Parivartini Ekadashi, जिसे निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू चंद्र महीने ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू उपवास दिवस है। “परिवर्तिनी” नाम का अर्थ है “परिवर्तनकारी” या “वह जो बदलता है”, जो इस पवित्र दिन की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाता है।
Table of Contents
भगवान विष्णु: ब्रह्मांड के संरक्षक
भगवान विष्णु हिंदू धर्म में ब्रह्मा (निर्माता) और शिव (संहारक) के साथ तीन प्राथमिक देवताओं (त्रिदेवों) में से एक हैं। उन्हें अक्सर ब्रह्मांड के “संरक्षक” या “पालक” के रूप में संदर्भित किया जाता है।
मुख्य विशेषताएँ और प्रतीक:
चार भुजाएँ: मानव अस्तित्व के चार पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं: मन, बुद्धि, अहंकार और चेतना।
चक्र: विष्णु को अक्सर एक चक्र (डिस्कस) पकड़े हुए दिखाया जाता है, जो उनकी दिव्य शक्ति और बुराई को नष्ट करने की क्षमता का प्रतीक है।
शंख: शंख सृष्टि की ध्वनि और ब्रह्मांड के ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।
कमल: कमल का फूल पवित्रता, सुंदरता और ज्ञान का प्रतीक है।
गदा: गदा शक्ति, शक्ति और रक्षा करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करती है।
विष्णु के अवतार:
भगवान विष्णु की सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक दुनिया को बुराई से बचाने और व्यवस्था को बहाल करने के लिए विभिन्न अवतार लेने की उनकी क्षमता है। कुछ सबसे प्रसिद्ध अवतारों में शामिल हैं:
राम: महाकाव्य रामायण के नायक, जिन्होंने अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए राक्षस राजा रावण से युद्ध किया।
कृष्ण: भगवद गीता के चंचल और शरारती भगवान, जिन्होंने धर्म और भक्ति के सिद्धांतों की शिक्षा दी।
वामन: बौना अवतार जिसने राक्षस राजा बाली को चुनौती दी और पृथ्वी को पुनः प्राप्त किया।
मत्स्य: मछली अवतार जिसने दुनिया को एक महान बाढ़ से बचाया।
कूर्म: कछुआ अवतार जिसने अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए ब्रह्मांडीय महासागर को मंथन करने में मदद की।
भगवान विष्णु का महत्व
भगवान विष्णु को सभी प्राणियों का रक्षक और धर्म का पालनकर्ता माना जाता है। उनकी करुणा, दया और ब्रह्मांड में संतुलन बहाल करने की क्षमता के लिए उनकी पूजा की जाती है। भक्त सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक मुक्ति के लिए विष्णु का आशीर्वाद मांगते हैं।
यह भी पढ़े Ekadashi के व्रत में चाय पी सकते हैं क्या?
Parivartini Ekadashi का महत्व
हिंदू धर्म में Parivartini Ekadashi का बहुत बड़ा आध्यात्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से आध्यात्मिक मुक्ति (मोक्ष) और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। यह व्रत विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज करना शामिल है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी की कहानी राजा मंदाता के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें एक भयानक बीमारी का श्राप मिला था। राहत पाने के लिए, वे ऋषि वामदेव के पास गए, जिन्होंने उन्हें Parivartini Ekadashi का व्रत करने की सलाह दी। ऋषि के निर्देशों का पालन करके, राजा मंदाता अपनी बीमारी से ठीक हो गए और उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ।
Parivartini Ekadashi की तिथि और समय
परिवर्तिनी एकादशी 14 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी:
एकादशी तिथि: 13 सितंबर 2024 को रात 10:30 बजे से शुरू होकर 14 सितंबर 2024 को रात 8:41 बजे समाप्त होगी
पूजा मुहूर्त: 14 सितंबर 2024, सुबह 7:38 बजे से सुबह 9:11 बजे तक
व्रत पारण: 15 सितंबर 2024, सुबह 6:06 बजे से सुबह 8:34 बजे तक
Parivartini Ekadashi की पूजा विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानदि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर एकादशी व्रत का संकल्प लें. अब लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछा कर भगवान विष्णु की प्रतिमा बैठाएं और उनकी पूजा आरंभ करें. सबसे पहले भगवान विष्णु को पुस्तक के माध्यम से जल चढ़ाएं. इसके बाद भगवान विष्णु को पीला चंदन, कोमा, अक्षत लगाएं. इसके बाद फूल, माला, तुलसी दल अर्पित करें.
