नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को lakhimpur kheri violence मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) को भंग कर करते हुए कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और सुनवाई चल रही है।
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मामला 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा की घटना से जुड़ा है, जिसमें लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।
तीन वरिष्ठ अधिकारी थे SIT का हिस्सा
सोमवार को आदेश जारी करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि अगर एसआईटी के पुनर्गठन की कोई जरूरत पड़ी तो उचित आदेश पारित किया जाएगा। तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एसबी शिरोडकर,पदमजा चौहान और दीपेंद्र सिंह इस एसआईटी का हिस्सा थे।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को भी मामले की जांच कर रही एसआईटी की निगरानी के काम से मुक्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने lakhimpur kheri violence मामले की जांच के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस और एसआईटी की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था।
lakhimpur kheri violence के आरोपी
इस मामले में आशीष मिश्रा सहित कुल 13 आरोपी हैं। जिनमे अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जयसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राणा, शिशु पाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत 26 सितंबर तक बढ़ा दी थी।
lakhimpur kheri violence के बारे में
lakhimpur kheri में हिंसा तब भड़की जब किसानों ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध किया। जिसके परिणामस्वरूप चार किसानों को एक एसयूवी ने टक्कर मार दी। जिसके बाद गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर और दो बीजेपी कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी।
हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई, जिससे विपक्षी दलों और केंद्र के निरस्त कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान समूहों में आक्रोश फैल गया।