होम मंत्र-जाप Poonagiri मंदिर: आस्था, इतिहास और आध्यात्मिकता का केंद्र

Poonagiri मंदिर: आस्था, इतिहास और आध्यात्मिकता का केंद्र

पूनागिरि मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे उत्तराखंड के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाता है। यह मंदिर माँ पूनागिरि को समर्पित है

Poonagiri मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे उत्तराखंड के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाता है। यह मंदिर माँ Poonagiri को समर्पित है, जिन्हें शक्ति का अवतार माना जाता है। इस स्थान पर पूरे भारत से हजारों श्रद्धालु हर साल दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से चैत्र नवरात्रि के समय यहाँ भक्तों का मेला लगता है, जिसमें माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यहाँ की मान्यता है कि Poonagiri माता अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं, और इस वजह से श्रद्धालु यहाँ कठिन चढ़ाई भी बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं।

पूनागिरि मंदिर का इतिहास और पौराणिक मान्यता

Poonagiri Temple: Faith, History

पौराणिक कथाओं के अनुसार, Poonagiri मंदिर का इतिहास माता सती और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था, जिससे भगवान शिव अत्यंत दुःखी हो गए थे। वे सती के शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में विचरण करने लगे। इस स्थिति को समाप्त करने के लिए, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई भागों में काट दिया। यह मान्यता है कि सती के शरीर का नाभि भाग Poonagiri में गिरा था, और इसीलिए इसे शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। यहाँ माता का एक शक्तिशाली रूप स्थापित है, जो भक्तों के दुःखों का नाश करती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं।

Poonagiri देवी का मंदिर उत्तराखंड राज्य के चंपावत जिले में स्थित है और इसे उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है। Poonagiri शक्तिपीठ की मान्यता है कि यहाँ माँ दुर्गा का एक रूप माँ पूनागिरि के रूप में निवास करता है। यह मंदिर 2720 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और इसे काली नदी के पास के पहाड़ों में माना जाता है। यहाँ पहुँचने के लिए कठिन यात्रा करनी होती है, जिसमें भक्तों को पर्वतारोहण के साथ-साथ घने जंगलों से गुजरना होता है।

मंदिर की भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक सौंदर्य

Poonagiri मंदिर चंपावत जिले के टनकपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पर्वतीय क्षेत्र में समुद्र तल से लगभग 2720 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे एक अद्वितीय स्थल बनाता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों को पहाड़ों और घने जंगलों से होकर जाना पड़ता है। यह यात्रा थोड़ी कठिन हो सकती है, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य और पहाड़ों की ताजगी भक्तों को नई ऊर्जा प्रदान करती है। इस मार्ग पर अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं, जिसमें पर्वत, काली नदी और हरे-भरे जंगल शामिल हैं।

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काली नदी यहाँ एक प्रमुख आकर्षण है। इस नदी का धार्मिक महत्व भी है और यह मंदिर के आसपास का दृश्य अत्यंत मनोहारी बनाती है। काली नदी के आसपास का क्षेत्र अत्यंत पवित्र माना जाता है और भक्त यहाँ स्नान कर अपने पापों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं।

पूनागिरि यात्रा मार्ग

टनकपुर से मंदिर तक पहुँचने के लिए बस, टैक्सी, और निजी वाहनों की सुविधा उपलब्ध है। टनकपुर से Poonagiri मंदिर के बेस तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग पर 17 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है, जिसे वाहनों से पूरा किया जा सकता है। इसके बाद, लगभग 3 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई शुरू होती है, जो कि काफी कठिन मानी जाती है। इस चढ़ाई में भक्तों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यहाँ का वातावरण और भक्तिभाव उनकी थकान को कम कर देता है।

यह स्थान देवी शक्ति की अद्भुत उपस्थिति का प्रतीक है। स्कंद पुराण और देवी भागवत में पूनागिरि का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि यह स्थान सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के शरीर को लेकर पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े करके उन्हें शांत किया। इस प्रक्रिया में, सती के शरीर के विभिन्न हिस्से पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में गिरे और उन स्थानों को शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा। मान्यता है कि Poonagiri में सती की नाभि का एक हिस्सा गिरा था, जिसके कारण यहाँ शक्ति की पूजा की जाती है।

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यात्रा के दौरान कई छोटे-छोटे दुकाने और चाय की दुकानें मिलती हैं, जहाँ से यात्री अपनी जरूरत का सामान खरीद सकते हैं और विश्राम कर सकते हैं। इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर कई प्राकृतिक स्रोत और झरने भी आते हैं, जिनसे यात्रियों को ठंडा पानी मिलता है।

नवरात्रि का महत्व और पूनागिरि मेला

चैत्र नवरात्रि के अवसर पर यहाँ एक विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। नवरात्रि के समय यहाँ माता पूनागिरि की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दौरान माता पूनागिरि की शक्ति अत्यंत प्रबल होती है और भक्तों की हर मनोकामना यहाँ पूरी होती है। मेले के दौरान भव्य आयोजन किए जाते हैं और मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया जाता है। इस अवसर पर मंदिर में आकर भक्त माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन की समृद्धि, सुख, और शांति की कामना करते हैं।

पूनागिरि मंदिर की आध्यात्मिकता

पूनागिरि मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा इसे एक विशेष स्थान बनाती है। भक्तों का मानना है कि यहाँ देवी माँ का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके हर दुःख का निवारण होता है। मंदिर की शांति, पवित्रता और यहाँ का धार्मिक माहौल भक्तों के मन को अत्यंत शांति और सुख प्रदान करता है।

मंदिर के आसपास का प्राकृतिक वातावरण, पहाड़ों की ताजगी, और आध्यात्मिकता की भावना भक्तों को एक गहरा अनुभव कराती है। यहाँ का वातावरण भक्तों को आत्मिक शांति का अनुभव कराता है और उनके मन को पवित्र बनाता है।

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