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Newsnowसंस्कृतिSharadiya Navratri 2024: जानें शुभ तिथि और पूजा मुहूर्त

Sharadiya Navratri 2024: जानें शुभ तिथि और पूजा मुहूर्त

Sharadiya Navratri आध्यात्मिक नवीनीकरण, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और सामुदायिक बंधन का समय है। विशेष अनुष्ठानों, उपवास और उत्सवों का पालन करने से भक्ति और खुशी का वातावरण बनता है।

Sharadiya Navratri हिन्दू संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे देवी दुर्गा की पूजा के लिए नौ रातों तक मनाया जाता है। 2024 में, शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, जो दशहरा या विजय दशमी के उत्सव में समाप्त होगी। यह त्योहार केवल पूजा का समय नहीं है; यह संस्कृति, समुदाय और आध्यात्मिकता का एक जीवंत अभिव्यक्ति है। आइए, इस शुभ त्योहार का महत्व, अनुष्ठान और विस्तृत समय सारणी पर नज़र डालते हैं।

Sharadiya Navratri

नवरात्रि का त्योहार प्राचीन जड़ों से संबंधित है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह देवी दुर्गा के नौ रूपों का सम्मान करता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं, शक्ति और स्त्रीत्व की शक्ति को प्रदर्शित करते हैं। “नवरात्रि” का अर्थ “नौ रातें” है, जहाँ प्रत्येक रात देवी के एक अलग रूप को समर्पित किया जाता है, जिससे भक्त विभिन्न गुणों पर विचार कर सकें।

Sharadiya Navratri 2024 Know auspicious date and puja muhurta

Sharadiya Navratri के त्योहार की उत्पत्ति गुजरात क्षेत्र में मानी जाती है और यह पूरे भारत में फैल गया है, विभिन्न क्षेत्रीय रीति-रिवाजों और परंपराओं को अपनाते हुए। यह त्योहार महिषासुर, एक भैंसे के राक्षस के साथ देवी दुर्गा की युद्ध कथा से भी जुड़ा है, जिसमें उनकी विजय दशमी के दिन होती है।

देवी दुर्गा के नौ रूप

  1. शैलपुत्री: पर्वतों की पुत्री, स्थिरता और शक्ति का प्रतीक।
  2. ब्रह्मचारिणी: भक्ति और तपस्या का रूप, आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देती है।
  3. चंद्रघंटा: साहसी दुर्गा का रूप, बहादुरी और वीरता का प्रतीक।
  4. कुशमंडा: ब्रह्मांड की सृष्टिकर्ता, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक।
  5. स्कंदमाता: भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता, पालन-पोषण और करुणा का प्रतीक।
  6. कात्यायनी: योद्धा देवी, साहस और बुराई के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक।
  7. कालरात्रि: विनाशकारी रूप, नकारात्मकता और अंधकार को दूर करती है।
  8. महागौरी: पवित्रता और शांति का प्रतीक, ज्ञान और शांति का प्रतिनिधित्व करती है।
  9. सिद्धिदात्री: इच्छाओं को पूर्ण करने वाली देवी, समृद्धि और सफलता का प्रतीक।

Sharadiya Navratri 2024 की तिथियाँ और दिन

Sharadiya Navratri 2024 का कार्यक्रम निम्नलिखित है:

  • दिन 1 (10 अक्टूबर 2024): प्रतिपदा – शैलपुत्री
  • दिन 2 (11 अक्टूबर 2024): द्वितीया – ब्रह्मचारिणी
  • दिन 3 (12 अक्टूबर 2024): तृतीया – चंद्रघंटा
  • दिन 4 (13 अक्टूबर 2024): चतुर्थी – कुशमंडा
  • दिन 5 (14 अक्टूबर 2024): पंचमी – स्कंदमाता
  • दिन 6 (15 अक्टूबर 2024): षष्ठी – कात्यायनी
  • दिन 7 (16 अक्टूबर 2024): सप्तमी – कालरात्रि
  • दिन 8 (17 अक्टूबर 2024): अष्टमी – महागौरी
  • दिन 9 (18 अक्टूबर 2024): नवमी – सिद्धिदात्री
  • विजय दशमी (10 अक्टूबर 2024): इस दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक होता है।

पूजा मुहूर्त

हिन्दू अनुष्ठानों में समय का विशेष महत्व है, और नवरात्रि के दौरान पूजा मुहूर्त पर विशेष ध्यान दिया जाता है। 2024 में प्रत्येक दिन के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

Sharadiya Navratri 2024 Know auspicious date and puja muhurta
  • दिन 1 (10 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:00 AM – 07:30 AM
    • निशिता मुहूर्त: 09:00 PM – 09:30 PM
  • दिन 2 (11 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:10 AM – 07:50 AM
    • निशिता मुहूर्त: 09:05 PM – 09:35 PM
  • दिन 3 (12 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:20 AM – 07:45 AM
    • निशिता मुहूर्त: 09:00 PM – 09:30 PM
  • दिन 4 (13 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:25 AM – 07:40 AM
    • निशिता मुहूर्त: 08:55 PM – 09:25 PM
  • दिन 5 (14 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:30 AM – 07:35 AM
    • निशिता मुहूर्त: 08:50 PM – 09:20 PM
  • दिन 6 (15 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:35 AM – 07:30 AM
    • निशिता मुहूर्त: 08:45 PM – 09:15 PM
  • दिन 7 (16 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:40 AM – 07:25 AM
    • निशिता मुहूर्त: 08:40 PM – 09:10 PM
  • दिन 8 (17 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:45 AM – 07:20 AM
    • निशिता मुहूर्त: 08:35 PM – 09:05 PM
  • दिन 9 (18 अक्टूबर):
    • पूजा मुहूर्त: 06:50 AM – 07:15 AM
    • निशिता मुहूर्त: 08:30 PM – 09:00 PM
  • विजय दशमी (19 अक्टूबर):
    • अपराह्न मुहूर्त: 01:30 PM – 03:00 PM