अब भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं. धूप और घी का दीप जलाकर भगवान विष्णु की एकादशी व्रत का पाठ करें. इसके बाद भगवान विष्णु की चालीसा, मंत्र का जाप करें फिर आरती करें.
अंत में भगवान से पूजा या व्रत में हुई भूल चूक के लिए माफी मांग लें.
Parivartini Ekadashi की कथा
राजा मंदाता की कथा
यह कहानी भक्ति की शक्ति और परिवर्तिनी एकादशी जैसे पवित्र दिनों का पालन करने के महत्व पर प्रकाश डालती है। यह हमें सिखाती है कि विश्वास और दृढ़ता के माध्यम से, सबसे कठिन चुनौतियों को भी दूर किया जा सकता है।
परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक राजा मंदाता के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक पुण्यशाली शासक थे, जिन्हें एक भयानक बीमारी का श्राप मिला था। इलाज खोजने के प्रयासों के बावजूद, उनकी हालत बिगड़ती चली गई।
मदद के लिए बेताब, राजा मंदाता ऋषि वामदेव के पास गए, जिन्होंने उन्हें परिवर्तिनी एकादशी पर कठोर व्रत रखने की सलाह दी। राजा ने ऋषि के निर्देशों का पालन किया, पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज किया।
परिवर्तिनी एकादशी के दिन, जब राजा मंदाता भगवान विष्णु से प्रार्थना कर रहे थे, भगवान उनके सामने प्रकट हुए और श्राप को हटा दिया। राजा अपनी बीमारी से ठीक हो गए और मोक्ष प्राप्त किया।
कथा का महत्व
यह कहानी भक्ति की शक्ति और परिवर्तिनी एकादशी जैसे पवित्र दिनों का पालन करने के महत्व पर प्रकाश डालती है। यह हमें सिखाती है कि विश्वास और दृढ़ता के माध्यम से, सबसे कठिन चुनौतियों को भी दूर किया जा सकता है।का महत्व
Parivartini Ekadashi पर व्रत रखने के लाभ
माना जाता है कि Parivartini Ekadashi पर व्रत रखने से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलते हैं। कुछ प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
आध्यात्मिक शुद्धि: व्रत मन और आत्मा को शुद्ध करता है, नकारात्मक कर्मों को दूर करता है और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
मोक्ष: Parivartini Ekadashi पर व्रत रखने को जन्म और मृत्यु के चक्र से मोक्ष या मुक्ति पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।
भौतिक समृद्धि: ऐसा माना जाता है कि व्रत रखने से जीवन में भौतिक समृद्धि, सफलता और प्रचुरता आती है।
स्वास्थ्य लाभ: कहा जाता है कि इस व्रत से स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जिसमें पाचन में सुधार, विषहरण और वजन कम करना शामिल है।
Parivartini Ekadashi और भगवान विष्णु
परिवर्तिनी एकादशी हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान विष्णु से गहराई से जुड़ी हुई है। इस दिन, भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद और सुरक्षा चाहते हैं।
यह भी पढ़े रमा एकादशी व्रत से प्रसन्न होती हैं लक्ष्मी जी, जानें व्रत की पूजा विधि
निष्कर्ष
Parivartini Ekadashi एक महत्वपूर्ण हिंदू उपवास दिवस है जिसका आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से आध्यात्मिक शुद्धि, भौतिक समृद्धि और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह आत्मनिरीक्षण, भक्ति और भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने का दिन है।
अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें