन को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • इस मंदिर में स्थापित मदन मोहन जी की मूल मूर्ति को चैतन्य महाप्रभु के भक्त कपूर गोस्वामी ने खोजा था।

1.2 राजा मानसिंह का योगदान

  • Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर पहले बहुत छोटा था, लेकिन बाद में जयपुर के राजा मानसिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
  • राजा ने इसे राजस्थानी और मुगल शैली में बनवाया, जिससे यह और भी भव्य हो गया।

1.3 औरंगज़ेब के हमले के दौरान मूर्ति का स्थानांतरण

  • 1670 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया था।
  • इस दौरान, मदन मोहन जी की मूल मूर्ति को जयपुर ले जाया गया और अब वह कर्जन (राजस्थान) में स्थित करौली मंदिर में स्थापित है।
  • वृंदावन के मदन मोहन मंदिर में अब उनकी प्रतिमा की एक प्रतिकृति स्थापित है।

2. मंदिर की वास्तुकला

2.1 राजस्थानी और मुगल शैली का मिश्रण

  • Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है, जो इसे एक भव्य रूप प्रदान करता है।
  • इसका शिखर उत्तर भारतीय नागरा शैली में बना हुआ है।
  • मंदिर की नक्काशी और स्तंभों पर की गई आकृतियाँ अत्यंत सुंदर हैं।

2.2 मंदिर की प्रमुख संरचनाएँ

  1. मुख्य गर्भगृह – यहाँ श्री मदन मोहन जी की मूर्ति स्थापित है।
  2. सभा मंडप – यहाँ भक्तजन कीर्तन और भजन करते हैं।
  3. गोस्वामी भवन – जहाँ सनातन गोस्वामी जी ने अपनी साधना की थी।
  4. यमुना घाट – मंदिर के पास स्थित यह घाट भक्ति और ध्यान के लिए प्रसिद्ध है।

3. श्री श्री राधा मदन मोहन मंदिर का धार्मिक महत्व

  • Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक है।
  • यहाँ आने वाले भक्तों का मानना है कि मदन मोहन जी की कृपा से कृष्ण भक्ति सरल हो जाती है।
  • इस मंदिर में की गई परिक्रमा और आरती दर्शन मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
  • यह मंदिर विशेष रूप से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति और साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

4. प्रमुख त्योहार और उत्सव

4.1 झूलन यात्रा

  • सावन मास में यह उत्सव मनाया जाता है, जिसमें राधा-कृष्ण को झूले पर विराजमान किया जाता है।

4.2 जन्माष्टमी

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस मंदिर में भव्य रूप से मनाई जाती है।
  • इस दिन मंदिर को फूलों और दीपों से सजाया जाता है, और रात्रि में अभिषेक और महाआरती का आयोजन होता है।

4.3 राधाष्टमी

  • यह त्योहार राधा रानी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • इस दिन विशेष कीर्तन और भोग प्रसाद का वितरण किया जाता है।

4.4 कार्तिक मास और दीपदान उत्सव

  • कार्तिक मास में वृंदावन के मंदिरों में विशेष पूजा होती है और दीप जलाकर यमुना जी में प्रवाहित किए जाते हैं।
Sri Sri Radha Madan Mohan

5. मंदिर जाने का सही समय और यात्रा मार्ग

5.1 यात्रा मार्ग

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: मथुरा जंक्शन (12 किमी)
  • निकटतम हवाई अड्डा: आगरा हवाई अड्डा (75 किमी)
  • बस सेवा: वृंदावन देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

5.2 दर्शन का समय

  • गर्मी में: सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
  • सर्दी में: सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक

6. श्री श्री राधा मदन मोहन मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम

  1. वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर – Sri Sri Radha Madan Mohan वृंदावन का पहला भव्य मंदिर माना जाता है।
  2. श्री चैतन्य महाप्रभु की भक्ति का केंद्र – यह मंदिर गौड़ीय वैष्णवों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है।
  3. गोपीनाथ और गोविंद जी मंदिरों से संबंध – वृंदावन के तीन प्रमुख मंदिरों में से यह पहला है, अन्य दो हैं गोविंद जी मंदिर और गोपीनाथ मंदिर।
  4. मूल मूर्ति करौली (राजस्थान) में स्थापित – मंदिर में अब Sri Sri Radha Madan Mohan जी की प्रतिकृति स्थापित है।
  5. मंदिर का अनोखा शिखर – नागरा शैली में बना यह शिखर मंदिर को दिव्य आभा प्रदान करता है।
  6. यमुना जी के निकट स्थित – मंदिर का स्थान ध्यान और साधना के लिए आदर्श है।

7. निष्कर्ष:

Sri Sri Radha Madan Mohan मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। यहाँ आने वाले भक्तों को आध्यात्मिक शांति और भक्ति रस की अनुभूति होती है। यह मंदिर गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की महान धरोहर है और वृंदावन आने वाले हर भक्त को इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।

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Ayushman Bharat Yojana: दिल्ली सरकार आज केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगी

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Ayushman Bharat Yojana: दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) को लागू करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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Ayushman Bharat Yojana: Delhi government to sign MoU with Centre today

NHA देश भर में आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी है। यह समझौता ज्ञापन दिल्ली को इस योजना को अपनाने वाला 35वां राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बना देगा। दिल्ली में Ayushman Bharat Yojana का बीमा कवर बढ़ाकर 10 लाख कर दिया गया है, जिसमें से 7 लाख रुपये का खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी।

इस समारोह में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी शामिल होंगे।

Ayushman Bharat Yojana के तहत 5 लाख रुपये का मुफ्त चिकित्सा कवरेज मिलेगा

Ayushman Bharat Yojana: Delhi government to sign MoU with Centre today

पूरे भारत में, समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को द्वितीयक और तृतीयक अस्पताल देखभाल के लिए तैयार की गई स्वास्थ्य योजना, प्रत्येक परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का मुफ्त चिकित्सा कवरेज प्रदान करती है।

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Heatwave in Delhi: मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है

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भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने Delhi और उत्तर भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, आने वाले दिनों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की उम्मीद है। IMD ने चेतावनी दी है कि 10 अप्रैल तक दिल्ली में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जो राजधानी में भीषण गर्मी का दौर शुरू कर देगा।

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यह गर्मी केवल Delhi तक ही सीमित नहीं है। दक्षिणी हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में भी भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है। IMD ने पूर्वानुमान लगाया है कि इस अवधि के दौरान मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा, जिससे पहले से ही चरम मौसम की स्थिति और खराब हो जाएगी।

Delhi में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान


Heatwave in Delhi: Meteorological Department issued alert, temperature may reach 42 degrees Celsius

Delhi में, 6 या 7 अप्रैल तक कुछ इलाकों में दिन का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंचने का अनुमान है। कई दिनों तक गर्मी का प्रकोप जारी रहने की उम्मीद है, जिससे भीषण गर्मी और बढ़ेगी। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्तरी भागों में स्थिति अधिक गंभीर होने की संभावना है, जहां सामान्य से अधिक गर्म दिन देखने को मिल सकते हैं।

उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के पूर्वी हिस्से विशेष रूप से चिंताजनक हैं, जहाँ IMD ने इस अवधि के दौरान 10 से 11 हीटवेव दिनों की भविष्यवाणी की है। अधिकारियों ने लोगों से आवश्यक सावधानी बरतने का आग्रह किया है, जिसमें हाइड्रेटेड रहना, पीक ऑवर्स के दौरान बाहरी गतिविधियों से बचना और घरों और कार्यस्थलों में उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना शामिल है। IMD ने बुजुर्गों, बच्चों और पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले लोगों जैसे कमजोर समूहों को भी यथासंभव घर के अंदर रहने की सलाह दी है।

Heatwave in Delhi: Meteorological Department issued alert, temperature may reach 42 degrees Celsius

जैसा कि उत्तर भारत इस तीव्र हीटवेव के लिए तैयार है, IMD स्थिति की बारीकी से निगरानी करना जारी रखता है, जनता को सूचित और सुरक्षित रहने में मदद करने के लिए नियमित अपडेट प्रदान करता है।

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Karnataka: कलबुर्गी में खड़ी ट्रक में वैन के घुसने से पांच लोगों की मौत, 10 घायल

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Karnataka में एक दुखद दुर्घटना में, कलबुर्गी जिले के नेलोगी क्रॉस के पास एक वैन के खड़े ट्रक से टकरा जाने से पांच लोगों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हो गए। दुर्घटना सुबह करीब साढ़े तीन बजे हुई। मृतकों की पहचान बागलकोट जिले के निवासियों के रूप में हुई है।

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Karnataka पुलिस ने मामला दर्ज किया

Karnataka: Five people killed, 10 injured as van rams into parked truck in Kalaburagi

दुर्घटना में घायल हुए लोगों को कलबुर्गी अस्पताल भेजा गया है। कलबुर्गी के एसपी ए श्रीनिवासुलु ने स्थिति की जांच करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया, इस बीच, पुलिस ने नेलोगी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया है।

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Bishnupur Terracotta मंदिर: बंगाल की अद्भुत स्थापत्य कला और सांस्कृतिक धरोहर

