Shardiya Navratri देवी दुर्गा के सम्मान में नौ रातों तक मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह आध्यात्मिक शुद्धि, आशीर्वाद प्राप्त करने और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का समय है।
देवी दुर्गा: दिव्य स्त्री
देवी दुर्गा हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली और पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उन्हें अक्सर एक भयंकर योद्धा के रूप में दर्शाया जाता है, जो शेर पर सवार होती हैं और त्रिशूल धारण करती हैं। दुर्गा को ब्रह्मांड की रक्षक माना जाता है और बुराई को दूर भगाने और भक्तों की रक्षा करने के लिए उनका आह्वान किया जाता है।
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देवी दुर्गा के मुख्य विशेषताएँ
नौ रूप: दुर्गा को अक्सर नौ अलग-अलग रूपों में दर्शाया जाता है, जिनमें से प्रत्येक उनकी दिव्य शक्ति के एक अलग पहलू का प्रतिनिधित्व करता है। नवरात्रि उत्सव के दौरान इन रूपों की पूजा की जाती है।
प्रतीकवाद: दुर्गा का प्रतीकवाद समृद्ध और बहुआयामी है। उनका सिंह वाहन शक्ति और साहस का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि उनका त्रिशूल उनकी सृजन, संरक्षण और विनाश की क्षमता का प्रतीक है।
बुराई के खिलाफ लड़ाई: दुर्गा को अक्सर राक्षसों और बुरी ताकतों के खिलाफ लड़ते हुए दिखाया जाता है। महिषासुर, एक शक्तिशाली राक्षस पर उनकी जीत एक लोकप्रिय किंवदंती है।
मातृत्व पहलू: अपने भयंकर रूप के बावजूद, दुर्गा को एक पोषण करने वाली और दयालु माँ के रूप में भी देखा जाता है।
देवी दुर्गा का महत्व:
सुरक्षा और सशक्तिकरण: भक्त बुरी शक्तियों के खिलाफ दुर्गा की सुरक्षा और सशक्तिकरण चाहते हैं।
आध्यात्मिक विकास: माना जाता है कि दुर्गा की पूजा करने से आध्यात्मिक विकास और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
स्त्री शक्ति: दुर्गा स्त्री दिव्य शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं।
Shardiya Navratri कब है?
शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल आश्विन महीने में मनाया जाता है। साल 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।
Shardiya Navratri क्यों मनाई जाती है?
नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में देवी दुर्गा ने असुरों का वध करके धरती पर अधर्म का नाश किया था। इसलिए, इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है|
- देवी दुर्गा की पूजा: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन एक नए रूप की पूजा होती है।
- व्रत: कई लोग नवरात्रि के दौरान व्रत रखते हैं। यह व्रत शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए किया जाता है।
- गरबा और डांडिया: नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया जैसे लोक नृत्य किए जाते हैं।
- कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है।
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नवरात्रि की तिथि :
- कलश स्थापना: 3 अक्टूबर, 2024
- अष्टमी: 10 अक्टूबर, 2024
- नवमी: 11 अक्टूबर, 2024
- विजयदशमी: 12 अक्टूबर, 2024
नवरात्रि के दौरान क्या किया जाता है?
नवरात्रि के दौरान लोग मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, गरबा और डांडिया खेलते हैं और देवी दुर्गा की आरती करते हैं।
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नवरात्रि का महत्व:
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है।
Shardiya Navratri पूजा विधि
Shardiya Navratri के दौरान देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन एक नए रूप की पूजा होती है। पूजा विधि के कुछ मुख्य चरण निम्नलिखित हैं:
- घट स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। कलश को आम के पत्ते से सजाया जाता है और उसमें जल भरकर एक मिट्टी का कलश रखा जाता है।
- नवरात्रि मंत्र: प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग रूप का मंत्र जाप किया जाता है।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए फूल, फल, मिठाई, धूप, दीपक, चावल, गंगाजल आदि का प्रयोग किया जाता है।
- पूजा विधि: देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है। उसके सामने दीपक जलाकर, धूप जलाकर और मंत्रों का जाप करके पूजा की जाती है।
- प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में प्रसाद का वितरण किया जाता है।
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नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है:
- व्रत रखना: कई लोग नवरात्रि के दौरान व्रत रखते हैं। व्रत रखने का अर्थ है कुछ खास भोजन नहीं खाना और कुछ नियमों का पालन करना।
- शुद्धता: नवरात्रि के दौरान शुद्ध रहने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए नहाना, साफ कपड़े पहनना और शुद्ध भोजन करना आवश्यक होता है।
- पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को सजाने के लिए रंगोली बनाई जाती है और फूलों से सजाया जाता है।
Shardiya Navratri में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
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- शैलपुत्री: शैलपुत्री का अर्थ है पर्वत की पुत्री। यह रूप शक्ति, साहस और धैर्य का प्रतीक है।
- ब्रह्मचारिणी: ब्रह्मचारिणी का अर्थ है ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली। यह रूप ज्ञान, तपस्या और संयम का प्रतीक है।
- चंद्रघंटा: चंद्रघंटा का अर्थ है चंद्रमा के समान घंटी वाला। यह रूप शक्ति, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।
- कुष्मांडा: कुष्मांडा का अर्थ है ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली। यह रूप शक्ति, चमत्कार और सृष्टि का प्रतीक है।
- स्कंदमाता: स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद की माता। यह रूप शक्ति, मातृत्व और संरक्षण का प्रतीक है।
- कात्यायनी: कात्यायनी का अर्थ है ऋषि कत्यूरी की पुत्री। यह रूप शक्ति, तपस्या और ज्ञान का प्रतीक है।
- मां काली: मां काली का अर्थ है काली देवी। यह रूप शक्ति, विनाश और पुनर्जन्म का प्रतीक है।
- मां दुर्गा: मां दुर्गा का अर्थ है दुर्गा देवी। यह रूप शक्ति, पराक्रम और सुरक्षा का प्रतीक है।
- सिद्धिदात्री: सिद्धिदात्री का अर्थ है सिद्धियों की दाता। यह रूप शक्ति, सिद्धि और पूर्णता का प्रतीक है।
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अष्टमी और नवमी:
- अष्टमी: नवरात्रि के आठवें दिन को अष्टमी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है।
- नवमी: नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन को नवमी कहा जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवमी के दिन विजयदशमी भी मनाई जाती है।
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नवरात्रि कंजक
नवरात्रि के दौरान छोटी लड़कियों को सम्मानित करने की परंपरा है, जिन्हें “कंजका” के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यह प्रथा घर में आशीर्वाद और समृद्धि लाती है।
महत्व: कंजकों को दिव्य स्त्री का प्रतिनिधित्व माना जाता है और उन्हें बहुत सम्मान दिया जाता है।
अनुष्ठान: नवरात्रि के दिन, लोग छोटी लड़कियों को अपने घर आमंत्रित करते हैं, उन्हें भोजन कराते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।
आशीर्वाद: ऐसा माना जाता है कि कंजकों का सम्मान करने से देवी दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और समृद्धि और खुशी सुनिश्चित होती है।
निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि देवी दुर्गा के सम्मान में नौ रातों तक मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह आध्यात्मिक शुद्धि, आशीर्वाद प्राप्त करने और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का समय है।
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