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Ravi Pradosh Vrat 2023: अधिकमास के आखिरी प्रदोष व्रत की तिथि और महत्व

यह प्रदोष सावन माह का तीसरा प्रदोष व्रत होने जा रहा है। रविवार के दिन पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।

Ravi Pradosh Vrat 2023: प्रदोष को भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ दिन माना जाता है। भक्त इस पवित्र दिन पर उपवास रखते हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं।

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यह प्रदोष सावन माह का तीसरा प्रदोष व्रत होने जा रहा है। रविवार के दिन पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।

Ravi Pradosh Vrat 2023: तिथि और समय


Ravi Pradosh Vrat 2023: Date and significance of the last Pradosh Vrat of Adhikamas

Ravi Pradosh Vrat सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 13 अगस्त 2023 को मनाया जायेगा है।

रवि प्रदोष व्रत आरंभ – 13 अगस्त 2023 – 08:19 पूर्वाह्न

रवि प्रदोष व्रत समाप्ति – 14 अगस्त 2023 – प्रातः 10:25 बजे

पूजा समय – 13 अगस्त 2023 – शाम 06:59 बजे से रात 09:09 बजे तक

Ravi Pradosh Vrat 2023: महत्व

Ravi Pradosh Vrat 2023: Date and significance of the last Pradosh Vrat of Adhikamas

प्रदोष व्रत का हिंदुओं में बहुत महत्व है। वे इस विशेष दिन पर उपवास रखते हैं और बड़ी भक्ति और समर्पण के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती बहुत उदार महसूस करते हैं। यह भी माना जाता है कि जो लोग इस शुभ दिन पर व्रत रखते हैं उन्हें सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। कुछ लोग इस दिन भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा भी करते हैं।

श्रावण मास और अधिक मास के दौरान आने वाले इस प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि श्रावण मास भगवान शिव और अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है। इन दो महीनों का संयोग इस प्रदोष व्रत को और भी शुभ बनाता है।

Ravi Pradosh Vrat 2023: पूजा अनुष्ठान

Ravi Pradosh Vrat 2023: Date and significance of the last Pradosh Vrat of Adhikamas

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा कक्ष को साफ करें।

भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।

देसी घी का दीया जलाएं, और मूर्ति को फूलों से सजाएं।

शाम को सूर्यास्त के समय भी पूजा करनी चाहिए।

भोग प्रसाद चढ़ाएं और प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।

शिव मंत्र

Ravi Pradosh Vrat 2023: Date and significance of the last Pradosh Vrat of Adhikamas

ॐ नमः शिवाय..!!

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ॐ त्रयम्भकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर् मुक्षीय मामृतात् ॐ..!!

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