Bishnupur Terracotta मंदिर पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में स्थित प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों का समूह है, जो अपनी अनूठी टेराकोटा वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर 17वीं और 18वीं शताब्दी में मल्ल वंश के राजाओं द्वारा बनवाए गए थे और इनमें श्रीकृष्ण, राधा, रामायण-महाभारत की कहानियाँ और बंगाल की पारंपरिक कला को दर्शाया गया है। प्रमुख मंदिरों में रासमंच, मदनमोहन मंदिर, लालजी मंदिर और जॉरबांगला मंदिर शामिल हैं। Bishnupur Terracotta मंदिरों की दीवारों पर उत्कृष्ट टेराकोटा नक्काशी की गई है, जो बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। Bishnupur Terracotta अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ कला प्रेमियों और इतिहासकारों के लिए भी एक अद्भुत पर्यटन स्थल है।

सामग्री की तालिका

विष्णुपुर टेराकोटा मंदिर:

Bishnupur Terracotta

Bishnupur Terracotta भारत की वास्तुकला और संस्कृति में टेराकोटा कला (मिट्टी की नक्काशी) का विशेष स्थान रहा है। पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में स्थित विष्णुपुर इस कला का सबसे बड़ा केंद्र है। यह शहर अपने प्रसिद्ध टेराकोटा मंदिरों के लिए जाना जाता है, जो बंगाल की समृद्ध विरासत और स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं।

Bishnupur Terracotta के ये मंदिर 17वीं और 18वीं शताब्दी में मल्ल राजाओं द्वारा बनवाए गए थे। इन मंदिरों में टेराकोटा की सुंदर मूर्तिकला और रामायण-महाभारत की कहानियाँ उकेरी गई हैं। आइए, इस ऐतिहासिक स्थल के इतिहास, स्थापत्य शैली, धार्मिक महत्व और प्रमुख मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. विष्णुपुर टेराकोटा मंदिर का इतिहास

1.1 मल्ल वंश और विष्णुपुर का विकास

  • Bishnupur Terracotta का इतिहास मल्ल वंश से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने 7वीं से 18वीं शताब्दी तक यहाँ शासन किया।
  • मल्ल राजाओं ने बंगाल में वैष्णव धर्म और मंदिर निर्माण को बढ़ावा दिया।
  • 17वीं शताब्दी में महाराजा बीर हंबीर, रघुनाथ सिंह और वीर सिंह ने विष्णुपुर में भव्य टेराकोटा मंदिरों का निर्माण करवाया।
  • इन मंदिरों में रामायण, महाभारत और कृष्णलीला से जुड़ी कहानियाँ उकेरी गई हैं।

1.2 टेराकोटा मंदिरों की शुरुआत

  • बंगाल में पत्थरों की कमी के कारण, मंदिर निर्माण के लिए जली हुई मिट्टी (टेराकोटा) की ईंटों का उपयोग किया गया।
  • इन मंदिरों की दीवारों और छतों पर मिट्टी की उत्कृष्ट नक्काशी की गई है, जो अद्भुत है।
  • Bishnupur Terracotta के मंदिर मुख्य रूप से श्रीकृष्ण, राधा और अन्य वैष्णव देवी-देवताओं को समर्पित हैं।

2. विष्णुपुर टेराकोटा मंदिरों की स्थापत्य कला

2.1 बंगाल की अनूठी वास्तुकला

  • Bishnupur Terracotta के टेराकोटा मंदिर बंगाल की विशिष्ट “चाला” (छत) शैली में बनाए गए हैं।
  • ये मंदिर आमतौर पर ईंटों से बने होते हैं, जिन पर जली हुई मिट्टी की शानदार नक्काशी की गई है।
  • छतें गुम्बदाकार या चार-चाला (चार झुकी हुई छतों वाला) डिज़ाइन में बनी हैं।
  • दीवारों पर कृष्णलीला, रामायण, महाभारत और लोककथाओं के दृश्य उकेरे गए हैं।

2.2 मंदिरों की प्रमुख विशेषताएँ

  • मंदिरों की दीवारों पर टेराकोटा की नक्काशी में गोपियों संग कृष्ण, युद्ध के दृश्य, देवी-देवता और शाही जीवन को दर्शाया गया है।
  • कुछ मंदिरों में इस्लामिक और राजस्थानी वास्तुकला का भी प्रभाव देखा जाता है।
  • ये मंदिर न केवल धार्मिक केंद्र हैं, बल्कि कला और संस्कृति के अद्भुत उदाहरण भी हैं।

3. विष्णुपुर के प्रमुख टेराकोटा मंदिर

3.1 रासमंच (Rasmancha)

  • यह विष्णुपुर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका निर्माण महाराजा बीर हंबीर (1600 ई.) ने करवाया था।
  • यह एक पिरामिड के आकार का अनूठा मंदिर है, जहाँ रास उत्सव के दौरान सभी कृष्ण मंदिरों की मूर्तियों को एक साथ रखा जाता था।
  • इसकी दीवारों पर कृष्णलीला और गोपियों के नृत्य के सुंदर दृश्य बने हुए हैं।

3.2 श्रीश्री मदनमोहन मंदिर

  • यह मंदिर 1704 ई. में राजा दुर्जन सिंह ने बनवाया था।
  • यह एक-चाला (Ek-Chala) वास्तुकला में बना हुआ है।
  • मंदिर के दीवारों पर रामायण और महाभारत के दृश्य उकेरे गए हैं।

3.3 जलहरी मंदिर

Bishnupur Terracotta
  • यह मंदिर शिव जी को समर्पित है और इसकी दीवारों पर अद्भुत टेराकोटा नक्काशी देखी जा सकती है।
  • इस मंदिर में शिव-पार्वती, नंदी और अन्य पौराणिक दृश्यों को दर्शाया गया है।

3.4 लालजी मंदिर

  • इस मंदिर का निर्माण 1739 में राजा वीर सिंह ने करवाया था।
  • यह श्रीकृष्ण और राधा को समर्पित है और इसकी दीवारों पर कृष्ण की बाललीला को दर्शाया गया है।

3.5 जॉरबांगला मंदिर

  • यह मंदिर अपनी अनूठी बंगाली कुटीर शैली (D-Chala) के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहाँ टेराकोटा कला में युद्ध के दृश्य और मिथकीय कहानियाँ उकेरी गई हैं।

4. विष्णुपुर टेराकोटा मंदिरों का धार्मिक महत्व

  • ये मंदिर वैष्णव धर्म के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हैं।
  • मंदिरों में श्रीकृष्ण और राधा की विशेष पूजा होती है।
  • रास उत्सव और जन्माष्टमी के समय यहाँ विशेष आयोजन होते हैं।
  • ये मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं।

5. प्रमुख त्योहार और उत्सव

5.1 रास उत्सव

  • Bishnupur Terracotta का सबसे बड़ा त्योहार, जिसमें श्रीकृष्ण की रासलीला का मंचन होता है।
  • इस दौरान रासमंच मंदिर में विशेष पूजा की जाती है।

5.2 मकर संक्रांति मेला

  • यह मेला जनवरी में लगता है, जहाँ हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।

5.3 जन्माष्टमी और राधाष्टमी

  • इन त्योहारों पर मदनमोहन और लालजी मंदिरों में विशेष पूजा होती है।

6. विष्णुपुर कैसे पहुँचे?

6.1 निकटतम रेलवे स्टेशन

  • Bishnupur Terracotta रेलवे स्टेशन से सभी प्रमुख मंदिर पास में स्थित हैं।

6.2 निकटतम हवाई अड्डा

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता (150 किमी)

6.3 सड़क मार्ग

Bishnupur Terracotta
  • विष्णुपुर कोलकाता, दुर्गापुर और आसनसोल से बस और टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

Birla Mandir: आधुनिक भव्यता और आध्यात्मिकता का संगम

7. रोचक तथ्य

  1. रासमंच मंदिर भारत का सबसे पुराना ईंटों से बना पिरामिड मंदिर है।
  2. विष्णुपुर के मंदिरों में राजस्थानी और इस्लामिक वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है।
  3. यहाँ के टेराकोटा मंदिर UNESCO की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में प्रस्तावित हैं।

8. निष्कर्ष

Bishnupur Terracotta मंदिर बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक हैं। ये मंदिर न केवल पूजा-अर्चना के स्थल हैं, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण भी हैं। यदि आप ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पर्यटन में रुचि रखते हैं, तो विष्णुपुर के टेराकोटा मंदिरों की यात्रा अवश्य करें।

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श्रीलंका: PM Modi का कोलंबो में स्वतंत्रता चौक पर औपचारिक स्वागत हुआ

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श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर आए PM Modi का शनिवार को औपचारिक स्वागत किया गया। इस दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर उनका स्वागत किया। इससे पहले शुक्रवार शाम को प्रधानमंत्री मोदी श्रीलंका की राजधानी पहुंचे।

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यहां उनका स्वागत विदेश मंत्री विजिता हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नलिंदा जयतिसा और मत्स्य पालन मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर सहित पांच शीर्ष श्रीलंकाई मंत्रियों ने किया। मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा, “कोलंबो में उतरा। हवाई अड्डे पर मेरा स्वागत करने वाले मंत्रियों और गणमान्य व्यक्तियों का आभारी हूं। श्रीलंका में होने वाले कार्यक्रमों का बेसब्री से इंतजार है।”

PM Modi की ऐतिहासिक श्रीलंका यात्रा

Sri Lanka: PM Modi received a ceremonial welcome at Independence Square in Colombo

PM Modi राष्ट्रपति के रूप में दिसानायके द्वारा मेजबानी किए जाने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका की पिछली यात्रा 2019 में हुई थी।

प्रधानमंत्री शनिवार को आमने-सामने और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे, जिसमें कम से कम 10 परिणाम सामने आने की उम्मीद है, जिसमें रक्षा सहयोग समझौता और ऊर्जा क्षेत्र में गहन जुड़ाव के लिए रूपरेखा शामिल है।

यदि हस्ताक्षर किए जाते हैं, तो रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन भारत-श्रीलंका रक्षा में एक प्रमुख ऊर्ध्वगामी प्रक्षेपवक्र का संकेत देगा, जो लगभग 35 साल पहले द्वीप राष्ट्र से भारत द्वारा भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) को वापस बुलाने से संबंधित कड़वे अध्याय को पीछे छोड़ देगा।

Sri Lanka: PM Modi received a ceremonial welcome at Independence Square in Colombo

विशेष रूप से, PM Modi की श्रीलंका यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब द्वीप राष्ट्र आर्थिक तनाव के एक चरण के बाद सुधार के संकेत दे रहा है। तीन साल पहले, देश एक बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा था, और भारत ने 4.5 बिलियन अमरीकी डालर की वित्तीय सहायता दी थी।

प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके के बीच वार्ता के बाद, ऋण पुनर्गठन पर श्रीलंका को भारत की सहायता तथा मुद्रा विनिमय पर एक अन्य दस्तावेज सार्वजनिक किए जाने की संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को आईपीकेएफ (भारतीय शांति सेना) स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने वाले हैं।

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Jasmine Walia: हार्दिक पांड्या संग नाम जुड़ने की चर्चा!

Jasmine Walia: Talk of her name being linked with Hardik Pandya!

मनोरंजन और खेल की चमकती दुनिया में, जब सेलिब्रिटीज की ज़िंदगी आपस में जुड़ती है, तो यह हमेशा चर्चा का विषय बन जाता है। एक ऐसा ही दिलचस्प मामला हाल ही में सामने आया है, जिसमें ब्रिटिश सिंगर और टेलीविज़न पर्सनैलिटी Jasmine Walia और भारतीय क्रिकेट स्टार हार्दिक पांड्या का नाम एक साथ जोड़ा जा रहा है।

यह अफवाहें तेजी से वायरल हो रही हैं, जिससे फैंस और मीडिया के बीच उत्सुकता बढ़ गई है। तो आइए जानते हैं, आखिर कौन हैं Jasmine Walia और हार्दिक पांड्या के साथ उनका नाम क्यों जोड़ा जा रहा है।

कौन हैं Jasmine Walia?

Jasmine Walia ब्रिटेन की मशहूर गायिका, एक्ट्रेस और टेलीविज़न पर्सनैलिटी हैं। भारतीय मूल की जैस्मिन का जन्म एसेक्स, इंग्लैंड में हुआ था। उन्होंने पहली बार ब्रिटिश रियलिटी शो “The Only Way Is Essex (TOWIE)” में हिस्सा लिया, जिससे वह सुर्खियों में आईं।

इसके बाद, जैस्मिन ने 2014 में अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया, जहां उन्होंने कई पॉपुलर गानों के कवर गाए। उनकी आवाज़ और टैलेंट ने उन्हें ज़ैक नाइट, इंटेंस-टी और ओली ग्रीन जैसे संगीतकारों के साथ काम करने का मौका दिलाया।

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‘बॉम डिग्गी’ से पाई जबरदस्त पॉपुलैरिटी

2017 में जैस्मिन ने ज़ैक नाइट के साथ मिलकर “Bom Diggy” गाना रिलीज़ किया। यह गाना सुपरहिट साबित हुआ और यंग जेनरेशन के बीच काफी फेमस हुआ।

बाद में, 2018 में बॉलीवुड फिल्म “Sonu Ke Titu Ki Sweety” में इस गाने का हिंदी वर्जन “Bom Diggy Diggy” आया, जिसने इसे और भी ज्यादा पॉपुलर बना दिया।

2022 में, जैस्मिन ने “Bigg Boss 13” के फाइनलिस्ट असीम रियाज़ के साथ एक म्यूजिक वीडियो “Nights N Fights” में भी काम किया।

हार्दिक पांड्या और Jasmine Walia के लिंक-अप की अफवाहें कैसे शुरू हुईं?

अगस्त 2024 में हार्दिक पांड्या और Jasmine Walia के रिलेशनशिप की अफवाहें पहली बार सामने आईं।

फैंस ने नोटिस किया कि दोनों के इंस्टाग्राम पोस्ट में ग्रीस की लोकेशन और बैकग्राउंड काफी हद तक एक जैसे थे।

यह देखकर लोग कयास लगाने लगे कि दोनों एक साथ वेकेशन पर गए थे। यही नहीं, जैस्मिन और हार्दिक इंस्टाग्राम पर एक-दूसरे को फॉलो भी करने लगे, जिससे अफवाहें और तेज हो गईं।

Hardik Pandya and Natasa Stankovic’s शाही उदयपुर वेडिंग – प्यार से सात फेरों तक का खूबसूरत सफर

ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में दिखी जैस्मिन की मौजूदगी

रिश्ते की इन अफवाहों को और बल तब मिला, जब 2025 की ICC चैंपियंस ट्रॉफी में Jasmine Walia हार्दिक पांड्या को सपोर्ट करते हुए नजर आईं।

भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान, जैस्मिन को स्टेडियम में देखा गया, जहां वह भारतीय ऑलराउंडर अक्षर पटेल की पत्नी के साथ बैठी थीं।

इसके बाद, मीडिया और फैंस के बीच यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या जैस्मिन वाकई हार्दिक पांड्या के लिए मैच देखने आई थीं?

Jasmine Walia: Talk of her name being linked with Hardik Pandya!

हार्दिक पांड्या की पर्सनल लाइफ में क्या चल रहा है?

हार्दिक पांड्या हमेशा अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।

उन्होंने सर्बियन एक्ट्रेस और मॉडल नताशा स्टेनकोविच से 2020 में शादी की थी।

2023 में दोनों ने अपनी शादी की सालगिरह के मौके पर दोबारा शादी की रस्में निभाईं, लेकिन जुलाई 2024 में दोनों ने आपसी सहमति से अलग होने की घोषणा कर दी।

हार्दिक और नताशा ने अपने बेटे अगस्त्या के को-पैरेंटिंग को प्राथमिकता देने की बात कही, लेकिन उनकी शादी टूटने के बाद से हार्दिक की लव लाइफ को लेकर कई अफवाहें उड़ने लगीं।

क्या हार्दिक पांड्या और Jasmine Walia रिलेशनशिप में हैं?

फिलहाल, हार्दिक पांड्या या Jasmine Walia ने अपने रिलेशनशिप को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

लेकिन उनकी सोशल मीडिया एक्टिविटी और सार्वजनिक जगहों पर साथ देखे जाने की वजह से फैंस और मीडिया के बीच इस अफवाह ने काफी जोर पकड़ लिया है।

हार्दिक के तलाक के बाद जैस्मिन के साथ उनका नाम जुड़ना फैंस के लिए किसी सरप्राइज से कम नहीं है।

फैंस की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है

क्रिकेट और म्यूजिक, दोनों ही इंडस्ट्री के फैंस इस अफवाह को लेकर काफी एक्साइटेड हैं।

जहां क्रिकेट फैंस हार्दिक पांड्या के अगले करियर मूव पर नज़र बनाए हुए हैं, वहीं म्यूजिक लवर्स Jasmine Walia के नए प्रोजेक्ट्स की राह देख रहे हैं।

Jasmine Walia: Talk of her name being linked with Hardik Pandya!

नताशा से तलाक के बाद Hardik Pandya बेटे अगस्त्य के साथ फिर से मिले

अगर ये अफवाह सच साबित होती है, तो यह एक ग्लोबल सेलिब्रिटी कपल बन सकता है, जो खेल और संगीत की दुनिया को एक साथ जोड़ सकता है।

क्या जैस्मिन और हार्दिक की जोड़ी हकीकत बनेगी?

फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि ये अफवाहें सही हैं या नहीं।

हो सकता है कि यह सिर्फ संयोग हो कि दोनों ग्रीस में एक ही समय पर थे।

या फिर हो सकता है कि दोनों एक-दूसरे को जानने और समझने के शुरुआती दौर में हों।

जब तक जैस्मिन या हार्दिक खुद इस बारे में कुछ नहीं कहते, तब तक यह सिर्फ एक कयास ही रहेगा।

निष्कर्ष

Jasmine Walia और हार्दिक पांड्या की जोड़ी ने फैंस और मीडिया में हलचल मचा दी है।

दोनों अपनी-अपनी फील्ड में मशहूर हैं—जहां हार्दिक भारतीय क्रिकेट टीम के धाकड़ ऑलराउंडर हैं, वहीं जैस्मिन ब्रिटेन की मशहूर सिंगर और परफॉर्मर हैं।

क्या यह सिर्फ एक अफवाह है, या वाकई इन दोनों के बीच कुछ खास है?

