इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता Rahul Gandhi की नागरिकता रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए केंद्र को मामले पर अंतिम निर्णय लेने और याचिकाकर्ता को तुरंत सूचित करने का निर्देश दिया है, क्योंकि यह दो विदेशी सरकारों के बीच संचार से जुड़ा है।
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अदालत ने याचिकाकर्ता को सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिए जाने के बाद फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता भी दी।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करने के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं बता पा रही है।
ऐसे में न्यायालय ने कहा कि याचिका को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर को सूचित किया कि यदि वह मामले को जारी रखना चाहते हैं तो वैकल्पिक कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं।
हालांकि याचिका को फिलहाल बंद कर दिया गया है, लेकिन याचिकाकर्ता के पास केंद्र सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिए जाने के बाद फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है।
Rahul Gandhi की नागरिकता पर उठे सवाल
अधिवक्ता और भाजपा नेता विग्नेश शिशिर द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि Rahul Gandhi के पास यूनाइटेड किंगडम और भारत दोनों की दोहरी नागरिकता है और इसलिए वह संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) के तहत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं।
पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने गृह मंत्रालय की स्थिति रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया था, जिसमें सीधे तौर पर यह नहीं बताया गया था कि गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं।
इसके बाद पीठ ने सरकार को दोहरी नागरिकता के आरोपों के जवाब में गांधी की नागरिकता की स्थिति को स्पष्ट करने वाली संशोधित रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया था।
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