अनुष्ठान और उत्सव

नवरात्रि के दौरान अनुष्ठान क्षेत्रीयता के आधार पर भिन्न होते हैं, लेकिन उनकी आत्मा एक समान है—भक्ति और देवी का उत्सव। यहां कुछ मुख्य अनुष्ठान और प्रथाएँ हैं:

  1. कलश स्थापना: यह अनुष्ठान एक पॉट (कलश) को पानी से भरकर और आम के पत्तों से ढककर स्थापित करने से शुरू होता है। यह देवी दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक है। आमतौर पर इसे नवरात्रि के पहले दिन स्थापित किया जाता है।
  2. व्रत: Sharadiya Navratri: कई भक्त नवरात्रि के नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। कुछ कड़े नियमों का पालन करते हैं, केवल फल खाते हैं, जबकि अन्य अधिक उदारता से व्रत रखते हैं।
  3. प्रतिदिन की पूजा: प्रत्येक दिन देवी के विशेष रूप की पूजा की जाती है। भक्त अनुष्ठान करते हैं, फूल, फल और मिठाइयाँ अर्पित करते हैं और उस दिन की देवी के लिए मंत्र का उच्चारण करते हैं।
  4. ग्रंथों का पाठ: भक्त अक्सर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, जिसमें देवी की विजय और गुणों का वर्णन किया गया है। इस पाठ को सुनने से आशीर्वाद और शक्ति मिलती है।
  5. गरबा और डांडिया: कई क्षेत्रों में, विशेषकर गुजरात में, पारंपरिक नृत्य जैसे गरबा और डांडिया उत्सव का अभिन्न हिस्सा हैं। ये नृत्य जीवन, खुशी और अच्छाई की विजय का जश्न मनाते हैं। लोग बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं, रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर इन नृत्यों का आयोजन करते हैं।
  6. रात्रि उत्सव: कई समुदाय नवरात्रि की रातों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इनमें संगीत प्रदर्शन, नृत्य प्रतियोगिताएँ और भक्ति गीत शामिल होते हैं, जो सामुदायिक भावना और सांस्कृतिक गर्व को बढ़ावा देते हैं।
  7. अष्टमी और नवमी समारोह: Sharadiya Navratri: नवरात्रि के अष्टमी और नवमी दिन विशेष महत्व रखते हैं। अष्टमी पर भक्त विशेष पूजा करते हैं और अक्सर युवा लड़कियों (कन्याओं) को आमंत्रित करते हैं, जिन्हें देवी का अवतार माना जाता है। नवमी पर भी कई लोग भव्य पूजा का आयोजन करते हैं और अखंड रामायण का पाठ करते हैं।
  8. विजय दशमी: नवरात्रि का अंतिम दिन, दशहरा, भगवान राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक होता है। इसे रावण के पुतले जलाने के साथ मनाया जाता है, जो बुराई के अंत का प्रतीक है।
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सामुदायिक भूमिका

नवरात्रि केवल व्यक्तिगत उत्सव नहीं है; यह एक सामुदायिक घटना है जो लोगों को एक साथ लाती है। विभिन्न समाज और संगठन भव्य समारोह आयोजित करते हैं, सभी को भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। इस त्योहार के दौरान एकता और सामंजस्य की भावना स्पष्ट होती है, क्योंकि समुदाय उत्सव, संगीत और नृत्य के साथ जीवंत हो जाता है।

Sharadiya Navratri: इस समय स्थानीय बाजार भी जीवित हो जाते हैं, जहाँ विक्रेता सजावटी सामान, पारंपरिक वस्त्र और त्योहार के खाने बेचते हैं। परिवार एकत्र होते हैं, अपने घरों को जीवंत रंगों और रोशनी से सजाते हैं, इस आनंदमय अवसर के लिए तैयार होते हैं।

निष्कर्ष

Sharadiya Navratri आध्यात्मिक नवीनीकरण, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और सामुदायिक बंधन का समय है। विशेष अनुष्ठानों, उपवास और उत्सवों का पालन करने से भक्ति और खुशी का वातावरण बनता है। जैसे ही हम 2024 में इस पवित्र त्योहार का स्वागत करने के लिए तैयार होते हैं, यह आवश्यक है कि हम इसके शिक्षाओं और मूल्यों को अपनाएँ—शक्ति, करुणा और अच्छाई की बुराई पर विजय।

इस नवरात्रि से सभी को आशीर्वाद, खुशी और समृद्धि मिले। त्योहार की भावना को अपनाएँ, पूरी तरह से भाग लें, और देवी दुर्गा की दिव्य ऊर्जा आपको पूरे वर्ष प्रेरित करे। शुभ Sharadiya Navratri!

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