फिलहाल, इसका जवाब तो वक्त ही देगा, लेकिन इतना जरूर है कि फैंस इस कहानी के अगले अध्याय का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं!

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Ranveer Singh की ऑनस्क्रीन बहन का दर्दनाक खुलासा

Ranveer Singh: बॉलीवुड हमेशा से चमक-दमक की दुनिया रही है, लेकिन इसके पीछे कई सितारे ऐसी कहानियाँ लेकर चलते हैं जो दर्द, संघर्ष और हिम्मत से भरी होती हैं। हाल ही में, एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई, जब Ranveer Singh की ऑनस्क्रीन बहन का किरदार निभाने वाली एक अभिनेत्री ने अपने अतीत का एक दर्दनाक सच दुनिया के सामने रखा।

इस अभिनेत्री ने अपने बचपन के उस भयानक अनुभव के बारे में बताया, जिसने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ 8 साल की थी और मेरे टीचर…”। उनकी इस बात ने फिल्म इंडस्ट्री और उनके फैंस को झकझोर कर रख दिया।

लेकिन यह अभिनेत्री कौन हैं, और उनके साथ ऐसा क्या हुआ? आइए जानते हैं उनकी आपबीती, उनके संघर्ष, और कैसे उन्होंने इस दर्दनाक अतीत से खुद को उबारा।

Ranveer Singh's onscreen sister's painful revelation

Ranveer Singh की ऑनस्क्रीन बहन, जिसने दर्शकों का दिल जीता

यह अभिनेत्री अपनी अदाकारी और शानदार अभिनय क्षमता के लिए पहचानी जाती हैं। Ranveer Singh की बहन के रूप में उनके भावनात्मक प्रदर्शन ने दर्शकों के दिलों को छू लिया था।

Ranveer Singh: हालाँकि वह मेनस्ट्रीम A-लिस्ट स्टार नहीं हैं, लेकिन उन्होंने खुद को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया है जो दमदार और यादगार किरदार निभाती हैं। मगर उनकी असली कहानी, जो उन्होंने अब दुनिया को बताई है, किसी भी फिल्म की स्क्रिप्ट से ज्यादा दर्दनाक है।

दर्दनाक बचपन की घटना: “मैं सिर्फ 8 साल की थी और मेरे टीचर…”

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान, जब यह अभिनेत्री अपने अतीत के बारे में बात कर रही थीं, तो उनकी आँखें भर आईं।

“मैं सिर्फ 8 साल की थी, जब मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई। स्कूल एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहाँ बच्चे सुरक्षित महसूस करें, जहाँ उन्हें ज्ञान और प्रेरणा मिले। लेकिन मेरे लिए, स्कूल एक डरावना सपना बन गया।”

Ranveer Singh: उन्होंने आगे बताया कि उनके शिक्षक, जिन पर उन्होंने भरोसा किया था, उन्होंने उस भरोसे को तोड़ दिया।

“वो हमें पढ़ाने के लिए थे, हमें सही राह दिखाने के लिए थे। लेकिन उन्होंने मेरी मासूमियत का फ़ायदा उठाया। मुझे उस वक्त कुछ समझ नहीं आता था। मैं नहीं जानती थी कि यह सब गलत है। मैं अपने माता-पिता को बताने से डरती थी। बस इतना जानती थी कि मैं बहुत डर गई थी।”

उन्होंने बताया कि इस घटना ने उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाला। उनके आत्मविश्वास को तोड़ दिया और दुनिया पर भरोसा करने की उनकी क्षमता को छीन लिया।

खामोशी का बोझ: उन्होंने इतने साल तक क्यों चुप्पी साधी?

Ranveer Singh: कई लोग सोचते हैं कि बचपन में दर्द सहने वाले लोग अपनी कहानियाँ इतनी देर से क्यों बताते हैं। इस पर अभिनेत्री ने कहा कि जब यह सब हुआ, तब वह इतनी छोटी थीं कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि उनके साथ क्या हुआ था।

Ranveer Singh's onscreen sister's painful revelation

“मैं तो बस एक बच्ची थी। मुझे यह भी नहीं पता था कि इसे कैसे शब्दों में बयां करूँ। मुझे लगा कि अगर मैंने कुछ कहा, तो कोई मुझ पर भरोसा नहीं करेगा। शायद लोग मुझ पर ही सवाल उठाएँगे। इसलिए मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा।”

Ranveer Singh: यह केवल उनकी कहानी नहीं है, बल्कि हजारों ऐसे पीड़ितों की सच्चाई है, जो समाज के डर और शर्मिंदगी के कारण अपनी आवाज़ को दबा देते हैं।

चुप्पी तोड़ने का फैसला: अब उन्होंने यह कहानी क्यों बताई?

सालों तक इस दर्द को अपने अंदर दबाने के बाद, इस अभिनेत्री ने आखिरकार अपनी कहानी दुनिया के सामने रखने का फैसला किया।

“बहुत सालों तक मैं अपने सीने में एक भारी बोझ लेकर जी रही थी। लेकिन अब मुझे समझ में आ गया है कि खामोशी सिर्फ अपराधियों की मदद करती है। अगर मैं अपनी बात नहीं कहूँगी, तो ना जाने कितने और बच्चे इस दर्द से गुजरेंगे। मैं नहीं चाहती कि कोई और मेरी तरह चुप रहे, इसलिए मैंने बोलने का फैसला किया।”

उन्होंने समाज से यह अपील की कि बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करें और उनकी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाएँ।

“बच्चों को यह अहसास होना चाहिए कि वे अपने माता-पिता से किसी भी बात पर खुलकर बात कर सकते हैं। उन्हें डर के साए में नहीं जीना चाहिए। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे सुरक्षित रहें।”

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कैसे किया उन्होंने इस दर्द से बाहर आने का संघर्ष?

Ranveer Singh: किसी भी दर्दनाक अनुभव से बाहर निकलना आसान नहीं होता, लेकिन इस अभिनेत्री ने अपने लिए एक नया रास्ता चुना।

  1. थेरेपी और काउंसलिंग: उन्होंने प्रोफेशनल मदद ली, जिससे उन्हें अपने जज़्बातों को समझने और उन्हें काबू में करने में मदद मिली।
  2. परिवार और दोस्तों का साथ: जब उन्होंने अपने करीबी लोगों से अपनी कहानी साझा की, तो उन्हें बहुत प्यार और सहारा मिला।
  3. आगे बढ़ने की हिम्मत: वह इस दर्द को अपनी कमजोरी नहीं बनने देना चाहती थीं। उन्होंने इसे अपनी ताकत बना लिया और समाज में जागरूकता फैलाने का फैसला किया।

“मैं अब अपने अतीत की गुलाम नहीं रहना चाहती। मैं अपने साथ हुए अन्याय को अपनी पहचान नहीं बनने दूँगी। अब मैं एक नई राह पर चल रही हूँ—एक ऐसी राह, जो दूसरों को भी हिम्मत देगी।”

Ranveer Singh's onscreen sister's painful revelation

Ranveer Singh: बॉलीवुड से मिल रहा है समर्थन

उनकी इस खुलासे के बाद बॉलीवुड इंडस्ट्री से कई बड़े सितारे उनके समर्थन में आगे आए।

  • Ranveer Singh ने सोशल मीडिया पर लिखा, “तुम जितनी मजबूत हो, उतना शायद तुम खुद भी नहीं जानती। तुम्हारी हिम्मत काबिले तारीफ है। हम सब तुम्हारे साथ हैं।”
  • दीपिका पादुकोण ने कहा, “अपने दर्द को साझा करना आसान नहीं होता, लेकिन यह हीलिंग की पहली सीढ़ी है। तुम्हें मेरा पूरा समर्थन है।”
  • आलिया भट्ट ने लिखा, “तुम्हारी आवाज़ कई लोगों के लिए प्रेरणा बनेगी। हम तुम्हारे साथ हैं।”

फैंस ने भी सोशल मीडिया पर उनके साहस की तारीफ की और उन्हें सपोर्ट करने के लिए आगे आए।

बड़ी तस्वीर: हमें क्या सीखने की ज़रूरत है?

