भारत, अपनी समृद्ध संस्कृति और विविधता के लिए जाना जाता है, और यह विविधता Puppetry कला में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। देश के विभिन्न राज्यों में कठपुतली कला की अपनी अनूठी शैली और परंपराएं हैं। आइए कुछ प्रमुख कठपुतली कलाओं पर एक नज़र डालते हैं:
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भारत की विविध Puppetry कला
तमिलनाडु का बोम्मलाट्टम
तमिलनाडु में बोम्मलाट्टम एक लोकप्रिय कठपुतली कला है। इस कला में बड़ी और भारी कठपुतलियों का उपयोग किया जाता है। ये कठपुतलियां रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों के दृश्यों को दर्शाती हैं। बोम्मलाट्टम में कठपुतलियों को एक लोहे के छल्ले से जोड़ा जाता है जिसे कलाकार अपने सिर पर पहनता है।
उड़ीसा का रावणछाया
उड़ीसा में रावणछाया एक प्रसिद्ध छाया कठपुतली कला है। इस कला में चमड़े की कठपुतलियों का उपयोग किया जाता है और प्रदर्शन रात में किया जाता है। रावणछाया में मुख्य रूप से रामायण के दृश्यों को दर्शाया जाता है।
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा की छड़ पुतलियां
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में छड़ पुतलियों का उपयोग किया जाता है। ये पुतलियां एक टुकड़े में बनी होती हैं और इनमें कोई जोड़ नहीं होता है। इन पुतलियों को चलाने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है।
केरल का कथकली पुतली
केरल का कथकली पुतली कथकली नृत्य से प्रेरित है। इन पुतलियों के चेहरे रंगीन और भव्य होते हैं और ये रामायण और महाभारत के दृश्यों को दर्शाती हैं।
दक्षिण भारत की दस्ताना पुतलियां
दक्षिण भारत में दस्ताना पुतलियां बहुत लोकप्रिय हैं। इन पुतलियों को कलाकार अपने हाथों में पहनकर चलाता है। दस्ताना पुतलियों का उपयोग विभिन्न प्रकार के प्रदर्शनों के लिए किया जाता है।
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उत्तर भारत की सूत कठपुतलियां
उत्तर भारत में सूत Puppetry का उपयोग किया जाता है। इन पुतलियों को सूतों से जोड़कर चलाया जाता है। सूत कठपुतलियों का उपयोग विभिन्न प्रकार के प्रदर्शनों के लिए किया जाता है।