यह कहानी सिर्फ एक अभिनेत्री की नहीं है—यह समाज में हो रहे एक बड़े अपराध की कहानी है, जिससे हजारों बच्चे गुजरते हैं लेकिन बोल नहीं पाते।

उन्होंने इस घटना के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है, जिसमें वह बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर काम करने वाली संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

“अगर मेरी कहानी किसी एक बच्चे को भी बचा सके, तो मेरी आवाज़ उठाना सफल रहेगा।”

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Ranveer Singh: हिम्मत और उम्मीद की कहानी

अपना दर्द दुनिया के सामने रखना आसान नहीं होता, लेकिन इस अभिनेत्री ने दिखा दिया कि असली ताकत वही होती है जो हमें मुश्किल वक्त में खड़ा रहने का साहस देती है।

उनकी यह कहानी उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने दर्द को छुपाकर जी रहे हैं। यह हमें याद दिलाती है कि कोई भी अकेला नहीं है और हर दर्द से उबरने का एक रास्ता होता है।

उन्होंने अपने अतीत को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि उसे अपनी ताकत बना लिया। और आज, उनकी यह हिम्मत कई और लोगों को आगे बढ़ने की राह दिखा रही है।

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Waqf Bill Passed: अजमेर दरगाह उत्तराधिकारी ने की PM मोदी की तारीफ

हाल ही में लोकसभा में Waqf संशोधन विधेयक पारित किया गया, जो वक्फ़ संपत्तियों के प्रशासन और पारदर्शिता को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले पर कई प्रतिक्रियाएँ आई हैं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा भी शामिल है। विशेष रूप से, अजमेर दरगाह दीवान के बेटे ने इस विधेयक के पक्ष में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है।

Waqf संशोधन विधेयक को समझना

वक्फ़ अधिनियम भारत में वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन को नियंत्रित करता है। वक्फ़ संपत्तियाँ मुख्य रूप से धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती हैं और इन्हें राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले Waqf बोर्डों द्वारा संचालित किया जाता है। हालाँकि, वर्षों से, कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी से जुड़ी कई चिंताएँ उठाई गई हैं, जिससे मौजूदा कानून में सुधार की आवश्यकता महसूस की गई।

नया Waqf संशोधन विधेयक इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास करता है। यह बेहतर निगरानी तंत्र, प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और वक्फ़ संपत्तियों के अनधिकृत हस्तांतरण या अतिक्रमण को रोकने के लिए कड़े प्रावधानों को लागू करता है।

Waqf Bill Passed Ajmer Dargah Heir Praises PM Modi

विधेयक की मुख्य विशेषताएँ

  1. पारदर्शिता में वृद्धि: यह विधेयक Waqf संपत्तियों के बेहतर दस्तावेजीकरण और खुलासे को अनिवार्य बनाता है, जिससे उनके उपयोग को ट्रैक करना और अवैध अतिक्रमण को रोकना आसान हो जाता है।
  2. उत्तरदायित्व को बढ़ाना: इसमें कड़े नियम शामिल किए गए हैं ताकि वक्फ़ बोर्ड अधिक प्रभावी और जिम्मेदारीपूर्वक कार्य कर सकें।
  3. वक्फ़ भूमि की सुरक्षा: इस विधेयक में वक्फ़ संपत्तियों को अवैध बिक्री, पट्टे या दुरुपयोग से बचाने के लिए नए प्रावधान शामिल हैं।
  4. विवाद निपटान की प्रभावशीलता: यह संशोधन वक्फ़ संपत्तियों से जुड़े विवादों और कानूनी मुद्दों के समाधान की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
  5. हितधारकों की भागीदारी: यह विधेयक समुदाय और धार्मिक नेताओं की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है ताकि वक्फ़ संपत्तियाँ अपने मूल उद्देश्य के अनुरूप उपयोग में लाई जा सकें।

अजमेर दरगाह दीवान के बेटे ने की पीएम मोदी की सराहना

विधेयक के पारित होने के बाद, अजमेर दरगाह दीवान के बेटे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्याय और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने इस कदम को वक्फ़ संस्थानों की अखंडता को मजबूत करने और मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाने वाला बताया।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि वक्फ़ संपत्तियों का सही उद्देश्य के लिए उपयोग हो। यह विधेयक एक ऐतिहासिक कदम है जो वक्फ़ संस्थानों को भ्रष्टाचार से मुक्त कर उनकी धार्मिक और परोपकारी भूमिका को सशक्त करेगा।”

अजमेर दरगाह, जो भारत के सबसे पूजनीय सूफी स्थलों में से एक है, ऐतिहासिक रूप से धार्मिक और सामाजिक कल्याण गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व से मिली यह प्रशंसा विधेयक की स्वीकार्यता को और अधिक बढ़ाती है।

विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिक्रियाएँ

सरकार और राजनीतिक नेता

कई राजनीतिक नेताओं ने इस विधेयक को वक्फ़ संपत्तियों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक सुधार बताया है। केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने जोर देकर कहा कि यह संशोधन वक्फ़ प्रशासन में अनुशासन लाने और धोखाधड़ी तथा अवैध लेन-देन को समाप्त करने में सहायक होगा।

Waqf बोर्ड और धार्मिक संस्थाएँ

जहाँ कुछ वक्फ़ बोर्डों ने इस विधेयक के उनके स्वायत्तता पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है, वहीं अन्य ने इसे सुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम बताया है। कुछ धार्मिक नेताओं ने इसे आवश्यक सुधार माना, जबकि कुछ अन्य सरकारी हस्तक्षेप को लेकर सतर्क हैं।

Waqf Bill Passed Ajmer Dargah Heir Praises PM Modi

कानूनी विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह संशोधन संविधान के प्रावधानों के अनुरूप है और हितधारकों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए बनाया गया है। अल्पसंख्यक अधिकारों की वकालत करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि इन सुधारों को निष्पक्षता के साथ लागू किया जाए।

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विधेयक के प्रभाव

भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन की रोकथाम

वक्फ़ संशोधन विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य वक्फ़ बोर्डों में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकना है। यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं कि धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए दी गई संपत्तियों का सही उपयोग हो।

लाभार्थियों को सशक्त बनाना

कई वक्फ़ संपत्तियाँ गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए दान में दी गई थीं। यह संशोधन इन संपत्तियों के उचित उपयोग को सुनिश्चित कर उनके वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचाने में मदद करेगा।

Waqf संपत्तियों के लिए कानूनी सुरक्षा

यह विधेयक अवैध बिक्री और अतिक्रमण को रोकने के लिए कानूनी ढाँचा प्रदान करता है, जिससे वक्फ़ संपत्तियों की पवित्रता बनी रहे।

समुदाय में विश्वास बढ़ाना

विधेयक का उद्देश्य पारदर्शिता और नैतिकता सुनिश्चित करके मुस्लिम समुदाय में वक्फ़ संपत्तियों के प्रशासन के प्रति विश्वास बहाल करना है।

Waqf Bill Passed Ajmer Dargah Heir Praises PM Modi

चुनौतियाँ और चिंताएँ

हालाँकि Waqf संशोधन विधेयक के पीछे सकारात्मक उद्देश्य हैं, लेकिन कुछ प्रमुख चिंताओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • वक्फ़ बोर्डों की स्वायत्तता: कुछ हितधारकों को चिंता है कि सरकारी निगरानी बढ़ने से वक्फ़ मामलों में अत्यधिक हस्तक्षेप हो सकता है।
  • लागू करने की जटिलताएँ: इस विधेयक के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मज़बूत प्रवर्तन तंत्र और राज्य सरकारों के सहयोग की आवश्यकता होगी।
  • राजनीतिक प्रतिक्रिया: धार्मिक संपत्तियों की संवेदनशीलता को देखते हुए, विपक्षी दल और कुछ समुदायिक नेता विधेयक की अमल में आने पर चुनौती खड़ी कर सकते हैं।

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सुधार की दिशा में एक कदम

लोकसभा में Waqf संशोधन विधेयक का पारित होना भारत में वक्फ़ संपत्तियों के कुशल और पारदर्शी प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस विधेयक के माध्यम से अधिक पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और कानूनी सुरक्षा प्रदान कर, वक्फ़ संपत्तियों को दुरुपयोग और अवैध कब्जे से बचाने का प्रयास किया गया है।

अजमेर दरगाह दीवान के बेटे द्वारा की गई प्रशंसा इस विधेयक की संभावित सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है और यह प्रधानमंत्री मोदी की शासन सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर करती है। हालाँकि, इस विधेयक के कार्यान्वयन की प्रक्रिया अभी बाकी है और इसे सफल बनाने के लिए सरकार, Waqf बोर्डों और समुदायिक नेताओं के बीच सहयोग आवश्यक होगा।

आने वाले महीनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह संशोधन अपने उद्देश्यों को कितनी प्रभावी ढंग से पूरा कर पाता है, लेकिन फिलहाल, यह भारत के विधायी इतिहास में एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में दर्ज हो गया है।

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Fawad Khan की ‘अबीर गुलाल’ पर रिलीज़ संकट!

पाकिस्तानी सुपरस्टार Fawad Khan एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और इस बार वजह है उनकी आगामी फिल्म अबीर गुलाल। दो दिन पहले रिलीज़ हुए इस फिल्म के टीज़र ने इंटरनेट पर धमाल मचा दिया है। इसके जबरदस्त विज़ुअल्स, दमदार स्टोरीलाइन और फवाद के करिश्माई अंदाज़ ने फैन्स को दीवाना बना दिया। लेकिन इस उत्साह के बीच, अब फिल्म की रिलीज़ को लेकर एक चेतावनी भी सामने आई है। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने फिल्म की संभावित रिलीज़ और उसके प्रभाव पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Fawad Khan: टीज़र जिसने इंटरनेट पर मचाई धूम

Fawad Khan, जो खुदा के लिए, कपूर एंड सन्स, और द लेजेंड ऑफ मौला जट्ट जैसी फिल्मों से अपनी बेहतरीन अदाकारी साबित कर चुके हैं, एक बार फिर दर्शकों का दिल जीतने के लिए तैयार हैं। अबीर गुलाल का टीज़र एक विज़ुअल ट्रीट से कम नहीं है। यह राजनीतिक साज़िश, भावनात्मक उथल-पुथल और गहरे कथानक का एक जबरदस्त मिश्रण दिखाता है, जो इसे एक अनोखी सिनेमाई यात्रा बना देता है।

90 सेकंड के इस टीज़र में Fawad Khan के किरदार की झलक मिलती है, जो प्यार, विश्वासघात और क्रांति की उलझनों में फंसा नजर आता है। उनकी गहरी भावनाएं, ज़बरदस्त बैकग्राउंड म्यूजिक और शानदार सिनेमैटोग्राफी ने इस फिल्म को लेकर फैन्स की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। सोशल मीडिया पर टीज़र रिलीज़ होते ही #AbirGulaal और #FawadKhan जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

Fawad Khan's 'Abir Gulaal' in release trouble!

अचानक आई चेतावनी – क्या बढ़ सकती हैं मुश्किलें?

टीज़र को मिल रही शानदार प्रतिक्रिया के बावजूद, अब फिल्म की रिलीज़ को लेकर एक चेतावनी जारी की गई है। हालाँकि, चेतावनी की सटीक वजह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार यह राजनीतिक और नियामक चिंताओं से जुड़ी हो सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि फिल्म की कहानी में कुछ संवेदनशील विषयों को छूने की वजह से विवाद खड़ा हो सकता है।

पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री पहले भी सेंसरशिप के मुद्दों से जूझ चुकी है। ऐसी फ़िल्में जो राजनीतिक अस्थिरता, ऐतिहासिक घटनाओं, या सामाजिक वर्जनाओं से जुड़ी होती हैं, अक्सर विवादों में घिर जाती हैं। अगर अबीर गुलाल भी इन विषयों से जुड़ी हुई है, तो संभव है कि रिलीज़ से पहले इसे रोकने की कोशिश की जाए।

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चेतावनी के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?

फिल्म निर्माताओं या सरकारी अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार कुछ संभावित कारण हो सकते हैं:

1. Fawad Khan: राजनीतिक संवेदनशीलता

अगर अबीर गुलाल में विद्रोह, राजनीतिक भ्रष्टाचार या प्रतिरोध जैसे विषयों को दर्शाया गया है, तो यह कुछ समूहों के लिए आपत्तिजनक हो सकता है। पाकिस्तानी सिनेमा में पहले भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील फिल्मों पर रोक लगाई गई है।

2. धार्मिक या सांस्कृतिक पहलू

अबीर गुलाल नाम पारंपरिक रंगों से जुड़ा हुआ है, जिसका उपयोग सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहारों में किया जाता है। कुछ अटकलें लगाई जा रही हैं कि फिल्म में अंतरधार्मिक संबंधों या ऐतिहासिक संघर्षों को दिखाया गया है। अगर इसकी कहानी धार्मिक संवेदनशीलता को प्रभावित करती है, तो फिल्म की रिलीज़ मुश्किल में पड़ सकती है।

Fawad Khan's 'Abir Gulaal' in release trouble!

3. भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव

Fawad Khan की लोकप्रियता सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि भारत में भी बहुत अधिक है। अगर फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान संबंधों से जुड़ी हुई है या इसे किसी कूटनीतिक दृष्टि से देखा जाता है, तो यह दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बन सकती है।

4. सेंसरशिप और इंडस्ट्री के नियम

Fawad Khan: पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री में सेंसरशिप के कड़े नियम लागू होते हैं। हिंसा, विद्रोह या सामाजिक आलोचना से जुड़ी फिल्मों को रिलीज़ से पहले कठोर जाँच से गुजरना पड़ता है। अगर सेंसर बोर्ड को फिल्म अत्यधिक उत्तेजक लगती है, तो वे इसमें कटौती करने या रिलीज़ को स्थगित करने का निर्णय ले सकते हैं।

अब अबीर गुलाल का भविष्य क्या होगा?

अब सभी की नज़रें फिल्म निर्माताओं और सरकारी अधिकारियों पर टिकी हैं। क्या फिल्म की टीम किसी भी तरह के बदलाव करने को तैयार होगी या वे बिना किसी संपादन के इसे रिलीज़ कराने का प्रयास करेंगे? फैन्स को उम्मीद है कि फिल्म बिना किसी कटौती के रिलीज़ होगी, क्योंकि सेंसरशिप फिल्म की कहानी की शक्ति को कम कर सकती है।

Fawad Khan: फिल्म के निर्माताओं की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इसी बीच, सोशल मीडिया पर यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या कलात्मक स्वतंत्रता को सरकारी नियंत्रण के तहत लाया जाना चाहिए। कई लोगों का मानना है कि सिनेमा समाज का प्रतिबिंब होता है और फिल्मों को दबाने से दर्शकों को सच्चाई से वंचित करना उचित नहीं है।

फैन्स की प्रतिक्रिया और इंडस्ट्री की अटकलें

विवाद के बावजूद, फैन्स Fawad Khan और अबीर गुलाल की टीम के समर्थन में खड़े हैं। सोशल मीडिया पर फैन्स फिल्म की बिना किसी रोक-टोक के रिलीज़ की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि सिनेमा संवाद का एक माध्यम होना चाहिए, न कि दबाव और सेंसरशिप का शिकार।

Fawad Khan's 'Abir Gulaal' in release trouble!

इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद वास्तव में फिल्म के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जिन फिल्मों को रिलीज़ से पहले विवादों का सामना करना पड़ता है, वे अधिक चर्चित हो जाती हैं और दर्शकों में उत्सुकता बढ़ जाती है। वर्ना और ज़िंदगी तमाशा जैसी फिल्मों का उदाहरण दिया जा रहा है, जिन्हें सेंसरशिप के कारण भारी चर्चा मिली और वे बाद में दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो गईं।

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अंतिम विचार – क्या अबीर गुलाल रिलीज़ हो पाएगी?

जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ रहा है, अबीर गुलाल का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है। क्या यह फिल्म बिना किसी रुकावट के सिनेमाघरों तक पहुंचेगी, या फिर इसे भी सेंसरशिप की मार झेलनी पड़ेगी? फिलहाल, फैन्स और इंडस्ट्री से जुड़े लोग आधिकारिक पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं।

एक बात तो साफ है – Fawad Khan की बड़े पर्दे पर वापसी पहले ही तहलका मचा चुकी है, और चाहे फिल्म को किसी भी तरह की चुनौती का सामना करना पड़े, अबीर गुलाल पहले ही साल की सबसे चर्चित फिल्मों में अपनी जगह बना चुकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फिल्म अपने सभी विवादों को पार कर आखिरकार सिनेमाघरों में दस्तक देती है या नहीं।

इस विषय पर आगे के अपडेट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।

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White Hair तोड़ने से बढ़ते हैं? जानें सच!

हम सभी ने यह सुना है—”अगर आप White Hair उखाड़ते हैं, तो उसकी जगह कई और सफेद बाल उग आते हैं!” यह बात पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, और ज्यादातर लोग इसे सच मानते हैं। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है, या यह सिर्फ एक मिथक है?

आइए जानते हैं कि सफेद बाल क्यों आते हैं, इस बारे में विज्ञान क्या कहता है, और विशेषज्ञों की राय क्या है।

सफेद बाल क्यों होते हैं?

इस मिथक पर चर्चा करने से पहले, यह समझना ज़रूरी है कि सफेद बाल होते क्यों हैं।

1. मेलानिन और बालों का रंग

बालों का रंग मेलानिन नामक पिगमेंट से आता है, जो हेयर फॉलिकल्स में मौजूद मेलानोसाइट्स द्वारा उत्पादित होता है। उम्र बढ़ने के साथ, ये मेलानोसाइट्स कम सक्रिय हो जाते हैं, जिससे बाल सफेद या ग्रे हो जाते हैं।

2. समय से पहले सफेद बाल होने के कारण

Does plucking White Hair grow Know the truth!

हालांकि उम्र बढ़ने के कारण बाल सफेद होते हैं, कुछ अन्य कारण भी इसे जल्दी बढ़ा सकते हैं:

  • अनुवांशिकता (Genetics): यदि आपके माता-पिता के बाल जल्दी सफेद हुए हैं, तो आपके भी होने की संभावना अधिक है।
  • तनाव (Stress): तनाव सीधे सफेद बालों का कारण नहीं बनता, लेकिन यह बालों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
  • पोषण की कमी (Nutritional Deficiencies): विटामिन B12, आयरन, और कॉपर की कमी से समय से पहले बाल सफेद हो सकते हैं।
  • जीवनशैली (Lifestyle): धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, और अस्वस्थ आहार सफेद बालों को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • चिकित्सीय स्थितियाँ (Medical Conditions): थायरॉयड समस्याएं, विटिलिगो और ऑटोइम्यून बीमारियाँ भी सफेद बालों का कारण बन सकती हैं।

मिथक: क्या White Hair उखाड़ने से और ज्यादा White Hair आते हैं?

अब सबसे बड़ा सवाल—क्या सच में White Hair उखाड़ने से और अधिक सफेद बाल उगते हैं?

विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा बिल्कुल नहीं होता!

यह मिथक क्यों फैला?

यह गलत धारणा कई कारणों से बनी:

  1. हर बाल का फॉलिकल अलग होता है: सिर के हर बाल की जड़ अलग होती है, इसलिए एक White Hair उखाड़ने से आसपास के बाल सफेद नहीं होते।
  2. सफेद बालों की प्राकृतिक वृद्धि: अगर आपने White Hair उखाड़ा और बाद में और सफेद बाल दिखे, तो इसका कारण यह है कि वे पहले से ही उगने वाले थे।
  3. फिर से उगना: उखाड़ा गया बाल फिर से सफेद ही उगेगा, लेकिन वह एक से कई नहीं बनेगा।
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White hair हो जाएगा जड़ से काला, महीनों तक नहीं पड़ेगी बालों को डाई करने की जरूरत

सफेद बाल उखाड़ने से क्या नुकसान हो सकता है?

हालांकि सफेद बाल उखाड़ने से अधिक सफेद बाल नहीं उगते, लेकिन यह आदत बालों के लिए नुकसानदायक हो सकती है:

  • बालों की जड़ को नुकसान: बार-बार बाल उखाड़ने से हेयर फॉलिकल्स कमजोर हो सकते हैं, जिससे बाल पतले या कम हो सकते हैं।
  • इनग्रोन हेयर (Ingrown Hair): कभी-कभी उखाड़ने से बाल अंदर की ओर बढ़ने लगते हैं, जिससे जलन और इन्फेक्शन हो सकता है।
  • स्कैल्प में जलन: बार-बार बाल उखाड़ने से स्कैल्प में सूजन और जलन हो सकती है।

White Hair उखाड़ने के बजाय क्या करें?

अगर सफेद बाल आपको परेशान कर रहे हैं, तो इनके बेहतर उपाय अपनाएं:

1. हेयर डाई (Hair Dye) का उपयोग करें

आप प्राकृतिक हेयर कलर (जैसे मेंहदी) या केमिकल बेस्ड डाई से White Hair को छुपा सकते हैं।

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2. अच्छा हेयरकट और स्टाइलिंग करें

बालों की सही स्टाइलिंग से सफेद बालों को छुपाया जा सकता है। हाइलाइट्स, लेयर्ड कट, और बैलायाज स्टाइल अपनाकर सफेद बालों को कम目 किया जा सकता है।

3. टेम्पररी हेयर कंसीलर का उपयोग करें

हेयर मस्कारा, रूट टच-अप स्प्रे, या टिंटेड पाउडर से सफेद बालों को अस्थायी रूप से छुपाया जा सकता है।

4. White Hair को अपनाएं!

आजकल सफेद और ग्रे बाल ट्रेंड में हैं! कई लोग अपने सफेद बालों को गर्व के साथ अपना रहे हैं। सेलिब्रिटी और फैशन आइकॉन भी ग्रे लुक को स्टाइलिश बना रहे हैं।

समय से पहले White Hair के कारण, प्राकृतिक उपचार और रोकथाम

समय से पहले सफेद बालों को कैसे रोकें?

हालांकि सफेद बालों को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन आप इसकी प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं:

1. संतुलित आहार लें

  • विटामिन B12: अंडे, डेयरी, और मांस में पाया जाता है, जो सफेद बालों को रोकने में मदद करता है।
  • आयरन और कॉपर: हरी सब्जियाँ, नट्स, और बीज सफेद बालों को रोकने में सहायक होते हैं।
  • एंटीऑक्सीडेंट्स: बेरीज, ग्रीन टी, और नट्स बालों को स्वस्थ रखते हैं।

2. तनाव कम करें

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ध्यान (Meditation), योग, और नियमित व्यायाम से तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे बालों की सेहत अच्छी रहती है।

3. धूम्रपान और शराब से बचें

धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन White Hair की प्रक्रिया को तेज कर सकता है।

4. सही हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें

साल्फेट-फ्री शैम्पू और प्राकृतिक तेलों का उपयोग करें ताकि बालों को पोषण मिले।

अगर आप सफेद बाल उखाड़ते हैं, तो इससे और सफेद बाल नहीं उगते! लेकिन यह आदत बालों के लिए हानिकारक हो सकती है। इसके बजाय, सही हेयर केयर अपनाएं और अपने White Hair को आत्मविश्वास के साथ अपनाएं।

आपका क्या विचार है? क्या आप सफेद बाल उखाड़ते हैं या उन्हें वैसे ही छोड़ देते हैं? नीचे कमेंट में बताएं! 

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Delhi Metro में इयरफोन लगाकर शख्स का जबरदस्त डांस!

Delhi Metro में आए दिन कुछ न कुछ अनोखा देखने को मिलता है, और हाल ही में एक नया नज़ारा वायरल हुआ जिसने लोगों को चकित कर दिया। एक शख्स, जो पूरी तरह अपने ही मूड में था, अपने कानों में ईयरफोन लगाकर मेट्रो के अंदर डांस करने लगा। यह एक साधारण सफर था, लेकिन देखते ही देखते एक लाइव परफॉर्मेंस में बदल गया, जिससे यात्रियों का सफर यादगार बन गया।

वायरल डांस जिसने मेट्रो को बना दिया पार्टी ज़ोन

Delhi Metro: यह घटना एक आम वर्किंग डे पर हुई, जब रोज़ की तरह यात्री मेट्रो में सफर कर रहे थे। कुछ लोग मोबाइल चला रहे थे, तो कुछ खिड़की से बाहर देख रहे थे। लेकिन तभी, एक यात्री ने माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए म्यूजिक के धुन पर झूमना शुरू कर दिया।

शुरुआत में, लोग आश्चर्यचकित होकर उसे देखने लगे, यह सोचकर कि शायद वह किसी इवेंट की प्रैक्टिस कर रहा हो या फिर अपने ही संगीत में खो गया हो। लेकिन जल्द ही, यह जिज्ञासा हंसी-मज़ाक में बदल गई। लोग मुस्कुराने लगे, कुछ ने अपने मोबाइल से वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया, और कुछ लोगों ने सीट पर बैठे-बैठे ही तालियां बजानी शुरू कर दीं। मेट्रो का माहौल बदल गया, और हर कोई इस अचानक मिले मनोरंजन का आनंद लेने लगा।

Amazing dance of a man wearing earphones in Delhi Metro!

बेखौफ होकर डांस: सभी के लिए खुशी का पल

Delhi Metro: डांस करने वाला यह यात्री पूरी तरह अपने ही अंदाज में खोया हुआ था। वह इस बात की परवाह नहीं कर रहा था कि लोग उसे देख रहे हैं या उस पर हंस रहे हैं। उसकी मस्ती ने सभी यात्रियों के चेहरों पर मुस्कान ला दी। कुछ लोगों ने तालियां बजाईं, तो कुछ ने खुद भी सीट पर बैठे-बैठे ही नाचना शुरू कर दिया।

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया किसी भी अनोखे पल को वायरल करने में देर नहीं लगाता। जल्द ही, इस व्यक्ति के डांस का वीडियो इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक पर शेयर होने लगा। वीडियो पर कई मज़ेदार कैप्शन डाले गए, जैसे “मेट्रो में डिस्को!” और “दिल्ली ने फिर कर दिया कमाल!”

Delhi Metro: दिल्ली – जहां हर पल खास है

दिल्ली हमेशा से एक जीवंत और कलात्मक शहर रहा है। चाहे कनॉट प्लेस में स्ट्रीट परफॉर्मर्स हों, मॉल में होने वाले फ्लैश मॉब्स, या सड़क किनारे कलाकारों का टैलेंट—यह शहर हमेशा खुशियों को गले लगाता है।

इस मेट्रो डांस वाले वीडियो पर भी सोशल मीडिया यूज़र्स ने दिल खोलकर प्यार बरसाया। लोगों ने कहा कि इस शख्स की हिम्मत और आत्मविश्वास काबिले-तारीफ है। “इस आदमी ने याद दिलाया कि ज़िंदगी कितनी मज़ेदार हो सकती है, अगर हम लोगों की परवाह करना छोड़ दें!” एक यूज़र ने लिखा।

थका देने वाले सफर में एक खुशी का पल

Delhi Metro में हर रोज़ लाखों लोग सफर करते हैं। उनके लिए यह सफर कई बार उबाऊ और थकाने वाला हो सकता है। लेकिन ऐसे अनपेक्षित पल—जब कोई सफर को मज़ेदार बना देता है—यात्रियों के चेहरे पर खुशी ला देते हैं।

जो लोग इस घटना के गवाह बने, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किए। एक व्यक्ति ने ट्वीट किया, “यह मेरी ज़िंदगी की सबसे मज़ेदार मेट्रो यात्रा थी! आमतौर पर हर कोई बस अपने में ही लगा रहता है, लेकिन इस शख्स ने सफर को पार्टी बना दिया!”

Amazing dance of a man wearing earphones in Delhi Metro!

Delhi Metro के सभी स्टेशनों पर लग सकती है लंबी कतारें, बढ़ेगी सुरक्षा जांच

एक और यूज़र ने मज़ाक में लिखा, “मेट्रो की अनाउंसमेंट: ‘कृपया ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच अंतराल का ध्यान रखें।’ यह आदमी: ‘ध्यान अपनी मूव्स पर दो!'”

छोटे-छोटे लम्हों की बड़ी खुशियाँ

यह पहली बार नहीं है जब मेट्रो में किसी यात्री ने सफर को यादगार बनाया हो। इससे पहले भी गाने गाने वाले, लोगों को हंसाने वाले और दोस्ती बढ़ाने वाले कई अनोखे पल सामने आए हैं। यह सब हमें याद दिलाते हैं कि खुशियाँ कहीं भी मिल सकती हैं, बस हमें उन्हें अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

इस मेट्रो डांसर ने अनजाने में ही एक महत्वपूर्ण सीख दी—कभी-कभी हमें भीड़ की परवाह किए बिना बस अपने दिल की सुननी चाहिए। हमारी तेज़-तर्रार ज़िंदगी में, ऐसे हल्के-फुल्के पल हमें तनाव मुक्त रहने और जिंदगी का आनंद लेने का मौका देते हैं।

Amazing dance of a man wearing earphones in Delhi Metro!

Delhi Metro ने दी गुड न्यूज! संडे से चेंज हो रही है टाइमिंग, जानिए नया बदलाव 

सोशल मीडिया पर रिएक्शन्स और मीम्स

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, मीम क्रिएटर्स ने इसे अपने अंदाज में पेश करना शुरू कर दिया। कुछ ने इसे बॉलीवुड डांसर्स से तुलना कर दी, तो कुछ ने इसमें मज़ेदार गाने जोड़ दिए।

कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने भी इस ट्रेंड को अपनाया और अपने तरीके से डांस करके इसे फिर से क्रिएट करने की कोशिश की। कुछ लोगों ने मेट्रो स्टेशनों पर मिनी फ्लैश मॉब्स भी किए। लगता है, इस मेट्रो डांसर की मस्ती ने एक नए ट्रेंड की शुरुआत कर दी!

Delhi Metro का रिएक्शन

वीडियो के वायरल होने के बाद, Delhi Metro रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस सकारात्मकता को सराहा, लेकिन यात्रियों को नियमों का पालन करने की सलाह भी दी। DMRC के आधिकारिक अकाउंट से एक पोस्ट किया गया, “हमें अपने यात्रियों को खुश देखकर अच्छा लगता है, लेकिन कृपया सार्वजनिक स्थानों पर अनुशासन बनाए रखें। डांस करें, लेकिन ज़िम्मेदारी के साथ!”

अंतिम विचार: ज़िंदगी को खुलकर जिएं!

Delhi Metro में हुआ यह वायरल डांस मोमेंट हमें यह सीख देता है कि कभी-कभी जिंदगी में मौज-मस्ती के लिए वक्त निकालना ज़रूरी होता है। चाहे वह डांस हो, गाना हो, या किसी अजनबी के साथ एक छोटी-सी हंसी—ऐसे छोटे-छोटे पल जीवन को खूबसूरत बना देते हैं।

हर कोई सार्वजनिक रूप से डांस करने की हिम्मत नहीं जुटा सकता, लेकिन यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमें खुद को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। इस तेज़ भागती दुनिया में, कभी-कभी बस ईयरफोन लगाकर, दुनिया की परवाह किए बिना नाच लेना ही असली खुशी होती है—फिर चाहे वो मेट्रो का कोच ही क्यों न हो!

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व्यापार युद्ध बढ़ने पर China ने अमेरिका पर 34% टैरिफ लगाया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर व्यापक टैरिफ लगाए जाने के बाद, China ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी आयातों पर 34% टैरिफ लगाया, सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की। ट्रंप ने सभी देशों पर 10% आयात शुल्क लगाया था और दर्जनों विशिष्ट देशों से आयात पर बहुत अधिक शुल्क लगाया था – जिसमें शीर्ष व्यापार साझेदार चीन और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

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ट्रंप के ‘लिबरेशन आर्मी’ कदम ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी क्योंकि गुरुवार को एसएंडपी 500 में 2020 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट के साथ 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई और डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 1,679 अंकों की गिरावट आई।

ट्रम्प ने पिछले महीने चीन पर लगाए गए 20% टैरिफ पर 34% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे ट्रम्प प्रशासन द्वारा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आयात पर कुल अतिरिक्त टैरिफ 54% हो गया।

China ने जवाबी कार्रवाई करने का वादा किया


China imposes 34% tariff on US as trade war escalates

अमेरिकी करों की घोषणा के तुरंत बाद, China ने कहा कि वह अपने निर्यात पर नए टैरिफ का “दृढ़ता से विरोध करता है”, और “अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जवाबी उपाय” करने की कसम खाई। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि टैरिफ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों का पालन नहीं करते हैं।

बीजिंग ने सात दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर निर्यात नियंत्रण भी लगाया, इसके वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, जिसमें गैडोलीनियम – आमतौर पर एमआरआई में उपयोग किया जाता है – और यिट्रियम, जिसका उपयोग उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाता है।

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चीन ने पहले सोयाबीन, पोर्क और चिकन सहित कई अमेरिकी कृषि वस्तुओं पर 15 प्रतिशत तक के शुल्क लगाकर अमेरिकी टैरिफ का जवाब दिया था। बीजिंग ने इस बात को खारिज कर दिया कि अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में नुकसान हुआ है और विवाद को हल करने के लिए “बातचीत” का आह्वान किया। “व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता है, और संरक्षणवाद के लिए कोई रास्ता नहीं है,” इसने कहा।

अमेरिका और China एक दूसरे के शीर्ष व्यापारिक साझेदार हैं, पिछले साल अमेरिका में चीनी वस्तुओं की बिक्री कुल 500 बिलियन डॉलर से अधिक थी, जो देश के निर्यात का 16.4% है। हालाँकि, चीन रियल एस्टेट क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे ऋण संकट और कम खपत से जूझ रहा है, जिसने इसकी आर्थिक सुधार में बाधा उत्पन्न की है।

चीन के निर्यात पर अमेरिका की मार

China imposes 34% tariff on US as trade war escalates

तीव्र व्यापार युद्ध का मतलब यह होगा कि चीन की अपने निर्यात पर एक मजबूत आर्थिक विकास वर्ष की उम्मीदें – जो 2024 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई – धराशायी हो जाएंगी। HSBC के मुख्य एशिया अर्थशास्त्री फ्रेडरिक न्यूमैन ने AFP को बताया, “इस साल अब तक घोषित चीनी आयातों पर अमेरिकी टैरिफ अब तक घोषित राजकोषीय प्रोत्साहन उपायों से होने वाले लाभ को पूरी तरह से नकार सकते हैं।”

इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, टेक्सटाइल और कपड़ों सहित संयुक्त राज्य अमेरिका को चीन के शीर्ष निर्यात पर टैरिफ से सबसे अधिक असर पड़ने की संभावना है। चीन स्टील, एल्युमीनियम और कार आयात पर भी क्षेत्र-विशिष्ट टैरिफ के अधीन है।

हालांकि, कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका को और ज़्यादा नुकसान हो सकता है। इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस में China अनुसंधान के प्रमुख जीन मा ने कहा, “चीन से अमेरिका के आयात में उपभोक्ता वस्तुओं के बजाय पूंजीगत वस्तुओं और औद्योगिक सामग्रियों का प्रभुत्व है।” “टैरिफ से अमेरिकी निर्माताओं के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी नुकसान होगा।”

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Waqf Bill संसद से पारित होने के बाद Congress सांसद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने Waqf Bill पारित होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने प्रस्तावित कानून को “मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण” बताया है। गुरुवार को आधी रात के बाद लंबी चर्चा के बाद राज्यसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया।

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विधेयक को अधिनियम बनने से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी का इंतजार है। जावेद ने अपनी याचिका में कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है। जावेद लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक हैं। वे वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी थे।

Waqf Bill को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

After the Waqf Bill was passed by Parliament, Congress MP approached the Supreme Court

कांग्रेस सांसद ने अपने वकील अनस तनवीर के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि प्रस्तावित कानून मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि इसमें ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं जो अन्य धार्मिक बंदोबस्तों के प्रशासन में मौजूद नहीं हैं।

याचिका में कहा गया है, “उदाहरण के लिए, जबकि हिंदू और सिख धार्मिक ट्रस्टों को स्व-नियमन की एक हद तक सुविधा प्राप्त है, वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधनों से वक्फ मामलों में राज्य का हस्तक्षेप अनुपातहीन रूप से बढ़ गया है।”

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इसमें कहा गया है, “इस तरह का भेदभावपूर्ण व्यवहार अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, साथ ही मनमाने वर्गीकरण की शुरूआत भी है, जिसका हासिल किए जाने वाले उद्देश्यों से कोई उचित संबंध नहीं है, जो इसे स्पष्ट मनमानी के सिद्धांत के तहत अस्वीकार्य बनाता है।”


After the Waqf Bill was passed by Parliament, Congress MP approached the Supreme Court

श्री जावेद ने कहा कि प्रस्तावित Waqf Bill किसी व्यक्ति के धार्मिक अभ्यास की अवधि के आधार पर वक्फ के निर्माण पर प्रतिबंध लगाता है।

याचिका में कहा गया है, “इस तरह का प्रतिबंध इस्लामी कानून, प्रथा या मिसाल में निराधार है और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने और उसका पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। इसके अतिरिक्त, यह प्रतिबंध उन व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव करता है, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया है और धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करना चाहते हैं, जिससे अनुच्छेद 15 का उल्लंघन होता है।”

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